गुरु सिंह राशि में अस्त (अगस्त 12 - सितम्बर 10, 2015) - जानें इसके प्रभाव!
गुरु ग्रह अगस्त 12, 2015 को सिंह राशि में अस्त होगा। गुरु का अस्त होना हमारे जीवन को किसी न किसी तरीके से प्रभावित करेगा। पर क्या होंगे यह प्रभाव? जानिए अपनी राशियों पर होने वाले इन प्रभावों के बारे में ज्योतिषी “ आचार्य रमन ” जी के साथ।

अगस्त 12, 2015 को ग्रह गुरु सिंह राशि में अस्त हो जाएंगे। 10 सितम्बर को पुनः इनका उदय होगा। गुरु सभी शुभ कार्यों हेतु जाने जाते हैं, इनका नीच हो जाना अथवा अस्त हो जाना अच्छा नहीं माना जाता है। जब गुरु अस्त होते हैं तो सभी शुभ कार्यों को वर्जित कर दिया जाता है जैसे कुओं की खुदाई, नींव रखना, गृह प्रवेश, मुंडन, वाहन खरीदना, नया काम या व्यापार शुरू करना आदि।
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आइये देखते हैं आपकी राशि के ऊपर इसके क्या परिणाम हो सकते हैं :
मेष

धर्म अध्यात्म ऐसी चीज़ें हैं जिनको किसी भी हाल में नहीं त्यागना चाहिए। हमारा धर्म ही हमारा अस्तित्व है। जिस दिन धर्म का नाश हो जाएगा उस दिन हमारा भी अंत ही समझिए। रोमन सभ्यता इसका जीता जागता उदाहरण है। ग्रह अस्त होते रहेंगे उदय होते रहेंगे, लेकिन अगर धर्म को हमने अपना के रखा हुआ है तो सब ठीक है। बरसात में आग जलाने का कोई मतलब नहीं होता अतः इस समय में कोई नयी मन्त्र दीक्षा, साधना वगेरह शुरू करने का कोई मतलब नहीं है। अपने प्रेम सम्बन्ध को लेकर चिंतिति मत रहिये, सब ठीक हो जाएगा। टाइगर श्रॉफ हों, अभिषेक बच्चन, डिंपल कपाड़िया, या आप - अपने संस्कार को सदा ही सबसे ऊपर रखना चाहिए।
वृषभ

बड़ों का सम्मान करना हमारी धरोहर है, विदेशों में तो कोई भी किसी को नहीं पूछता - सिर्फ धन की बोली को समझा जाता है लेकिन हमारे यहाँ दिल से जिया जाता है धन से नहीं, इसलिये बड़ी से बड़ी आपदा में भी लोग एक दुसरे के लिए खड़े हो जाते हैं और बिना सरकारी मदद के ही काफी कुछ कर लेते हैं। आपको भी अपने अंदर यहि जज़्बा बनाये रखना है और सभी का पूरा सम्मान करना है चाहे वह धन में आपसे कम ही क्यों न हो। योजनाएँ तो आगे पीछे होती रहती हैं, बस इतना ही करना बहुत रहेगा। 1 महीने की ही बात है - बाद में काम हो सकते हैं। नया वाहन मत लीजियेगा।
मिथुन

समय बहुत अच्छा बना हुआ है। आपको अधिक कुछ नहीं करना है, लोग तो आपके लिए सही ऊर्जा लेकर ही बैठे हैं अपने मन में। बस आपको भी अपने अंदर नकारात्मकता को नहीं आने देना है - बहुत कष्ट होता है उन लोगों को जो आपका भला चाहते हैं मगर आपसे ही उनको कटु वाक्य सुनने को मिलते हैं। सोचिये आपके साथ कोई ऐसा व्यवहार करेगा तो आपको कैसा लगेगा? सभी को बुरा लगता है। तो दूसरों के साथ वैसा मत कीजिये जैसा आप खुद के लिए भी पसंद नहीं करेंगे। कोई नया कोर्स या काम शुरू मत कीजिएगा और किसी से ईमेल, पत्र या फ़ोन पर वार्ता करें तो ध्यान से, कहीं कोई महत्त्वपूर्ण और गोपनीय बात आपके मुह से अनायास ही निकल न जाए।
कर्क

हमेशा याद रखिये, पैसा बहुत बड़ी चीज़ है मगर नींद नहीं खरीद सकता - मन का चैन नहीं खरीद सकता, गहरी नींद नहीं खरीद सकता। तो जब ये सबसे ज़रूरी बातें ही नहीं उस से आने वाली तो क्यों उसके पीछे पागल हुआ जाए? घर में इतने लोग रहते हैं - किसी भी बुज़ुर्ग से पूछिये तो वह यही बताएँगे कि सबसे बड़ी दौलत है मन का चैन और कुछ नहीं। तो कुछ शरीर, मन और आत्मा को आराम दीजिये। महीने भर में कोई आफ़त नहीं आएगी। सब ठीक हो जाएगा, ईश्वर के अधीन सब समर्पित कर दीजिये और फिर देखिये कैसे सब काम होने लगते हैं।
सिंह

ब्रह्मा से भी गलती हुई थी, हम तो इंसान हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम जानबूझकर ग़लतियाँ करें और भगवान पर लांछन लगा दें। वह तो सब स्वीकार कर लेंगे --लेकिन बाद में क्या होगा? विष्णु जी ने , नारद अहंकारी हुआ तो उसको बन्दर बना दिया, कृष्णा जी ने कुंती का श्राप स्वीकार कर मृत्यु का वरण करा। हम क्या करें, जब शुभ ग्रह लग्न में आके अस्त हो जाए, बस प्रभु शरणम ही उपाय है। अहंकार की तिलांजलि का अभिषेक करना है, उन्माद को हटा देना है, भक्ति भाव में कमी न आने पाये बस यही ख़याल रखना है।
कन्या

हमेशा अपने आप में ही खोये रहना या अतीत को लेकर वर्तमान को धूमिल करना तो कोई समझदारी नहीं है। ऋणात्मकता को त्यागना और आने वाले समय के लिए स्वयं को तैयार करना ही समझदारी है, जो बीत गया सो बीत गया। अब नहीं आने वाला। हाँ यह ज़रूर है कि कुछ भी कीजिये नैतिकता की सीमाओं के अंदर ही कीजिये, अन्यथा भुगतना आपको ही है। ईश चिंतन ज़रूर करें मगर स्वार्थी होकर नहीं बल्कि बस मन को अच्छा लगने के लिए। स्वार्थ से तो पूरी दुनिया भी भरी पड़ी है।
तुला

मित्र हमारी सबसे बड़ी पूँजी होते हैं, हर शख्स ये जानता है - फिर भी कभी-कभी दोस्तों के साथ अनबन हो जाती है। ये तो होना भी चाहिए - तभी तो दोस्ती में नयी यादें और अनुभव आते जाते हैं। वरना घिसीपिटी ज़िन्दगी का मतलब ही क्या हुआ? वह तो सभी जी ही रहे हैं। और आपके सम्बन्ध भी अच्छे ही बने हुए हैं मगर कुछ अंदेशा है कि शायद बिगड़ जाएँ ,तो दोस्त से झगड़े के बाद जब फिर से दोस्ती होती है तो और भी मज़ा आता है। सोशल साइट्स पर थोड़ा ध्यान से पोस्ट्स या ट्वीट कीजियेगा, कहीं मुश्किल में न फँस जाएँ।
वृश्चिक

सब अच्छा ही चल रहा है, ग्रह से कोई बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। बस आपके काम थोड़ा अधिक समय लेंगे लेकिन पूरे हो जाएंगे। हाँ आपका व्यवहार ज़रूर एक समस्या बन सकता है। आपको इस तरफ तवज्जो पूरी देनी है कि किसी से भी अभद्रता न करी जाए। किसी को नीचा दिखाने या खुद को दुसरे से बेहतर जताने की कोशिश न करें। आपमें ऊर्जा तो बहुत भरी हुई है मगर कभी-कभी एक छोटी सी गलती बना नासूर बन जाती है।
धनु

धर्म संस्कार रीती ही भारतवर्ष की सदियों से पहचान रही है, आपके लिए भी बृहस्पति बहुत अच्छे स्थान में गोचर कर रहे हैं। लेकिन लगभग 1 माह के लिए जिसमें गुरु अस्त हो रहे हैं उसमें आपको यह ध्यान रखना है कि आप अपने मार्ग से भटक न जाएँ। लम्बी यात्रा को हो सके तो टाल दीजिये। धार्मिक स्थल पर जाना कोई मतलब का नहीं रहने वाला, कोई नया मन्त्र, साधना, आध्यात्मिक गुरु, कोई नया कोर्स वगेरह अभी शुरू मत कीजिये।
मकर

यही वह समय है जब आपको स्वयं पर सर्वाधिक नियंत्रण रखना होगा, जब गुरु का बल अस्त होगा तो इस भाव से जुड़ी हुई तामसिकता अधिक प्रभावी होगी और यही लोगों के पतन के कारण बनती है। रावण इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। कुछ कार्यों में अचानक विघ्न आ सकता है और आपको मानहानि से भी दो चार होना पड़ सकता है। और आपके शत्रुओं को भी आप पर ऊँगली उठाने का खूब मौका मिलेगा। लेकिन आपको विचिलित नहीं होना है - सब ठीक हो जाएगा।
कुम्भ

गुरु आपके लिए बहुत लाभ के स्थान पर चल रहे हैं, आपको आनंद भी आ रहा है लेकिन ये जो 1 माह है इसमें आपको थोड़ा नियम संयम आहार का व्रत ले लेना चाहिए। जीवन-साथी से अनबन न हो ऐसी कोशिश रखनी चाहिए, व्यापारिक संबंधों में पूरी सफाई रहनी चाहिए, और आपको अपनी तरफ से सब कुछ सामने रखते रहना चाहिए जिससे कोई वैमनस्य न फैल सके।
मीन

स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना आवशयक है, लग्नेश ही अस्त हो जाएगा तो थोड़ी दिक्कत तो होगी - कामों में अड़चनें आएँगी - अधिक परिश्रम करना पड़ेगा। दुसरे आपसे आगे निकल सकते हैं। आपमें नैराश्य की भावना घर कर सकती है। आपको ध्यान रखना है कि आपमें ईर्ष्या द्वेष की भावना न आने पाये, उस से कोई हल नहीं निकलता - गीता में इन सबको मनुष्य का परम शत्रु बताया गया है। तो चिंता मत कजिये, थोड़ी बहुत ऊँच-नीच तो जीवन में लगी ही रहती है।
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