अन्नप्राशन मुहूर्त 2021: अन्नप्राशन संस्कार की शुभ तिथि एवं समय

अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 (Annaprashan Muhurat 2021) के हमारे इस लेख के जरिए आप जानेंगे कि, वर्ष 2021 में अन्नप्राशन संस्कार के लिए कौन-सा समय रहेगा सबसे अधिक उत्तम। इसके साथ ही आप ये भी जान सकेंगे कि अन्नप्राशन संस्कार, आपके बच्चे के लिए क्यों है इतना आवश्यक। साथ ही आप उससे मिलने वाले विभिन्न लाभों के बारे में भी, हमारे इस लेख में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

अन्नप्राशन मुहूर्त 2021

शिशु जब पहली बार आहार ग्रहण करे तो वह हल्का और सुपाच्य हो, ये तो सबहि जानते हैं लेकिन सही समय और शुभ मुहूर्त में पहली बार आहार ग्रहण करने से उसको सभी ग्रहों और नक्षत्रों का भी आशीर्वाद मिलता है। साल 2021 में अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 के लिए अन्नप्राशन के शुभ मुहूर्त के बारे में हम आपको बता रहे हैं। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है।

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अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 की सूची

जनवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक दिन मुहूर्त की समयावधि
14 जनवरी, 2021 गुरुवार 09:02 से 13:29 तक
15 जनवरी, 2021 शुक्रवार 07:15 से 13:25 तक
18 जनवरी, 2021 सोमवार 07:43 से 09:14 तक
20 जनवरी, 2021 बुधवार 07:14 से 13:06 तक
फरवरी अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
22 फरवरी, 2021 सोमवार 06:53 से 10:58 तक
25 फरवरी, 2021 गुरुवार 06:51 से 13:17 तक
मार्च अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
15 मार्च, 2021 सोमवार 06:31 से 13:44 तक
24 मार्च, 2021 बुधवार 06:21 से 10:24 तक
अप्रैल अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
19 अप्रैल, 2021 सोमवार 05:52 से 16:04 तक
मई अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
13 मई, 2021 गुरुवार 05:32 से 14:29 तक
14 मई, 2021 शुक्रवार 05:31 से 14:25 तक
17 मई, 2021 सोमवार 05:29 से 11:35 तक
24 मई, 2021 सोमवार 11:12 से 16:02 तक
जून अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
23 जून, 2021 बुधवार 05:24 से 07:00 तक
24 जून, 2021 गुरुवार 13:50 से 16:20 तक
जुलाई अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
15 जुलाई, 2021 गुरुवार 05:33 से 07:16 तक
16 जुलाई, 2021 शुक्रवार 06:06 से 14:53 तक
22 जुलाई, 2021 गुरुवार 05:37 से 12:45 तक
अगस्त अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
11 अगस्त, 2021 बुधवार 09:32 से 15:23 तक
13 अगस्त, 2021 शुक्रवार 05:49 से 13:43 तक
20 अगस्त, 2021 शुक्रवार 05:53 से 14:54 तक
सितंबर अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
08 सितंबर, 2021 बुधवार 06:03 से 13:40 तक
09 सितंबर, 2021 गुरुवार 06:03 से 13:36 तक
13 सितंबर, 2021 सोमवार 06:05 से 08:23 तक
16 सितंबर, 2021 गुरुवार 06:07 से 09:37 तक
अक्टूबर अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
08 अक्टूबर, 2021 शुक्रवार 06:18 से 13:46 तक
15 अक्टूबर, 2021 शुक्रवार 06:22 से 13:18 तक
18 अक्टूबर, 2021 सोमवार 10:49 से 13:06 तक
20 अक्टूबर, 2021 बुधवार 07:41 से 12:59 तक
नवंबर अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
10 नवंबर, 2021 बुधवार 08:25 से 13:18 तक
11 नवंबर, 2021 गुरुवार 06:41 से 06:50 तक
दिसंबर अन्नप्राशन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
08 दिसंबर, 2021 बुधवार 07:02 से 12:56 तक
10 दिसंबर, 2021 शुक्रवार 07:03 से 12:48 तक
13 दिसंबर, 2021 सोमवार 07:05 से 12:36 तक

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अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 के अनुसार, हिन्दू शास्त्रों में उल्लेखित सभी 16 संस्कारों में से अन्नप्राशन संस्कार को 7वां सबसे अहम संस्कार माना गया है। जिस दौरान शिशु को उसके जन्म के बाद सबसे पहली बार, हिन्दू रीती-रिवाज अनुसार अन्न ग्रहण करवाया जाता है। क्योंकि अन्नप्राशन संस्कार से पहले शिशु केवल अपनी माँ का दूध ही ग्रहण करते हैं, लेकिन ये संस्कार होने के बाद बच्चे को दूध के अलावा भी, कई ठोस पदार्थ खाने के लिए दिए जाते हैं।

माना जाता है कि अन्नप्राशन संस्कार से पहले बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास केवल और केवल माँ के दूध पर ही निर्भर करता है। परंतु इस संस्कार के उपरान्त उनका सारा विकास विशेष रूप से, अन्न के ऊपर ही निर्भर हो जाता है। इसलिए ही ये संस्कार बालक को जन्म के बाद पहली बार, उसे अन्न से परिचित कराने के लिए किया जाता है।

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अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त 2021

अन्नप्राशन संस्कार 2021 के लिए पुरोहित या विशेषज्ञ, विशेष रूप से बालक की जन्म कुंडली और उसके मौजूदा नक्षत्रों व ग्रहों की दर्शा को ध्यान में रखकर ही, सही शुभ मुहूर्त का आंकलन करते हैं। जिसे हम अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त कहते हैं। मान्यता अनुसार एक बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त, उसके जन्म के छह माह के भीतर ही आरंभ किया जाना अनिवार्य होता है।

हिन्दुधर्म में इस संस्कार के दौरान, शिशु को पहली बार अन्न के रूप में केवल सात्विक और पौष्टिक भोजन ही खिलाया जाता है। ये सात्विक भोजन ही बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से उसका विकास कर, उसे हर बीमार से दूर करते हुए एक स्वस्थ्य जीवन प्रदान करता है। अन्नप्राशन संस्कार के दौरान मौजूद हर कोई बच्चे को आशीर्वाद देते हुए, उसके अच्छे, सेहतमंद, बुद्धि, बल और विकास की कामना करता है।

अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त 2021 का महत्व

शास्त्रों अनुसार हर महत्वपूर्ण कार्य को उत्तम परिणामों की प्राप्ति के लिए, एक शुभ समय अनुसार ही किया जाना आवश्यक माना जाता है। ठीक उसी प्रकार अन्नप्राशन संस्कार को भी हमेशा ही एक ख़ास मुहूर्त में संपन्न करवाने का, हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस संस्कार को यदि शुभ मुहूर्त अनुसार पूरे रीती-रिवाज से किया जाएं तो, इससे बच्चों में अच्छे गुणों की उत्पत्ति होती है। साथ ही जन्म से पहले मां के गर्भ में बच्चों के पेट में जो मलिन भोज्य पदार्थ जाते हैं, ये संस्कार उनकी भी शुद्धि कर बालक को एक स्वस्थ्य जीवन प्रदान करने में उसकी मदद करता है।

देखा गया है कि बच्चा जब गर्भ में होता है, तब मां कई बार अशुद्ध या कुछ ऐसा भोजन खा लेती है, जो उसके बच्चे को हानि पहुंचाने के लिए पर्याप्त होता है। ऐसे में ये संस्कार बच्चों को मां से विरासत में मिलने वाले, उन सभी अवगुण से भी दूर रखने में बेहद कारगर सिद्ध होता है।

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अन्नप्राशन संस्कार 2021 के लाभ

अन्न को हर मनुष्य के जीवन का, सबसे महत्वपूर्ण आधार माना गया है इसलिए भी हर मनुष्य के जीवन में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। अन्न ही एक मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित करने में, उसकी मदद करता है। तभी हमारे शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि शुद्ध आहार लेने से, शरीर के साथ-साथ मनुष्य के आंतरिक मन की भी शुद्धि होती है।

यही कारण है कि अन्नप्राशन संस्कार के जरिये, हिन्दू धर्म में शुद्ध भोजन के महत्व को उजागर किया गया है। अन्नप्राशन संस्कार में बच्चे के माता-पिता अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा की पूजा-आराधना करते हुए, उनसे बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और सुबुद्धि की प्रार्थना करते हैं। ऐसे में संपूर्ण विधि-विधान अनुसार ही इस संस्कार को किया जाना, बच्चे के लिए बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • भारत में एक कहावत बेहद प्रचलित है, “जैसा खाएं अन्न वैसे होये मन।” इसका अर्थ होता है कि अन्न न सिर्फ शरीर को पोषण देता है, बल्कि मनुष्य के मन और बुद्धि का भी पोषण करता है।
  • अन्नप्राशन संस्कार के जरिये एक बालक तेजस्वी और बलशाली बनता है।
  • माना गया है कि शिशु के जन्म के छठवें और सातवें माह से ही, उसके दाँत निकलने लगते हैं, जिससे उसकी पाचन प्रक्रिया मजबूत हो जाती है। इसके बाद ही यदि उसे मां के दूध के अलावा ठोस अन्न खिलाया जाएं तो, परिणामस्वरूप उसके तन और मन दोनों का विकास होता है।
  • साइंस में भी इस संस्कार को अहम माना गया है, क्योंकि गर्भावस्था के समय शिशु मां के शरीर से अपने अंदर कुछ अशुद्ध भोजन के दोष ग्रहण कर लेता है। ऐसे में उस अशुद्धि के निवारण हेतु और बच्चे को शुद्ध भोजन कराने के लिए ही, अन्नप्राशन संस्कार को सही समय अनुसार किया जाना अनिवार्य बताया गया है।

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कब और कहां करें अन्नप्राशन संस्कार 2021

शास्त्रों अनुसार शिशु के जन्म से छह माह की अवधि के उपरांत ही, अन्नप्राशन संस्कार संपन्न किया जाना शुभ होता है। हालांकि हिन्दू पंचांग में बालक और बालिका दोनों के संंबंध में, अन्नप्राशन संस्कार के समय कुछ अंतर का उल्लेख किया है। ऐसे में आइये अब जानते हैं कि आखिर कब और कहा किया जाता है, अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त और क्या है इसकी गणना:-

  • माना गया है कि जहाँ बालक का अन्नप्राशन उसके जन्म से सम माह, यानि 6 और 8वें महीने में किया जाना उचित होता है। तो वहीं बालिकाओं का अन्नप्राशन विषम मास, यानी 5वें और 7वें महीने में ही किया जाता है।
  • अन्नप्राशन संस्कार आमतौर से अपने घर पर ही, या किसी मंदिर व अन्य धार्मिक स्थान पर संपन्न किया जाता है। इसके लिए माता-पिता किसी पुरोहित या पंडित की मदद से, अपनी कुल परंपरा के अनुसार शिशु का अन्नप्राशन करा सकते हैं।
  • इस संस्कार के दौरान शिशु को सबसे पहले ठोस पदार्थ के रूप में चावल की खीर, या अपनी स्थानीय व कुल परंपरा के अनुसार ही सात्विक पदार्थ दिया जाता है।
  • अन्नप्राशन संस्कार का शुभ मुहूर्त, बच्चे की जन्म कुंडली के अनुसार ही शुभ तिथि और नक्षत्र का चयन कर निकाला जाता है। वहीं कुछ लोग अपनी पौराणिक कुल परंपरा के अनुसार किसी शुभ दिन, जैसे: नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर भी, इस संस्कार का आयोजन कराना शुभ मानते हैं।

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अन्नप्राशन संस्कार 2021 के दौरान किन बातों का रखें ध्यान

भारत के अलग-अलग राज्यों में, अन्नप्राशन संस्कार को विभिन्न नामों से जाना जाता है। जहाँ दक्षिण भारत के केरल राज्य में, अन्नप्राशन संस्कार प्रसिद्ध मंदिर गुरुवयूर में ही किया जान शुभ माना जाता है। तो वहीं उत्तर भारत में लोग, इसे मंदिर के साथ-साथ अपने घर पर भी कराना शुभ मानते हैं। इसलिए इस संस्कार को लोग अपनी-अपनी कुल परंपरा अनुसार, एक उत्सव और पर्व के रूप में सालों से मनाते आ रहे हैं। चलिए अब जानते हैं कि इस दिन किन-किन बातों का, विशेष ध्यान रखना अनिवार्य होता है:

  • इस दिन शिशु को स्नान कराके नए व स्वच्छ कपड़े पहनाएं जाते हैं। कई लोग बच्चे को अपनी सांस्कृतिक पोशाक जैसे: धोती-कुर्ता या लहंगा-चोली, आदि ही पहनते हैं।
  • किसी पुरोहित या पंडित के द्वारा अन्नप्राशन संस्कार के दिन, घर पर या अन्य किसी धार्मिक स्थल पर बच्चे के लिए, खासतौर पर पवित्र यज्ञ व हवन का आयोजन किया जाता है।
  • हवन के पश्चात बच्चे को ग्रहण कराए जाने वाले अन्न को, सबसे पहले प्रसाद के रूप में भगवान को भोग लगाया जाता है। उसके बाद ही उस भोजन से, शिशु का अन्नप्राशन किया जाता है।
  • इस दौरान शुभ मुहूर्त अनुसार देवी-देवताओं का पूजन कर, घर के बड़े-बुजुर्गों, माता-पिता और शिशु के अन्य परिजन, उसे चांदी की चम्मच से घर की बनी चावल की खीर खिलाते हैं।
  • इस शुभ अवसर पर शिशु को स्वस्थ और उज्जवल भविष्य का आशीष प्रदान करने के लिए, खासतौर से रिश्तेदारों और बड़े-बुजुर्गों को भी आमंत्रित किया जाता है।

अन्नप्राशन संस्कार 2021 में निभाई जाने वाली कुछ अनोखी प्रथा

हर कोई अपनी-अपनी परंपरा अनुसार ही, अन्नप्राशन संस्कार संपन्न कराता है। ऐसे में कई राज्यों में लोग इस दौरान, एक अनोखी प्रथा को भी निभाते नज़र आते हैं। इस अनोखी प्रथा में परिवार के लोग, शिशु के आगे चांदी के बर्तन, पुस्तक, कीमती आभूषण, कलम, वस्त्र और मिट्टी से बनी कुछ वस्तुएँ रखते हैं। फिर बच्चे को उन सामानों में से, कोई एक वस्तु चुनने को बोला जाता है। इन वस्तुओं का परंपरा अनुसार, विभिन्न अर्थ होता हैं।

  • पुस्तक: बच्चे के बौद्धिक विकास और ज्ञान को सीखने और समझने की लालसा को दर्शाती हैं।
  • कीमती आभूषण: बच्चे के जीवन में अपार धन को दर्शाते हैं।
  • कलम: उसके ज्ञान का प्रतीक होता है।
  • मिट्टी की वस्तुएँ: उसके जीवन में संपत्ति का प्रतीक होती हैं।
  • वस्त्र: बच्चे की प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

नोट: मान्यता है कि शिशु के द्वारा उठाई गयी वस्तु ही, उसके स्वभाव को दर्शाती है। जिसके अनुसार ही बच्चा बड़ा होकर, उसी वस्तु से संबंधित व्यवसाय या नौकरी का चयन करता है।

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अन्नप्राशन संस्कार की पौराणिक कथा

अन्न ही मनुष्य को ऊर्जा व शक्ति प्रदान करता है। अन्न के महत्व का उल्लेख आपको, कई पौराणिक कथाओं में भी पढ़ने को मिल जाएगा। उन्हीं में से एक कथा महाभारत काल से जुड़ी है। उस पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत के युद्ध के दौरान जब भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर लेटे हुए, अपनी आख़िरी सांस ले रहे थे तब सभी पांडव उनके उपदेश सुनने रोज़ उनके पास जाते थे। पांडवों को पितामह धर्म से जुड़ी कई बातें सुनते थे।

उसी कर्म में एक बार जब वो पांडव पुत्रों को उपदेश दे रहे थे, तब द्रौपदी अचानक से उनकी बातें सुनकर हँसने लगी। द्रौपदी को यूँ हँसता देख सभी हैरान हुए, इसी बीच पितामह ने द्रौपदी से उसकी हंसी का कारण पूछा। तब द्रौपदी ने उन्हें उत्तर देते कहा कि ‘पितामह आप जो भी धर्म और ज्ञान की बातें कर रहे हैं वो सुनने में तो अच्छी लग रही हैं, लेकिन जिस समय भरी सभा में कौरवों ने हर मर्यादा का उल्लंघन करते हुए, मेरा चीरहरण किया जा रहा था, तब आपका धर्म कहाँ गया था? आपने उस समय वहां मौजूद किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म का ज्ञान क्यों नहीं दिया। बस उसी बात को याद करके मैं हँसने लगी।’

द्रौपदी के इन शब्दों का उत्तर देते हुए भीष्म पितामह ने कहा, ‘पुत्री! उस समय मैं जो भी अन्न ग्रहण कर रहा था, वो कौरवों का ही था। कौरवों द्वारा दिए गए उसी अन्न से, मेरा रक्त बनता था इसलिए जैसा दुराचारी स्वभाव दुर्योधन का था, वैसा ही दूषित अन्न मैं भी अपने अंदर ग्रहण करता था। उनके उसी भोजन को ग्रहण करने से, मेरे मन व बुद्धि पर उन्ही के दोषों का असर था। लेकिन युद्ध भूमि में अर्जुन के बाणों ने, पाप के अन्न से बना मेरे शरीर का सारा रक्त बहा दिया। और अब रक्त बह जाने के बाद मेरे मन के साथ-साथ मेरी आत्मा भी शुद्ध हैं। इसलिए अब मैं धर्म के अनुकूल ही बातें कर रहा हूँ।’

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हम आशा करते हैं कि अन्नप्राशन संस्कार 2021 से संबंधित हमारा ये लेख, आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगा ! हम आपके बच्चे के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

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