गुरु सिंह राशि में मार्गी (मई 9, 2016) - जानें इसके संभावित परिणाम!
इस साल मई 9 को बृहस्पति सिंह राशि में मार्गी होगा। इस गोचर से क्या होगा आपके जीवन तथा आस-पास की दुनिया पर असर? आइये जानते हैं।
इस साल मई 9, 2016 को बृहस्पति सिंह में उदय होंगे। गुरु, शनि , राहु - केतु के राशि परिवर्तन ज्योतिष जगत में बहुत महत्त्वपूर्ण मानें गए हैं। सिंह राशि एक राजसी राशि है और इसके स्वामी सूर्य , बृहस्पति के बड़े अच्छे मित्र हैं। अगर आपकी गुरु की अन्तर्दशा या प्रत्यंतर दशा चल रही है तो आपको इसके प्रभावों की अनुभूति अधिक होगी। तो आइये जानते हैं कि यह गोचर किसके लिए हिट होने वाला है और किसके लिए फ़्लॉप:
विभिन्न जातकों पर इस गोचर के संभावित निम्न परिणाम हो सकते हैं -
मेष
पंचम भाव बहुत सारी घटनाओं को इंगित करता है, संतान, रोमांस, मन्त्र-साधना, गुरु-दीक्षा, आध्यात्मिक उन्नति आदि मगर आज के बढ़ते हुए भौतिकतावादी समाज में गुरु के लिए सम्मान और जगह कम होती जा रही है। गुरु प्यार भी देगा तो आदर्शवादिता से ओतप्रोत, न की शुक्र जैसा काम वासना प्रधान शारीरक आकर्षण। गुरु और शनि के बारे में ऐसा कहा जाता है कि गुरु जिस भाव में जाता है उसकी हानि करता है और उसकी दृष्टि जहाँ जाती है वहा प्रगति होती है। शनि जिस भाव में होता है उसका तो लाभ करता है किन्तु उसकी दृष्टि जहाँ तक जाती है वहाँ तक हानि ही होती है। आपके लिए यह गोचर एक तैयारी है, आने वाले प्रेम संबंधों की तह को जानने पहचानने की क्योंकि अब आपको एहसास होगा कि कौन किसको कितना चाहता है। आप अपनी प्रेमिका को या वह आपको। जो भी लोग संगीत कला या किसी भी हुनर द्वारा अपना जीविकोपार्जन करते हैं उनके लिए यह बड़ा ही शुभ सन्देश सिद्ध होने वाला है। मनुष्य को सदैव अपना दिल बड़ा रखना चाहिए, लोग आपसे आगे निकल जा रहे हैं या आप सोचते हैं कि आपकी मेहनत को उतनी तवज्जो नहीं दी जा रही तो भी उत्तेजित या निराश होने की कोई ज़रुरत नहीं है। इस वर्ष आपमें से बहुतों को उनका हाथ पकड़ कर आगे ले वाला कोई मिल सकता है। सदा आशान्वित रहना चाहिए।
वृषभ
आज की भागदौड़ भरी भेड़चाल वाली दुनिया में अपनों के लिए समय निकाल पाना अपने आप में एक कला है। शहरों में आज भी संयुक्त परिवार मौजूद हैं जहाँ एक ही घर में 10-15 लोग रहते हैं मगर वे भी सिर्फ सप्ताहांत में ही एक दूर के हाल चाल जान पाते हैं। आपसी प्यार और सामंजस्य भी उनमें बहुत ही कम रहता है। यहाँ गुरु के आने से सदस्यों में थोड़ी आपसी सूझबूझ समझदारी तालमेल तो बढ़ेगा ही, घर के बड़ो के लिए सम्मान भी आएगा। बहुत बार माता पिता संपत्ति उसी संतान को देते हैं जिसे वे सबसे ज़्यादा सेवी समझते हैं। आपके लिए यह वर्ष इस सन्दर्भ में भी ख़ुशी ला सकता है। ज़रूरी नहीं है कि कोई आपके नाम सारी जायदाद ही लिख देगा, ज़रुरत हो तो कुटुंब का कोई समय पर आकर खड़ा हो जाए। वह कृत्य ही मन को बहुत सम्बल प्रदान करने वाला होता है। आधुनिक पत्नियाँ/ परिवार के सदस्य बहुत फ़रमाइशी होते हैं और एक अदद स्वयं का घर की मांग नाजायज़ भी नहीं होती। सभी का सपना होता है एक घर हो अपना। आपमें से बहुतों के लिए यह स्वप्न सत्य हो सकता है। नया घर ना भी लें पाये तो भी कोई बात नहीं, ज़रूरी नहीं की घर नया ही हो - जहाँ रह रहे हैं वहीं थोड़ा पैसा लगा कर नया करा जा सकता है। प्रयास करते रहिये, बृहस्पति जब देता है तो कभी भी छोटा मोटा नहीं बल्कि बहुत बड़ा लाभ देता है चाहे वह किसी भी रूप में हो। गुरु शुक्र के नक्षत्र में भी गोचर करेगा, कोई बड़ी बात नहीं कि मकान न सही कोई बड़ी गाडी आपके इंतज़ार में हो।
मिथुन
सारे समय काम में ही लगे रहना भी बहुत थकाने वाला हो जाता है। तृतीय भाव आपकी वाक् कुशलता, पराक्रम, भाई, संचार और सम्प्रेषण आदि का मुख्य भाव है। आपमें ज्ञानर्जन की जन्मगत रूचि रहती है सारी बातें बहुत सारे विषयों के बारे में जानकार आप “सभी के बारे में थोड़ा थोड़ा” जानने लगते हैं। इससे ज्ञान का अहंकार भी जन्म ले लेता है। कहते भी हैं कि व्यक्ति को ज्ञान का अहंकार हो जाता है किन्तु अहंकार का ज्ञान नहीं होता। आपको इस समय में कोई नया कोर्स जो की लघु अवधि का है उसे पूरा कर लेना चाहिए। पुराने कोई पाठ्यक्रम जो कभी करके अधूरे छोड़ दिए हैं उनमें से कोई पूर्ण कर लेना चाहिए। दुनिया में इतना कुछ जानने के लिए है और आदमी थोड़ा सा ग्यानी होकर ही स्वयं को गुरु मानने लगता है - यह सही नहीं है। आपको लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। लोग आपके लिए सहयोगप्रद बने हुए हैं - यह समझ लीजिये। आप वैसे भी हंसी-मज़ाक पसंद करने वाले लोग हैं, आपके व्यंग्य लोगों को बहुत पसंद भी आते हैं और कभी लोगों को बहुत आहत भी कर देते हैं, इसमें और इज़ाफ़ा होगा। आपके संबंधों में आपके बढ़िया व्यवहार के कारण बहुत प्रगति रहेगी। जो लोग रोज़मर्रा आमदनी वाले व्यवसायों में हैं उनकी आवक में इज़ाफ़ा होगा। बातों की खाने वाले लोगों को भी बहुत लाभ बना रहेगा। गुरु का स्वभाव है बढ़ाना, तो तैयार रहिये नए दोस्तों, संबंधों और ज्ञान के नए आयामों को छूने के लिए।
कर्क
यह आपके द्वितीय भाव में आएगा, यह धन भाव भी कहलाता है। अगर सत-युग होता तो गुरु कहीं भी रहे, कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन इस घोर कलयुग में गुरु का इस भाव में होना बहुत ज़रूरी है। धन नहीं तो कुछ नहीं, आपको याद होगी वह मशहूर पंक्तियाँ “पैसा खुद तो नहीं मगर खुद से कम भी नहीं” जैसा मैंने कहा, गुरु का काम है वृद्धि। यदि आपको कोई रोग हो गया है और गुरु उस रोग से सम्बंधित भाव से गोचर करे तो उसको भी बढ़ा देगा। यह धन का मुख्य भाव है, लाभ और धन - ये दो बातें इंसान के जीवन में रहे तो फिर बात ही क्या है। पाँचों उंगलियाँ घी में - वाली बात हो जायेगी। आपको भी धन की बढ़ोतरी होगी, नए स्तोत्र मिल सकते हैं। लोगों से आपके मधुर सम्बन्ध धन की आवक के मार्ग खोल सकते हैं। मगर पैसे के साथ दिक्कत ये है कि अधिक आये तो बहुत लोग संभाल नहीं पाते और अनाप-शनाप खर्च करने लगते हैं - इस से बहुत बच के रहना है। आपको सबसे अच्छा रास्ता यह रहने वाला है कि धन की आवक के साथ निवेश करते जाएँ, क्योंकि बृहस्पति ने तो और ज़्यादा करना ही है, और अब 12 साल बाद आपके इस घर को बृहस्पति छूएगा तो इस मौके का पूर्ण लाभ उठाइये। ऐसा न हो कि घरवालों की फरमाइश पूरी करते करते आप हो जाओ ठन-ठन गोपाल और बैंक में कोई बचत ही न हो पाये। जब पैसा आता है तो चीज़ों को हासिल करने की इच्छा लाज़मी है, मगर सब्र और कैफियत से नहीं चलेंगे तो नुक्सान आपका ही होना है। अच्छा होगा कि इस साल में आप खूब दान पुण्य भी करें और वृद्ध लोगों की जैसी हो सके वैसी सहायता भी करें।
सिंह
लग्न में जिसके गुरु हो उसे कोई पराजित नहीं कर सकता, उसके काम कैसे भी करके हो ही जाते हैं। लग्न में गुरु दिग्बली भी हो जाता है और संतान, पत्नी- पति, भाग्य सभी पर अपनी दृष्टि डालता है। लेकिन यह सिर्फ अच्छा ही रहेगा ऐसा नहीं है। आप तो जानते ही हैं, अधिक शक्कर से मधुमेह हो जाता है। इसलिए जब यह आपकी लग्न में आएगा तो आपके अहंकार को भी बढ़ावा देगा, गुरु में अहंकार का तत्व नहीं होना चाहिए लेकिन वह गुरु और थे, अब तो दिखावे का ज़माना है। शास्त्र जितना भी चिल्ला-चिल्ला कर बोल लें कि भाई घमंड मत करो, लोग मानते कहाँ हैं - थोड़ी सी शौोहरत में स्वयं को पता नहीं क्या समझने लगते हैं। जब वह समय चला जाता है तो वापस उसी ज़मीन पर - मगर अब लोग उनसे जुड़ना पसंद नहीं करते। तो आप क्यों ऐसा चाहते हैं? जीवन में सभी के अच्छे बुरे दिन आते हैं। यह तो एक चक्र है जिसमें से जीवन की नाव को निकलना होता है प्रभु प्राप्ति के लिए, जो संयम रख लेता है वह पार हो जाता है नहीं तो वापस किसी योनि में इसी धरती पर भटकना है। वजन का ख़ास ध्यान रखिये और घी तेल का भोजन तो दूर से मना कर दीजिये। कभी शादी ब्याह मित्रों के साथ कहीं गए तो चलता है लेकिन रोज़मर्रा के जीवन से इसे हटा दीजिये, उम्र के साथ शरीर भी साथ देना कम करता जाता है और एक दिन बंद हो जाता है। अगर उम्र अधिक है और आपने परहेज नहीं करा तो अस्पताल वाले भी बिल बढ़ाने में कोई परहेज नहीं करने वाले। अध्यात्म से जुड़िये, योग प्राणायाम कीजिये। जनहित के बहुत कार्य आप करने वाले हैं। आपका मिज़ाज आमतौर पर खुशनुमा रहेगा और दैवीय संरक्षण आपके साथ बना रहेगा।
कन्या
द्वादश भाव के आयाम शुक्र और गुरु दोनों ही के लिए पसंदीदा हैं। दोनों ही यहाँ पर कोई नुक्सान करना पसंद नहीं करते। कालपुरुष की कुंडली में यहाँ मीन राशि पड़ती है जिसे मोक्षकारक राशि भी कहते हैं, उसका स्वामी गुरु ही है और वह जलीय राशि है। हम जानते हैं कि इस जगत में जल की अधिकता है। अध्यात्म संन्यास मोक्ष चिंतन विरक्ति और बहुत बार नैराश्य भी यह भाव दे देता है। यह सब गुरु के ही कार्यक्षेत्र की बातें है निराशा अवसाद को छोड़कर, वह शनि के खाते में दे दिया गया है। छठी इंद्री भी ये भाव जाग्रत कर देता है अगर गुरु का साथ हो तो, अन्यथा शुक्र के प्रभाव में आकर व्यक्ति का बेड़ागर्क हो जाता है। आपको भी आने वाले समय में अात्मचिंतन आत्मावलोकन करना चाहिए। क्यों इतना भागे जा रहे हैं जीवनकी आपाधापी में, क्या मिला है किसीको जो आपको मिल जाएगा - एक दिन सबने चले ही जाना है तो क्यों न जीवन में ईश्वर की छठा को बिखेर दिया जाए और ध्यान भक्ति से कर्मों के बंधनों से मुक्त होने का प्रयास करा जाए - इस पर आप ज़रूर विचार कीजिये। ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब आपको मिल सकते हैं, आपके बहुत सारे भय और भ्रम मिट सकते हैं। सत्य का प्रकाश आपके जीवन को प्रकाशित कर सकता है। बस ज़रुरत है तो अपने अंदर झाँकने की।
तुला
जैसे जीवन में धन ज़रूरी है वैसे ही दोस्त भी, नहीं तो खर्च किस पर करेंगे? और दोस्त सिर्फ खर्च करने के लिए नहीं होते - ज़िन्दगी के बहुत सारे मोड़ ऐसे होते हैं जहाँ मन हार मान जाता है और वहाँ अपने दोस्त ही सहारा बनाते हैं। भगवान खुद तो आ नहीं सकते। तो ईश्वर मित्रों के रूप में हमारे साथ आ खड़े होते हैं, ये सब निर्भर करता है अपने पूर्वजन्मों के कर्मों पर कि ऐसे दोस्त मिलेंगे नहीं तो यही दोस्त हमें ही मुसीबत में डाल के आगे निकल जाते हैं। तभी तो बड़े कहते रहते हैं अच्छे कर्म करो - जो दुनिया को दोगे ,वही तो वापस मिलेगा। ऐसे कुछ ख़ास दोस्त आपको मिलने वाले हैं जो ज़िन्दगी में बहुत दूर तक आपका साथ निभा सकते हैं। लोगो से जुड़िये, सोशल नेटवर्किंग पर आइये, ट्वीट कीजिये, डेट कीजिये - आजकल तो डेट करने के लिए बस बटन दबाना पड़ता है, संस्थाओं के सदस्य बनिए - अपना दायरा बढाइये और फायदा पाइए - ये मूल मन्त्र है। आप स्त्री हों या पुरुष इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। ज़रूरी नहीं है कि दोस्त आपके ही उम्र का हो जो आप हों वह भी वही हो, लड़का ही हो या लड़की हो। दिल मिलने लगें तो सभी दोस्त न मिलें तो अपने अपने रस्ते। सिर्फ इतना ही नहीं है - नए काम शुरू हो सकते हैं, पैसा तो आना ही है - उसकी चिंता तो अभी छोड़ दीजिये। नए काम बड़ा नाम प्रगति और ख्याति आपके लिए प्रतीक्षारत हैं - बाहर निकलिये और अपनी दौड़ शुरू तो कीजिये।
वृश्चिक
कर्म प्रधान सकल जग माहि करम हीन नर कछु पावत नाही - अधिकतर लोग इस विश्व को कर्म प्रधान मानते हैं और कुछ सोचते हैं अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम दास मलूका कह गए सबके दाता राम। इन दोनों ही विचारधारा के लोगों से यह जग भरा हुआ है, अलग धर्म, मत, सम्प्रदाय से यह विश्व चल रहा है और सत्य जानने की बहुत लोग वकालत करते हैं लोग कहते हैं कि वे सच जान गए हैं मगर ये संभव ही नहीं है। अपने मरे बिना स्वर्ग किसी को नहीं मिला। तो आप चाहे तुलसीदास जी के प्रशंसक हों या मलूकदास जी के, अब समय आगया है उठ खड़े होने होने का। जहाँ भी आप काम करते हैं वहाँ आपको वह सम्मान मिलेगा जो पहले नहीं मिला था, आप सोचते थे मैं ही क्यों रह जाता हूँ और बाकी लोग क्यों आगे निकल रहे हैं, अब आप आगे जाएंगे और लोग देखेंगे। आपकी ऊर्जा दूसरों से अधिक होगी और जिनको आप सम्मान देते आ रहे हैं - आपके अधिकारीगण वे भी आपको सम्मान की नज़र से देखेंगे और आपकी तरफ ही उनका पक्ष बना रहेगा। आप कुछ नहीं भी कर रहे थे, कोई काम ठीक से जम नहीं पा रहा था तो भी कोई बात नहीं, अब आप प्रयास कीजिये और दृढ निश्चय के साथ मैदान में आ जाइए। सब ठीक हो जाएगा। पदोन्नति हो सकती है। लोग आपकी बात को वजन देंगे। मतलब सब तरफ आपकी जय पक्की है। छात्रों को कोई बड़ा सम्मान अपने क्षेत्र में मिल सकता है।
धनु
गीता में श्री कृष्ण ने धर्म का पालन और अनुशीलन सबसे बड़ा पुण्य बताया है, रामायण में भी प्रभु श्री राम ने धर्म और मर्यादा की रक्षा के लिए वनवास स्वीकार किया और असुरों पर विजय प्राप्त करी। कुरान और बाइबिल भी धर्म के लिए सर्वस्व कुर्बान कर देने को ही सबसे बड़ा पुण्य बताते हैं। माना कि आज के इस तामसिक वातावरण में धर्म गुरु ही भ्रष्ट होने की होड़ में एक दुसरे को पीछे छोड़े रहे हैं और धन दिखावे और सत्ता लोलुपता ने उनको अँधा कर दिया है किन्तु ज़रूरी नहीं है कि आप भी उनके जैसे करने लगें, वैसे भी सभी एक जैसे नहीं होते। हमारे देश में बहुत विद्वान और आध्यात्मिक रूप से उन्नत साधु संत फ़कीर मौजूद हैं जिनको इस दिखावे से कोई मतलब नहीं है। नवम भाव में काल-पुरुष की पत्रिका में धनु राशि ही आती है और इसका स्वामी गुरु स्वयं ही बहुत बड़ा धर्मोपदेशक है। आपको भी अपने अंदर के व्यतित्व अंतरात्मा को जागृत करने का बहुत अच्छा अवसर मिलने वाला है। इसको किसी भी हाल में व्यर्थ मत जाने दीजियेगा। लम्बी यात्रा, पदोन्नति, भाग्य का आपके लिए अधिक पक्षपात करना, ये सब आपको देखने को मिलेगा - किसी को कम किसी को अधिक मात्रा में किन्तु इन सब में आपको ध्यान यह रखना है कि धर्म अध्यात्म की उन्नति कहीं रुक न जाए और आप मोती की जगह सीप पकड़ कर ही ना रह जाएँ।
मकर
अष्टम भाव पत्रिका का सबसे खराब भाव माना गया है। लेकिन साथ में यह भी सत्य है कि अच्छे लोग किसी भी वातावरण में रहे, वे अपनी अच्छाई से सब खराबियाँ दूर कर सकते हैं। और बृहस्पति को सबसे शुभ गृह माना गया है। अतः आपको निश्चिंत रहना चाहिए, कोई कितना भी ज़ोर लगा ले आपका अहित नहीं कर पायेगा। कहावत भी है “जा पर कृपा राम की होए ता पर कृपा करे सब कोए” लेकिन यह भाव सिर्फ बाहरी शत्रुओं से हानि का नहीं है बल्कि अपने अंदर के शत्रुओं से भी खतरा है। अपनी काम वासना, लालच, लोलुपता, अत्यधिक सम्भोग का उद्वेग, अनेक महिलाओं / पुरुषों से संसर्ग की तमन्ना - ये सब कलयुग में और आदि काल से मानव जाती के सबसे घोर शत्रु रहे हैं। ग्रह एक सीमा तक ही साथ देगा लेकिन कुछ प्रयास आपको भी करने होंगे जिससे आपका साफ़-सुथरा जीवन यथावत बना रहे। कोई भी ऐसा काम करने से पहले यह ज़रूर सोचना चाहिए कि यदि हमारा साथी ऐसा करता तो हमें कैसा लगता? इस प्रश्न का उत्तर आपको बहुत सारे बुरे मार्गों पर जाने से बचा सकता है। जो लोग अनुसंधान, अपराध पकड़ने, गहरी सोच वाले व्यवसायों में हैं उनको तो आशातीत सफलता मिल सकती है किन्तु बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिनको तुरंत करोड़पति बनना होता है और वे तंत्र आदि का सहारा ढूँढ़ते हैं। आजकल कहाँ असली तांत्रिक रह गए हैं जो आपका मनोरथ पूरा कर सकें? सब व्यर्थ की आशा है। तंत्र आदि से दूर रहिये। पैतृक सम्पत्ति के कोई मसले जो बहुत समय से चले आ रहे हों - वह ज़रूर आपके लिए खुशख़बरी ला सकते हैं अथवा किसी पॉलिसी, फण्ड, शेयर आदि में अच्छी ग्रोथ देखने को मिल सकती है।
कुम्भ
स्त्री के लिए गुरु और पुरुष के लिए शुक्र को कुछ लोग विवाह का कारक ग्रह मानते हैं। सप्तम भाव सिर्फ विवाह का नहीं है बल्कि व्यवसाय साझेदारियाँ और बहुत लोगों के अनुसार विदेश यात्रा का भी है। तो साझेदारी हो या विवाह या यात्रा - हमें लोगों से मिलना-जुलना पड़ता है बातचीत करनी पड़ती है और अपने काम के लिए उनको प्रभावित भी करना पड़ता है। नहीं तो कैसे काम चलेगा? काम इच्छा भी इसी भाव से देखी जाती है। आजकल की ज़िन्दगी में हम रोज़ ही अखबारों में देखते हैं कि परिवार बन कम रहे हैं टूट ज़्यादा रहे हैं, स्त्रियों के लिए कानून बने तो बहुतों ने उसका गलत लाभ भी ले लिया। जीवन है सब चलता रहता है, जो जैसा भाग्य लिखवा के लाया है उसको वैसा भुगतना तो है ही - गुरु सप्तम में आने से बहुत से परिवार जो टूटने की कगार पर आ गए हैं वो बच जाएंगे। या तो पति को या पत्नी को सद्बुद्धि आएगी और अपने अहंकार लालच क्रोध की तिलांजलि देकर दोनों आगे अच्छे जीवन के निर्माण के लिए प्रयासरत हो सकेंगे। ये ज़रूरी नहीं है कि सबके साथ ही हो। यह भी बहुत संभव है कि जो लोग ये सोच ही चुके हैं उनका अलगाव शांतिपूर्ण तरीके से हो जाएगा, कोई बड़े बखेड़े नहीं खड़े होंगे। ये भी कौन सी कम बात है? नहीं तो लोग ज़रा सी बात में कानून का गलत लाभ लेने में पीछे नहीं हटते हैं। व्यवसाइयों को नए जोड़ीदार मिल सकते हैं, पुरानों के साथ सम्बन्ध और मज़बूत हो सकते हैं, आपके ग्राहकों से आपका सम्बन्ध और बेहतर हो सकता है - जो लोग पहले 1 वस्तु लेते थे अब 4 लेने लगेंगे। किसी भी प्रकार से यह आपको लाभ ही देगा।
मीन
काम काज के चक्कर में लोग अपनी सेहत को इतना नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि बाद में सिवाय पछताने की कोई चारा नहीं रह जाता। अगर रोज़ सुबह की ताज़ी हवा और हरी भरी घास पर पैदल चल लिए 20-25 मिनट तो कोई पहाड़ नहीं टूट जाता लेकिन सभी समय का रोना रोकर इस से बचते हैं। ट्रेडमिल, जो लोग ले सकते हैं उनको तो लेकर रखनी ही चाहिए घर में, इसका रोज़ाना 20-25 मिनिट इस्तेमाल आपको अस्पताल से कोसों दूर रखने में सक्षम है। छठा भाव स्वास्थ्य का है नौकरी का है, रोज़मर्रा की जीवन शैली का है। रोज़ वही घिसी पिटी नौकरी से तंग आ गए हैं, अधिकारी से बन नहीं पा रही है तो समय कह रहा है कि प्लेसमेंट एजेंसीज में अपना रिज्यूम अपलोड कर दिया जाय। आपको अपनी पसंद की नौकरी मिलने के भरपूर योग हैं। हमारी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में सबसे हमारी अच्छी बातचीत हो यह ज़रूरी नहीं है, बहुत बार आते जाते लोगों से कहा सुनी हो जाती है। लेकिन अब आप थोड़ा सा प्रयास करें तो अपने सम्बन्ध सभी से लगभग मधुर बना सकते हैं। कोई रोग पकड़ में आने के बहुत योग हैं, आपको पता भी नहीं है कि क्या चल रहा है आपके शरीर के अंदर। अगर एक बार पुरे शरीर का स्कैन करा लिया जाए तो कोई बुराई या धन हानि का सौदा नहीं होगा। आप दांतों की अच्छी देखभाल करेंगे। आप जो भी काम करेंगे अच्छे से ही करेंगे और उसमें आपको आनंद आएगा और मन लगेगा। अच्छा समय है, यदि आपकी कोई बहुत प्रतिकूल दशा नहीं चल रही है तो यह गोचर आपको काफी कुछ देके जाएगा।
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