बुध कन्या में वक्री (सितम्बर 17 - अक्टूबर 9, 2015): क्या होंगे इसके संभावित परिणाम!
सितम्बर 17, 2015 को बुध कन्या राशि में वक्री हो जाएगा। बुध की वक्र गति निश्चित ही इसके प्रभावों में बदलाव लाएगी। पर क्या होंगे ये बदलाव आपकी राशि पर? आइये जानते हैं “आचार्य रमन” द्वारा लिखे इस लेख को पढ़कर।

सितम्बर 17, 2015 को बुध ग्रह अपनी स्वराशि कन्या में वक्री हो जाएगा। यह 9 अक्टूबर को मार्गी होकर 29 अक्टूबर को तुला में चला जाएगा। अतः यह अपनी राशि में काफी दिन रहने वाला है। बुध अपना सीधा अधिकार बुद्धि पर रखता है, विश्लेषण क्षमता भी उसके और मंगल के पास है। अतः जब यह वक्री होगा तो लोगों को निर्णय लेने में असहजता महसूस होगी। लोगों को चर्म रोग भी हो सकते हैं, कान में सीटी बजने की शिकायत हो सकती है और मन में दुविधा बनी रह सकती है। अतः, कोई बड़े निर्णय नहीं लेने हैं। मोबाइल लैपटॉप इंटरनेट स्पीड में कोई ख़राबी आये तो थोड़ा इंतज़ार कर लीजियेगा, 1-2 दिन बाद किसी को बुलाइएगा ठीक करने के लिए।
यदि आपकी बुध की प्रत्यंतर दशा चल रही है तो आपको इसके प्रभावों की सर्वाधिक अनुभूति हो सकती है।
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आइये देखते हैं आपकी राशि के ऊपर इसके क्या परिणाम हो सकते हैं :
मेष

वक्री ग्रह विपरीत प्रभाव देते हैं। बुध आपका तृतीयेश और षष्ठेश है, आपको चाहिए कि आप अपने संबंधों में धैर्य बनाये रखें। स्वास्थ्य का ध्यान रखिये। विरोधियों के लिए अच्छा समय है, आपको अभी थोड़ा सा बच कर ही चलना चाहिए। वे लोग जो आपसे ईर्ष्या रखते हैं उनसे दूर रहना ही अच्छा है। इस समय में आपको अपने विचारों को स्पष्ट रूप से सभी के समक्ष रखना चाहिए लोगों की बातें भी भली-भाँती समझनी चाहिए अन्यथा आपको बात का सही मतलब समझने में चूक हो जाएगी और कुछ का कुछ कर बैठेंगे। आपके फ़ोन, लैपटॉप का नेटवर्क, इंटरनेट बार-बार गड़बड़ हो सकता है, इससे चिढ़ने की आवश्यकता नहीं है। आपको बस शांत रहकर अपनी राह पर चलना है और कुछ नहीं।
वृषभ

आपकी सोच में दूसरों के प्रति थोड़ा अविश्वास आ सकता है ख़ास तौर पर आपके प्रेम संबंधों में कुछ अनबन हो सकती है, अच्छा होगा कि हर बात की स्वयं तसदीक करें। आप किसी अच्छे मौके को भी छोड़ सकते हैं। यदि आपके अनेक सम्बन्ध हैं तो वाणी पर संयम रखना आपके लिए अच्छा रहेगा। लाभ के भी मौके हाथ से निकल सकते हैं, सट्टे आदि से हानि हो सकती है मगर इसको आप रिकवर कर लेंगे। खर्चों में कभी एकदम कमी आ जायेगी और कभी एकदम से बहुत सारा धन आपको देना पड़ेगा।
मिथुन

लग्नेश वक्री हो जाए तो दिमाग में फितूर आने लगते हैं। जल्दी में हम कुछ गलत निर्णय ले लेते हैं जिनके लिए हमे बाद में पछताना पड़ता है। लोगों से हमेशा यह अपेक्षा रखना कि वे हमारा साथ देंगे यह उचित नहीं है। आज का समय में बड़ा मुश्किल हो जाता है ऐसी धारणा के साथ जीवन यापन करना और घर के लोग ही बहुत बार ऐसे मौके पे साथ छोड़ देते हैं कि समझ नहीं आता कि इनको क्या हो गया। लेकिन आपको उनसे झगड़ा नहीं करना है और सबको साथ लेकर चलना है। छोटी यात्रा होने की बात हो तो मना कर दीजियेगा। नुक्सान ही मिलेगा। मित्रों के साथ मिलकर रहिएगा।
कर्क

इस लग्न के लिए बुध प्रबल शत्रु है। और यह वैसे भी खर्चे के घर पर अधिपत्य रखता है। तो अभी तक तो इसके कारण आपको खर्च उठाना हो रहा होगा किन्तु अब यह खर्च में कमी करेगा। अच्छा ही है न? कहीं घूमने फिरने का सही समय नहीं है। अपने कुटुम्बियों से वार्तालाप सीधा और स्पष्ट रखिये। धन को उधार के रूप में या किसी भी तरह से किसी को दीजिये मत। वापस मिलने के योग कम हैं। आपको चाहिए कि आवश्यक और ज़रूरी समझौते, मीटिंग आदि को फिलहाल टाल दीजिये।
सिंह

ये ज़रूरी नहीं है कि हम जो सोचते हैं सब वैसा ही हो। बहुत बार ऐसा होता है कि हम सोचते कुछ हैं और हो कुछ और जाता है। चतुर सुजान भी मूर्ख बन जाते हैं। धन और लाभ का स्वामी वक्री हो जाए तो ऐसा बहुत संभव हो जाता है। इस समय में आपको स्वयं पर ही भरोसा करके आगे बढ़ना चाहिए और दूसरों की बातों में नहीं आना चाहिए। आपको चाहिए कि धन और भविष्य की योजनाओ को लेकर पूर्ण सजग रहें। घर में कोई सामान लेना हो तो उसे फिलहाल के लिए मना कर दीजिये। अहंकार से बचिए, चापलूसों से दूर रहिये, कोई काम आये तो मना मत किजीये किन्तु पैसे के बारे में सब लिखित में रखिये।
कन्या

वक्री ग्रह आपका लग्नेश होकर लग्न में ही है, अतः आपको सावधान रहना चाहिए, कोई बड़े निर्णय तो बिलकुल ही मत लीजियेगा। रोज़मर्रा के जीवन में आपको इतना करना है कि ध्यान रखें कि कौन सी चीज़ कहाँ रखी है, किसको दी है, कितने दिन के लिए दी है और उधार नहीं देना है। मित्रों से कोई वादा मत कीजिये या जिसमें आपको पूर्ण भरोसा हो उसी बात का वादा कीजिये अन्यथा आपका नाम खराब होगा जो अच्छा नहीं है। लोग आपसे दुखी हो सकते हैं। आपके शत्रु भी आपको हानि पहुँचाने में कामयाब हो सकते हैं, कुछ न कुछ खराब तो करेंगे ही मगर अधिक हानि नहीं हो पाएगी। आपको निजी जीवन में भी स्पष्टता बनाये रखनी चाहिए।
तुला

बुध आपका भाग्येश और द्वादशेश है। यह द्वादश में जाकर वक्री हो रहा है। आपके लिए यह अच्छा ही है। वक्री ग्रह मिश्रित और कभी-कभी विपरीत फल दे देते हैं। आपके कुछ काम जो अभी तक किसी भी कारण से रुके हुए थे वह अब आगे बढ़ने लगेंगे। किंतु आपको कोई भी बड़े निर्णय नहीं लेने हैं और उधार नहीं लेना है। इससे आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा को बहुत आघात पहुँच सकता है। आपको लोगों से हानि होने की भी सम्भावना है और मित्रों द्वारा मूर्ख बनाये जाने की भी। मूर्ख ऐसे कि जो समय देंगे उसपर खरे नहीं उतरेंगे आदि। कोई गंभीर बात नहीं है। आपके कार्यों में समय और लगन बहुत खर्च होगी, परिणाम में विलम्ब भी रहेगा और आशा से कम मिलेगा।
वृश्चिक

कहते हैं समय खराब हो तो अपनी परछाईं भी साथ नहीं देती, कुछ ऐसा हो सकता है आपकी परछाईं के साथ नहीं मगर आपके दोस्तों के साथ। वक्री ग्रह आपके मित्रों के भाव में होने से आपके मित्रों में आपके प्रति कुछ अनिच्छा बन सकती है। कामकाज भी थोड़ा ढीला हो जाएगा। आप ही आलस करेंगे और काम को और देरी से करने की प्रवृत्ति आ सकती है। किसी लम्बी यात्रा पर जाने का विचार फिलहाल स्थगित रखना अच्छा रहेगा। नौकरी बदलने की इच्छा भी हो सकती है और कोई ऑफर आपको मिल सकता मगर आपको उसे नहीं लेना चाहिए।
धनु

आपमें बहुतसी ख़ूबियाँ हैं, कर्म शील व्यक्तित्व भी है किन्तु कुछ अहंकार और क्रोध के कारण कभी-कभी नुक्सान हो जाता है। आपको चाहिए कि अपने काम को पहली प्राथमिकता दें, आलस और अनिच्छा को आप पर हावी नहीं होने दें। लोगों से थोड़ा ठीक व्यवहार कीजिये और आपको उसका प्रसाद भी मिलेगा। प्रेमिका /प्रेमी के साथ हंसी ख़ुशी रहिये, मन को संतोष तो वहीं मिलना है चाहे कहीं भी कितना भी भाग लीजिये। तो आपको कोई ग़लतफहमी नहीं आने देनी है दोनों के बीच में। थोड़े दिन बाद सब वैसे ही ठीक हो रहा है, तो कुछ दिनों के लिए अपना व्यवहार थोड़ा नियंत्रित रखिये। जीवन में दो बातें होती हैं - साध्य और साधन। अधिकतर लोग साधन में ही उलझ जाते हैं और साध्य को भूल ही जाते हैं, आप उस गलती से बचिए।
मकर

आपको थोड़ा अपनी सेहत आदि पर ध्यान देना चाहिए, हंसना बोलना भी चाहिए। वैसे आपके व्यंग्य बहुत अच्छे होते हैं मगर आपके अंदर बहुत एकांत रहता है। थोड़ा धर्म-कर्म आदि के बारे में आपको सोचना चाहिए, जब तक नवम का स्वामी नवम में ही है, भले ही वक्री हो पर उससे प्रभु की भक्ति में कमी नहीं आनी चाहिए। घूम आइये किसी अच्छे और आपके घर से बहुत दूर किसी तीर्थ पर। आपको अभी काम काज में अधिक मन नहीं लगेगा, आप अकेले स्वयं को कष्ट दें उससे अच्छा है कि सैर सपाटा कर के आइये।
कुम्भ

पंचमेश अष्टम में स्वराशि में है तो बहुत बढ़िया होता है किन्तु यह वक्रत्व ठीक नहीं है। इस समय आपको स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा सजग रहना चाहिए और स्वयं को स्पष्ट रखना चाहिए। याद रखिये बुध का सम्बन्ध नैसर्गिक रूप से तो बुद्धि से है ही। आपके लिए वह पंचमेंश के कारण और अधिक तीव्र कारक हो गया है। अतः आपको ऐसे कामों में नहीं पड़ना है जहाँ आपके धन का इस्तेमाल होना हो और निर्णय भी आपको ही करना हो। आपको बेमतलब में घाटा हो सकता है। कोशिश कीजिये अपने पुराने संबंधों को जगाने का, शायद बात बन जाए और आपको शैय्या सुख की खासी मात्रा में अनुभूति हो जाए।
मीन

निजी जीवन में थोड़ी अनियमितता रहेगी, वो तो वैसे भी रहती ही है अतः कोई ख़ास चिंता की बात नहीं है। लेकिन थोड़ी उग्रता से बचना दोनों के लिए अच्छा होगा क्योंकि इस समय बेध्यानी में दोनों में से कोई भी ऐसा कुछ बोल सकता है जो लम्बे समय तक आपको दर्द देता रहेगा। उससे बचना ही श्रेष्ठ है। प्रेम अच्छी घटना है और धारणा भी, मगर आपको यह ध्यान रखना है कि शक का इलाज हकीम लुक़्मान के पास भी नहीं है। राजा सोलोमन भी इसमें कुछ नहीं कर सकता। शक किसी भी सम्बन्ध के लिए अच्छा नहीं होता। धन आएगा, ये अच्छी बात है। धन अच्छा है अगर सही मार्ग पर चलकर आ रहा है तो, नहीं तो किसी काम का नहीं।
आचार्य रमन
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