विवाह मुहूर्त 2021
विवाह मुहूर्त 2021 (Vivah Muhurat 2021) के माध्यम से आप जानेंगे इस साल किस महीने में कौन सी तारीख विवाह करने के लिए शुभ है। हिन्दू धर्म में जब भी किसी व्यक्ति के विवाह की बात चलती है, तो सबसे पहले वर-वधु का कुंडली मिलान करते हैं, जिसमें यह देखा जाता है कि दोनों के 36 में से कितने गुण मिल रहें हैं। गुण मिलान करने के बाद सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है, शादी करने की तारीख़। विवाह के मुहूर्त का भावी वर-वधु के सुखी जीवन में बहुत बड़ा योगदान होता है, इसीलिए लोग बहुत ही सोच-विचार कर विवाह करने का मुहूर्त तय करते हैं।
शादी के लिए शुभ मुहूर्त जानना बेहद जरुरी होता है क्योंकि विवाह मुहूर्त ही हमें उस शुभ घड़ी या शुभ वेला के बारे में बताता है जब शादी करना वर और कन्या दोनों के लिए उनकी कुंडली के अनुसार और शुभ मुहूर्त के अनुसार उत्तम होता है। शुभ विवाह मुहूर्त 2021 के अंतर्गत हमारा यह लेख साल 2021 के सभी शुभ विवाह मुहूर्त की विस्तार से जानकारी आपको प्रदान करेगा। इसके साथ ही आप यह भी जान सकेंगे की शुभ विवाह मुहूर्त की गणना कैसे की जानी चाहिए-
मन की दुविधाओं को मिटाने के लिए हमारे अनुभवी ज्योतिषी से प्रश्न पूछें ।

विवाह मुहूर्त 2021
विवाह मुहूर्त 2021(Vivah Muhurat 2021) के हमारे इस लेख में न केवल आपको विवाह करने की शुभ तिथि बताएंगे, बल्कि वैसी कुछ खास बातों की जानकारी भी देंगे, जिससे आप अभी तक अनजान हैं। कई बार लोग केवल शुभ दिन देखकर शादी की डेट तय कर देते और इस मॉडर्न समय में कुछ लोग तो अपने आप ही तारीख़ तय कर लेते, लेकिन आपको पता होना चाहिए विवाह में दो अलग लोगों का मिलन होता है। इस शुभ कर्म में हुई एक छोटी सी भूल भी वर-वधु के पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती है। इसीलिए हम आपके लिए हिन्दू पंचांग के आधार पर सभी ग्रह-नक्षत्रों के चाल का बारीकी से अध्ययन करने के बाद लेकर आएं हैं विवाह मुहूर्त 2021। तो यदि आप या आपका कोई करीबी साल 2021 में विवाह करने जा रहा है और विवाह के लिए शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आएं हैं। इस लेख में आपको साल 2021 में पड़ने वाले शुभ विवाह मुहूर्त की सूची के साथ-साथ और भी कई खास जानकारियाँ मिलेंगी। चलिए डालते हैं एक नज़र शुभ विवाह मुहूर्त 2021 की सूची पर-
Click here to read in English- Marriage Muhurat 2021
शुभ विवाह मुहूर्त 2021 की सूची
साल 2021 में गुरु अस्त दोष और शुक्र अस्त दोष के चलते 24 अप्रैल से विवाह मुहूर्त की शुरुआत होगी। (इस साल 17 जनवरी से गुरु अस्त हो रहा है और यह 14 फरवरी तक हस्त ही रहेगा। इसके साथ ही शुक्र भी 8 फरवरी, 2021 से अस्त होगा और12 अप्रैल तक अस्त रहेगा।)
अप्रैल 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
24 अप्रैल | शनि | चैत्र शु. द्वादशी | उ.फाल्गुनी | सिंह | 06:22 - 08:11 |
25 अप्रैल | रवि | चैत्र शु. त्रयोदशी | हस्त चित्रा | कन्या | 08:49 - 25:54 25:54 - 28:22 29:34 - 29-45 |
26 अप्रैल | सोम | चैत्र शु. चतुर्दशी | चित्रा स्वाति | कन्या तुला | 05:45 - 12 :44 22:54 - 24:15 24:15 - 29:44 |
27 अप्रैल | मंगल | चैत्र पूर्णिमा | स्वाति | तुला | 05:44 - 20:12 |
30 अप्रैल | शुक्र | चैत्र कृ. चतुर्थी | मूल | धनु | 12:55 - 29:41 |
मई 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
01 मई | शनि | चैत्र कृ. पंचमी | मूल | धनु | 05:41 - 10:15 |
02 मई | रवि | चैत्र कृ. षष्ठी | उत्तराषाढ़ा | धनु | 08:59 -14:50 26:10 - 29:39 |
03 मई | सोम | चैत्र कृ. सप्तमी | उत्तराषाढ़ा | मकर | 05:39 - 08:22 |
04 मई | मंगल | चैत्र कृ. अष्टमी | धनिष्ठा | मकर/कुम्भ | 15:14 - 29:01 |
07 मई | शुक्र | चैत्र कृ. एकादशी | उ.भाद्रपद | मीन | 20:41 - 29:35 |
08 मई | शनि | चैत्र कृ. द्वादशी | उ.भाद्रपद रेवती | मीन | 05:35 - 14:47 14:47 - 17-21 |
15 मई | शनि | वैशाख शु. तृतीया | मृगशिरा | मिथुन | 05:31 - 08:39 |
21 मई | शुक्र | वैशाख शु. नवमी | उ.फाल्गुनी | सिंह | 15:22 - 21:08 |
22 मई | शनि | वैशाख शु. दशमी | उ.फाल्गुनी हस्त | कन्या | 05:27 - 14:05 14:05 - 20:04 |
23 मई | रवि | वैशाख शु.एकादशी | हस्त चित्रा | कन्या | 06:43 - 13:19 13:19 - 14:56 |
24 मई | सोम | वैशाख शु.त्रयोदशी | स्वाति | तुला | 11:12 - 25:48 |
30 मई | रवि | वैशाख कृ. पंचमी | उत्तराषाढ़ा | मकर | 05:24 - 16:41 |
31 मई | सोम | वैशाख कृ. षष्ठी | धनिष्ठा | मकर | 16:01 - 25:06 |
जून 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
5 जून | शनि | वैशाख कृ.एकादशी | रेवती अश्विनी | मीन मेष | 05:23 - 22:39 24:15 - 27:34 |
6 जून | रवि | वैशाख कृ.एकादशी | अश्विनी | मेष | 05:23 - 26:27 |
19 जून | शनि | ज्येष्ठ शु. नवमी | हस्त चित्रा | कन्या कन्या | 05:24 - 20:28 20:28 - 24:04 |
24 जून | गुरू | ज्येष्ठ पूर्णिमा | मूल | धनु | 14:32 - 26:15 |
25 जून | शुक्र | ज्येष्ठ कृ. प्रतिपदा | मूल | धनु | 05:25 - 06:40 |
26 जून | शनि | ज्येष्ठ कृ. द्वितीया | उत्तराषाढ़ा | मकर | 18:43 - 19:18 |
27 जून | रवि | ज्येष्ठ कृ. तृतीया | धनिष्ठा | मकर | 25:21 - 27:00 |
28 जून | सोम | ज्येष्ठ कृ. चतुर्थी | धनिष्ठा | मकर-कुम्भ | 05:26 - 24:48 |
जुलाई 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
01 जुलाई | गुरू | ज्येष्ठ कृ. सप्तमी | उ.भाद्रपद | मीन | 05:27 - 27:49 |
02 जुलाई | शुक्र | ज्येष्ठ कृ. अष्टमी | रेवती | मीन | 05:27 - 10:52 13:16 - 29:25 |
03 जुलाई | शनि | ज्येष्ठ कृ. नवमी | अश्विनी | मेष | 07:01 - 17:31 |
04 जुलाई | रवि | ज्येष्ठ कृ. दशमी | अश्विनी | मेष | 05:28 - 06:41 |
06 जुलाई | मंगल | ज्येष्ठ कृ. द्वादशी | रोहिणी | वृषभ | 16:59 - 25:03 |
17 जुलाई | शनि | आषाढ़ शु. अष्टमी | चित्रा | तुला | 15:40 - 18:03 |
21 जुलाई से 12 नवंबर तक की मुहूर्त तिथियाँ देवशयन कालिक हैं। ऐसे में, ये उत्तर भारत में मान्य नहीं होंगी । | |||||
21 जुलाई | बुध | आषाढ़ शु. द्वादशी | मूल | धनु | 19:18 - 29:27 |
23 जुलाई | शुक्र | आषाढ़ शु.चतुर्दशी | उत्तराषाढ़ा | मकर | 21:23 - 29:38 |
24 जुलाई | शनि | आषाढ़ पूर्णिमा | उत्तराषाढ़ा | मकर | 05:38 - 12:40 |
25 जुलाई | रवि | आषाढ़ कृ.प्रतिपदा | धनिष्ठा | मकर-कुम्भ | 11:17 - 29:39 |
26 जुलाई | सोम | आषाढ़ कृ. तृतीया | धनिष्ठा | कुम्भ | 05:39 - 10:26 |
28 जुलाई | बुध | आषाढ़ कृ. पंचमी | उ.भाद्रपद | मीन | 10:45 - 29:41 |
29 जुलाई | गुरू | आषाढ़ कृ. षष्ठी | उ.भाद्रपद रेवती | मीन मीन | 05:41 - 12:02 12:02 - 27:55 |
30 जुलाई | शुक्र | आषाढ़ कृ. सप्तमी | अश्विनी | मेष | 16:43 - 20:18 22:18 - 27:16 |
31 जुलाई | शनि | आषाढ़ कृ. अष्टमी | अश्विनी | मेष | 09:56 - 16:37 |
अगस्त 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
02 अगस्त | सोम | आषाढ़ कृ. नवमी | रोहिणी | वृषभ | 22:43 - 23:45 |
03 अगस्त | मंगल | आषाढ़ कृ. दशमी | रोहिणी मृगशिरा | वृषभ | 13:00 - 24:05 27:41 - 29:44 |
04 अगस्त | बुध | आषाढ़ कृ.एकादशी | मृगशिरा | वृषभ-मिथुन | 05:44 - 28:25 |
11 अगस्त | बुध | श्रावण शु. तृतीया | उ.फाल्गुनी | सिंह- कन्या | 09:32 - 28:11 |
12 अगस्त | गुरू | श्रावण शु. चतुर्थी | हस्त | कन्या | 15:25 - 29:49 |
13 अगस्त | शुक्र | श्रावण शु. पंचमी | हस्त चित्रा | कन्या कन्या-तुला | 05:49 - 07:59 07:59 - 29:50 |
14 अगस्त | शनि | श्रावण शु. षष्ठी | चित्रा स्वाति | तुला तुला | 05:50 - 06:56 06:56 - 23:20 |
19 अगस्त | गुरू | श्रावण शु. द्वादशी | उत्तराषाढ़ा | धनु-मकर | 22:42 - 29:53 |
20 अगस्त | शुक्र | श्रावण शु. त्रयोदशी | उत्तराषाढ़ा | मकर | 05:53 - 21:24 |
22 अगस्त | रवि | श्रावण पूर्णिमा | धनिष्ठा | मकर-कुम्भ | 06:13 - 10:33 12:57 - 19:39 |
24 अगस्त | मंगल | श्रावण कृ. द्वितीया | उ.भाद्रपद | मीन | 19:47 - 28:07 |
25 अगस्त | बुध | श्रावण कृ. तृतीया | उ.भाद्रपद | मीन | 16:19 - 20:48 |
30 अगस्त | सोम | श्रावण कृ. अष्टमी | रोहिणी | वृषभ | 06:39 - 29:59 |
31 अगस्त | मंगल | श्रावण कृ. नवमी | रोहिणी मृगशिरा | वृषभ वृषभ-मिथुन | 05:59 - 08:48 10:00 - 29:59 |
सितंबर 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
01 सितंबर | बुध | श्रावण कृ. दशमी | मृगशिरा | मिथुन | 05:59 - 12:34 |
07 सितंबर | मंगल | श्रावण अमावस्या | उ.फाल्गुनी | कन्या | 28:37 - 30:03 |
08 सितंबर | बुध | भाद्र शु. द्वितीया | उ.फाल्गुनी हस्त | कन्या | 06:03 -15:55 15:55 - 30:03 |
09 सितंबर | गुरू | भाद्र शु. तृतीया | हस्त चित्रा | कन्या कन्या | 06:03 - 14:31 14:31 - 19:02 22:43 - 30:04 |
10 सितंबर | शुक्र | भाद्र शु. चतुर्थी | चित्रा स्वाति | तुला तुला | 06:04 - 11:09 21:58 - 30:04 |
11 सितंबर | शनि | भाद्र शु. पंचमी | स्वाति | तुला | 06:04 - 11:22 |
14 सितंबर | मंगल | भाद्र शु. अष्टमी | मूल | धनु | 07:52 - 23:58 |
18 सितंबर | शनि | भाद्र शु. द्वादशी | धनिष्ठा | कुम्भ | 26:26 - 27:21 |
अक्टूबर 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
07 अक्टूबर | गुरू | आश्विन शु.प्रतिपदा | स्वाति | तुला | 26:51 - 27:21 |
08 अक्टूबर | शुक्र | आश्विन शु. द्वितीया | स्वाति | तुला | 06:18 - 18:59 |
11 अक्टूबर | सोम | आश्विन शु. षष्ठी | मूल | धनु | 13:43 - 30:20 |
12 अक्टूबर | मंगल | आश्विन शु. सप्तमी | मूल पूर्वाषाढ़ा | धनु धनु | 06:20 - 08:50 11:14 - 11:26 - 11:26 |
13 अक्टूबर | बुध | आश्विन शु. अष्टमी | उत्तराषाढ़ा | धनु-मकर | 10:19 - 30:22 |
14 अक्टूबर | गुरू | आश्विन शु. नवमी | उत्तराषाढ़ा | मकर | 06:22 - 09:35 |
18 अक्टूबर | सोम | आश्विन शु.त्रयोदशी | उ.भाद्रपद | मीन | 10:49 - 13:23 |
19 अक्टूबर | मंगल | आश्विन शु. चतुर्दशी | रेवती | मीन | 13:34 - 19:03 |
20 अक्टूबर | बुध | आश्विन पूर्णिमा | रेवती अश्विनी | मीन मेष | 07:41 - 13:14 14:50 - 20:39 21:51 - 30:26 |
21 अक्टूबर | गुरू | आश्विन कृ.प्रतिपदा | अश्विनी | मेष | 06:26 - 16:17 |
23 अक्टूबर | शनि | आश्विन कृ.तृतीया | रोहिणी | वृषभ | 27:02 - 30:28 |
24 अक्टूबर | रवि | आश्विन कृ. चतुर्थी | रोहिणी | वृषभ | 06:28 - 23:33 |
25 अक्टूबर | सोम | आश्विन कृ. पंचमी | मृगशिरा | वृषभ- मिथुन | 12:05 - 28:10 |
नवंबर 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
01 नवंबर | सोम | आश्विन कृ.एकादशी | उ.फाल्गुनी | सिंह-कन्या | 12:52 - 21:04 |
07 नवंबर | रवि | कार्तिक शु. तृतीया | मूल | धनु | 21:52 - 26:47 |
08 नवंबर | सोम | कार्तिक शु. चतुर्थी | मूल | धनु | 13:17 - 18:49 |
11 नवंबर | गुरू | कार्तिक शु. सप्तमी | धनिष्ठा | मकर | 18:16 - 28:06 |
12 नवंबर | शुक्र | कार्तिक शु. नवमी | धनिष्ठा | कुम्भ | 09:08 - 14:53 |
देवशयनी एकादशी समाप्त | |||||
28 नवंबर | रवि | कार्तिक कृ. नवमी | उ.फाल्गुनी | सिंह-कन्या | 22:05 - 30:55 |
29 नवंबर | सोम | कार्तिक कृ. दशमी | उ.फाल्गुनी हस्त | कन्या कन्या | 06:55 - 16:58 28:14 - 30:56 |
30 नवंबर | मंगल | कार्तिक कृ.एकादशी | हस्त चित्रा | कन्या कन्या | 06:56 - 20:34 20:34 - 30:57 |
दिसंबर 2021 | |||||
तारीख़ | दिन | माह-तिथि | नक्षत्र | राशि | समय |
01 दिसंबर | बुध | कार्तिक कृ. द्वादशी | चित्रा स्वाति | कन्या- तुला | 06:57 - 19:35 19:35 - 23:36 |
06 दिसंबर | सोम | मार्गशीर्ष शु. तृतीया | उत्तराषाढ़ा | धनु | 26:19 - 31:01 |
07 दिसंबर | मंगल | मार्गशीर्ष शु. चतुर्थी | उत्तराषाढ़ा | धनु- मकर | 07:01 - 13:02 23:41 - 24:11 |
08 दिसंबर | बुध | मार्गशीर्ष शु. पंचमी | धनिष्ठा | मकर | 22:40 - 31:03 |
09 दिसंबर | गुरू | मार्गशीर्ष शु. षष्ठी | धनिष्ठा | मकर-कुम्भ | 07:03 - 21:51 |
11 दिसंबर | शनि | मार्गशीर्ष शु. अष्टमी | उ.भाद्रपद | मीन | 22:32 - 30:02 |
12 दिसंबर | रवि | मार्गशीर्ष शु. नवमी | रेवती | मीन | 29:45 - 31:05 |
13 दिसंबर | सोम | मार्गशीर्ष शु. दशमी | रेवती अश्वनी | मीन मेष | 07:05 - 25:17 26:53 - 28:32 |
कुल मिलाकर देखा जाये तो इस साल अप्रैल के बाद लगभग हर माह में शहनाईयां बजती रहेंगी। ऊपर दिए गए विवाह मुहूर्त 2021 की मदद से आप अपनी सुविधानुसार तिथि का चयन कर सकते हैं। लेकिन आपको हमारी सलाह रहेगी कि विवाह से पहले वर-वधु अपनी कुंडली किसी पंडित या ज्योतिष को दिखा लें और उपरोक्त सूची से आपने जिस भी तिथि का चयन किया है उसके विषय में भी परामर्श अवश्य कर लें।
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विवाह मुहूर्त 2021: शुभ विवाह मुहूर्त का महत्व
विवाह एक ऐसी परंपरा है, जिससे किसी व्यक्ति के परिवार का विस्तार होता है। जातक का पारिवारिक जीवन कितना खुशहाल होगा, उसका जीवनसाथी कैसा होगा और जीवनसाथी के साथ उसके संबंध कैसे रहेंगें, यह सब वर-वधु की जन्म कुंडलियों के साथ-साथ इस बात पर निर्भर करता है कि उनका विवाह किस समय, किस घड़ी, किस लग्न में हुआ है, साथ ही विवाह के समय ग्रहों-नक्षत्रों की दशा क्या है! तभी तो विवाह के लिए कुंडली मिलान से लेकर सात फेरे, सात वचन से लेकर विवाह के दौरान किये जाने वाले हर एक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाया जाता है।
कहा गया है कि विवाह केवल दो शरीरों का नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन होता है इसीलिए हिन्दू संस्कृति में विवाह को पवित्र बंधन माना जाता है। यह एक जन्म का नहीं, बल्कि सात जन्मों का रिश्ता होता है। विवाह के समय में सात फेरे और सात वचन लिए जाते हैं, जिन्हें जीवनसाथी सात जन्मों तक निभाने का वादा करता है। सनातन धर्म में विवाह 13वां संस्कार माना गया है। इसलिए विवाह करने के लिए विशेषतौरपर कुंडली मिलान और शुभ मुहूर्त की गणना की जाती है। तो अब तो आप समझ गए होंगे कि विवाह मुहूर्त का कितना महत्व है।
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विवाह मुहूर्त 2021 की गणना
शादी के लिए शुभ विवाह मुहूर्त निकालते समय कुंडली के सातवें भाव, जिसे ज्योतिष में विवाह भाव कहा गया है, उस पर अधिक महत्व देते हैं। मुहूर्त की गणना का पहला पड़ाव होता है गुण मिलान। वर-वधु की कुंडली के ग्रह-नक्षत्रों की चाल को अध्ययन करने के बाद ज्योतिषी उन्हें बताता है कि उनके 36 में कितने गुण मिल रहे हैं। एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 36 में से कम से कम 18 गुणों का मिलना अनिवार्य होता है। 18 से कम गुण मिलने पर वैवाहिक जीवन में समस्यायें रहती हैं। इसके अतिरिक्त मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, भकूट दोष, गण दोष तथा अन्य दोष - अदोष का विवेचन किया जाता है। कुंडली मिलान की प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद यह देखा जाता है कि भावी वर-वधु की राशि के आधार पर उनके विवाह के लिए कौन सी तिथि, दिन, माह, पक्ष, नक्षत्र और समय शुभ रहेगा और इसी गणना को विवाह मुहूर्त कहते हैं।
आमतौर पर विवाह मुहूर्त की गणना के दौरान यह देखा जाता है कि वर और वधु के जन्म के समय चन्द्रमा किस नक्षत्र में स्थित थे। जिस नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति होती है, उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर की मदद से विवाह के लिए शुभ तिथि का निर्धारण किया जाता है। विवाह मुहूर्त की गणना के समय सभी ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के विश्लेषण के अलावा, पंचांग के कुछ और खास बिंदुओं का विशेष ध्यान रखते हैं। आइये विवाह मुहूर्त की गणना पर भी डालते हैं एक नज़र:-
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विवाह मुहूर्त की गणना के समय ध्यान रखने योग्य बातें-
ज्योतिष विज्ञान के मुहूर्त शास्त्र में पंचांग के सभी अंगों को लिया जाता है। वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण इन पांचों के संयोग को ही पंचांग कहते हैं। पंचांग के अंग कहे जाने वाले “तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण” को देखकर ही कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य किया जाना चाहिए। विवाह मुहूर्त 2021 की गणना में हिंदू पंचांग और वर वधु की कुंडली का बारीकी से अध्ययन किया जाता है। विवाह के लिए मुहूर्त देखते समय नीचे बताई गयी कुछ खास बातों का ध्यान अवश्य रखें।
विवाह संस्कार के लिए अशुभ मुहूर्त
- मुहूर्त की गणना करते समय रिक्ता तिथि (चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी) का त्याग किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें आरम्भ किए गए कार्य निष्फल होते हैं।
- मंगलवार का दिन विवाह संपन्न करने के लिए अशुभ माना जाता है।
- विवाह की तारीख तय करते समय योग का भी खास महत्व होता है, ऐसे में “अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, परिघ, इंद्र और वैधृति” योगों से बचना चाहिए।
- “चतुष्पाद, विष्टि, शकुनि और नाग” करण में भी विवाह करना वर्जित होता है। इन चारों करण में से किसी में भी विवाह करने से वर या वधु की जान को खतरा या विवाह उपरान्त परिवार का विनाश हो जाने का भय बना रहता है।
- कभी भी विवाह चातुर्मास के दौरान न करें। शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास के चार महीने की अवधि के दौरान शुभ फलों के प्रदाता भगवान विष्णु क्षीर सागर में निद्रा अवस्था में रहते हैं। इसलिए यह समय किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है।
- इसके साथ ही साथ विवाह संस्कार खरमास, मलमास, क्षयमास और पितृपक्ष या महालया के दौरान भी नहीं किया जाना चाहिए। इस अवधि में विवाह होने से वैवाहित जातकों को अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
विवाह संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त
- “ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन, मार्गशीर्ष, वैशाख और आषाढ़” महीने में विवाह करना शुभ माना जाता है।
- नक्षत्रों की बात करें तो “अनुराधा, मूल, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, हस्त, रेवती, उत्तरा भाद्रपद, रोहिणी, मघा और स्वाति” नक्षत्र विवाह के लिए शुभ माने गए हैं।
- विवाह के लिए लग्न पर भी विशेष विचार होता है- “वृष, मिथुन, कन्या, तुला और धनु” विवाह के लिए शुभ माने जाते हैं।
- विवाह संस्कार के लिए वधु के लिए गुरूबल और वर के लिए सूर्यबल पर विशेष रूप से विचार किया जाता है। ऐसे में बृहस्पति यदि कन्या की राशि में “द्वितीय, पंचम, सप्तम, नवम और एकादश” भाव में हो तो शुभ माना जाता है। दूसरी तरह सूर्य यदि वर की राशि में “तृतीय, षष्टम, दशम और एकादश भाव” में हो तो ऐसा संयोग विवाह के लिए शुभ माना जाता है।
- गुरुबल और सूर्यबल के अलावा वर और कन्या दोनों की ही कुंडली में एक साथ चंद्रबल देखते हैं। पंचांग के अनुसार चंद्रमा यदि वर और वधु की राशि में “तृतीय, षष्टम, सप्तम, दशम और एकादश” भाव में हो तो यह चंद्रबल शुभ माना जाता है।
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विवाह मुहूर्त 2021 के दौरान बरती जानें वाली सावधानियां
शुभ विवाह मुहूर्त को निकालते वक़्त इस बात का ध्यान रखें कि शनि देव, विवाह लग्न से द्वादश भाव में और मंगल देव, विवाह लग्न से दशम भाव में विराजमान नहीं होने चाहिए। साथ ही गणना के दौरान यह भी जाँच लें कि, वर और कन्या की कुंडली के विवाह लग्न से तृतीय स्थान में शुक्र देव और लग्न भाव में कोई भी क्रूर ग्रह तो मौजूद नहीं है। दोनों में से किसी की भी कुंडली में अष्टम घर का स्वामी विवाह लग्न में विराजमान नहीं होना चाहिए।
यदि वर घर का बड़ा लड़का है या वधु घर की बड़ी लड़की है तो ऐसे में उनका विवाह जन्म के माह, तिथि, नक्षत्र और लग्न में करना बेहद अशुभ होता है। जबकि बड़े लड़के के बाद की संतान का विवाह जन्म के मास, नक्षत्र और तिथि में करना बेहद शुभ रहता है। विवाह संस्कार के समय वर-वधु के सगे भाई-बहन का विवाह उनके विवाह के 6 महीनों के अंदर नहीं करना चाहिए।
ध्यान रहे शुभ मुहूर्त पर शुरू किया गया हर काम जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है।
आशा है कि विवाह मुहूर्त 2021 के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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