ज्योतिष क्विज़ 20: शरीर के किस हिस्से में हुई जातक को बीमारी?
मित्रों, एस्ट्रोसेज क्विज़ 20 के साथ एक बार हम फिर हाज़िर हैं। इस क्विज़ में भाग लेकर दीजिये अपनी क़िस्मत को मौका विजेता का ख़िताब जीतने का। और हाँ, एस्ट्रोसेज क्विज़ हॉल ऑफ़ फ़ेम में अपना नाम देखना मत भूलिएगा।
प्रश्न: सितम्बर 2014 में जातक को एक बीमारी से पीड़ा हुई। कृपया कारण सहित बताएँ कि वह बीमारी शरीर के किस हिस्से में हुई?
उत्तर विकल्प:
- (A) सिर
- (B) हाथ
- (C) पेट
- (D) जंघा
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जातक का जन्म विवरण:
- लिंग: पुरुष
- जन्म तिथि: फरवरी 08, 1972
- जन्म समय: 03:20 IST
- जन्म स्थान: ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
- देशान्तर (Longitude): 80:25 E
- अक्षांश (Latitude): 25:48 N
कुण्डली
कुण्डली का पूरा विवरण देखने के लिए दिए हुए लिंक पर जाइये - - http://k.astrosage.com/quiz20
नियम और शर्तें
- कृपया अपने उत्तर के साथ ज्योतिषीय विश्लेषण अवश्य दीजिए। बिना विश्लेषण के उत्तर मान्य नहीं होंगे।
- केवल नवम्बर 19, 2014 तक ही उत्तर ही मान्य होंगे।
- क्विज़ का परिणाम नवम्बर 20, 2014 को घोषित किया जाएगा।
- उत्तर देने के लिए आप या तो नीचे “कमेंट बॉक्स” का उपयोग कर सकते हैं या फिर हमें quiz@astrosage.com पर विश्लेषण सहित उत्तर भेज सकते हैं।
- एक से अधिक विजेता होने की सूरत में किसी भी एक को पुरस्कार के लिए यादृच्छिक (रेंडम) तरीक़े से चुना जाएगा। किन्तु सभी सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों का नाम “एस्ट्रोसेज क्विज़ हॉल ऑफ़ फ़ेम” में सम्मिलित किया जाएगा।
Quiz #20 Results
एस्ट्रोसेज.कॉम ने अपने क्विज़ सेक्शन में बीसवीं क्विज में आपसे एक ज्योतिषीय सवाल पूछा था। जिसमें आपको एक जन्म विवरण देते हुए पूछा गया था कि: सितम्बर 2014 में जातक को एक बीमारी से पीड़ा हुई। कृपया कारण सहित बताएँ कि वह बीमारी शरीर के किस हिस्से में हुई?
उत्तर विकल्प:
(A) सिर
(B) हाथ
C) पेट
(D) जंघा
सहीं जबाब है ऑप्सन (D) - जंघा
कई जानकारों ने सटीक उत्तर दिए लेकिन जिन लोगों ने कारण सहित सही उत्तर दिया उनके नाम हैं: सचिन श्रीवास्तव, सोनू तिवारी, व राजेश छेत्री।
सर्वश्रेष्ठ उत्तर
इस बार सभी लोगों ने नियमबद्ध तरीके से उत्तर दिया है लेकिन उनमें से किसी एक को सर्वश्रेष्ठ उत्तर देने वाले का खिताब देना होता है, और इस बार का यह ख़िताब जाता है “सचिन श्रीवास्तव” जी को।
इन्होंने जो उत्तर दिया है वह इस प्रकार है:
Answer of the question is the option (D) Thigh and following are the points to validate the logic:
1. From the Lagna, Sun being the 9th lord and Karaka becomes most important planet to look at, here representing thighs has gone to 2nd house which is 6th to 9th (Bhavat Bhavam) representing injuries, disease to the part of the body. It is conjoining Rahu, planet responsible for subtle long term diseases and aspected by Ketu, planet that gives surgery and injuries as its acts like Mars.
2. Saturn the dispositor of Sun is in the 6th house of disease and also Saturn is responsible for the chronic diseases and gives metals surgery to the body organ.
3. Venus being the most malefic for Sagittarius ascendant owing the 6th and 11th house and an ultimate giver of the diseases to the native, is being the dispositor of Saturn and Moon (dispositor of Ketu acting like a malefic Mars) and present in the 4th house in the exalted state which is 8th from 9th house, giving a long term disease and surgery to the native 9th part of body means thighs.
4. From the Chandra Lagna , 9th house of Gemini is being hemmed by top malefics Saturn and Ketu giving Paap Kartari Yoga which actually damages and weaken the house of Gemini i.e. house of thigh and make vulnerable towards a long term disease. Its lord Mercury is again with Rahu and Sun, both are acting as a separative.
5. In the D-9 chart, lords of the all the Trick houses viz, Mercury , Mars and Jupiter all aspecting 9th house and also fully aspected by Rahu from Navamsa lagna. 9th lord Jupiter is again fully aspected by Ketu represent some sort of injuries or disease. Planets and dries up the blood flowing means blood circulation weakens in the thigh of the native.
6. From the Vimshottari Dasha, native was running through the Ketu Dasha and Moon Antardasha, which is validating the above mentioned points. Saturn being dispositor of Sun, Mercury, Rahu and Moon dispositor of Ketu and shows the blood flow in the part of body is being retarded.
7. From the transit, most probable date of facing the illness is 22 september 2014, as Moon and Venus were transiting the 9th house and its lord Sun were with Rahu.
8. From the BCP method, Native is running through his 43rd years of time and so 7th house become the trigger point of event, see its lord Mercury with Rahu and Sun whose dispositor Saturn lying in the 6th house of disease. Representing disease in the 9th house or thigh part of the body owned by Sun.
Hence the correct option is (D)- Thigh.
Regards,
Sachin Srivastava
ऑप्सन (D) जंघा, सही उत्तर क्यों है?
जातक का जन्म धनु लग्न और मेष के नवांश में हुआ। लग्न और लग्नेश दोनों ही मूल नक्षत्र में हैं। नक्षत्र स्वामी केतु अष्टम में है, स्वाभाविक है स्वास्थ्य को लेकर जातक को कुछ न कुछ परेशानियाँ अक्सर रह सकती हैं। हालांकि जातक की रूचि योग या साधना आदि में हो सकती है, फलस्वरूप स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी, लेकिन योग या साधना से बिमुख होने की स्थिति में स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का प्रतिशत बढ़ सकता है।
धनु लग्न और लग्नेश गुरु का लग्न पर होना पेट से सम्बंधित परेशानियाँ होने का संकेतक है, अत: जिन्होंने पेट से संबधित रोग का होना पाया है वो काफ़ी हद तक सही हैं, लेकिन हमारा प्रश्न एक विशेष अवधि से सम्बंधित है, अतः इस अवधि की दशाओं और गोचर का विचार आवश्यक होगा। बीमारी की अवधि में जातक पर केतु- चन्द्र -गुरु का प्रभाव रहा। केतु ग्रह शनि के नक्षत्र में है जबकि चन्द्रमा गुरु के नक्षत्र में है। गुरु का अधिपत्य ऐसे अंगों पर माना गया है जहाँ मेद (वसा) का एकत्रीकरण होता है। साथ ही गुरु को नवम भाव का स्थाई कारक भी माना जाता है और नवम भाव से जंघा का विचार किया जाता है, जबकि शनि का सम्बन्ध पीड़ा से माना गया है। वृहदपाराशर होराशात्र में शनि का सम्बन्ध मांसपेशियों से बताया गया है। अतः यह दशा मांसपेशियों विशेषकर जंघा की पीड़ा का संकेत कर रही है।
जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि कुंडली के नवम भाव से जंघाओं का विचार किया जाता है। कुंडली का नवमेश सूर्य है जो दूसरे भाव में है यानी अपने से छठे भाव में है (भावात भवम के सिद्धांत के अनुसार)। ऊपर से सूर्य राहु के साथ है। सूर्य ग्रह शनि की राशि में है और शनि रोग स्थान अर्थात छठे भाव में है। अतः यहाँ से यह बात तो सामने आ रही है कि जातक को जंघा से सम्बंधित कष्ट हो सकता है।
पीड़ा के समय लग्न से षष्ठेश (रोग स्थान का स्वामी) शुक्र नवम भाव में नवमेश के साथ था। उस समय नवमेश सूर्य षष्ठेश शुक्र के नक्षत्र में था, अतः जिस मांसपेशी से सम्बंधित कष्ट का संकेत अन्तर्दशानाथ चन्द्रमा कर रहा था वह जांघो से सम्बंधित होना पाया जा रहा है। यदि चन्द्र कुंडली से देखें तो नवमेश बुध राहु के साथ द्वादश भाव में था, जो न केवल जंघा में कष्ट का संकेत कर रहा है बल्कि अस्पताल में भर्ती होने लायक पीड़ा देने का संकेत भी कर रहा है। कुछ विद्वान जंघा के लिए नवम के साथ-साथ अष्टम को भी विचारणीय मानते हैं। और लग्न कुंडली से अष्टम के गोचर को देखें तो हम पाएंगे कि लग्नेश गुरु अष्टम में था उस पर शनि की दृष्टी भी थी। उस समय अष्टम में स्थित केतु व अष्टमेश चन्द्रमा की दशा का प्रभाव था, अतः यहाँ से भी जंघा से सम्बंधित कष्ट की पुष्टि हो रही है।
जिन लोगों का उत्तर सही नहीं हुआ, उन्हें निराश होने की ज़रूरत नहीं है। पुन: प्रयास करें और क्विज़ 21 में भाग लें, मेहनत ज़रूर रंग लाएगी। आशा है आप सभी बिना निराश हुए अगले प्रश्न का सही उत्तर देंगे। आप सभी लोगों का एस्ट्रोसेज परिवार की ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद।
एस्ट्रोसेज परिवार सभी हिस्सेदारों और विजेताओं को मुबारकबाद देता है । यदि आपका नाम विजेताओं की सूचि से छूट गया है तो हमे बताएँ, हम वह सूचि पुनः तैयार करेंगे। यह सभी नाम अपनी जगह " ऎस्ट्रोसेज क्विज़: हॉल ऑफ़ फ़ेम " में बनाएँगे । यदि आपका ख़ाता एस्ट्रोसेज ऑनलाईन डायरेक्टरी पर है तो हमें बताएँ। हम आपके ख़ाते को आपके नाम के साथ जोड़ देंगे।
क्या आपने यह मौका गँवा दिया? डरिये मत, आपके लिए प्रस्तुत है क्विज़ - 21! अपनी किस्मत आज़माइए!
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