सूर्य ग्रहण 2021 - Surya Grahan 2021
सूर्य ग्रहण 2021 (Surya Grahan 2021) के, हमारे इस लेख में आपको वर्ष 2021 में साल भर पड़ने वाले हर छोटे-बड़े ग्रहणों की संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही आप जान सकेंगे कि हर सूर्य ग्रहण की तिथि, ग्रहण की धार्मिक मान्यताएँ व उसका प्रभाव। साथ ही उसके सूतक काल का समय भी।

यदि सूर्य ग्रहण 2021 की बात करें तो आधुनिक विज्ञान में यूँ तो सूर्य ग्रहण को हमेशा ही एक खगोलीय घटना की तरह देखा जाता रहा है लेकिन वैदिक ज्योतिष में इसे हर प्राणी के ऊपर पड़ने वाले कई बड़े परिवर्तनों के साथ जोड़ा जाता है। ये देखा गया है कि, ग्रहण को लेकर हर व्यक्ति के मन में अजीब सा डर लगा रहता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण 2021 को लेकर हर किसी के मन में कई तरह के सवाल उठने लाज़मी हैं।
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सूर्य ग्रहण 2021
साल 2021 में कुल दो सूर्य ग्रहण लगने वाले हैं जिनमें से पहला सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, तो वहीं दूसरा और अंतिम पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। ऐसे में चलिए अब जानते हैं कि इस वर्ष कब-कब ये सूर्य ग्रहण लगेंगे और किन-किन देशों में होगी इनकी दृश्यता। इसके साथ ही आपको ये भी पता चलेगा कि सूर्य ग्रहण 2021 (Surya Grahan 2021) के दौरान हर व्यक्ति को किन - किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार हर ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने व खुद के जीवन को सफल बनाने के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान हर जातक को अपनी कुंडली के अनुसार उचित ज्योतिषीय उपाय भी करने चाहिए।
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किस स्थिति में पड़ता है सूर्य ग्रहण
वैज्ञानिकों की मानें तो, सूर्य ग्रहण उस स्थिति में घटित होता है, जब पृथ्वी चंद्र व सूर्य, तीनों अपना-अपना परिक्रमा चक्र पूर्ण करते हुए एक सीधी रेखा में आते है। इस दौरान चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य आ जाता है और इससे सूर्य की रोशनी प्रभावित होती है। इस अवस्था में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता, जिससे एक प्रकार का अंधियारा सा छा जाता है। इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण 2021 का पौराणिक महत्व
वैज्ञानिक महत्व के अलावा सूर्य ग्रहण का अपना एक विशेष पौराणिक महत्व भी बताया गया है जिसका उल्लेख मत्स्यपुराण की एक पौराणिक कथा में किया गया है। उसी कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन कर अमृत निकाला गया था तो, उसका पान करने के लिए सभी देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ था। इस दौरान जहाँ असुर अमृत पीना चाहते थे, तो वहीं देवता भी उसे पाना चाहते थे। इसी बीच राहु नाम के एक असुर ने बेहद चालाकी से अपनी रणनीति अनुसार देवताओं से छिप कर उस अमृत का पान किया लेकिन इसी दौरान उस असुर को सूर्य देव और चंद्र देव ने देख लिया था।
जैसे ही असुर राहु की ये चाल भगवान विष्णु को ज्ञात हुई, तो उन्होंने क्रोध में आकर असुर स्वर्भानु के इस कृत्य के चलते उसे मृत्युदंड देने के लिए अपना सुदर्शन चक्र चलाया जिससे उसका का सिर और धड़ एक दूसरे से अलग हो गए।परन्तु वह मरा नहीं, क्योंकि उसने अमृतपान कर लिया था, इसी के परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु नहीं हुई। ऐसे में माना जाता है कि राहु सूर्य और चंद्रमा से अपने उसी प्रतिशोध के चलते दोनों पर हर साल ग्रहण लगाता है, जिसे हम सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के नाम से जानते हैं।
कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण
आमतौर पर सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं:-
- पूर्ण सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तो उसके प्रकाश को अपने पीछे पूरी तरह ढक लेता है, जिससे पूर्णत: अंधेरा छा जाता है। तो इस अवस्था को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
- आंशिक या खंड सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा सूर्य के आगे आकर उसे ढक लेता है, लेकिन सूर्य का कुछ प्रकाश ढक नहीं पाता है, तो इस अवस्था को खंड या आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
- वलयाकार सूर्य ग्रहण - जब चंद्र सूर्य के सामने आते हुए, उसे इस प्रकार से ढक लेता है कि सूर्य बीच में से तो ढका हुआ प्रतीत हो, लेकिन उसके किनारों से रोशनी का एक छल्ला या अंगूठी बनता हुआ दिखाई दे तो इस स्थिति में ये वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है। ये अवधि हालांकि कुछ ही पलों के लिए होती है। सूर्य ग्रहण का योग हमेशा अमावस्या के दिन ही बनता है, क्योंकि इस दौरान चंद्र पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है।
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सूर्य ग्रहण 2021 का सूतक
सूर्य ग्रहण से पूर्व के एक निश्चित समय को ग्रहण का सूतक काल माना जाना जाता है। सनातन धर्म के अनुसार, ये वो अशुभ समयावधि होती है, जब पृथ्वी पर दूषित प्रभाव सबसे अधिक होता है। इसी सूतक के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए उस सूर्य ग्रहण से संबंधित कुछ विशेष सावधानी बरतनी अनिवार्य होती हैं।
सूर्य ग्रहण 2021 की सूतक समयावधि
सूर्य ग्रहण 2021 का सूतक काल पूरी तरह ग्रहण की अवधि और उसके समय पर ही निर्भर करता है। पंचांग के अनुसार, सूर्य ग्रहण से पूर्व चार प्रहर के लिए उसका सूतक माना जाता है। पंचांग में सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुल आठ प्रहर होते हैं। अतः सूर्य ग्रहण में ग्रहण लगने के ठीक बारह घंटे पहले से सूतक काल शुरू हो जाता है, जो ग्रहण की समाप्त के साथ ही समाप्त होता है।
वर्ष 2021 में घटित होने वाले सूर्य ग्रहण
जैसा हमने बताया कि सूर्य ग्रहण विज्ञान में महज एक खगोलीय घटना है, और ये घटना हर साल ही घटित होती है। ग़ौरतलब है कि इनकी संख्या ऊपर-नीचे हो सकती हैं। इस वर्ष की बात करें तो 2021 में कुल दो सूर्य ग्रहण पड़ने वाले हैं।
- वर्ष 2021 में पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लग रहा है, जो कि वलयाकार होगा।
- वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण वर्ष के अंत में 4 दिसंबर को लगेगा, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा।
पहले सूर्य ग्रहण की दृश्यता को देखें तो, ये भारत में न दिखाई देते हुए, केवल उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में, यूरोप और एशिया में, उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रुस के अधिकांश हिस्से में ही दृश्य होगा।
जबकि दूसरा व वर्ष का अंतिम, 4 दिसंबर को घटित होने वाला सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। ये ग्रहण केवल अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में ही दृश्य होगा।
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2021 में होने वाले सूर्य ग्रहण का समय
पहला सूर्य ग्रहण 2021 | |||
दिनांक | सूर्य ग्रहण प्रारंभ | सूर्य ग्रहण समाप्त | दृश्य क्षेत्र |
10 जून | 13:42 बजे से | 18:41 बजे तक | उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रुस में पूर्ण |
सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा।
पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021
- वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जो साल के मध्य में यानी 10 जून 2021 को लगेगा।
- हिन्दू पंचांग की मानें तो, इस सूर्य ग्रहण का समय गुरूवार की दोपहर 10 जून, को 13:42 बजे से शाम 18:41 बजे तक होगा।
- इसके साथ ही पंचांग के अनुसार, ये पहला सूर्य ग्रहण विक्रम संवत 2078 में बैशाख माह की अमावस्या को घटित होगा, जिसका प्रभाव वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में सबसे ज़्यादा दिखेगा।
- इस सूर्य ग्रहण का दृश्य क्षेत्र भारत नहीं होगा, लेकिन ये उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में, यूरोप और एशिया में, उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रुस के अधिकांश हिस्से में ही दृश्य होगा।
- चूँकि भारत में यह सूर्य ग्रहण 2021 भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहाँ इसका सूतक भी प्रभावी नहीं होगा।
- ये सूर्यग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सामान्य की तुलना में उससे दूर हो जाता है और इस समय ये अपने आकार में भी इतना छोटा प्रतीत होता है कि, वो सूर्य के आगे आकर उसे ढ़क तो लेता है, लेकिन सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह नहीं ढ़क पाता। इस दौरान चंद्र के बाहरी किनारे पर सूर्य की रोशनी रिंग यानी अंगूठी की तरह निकलती प्रतीत होती है। जिसे हम वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है।
दूसरा सूर्य ग्रहण 2021 | |||
दिनांक | सूर्य ग्रहण प्रारंभ | सूर्य ग्रहण समाप्त | दृश्य क्षेत्र |
4 दिसंबर | 10:59 बजे से | 15:07 बजे तक | अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका |
सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा।
दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021
- वर्ष 2021 का दूसरा व अंतिम सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को घटित होगा और ये एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा।
- हिन्दू पंचांग के अनुसार, वर्ष का यह दूसरा सूर्य ग्रहण विक्रम संवत 2078 में कार्तिक मास की अमावस्या को लगेगा, जिसका प्रभाव वृश्चिक राशि और अनुराधा तथा ज्येष्ठा नक्षत्र में सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।
- भारतीय समय अनुसार, यह ग्रहण शनिवार सुबह में 10:59 बजे से शुरू होकर दोपहर 15:07 बजे तक घटित होगा।
- इसकी दृश्यता अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका होगी।
- चूँकि भारत में इस ग्रहण की दृश्यता बिलकुल शून्य रहेगी इसलिए यहाँ इसका सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण उस स्थिति में घटता है, जब चंद्र सूर्य के आगे आकर उसकी रोशनी को पूरी तरह अपने पीछे ढ़क लेता है।
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सूर्य ग्रहण 2021 के समय किन बातों का रखें ध्यान
- सूर्य ग्रहण के समय माना जाता है कि, सभी अशुभ राशि वाले जातकों को, रोगियों को, एवं हर गर्भवती महिला को ग्रहण देखने से बचना चाहिए।
- सूर्य ग्रहण के दौरान ईश्वर आराधना, सूर्य मंत्र जाप, संकीर्तन, ध्यान आदि करने से ग्रहण के अशुभ फल दूर होते हैं।
- सूर्य ग्रहण के दौरान प्रयोग किये जाने वाला मन्त्र है: "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो : सूर्य: प्रचोदयात।"
- सूर्य ग्रहण के लगने से ठीक पहले हर प्रकार की खाने-पीने की वस्तुएँ, पके हुए भोजन, दूध, दही, घी, मक्खन, अचार, पानी, आदि में कुश या तुलसी के कुछ पत्ते डालना शुभ होता है।
सूर्य ग्रहण 2021 के सूतक में क्या न करें
- सूतक काल के दौरान किसी भी नए व मांगलिक कार्य का शुभारंभ बिलकुल भी न करें।
- सूतक काल के समय भोजन पकाना और खाना नहीं चाहिए।
- शौच आदि कार्यों को करने से बचें।
- भगवान की मूर्ति और तुलसी का स्पर्श करना वर्जित होता है।
- निजी कार्य जैसे: दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी, नए वस्त्र पहनना, वाहन चलाना, आदि करने से बचें।
- घर से बाहर न निकलें।
- सूतक के दौरान सोने से बचें।
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सूर्य ग्रहण 2021 के सूतक काल में किया जाने वाले कार्य
- योग, ध्यान, भजन, ईश्वर की आराधना, आदि कार्य करना शुभ होता है।
- सूर्य देव के बीज मन्त्र का जप करें।
- सूतक समाप्ति के तुरंत बाद, गंगाजल का छिड़काव कर घर का शुद्धिकरण करें और देवी-देवताओं की प्रतिमा का भी शुद्धिकरण करें।
- सूतक काल समाप्ति पर तुरंत स्नान कर पूजा करें।
- सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन बनाएं और उसे ही खाएँ। साथ ही सूतक काल के पहले बने भोजन को बर्बाद न करते हुए उसमें तुलसी के पत्ते डालें। इससे भोजन में से ग्रहण के अशुभ दोष समाप्त हो जाते हैं।
सूर्य ग्रहण 2021 के दौरान गर्भवती महिलाएं रहें सावधान
- सूर्य ग्रहण के सूतक काल के दौरान सभी गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
- इस दौरान उन्हें घर से बाहर निकलने और किसी भी प्रकार से ग्रहण को देखने से बचना चाहिए।
- सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटने, छीलने और सफाई जैसे कार्यों को करने से बचना चाहिए।
- सूर्य ग्रहण के सूतक के समय उन्हें चाकू और सुई का उपयोग भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि मान्यता यही कि ऐसा करने से उनके गर्भ में पल रहे शिशु के अंगों को नुकसान पहुंचने की आशंका अधिक रहती है।
हमें उम्मीद है कि सूर्य ग्रहण 2021 से संबंधित ये लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को पसंद करने एवं पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद !
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