विद्यारंभ मुहूर्त 2020 की शुभ तारीख़

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 की तारीख़- हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से विद्यारंभ संस्कार को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी दिन से बच्चे को औपचारिक रूप से शिक्षा मिलना आरंभ हो जाता है। विद्यारंभ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें “विद्या” का अर्थ है ज्ञान और “आरंभ” का मतलब शुरुआत। ऐसी मान्यता है कि, जब बच्चे का शुभ मुहूर्त में विद्यारंभ संस्कार संपन्न करवाया जाता है तो इससे उसे ज्ञान, बुद्धि और अच्छे संस्कारों की प्राप्ति होती है। इसलिए यहाँ हम आपको विद्यारंभ मुहूर्त 2020 की सभी प्रमुख तारीखों के बारे में बताने जा रहे हैं। यहाँ आप विद्यारंभ संस्कार से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में भी जान सकते हैं।

जानें साल 2020 में विद्यारंभ के मुहूर्त

Read in English - Vidyarambham Muhurat 2020

विद्यारंभ मुहूर्त 2020

दिनांक वार तिथि नक्षत्र मुहूर्त का समयावधि
15 जनवरी बुध माघ कृ. पंचमी उत्तराफाल्गुनी 07:15-19:59
16 जनवरी गुरु माघ कृ. षष्ठी हस्त 07:15-09:42
20 जनवरी सोम माघ कृ. एकादशी अनुराधा 07:15-19:39
27 जनवरी सोम माघ शु. तृतीया शतभिषा 07:12-19:12
29 जनवरी बुध माघ शु. चतुर्थी उ.भाद्रपद 10:46-19:04
30 जनवरी गुरु माघ शु. पंचमी उ.भाद्रपद 07:11-19:00
31 जनवरी शुक्र माघ शु. षष्ठी रेवती 07:10-15:52
6 फरवरी गुरु माघ शु. द्वादशी आर्द्रा 07:07-18:32
10 फरवरी सोम फाल्गुन कृ. प्रतिपदा मघा 17:06-18:17
13 फरवरी गुरु फाल्गुन कृ. पंचमी हस्त 07:02-20:02
14 फरवरी शुक्र फाल्गुन कृ. षष्ठी स्वाति 07:01-18:21
19 फरवरी बुध फाल्गुन कृ. एकादशी पूर्वाषाढ़ा 06:57-19:58
20 फरवरी गुरु फाल्गुन कृ. द्वादशी पूर्वाषाढ़ा 0656-0719
26 फरवरी बुध फाल्गुन शु. तृतीया उ.भाद्रपद रेवती 06:50-19:31
28 फरवरी शुक्र फाल्गुन शु. पंचमी अश्विनी 06:48-19:23
4 मार्च बुध फाल्गुन शु. नवमी मृगशिरा 14:00-19:03
5 मार्च गुरु फाल्गुन शु. दशमी आर्द्रा 06:42-18:59
6 मार्च शुक्र फाल्गुन शु. एकादशी पुनर्वसु 11:47-18:56
11 मार्च बुध चैत्र कृ. द्वितीया हस्त 06:35-18:36
13 मार्च शुक्र चैत्र कृ. चतुर्थी स्वाति 08:51-13:59
16 अप्रैल गुरु वैशाख कृ. नवमी धनिष्ठा 18:12-20:50
17 अप्रैल शुक्र वैशाख कृ. दशमी उ.भाद्रपद 05:54-07:05
19 अप्रैल रवि वैशाख कृ. द्वादशी पूर्वाभाद्रपद 05:52-19:34
26 अप्रैल रवि वैशाख शु. तृतीया रोहिणी 05:45-13:23
27 अप्रैल सोम वैशाख शु. चतुर्थी मृगशिरा 14:30-20:07
29 अप्रैल बुध वैशाख शु. षष्ठी पुनर्वसु 05:42-15:13
3 मई रवि वैशाख शु. दशमी पूर्वाफाल्गुनी 05:39-19:43
4 मई सोम वैशाख शु. एकादशी उ.फाल्गुनी हस्त 06:13-19:19
11 मई सोम ज्येष्ठा कृ. चतुर्थी पूर्वाषाढ़ा 06:35-19:12
13 मई बुध ज्येष्ठा कृ. षष्ठी श्रावण 05:32-06:00
17 मई रवि ज्येष्ठा कृ. दशमी उ.भाद्रपद 12:43-21:07
18 मई सोम ज्येष्ठा कृ. एकादशी उ.भाद्रपद रेवती 05:29-21:03
24 मई रवि ज्येष्ठ शु. द्वितीया मृगशिरा 05:26-20:39
25 मई सोम ज्येष्ठ शु, तृतीया मृगशिरा 05:26-20:35
27 मई बुध ज्येष्ठ शु, पंचमी पुनर्वसु 05:25-20:28
28 मई गुरु ज्येष्ठ शु, षष्ठी पुष्य 05:25-20:24
31 मई रवि ज्येष्ठ शु, नवमी उत्तराफाल्गुनी 17:37-20:12
1 जून सोम ज्येष्ठ शु, दशमी हस्त 05:24-13:16
3 जून बुध ज्येष्ठ शु, द्वादशी स्वाति 05:23-06:21
7 जून रवि आषाढ़ कृ. द्वितीया मूल 05:23-19:44
8 जून सोम आषाढ़ कृ. तृतीया उत्तराषाढ़ा 05:23-18:21
10 जून बुध आषाढ़ कृ. पचमी श्रावण 05:23-10:34
11 जून गुरु आषाढ़ कृ. षष्ठी धनिष्ठा 11:28-19:29
15 जून सोम आषाढ़ कृ. दशमी रेवती 05:23-16:31
17 जून बुध आषाढ़ कृ. एकादशी अश्विनी 05:23-06:04

विद्यारंभ मुहूर्त 2020

विद्यारंभ के बारे में संस्कृत में एक बेहद प्रचलित श्लोक इस प्रकार से है :

“विद्यया लुप्यते पापं विद्ययाडयुः प्रवर्धते।
विद्यया सर्वसिद्धिः स्याद्धिद्ययामृतश्नुते।।”

इसका अर्थ है कि जब कोई वेद पढ़ता है, तो इससे उसके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, व्यक्ति की आयु बढ़ती है, मनुष्य सभी सिद्धियों को प्राप्त करने में सक्षम होता है और वास्तविक अमरता को प्राप्त करने के लिए दूर चला जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे व्यक्ति जिन्हें सही ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती वो धर्म, अर्थ, मोक्ष और काम के लाभों से हमेशा के लिए वंचित रह जाते हैं। इसलिए, बच्चे के जन्म के बाद विद्यारंभ संस्कार को मुख्य रूप से करना बेहद अहम माना जाता है। इस संस्कार के दौरान हवन करवाकर गणेश जी और सरस्वती माँ की पूजा की जाती ही। इसके बाद माता पिता पहली बार बच्चे को लिखना सिखाते हैं। इस दौरान बच्चे से पहली बार संस्कृत या हिंदी में “ॐ” लिखवाया जाता है। हालाँकि ये प्रक्रिया कई जगहों पर भिन्न हो सकती है, लेकिन आमतौर पर लोग इस विधि को ही अपनाते हैं। बच्चे को पहली बार स्लेट पर चाक से, कागज़ और कलम से या चावल से लिखना सिखाया जाता है। लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात ये है कि ये सारी विधि शुभ विद्यारंभ मुहूर्त में ही होनी अनिवार्य होती हैं।

विद्यारंभ संस्कार 2020

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 समारोह की शुरुआत मुख्य रूप से भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा से होती है। इसके साथ ही कॉपी, कलम और इंक यानी दवात की पूजा भी की जाती है। इस दौरान बच्चे के गुरु या उनकी उपस्थिति में एक नारियल को गुरु मानकर उसकी पूजा की जाती है। इसी विधि के बारे में यहाँ हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।

-विद्यारंभ मुहूर्त 2020: गणेश पूजा

हिन्दू धर्म के अनुसार प्रथम पूज्य भगवान गणेश को ज्ञान का देवता भी माना जाता है। यही कारण है कि विद्यारंभ मुहूर्त 2020 का आरंभ भी गणेश जी की पूजा के साथ ही किया जाता है। इस दौरान माता-पिता अपने बच्चे के हाथ में फूल, रोली और अक्षत देकर “ ॐ विद्यां संवर्धयिष्यामि” मंत्र का जाप करते हुए उसे भगवान गणेश को अर्पित करें। इसके बाद पंडित जी बच्चे के हाथ में एक बार फिर से अक्षत, रोली और फूल देकर उपरोक्त मंत्र का जाप करते हुए बच्चे से उसे गणेश जी को अर्पित करने के लिए कहते हैं। इसके बाद सभी उपस्थित सदस्य भगवान गणेश से बच्चे को मेधावी और प्रतिभावान बनाने की प्रार्थना करते हैं।

“ॐ गणानां त्वा गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति हवामहे, वसोमम।
आहमजानि गभर्धमात्वमजासि गभर्धम्। ॐ गणपतये नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥”

-विद्यारंभ मुहूर्त 2020: सरस्वती पूजा

माता सरस्वती को कला, ज्ञान और करुणा की देवी माना जाता है। इसलिए विद्यारंभ संस्कार के दौरान उनकी पूजा करते हुए उनसे बच्चे को आशीर्वाद देने की प्रार्थना की जाती हैं। विद्यारंभ मुहूर्त 2020 समारोह के दौरान बच्चे के हाथ में अक्षत, फूल और रोली देकर “ॐ कलां संवेदनशीलतां वर्धयिष्यामि।” मंत्र का जाप करते हुए उन्हें माँ सरस्वती को अर्पित करवाया जाता है। इसके बाद पंडित जी एक बार फिर से बच्चे के हाथ में अक्षत, रोली और फूल देकर “ॐ पावका नः सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती। यज्ञं वष्टु धियावसुः॥
ॐ सरस्वत्यै नमः। आवाहयामि स्थापयामि, ध्यायामि॥” मंत्र का जाप करते हुए उसे सरस्वती माँ को अर्पित कराते हैं। इस समारोह में उपस्थित सभी लोग माँ से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं कि वो बच्चे को ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा देते हुए उसपर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें।

पढ़ें: विद्यारंभ संस्कार की पूर्ण विधि और उससे जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी !

-विद्यारंभ मुहूर्त 2020: सामग्रियों की पूजा

हिन्दू धर्म में अमूमन सभी चीज़ों को पवित्र माना जाता है और इसी कारण से विद्यारंभ मुहूर्त 2020 समारोह में गणेश जी और सरस्वती माँ की पूजा के बाद उन चीजों की भी पूजा की जाती है जो ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होते हैं। इस दौरान मुख्य रूप से तीन चीजों कॉपी कलम और दवात की पूजा की जाती है। एक बार फिर से पंडित जी बच्चे के हाथ में अक्षत, फूल और रोली देकर “ॐ विद्यासंसाधनमहत्त्वं स्वीकरिष्ये।” मंत्र का जाप करते हुए बच्चे से अर्पित करवाते हैं।

  • लेखनी पूजा : कलम को ज्ञान अर्जित करने के लिए बेहद अहम माना जाता है। क्योंकि इसकी मदद से ही हम लिखना सीखते हैं, इसलिए बच्चे से इन चीजों को श्रंद्धाजलि अर्पित करने के लिए कहा जाता है। इसके साथ ही पंडित जी “ॐ पुरुदस्मो विषुरूपऽ इन्दुः अन्तमर्हिमानमानंजधीरः। एकपदीं द्विपदीं त्रिपदीं चतुष्पदीम्, अष्टापदीं भुवनानु प्रथन्ता स्वाहा।” मंत्र का जाप करते हैं। सभी उपस्थित सदस्य रुचि की देवी धृति से प्रार्थना करते हैं कि बच्चा इस क्षेत्र में रुचि ले।
  • दवात पूजा : कलम के बाद इंक या दवात को भी ज्ञान अर्जन के लिए बेहद ख़ास माना जाता है, क्योंकि इसके बिना कलम का कोई प्रयोग नहीं है। इसलिए बच्चा “ॐ देवीस्तिस्रस्तिस्रो देवीवर्योधसं, पतिमिन्द्रमवद्धर्यन्।जगत्या छन्दसेन्दि्रय शूषमिन्द्रे, वयो दधद्वसुवने वसुधेयस्य व्यन्तु यज॥” मंत्रों का जाप करते हुए दावात को श्रद्धा अर्पित करता है। इस दौरान उपस्थित लोग एकाग्रता की देवी पुष्टि से बच्चे की पढ़ाई के प्रति ध्यान केंद्रित करने की प्रार्थना करते हैं।
  • पट्टी पूजा : कलम और दवात की पूजा के बाद कॉपी या पट्टी की पूजा की जाती है। जिनकी अधिष्ठात्री देवी ‘तुष्टि’ हैं और तुष्टि का भाव मेहनत और श्रमशीलता को बताया गया है। इसलिए परिश्रम व बुद्धि की कामना के लिए तुष्टि देवी का आशीर्वाद लिया जाता है। इस दौरान बच्चे द्वारा “ॐ सरस्वती योन्यां गर्भमन्तरश्विभ्यां, पतनी सुकृतं बिभर्ति।अपारसेन वरुणो न साम्नेन्द्र, श्रियै जनयन्नप्सु राजा॥ “ मंत्र का जाप करवाते हुए उससे पट्टी पूजा करवाई जाती है।

-विद्यारंभ मुहूर्त 2020: गुरु पूजा

एक बालक का अच्छा छात्र बनना केवल और केवल एक अच्छे अध्यापक के ऊपर ही निर्भर करता है। माना जाता है कि जिस प्रकार अंधकार को दूर करने के लिए मात्र एक दीपक ही पर्याप्त होता है। उसी प्रकार शिष्य के जीवन का अंधकार भी एक शिक्षक उसके जीवन में छिपे अंधेरे को ज्ञान रुपी दिए से दूर कर देता है। इसी लिए विद्यारंभ संस्कार के दौरान बालक/बालिका द्वारा गुरु की भी पूजा किया जाने का विधान है। गुरु पूजन प्रक्रिया के दौरान अगर बालक/बालिका के गुरु उपस्थित न हों तो गुरु के प्रतीक स्वरूप एक नारियल को बच्चे के समक्ष रखकर ‘ॐ आचार्यनिष्ठां वर्धयिष्यामि।” मंत्र का उच्चारण करें।

इसके बाद बालक/बालिका को गुरु को अपने माता पिता की भाँती सम्मान देना होता है। समान रूप से गुरु से भी ये आशा की जाती है कि वे भी शिष्य को अपने बालक की तरह समझते हुए उसे सही ज्ञान एवं सही दीक्षा प्रदान करें। हिन्दू शास्त्रों में गुरु को त्रिदेवों से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है है क्योंकि गुरु के द्वारा ही हमें संसार का ज्ञान होता है। इसी बात को समझते हुए अब पंडित जी द्वारा निम्नलिखित मन्त्रों का जाप करते हुए बालक से पुष्प व अक्षत गुरु जी को अर्पित कराए।

“ॐ बृहस्पते अति यदयोर्ऽ, अहार्द्द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु, यद्दीदयच्छवसऽ ऋतप्रजात, तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।”

-विद्यारंभ मुहूर्त 2020: अक्षर लेखन और पूजन

ये विद्यारंभ संस्कार की सबसे महत्वपूर्ण एवं अंतिम क्रिया होती है। इस दौरान पंडित, माता-पिता या बालक के गुरु की मदद से पट्टी या कागज़ पर बालक/बालिका द्वारा सबसे पहले ‘ॐ भूर्भुवः स्वः’ लिखवाते हैं। अगर बालक ये लिख पाने में सक्षम न हो तो इस स्थिति में खड़िया से शिक्षक द्वारा पहले कागज़ या पट्टी पर गायत्री मंत्र लिखवाकर बालक के माता पिता की सहायता से बालक द्वारा उन शब्दों के ऊपर कलम फिराया जा सकता है।

शास्त्रों अनुसार “ॐ भूर्भुवः स्वः” में जहाँ ॐ परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ नाम है, वहीं भू: का अर्थ है श्रम, जबकि भुवः का अर्थ संयम और स्वः का अर्थ विवेक माना गया है। ऐसे में शिक्षा प्राप्ति के लिए इन सभी गुणों का बालक में होना अनिवार्य होता है। इसलिए ही विद्याआरंभ संस्कार के दौरान शिक्षार्थी द्वारा सबसे पहले बालक के हाथों से यही शब्द लिखवाए जाते हैं।

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विद्यारंभ मुहूर्त 2020 की गणना

अन्य 16 संस्कारों की तरह ही विद्यारंभ संस्कार आरंभ करने के लिए भी शुभ मुहूर्त का निर्माण हिन्दू पंचांग और बालक की कुंडली या जन्म तिथि के आधार पर ही निर्धारित किया जाता है। इस दौरान महीने की कुछ शुभ तिथियाँ, शुभ वार, शुभ नक्षत्र व ग्रहों की सही स्थिति इत्यादि का आकलन करके ही ज्योतिष या पंडित बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ विद्यारंभ मुहूर्त 2020 निकालते हैं। विद्यारंभ मुहूर्त 2020 की गणना के दौरान इन बातों का आवश्यक रखना चाहिए ध्यान:-

  • विद्यारंभ संस्कार के लिए अश्विनी, मृगशिरा, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, मूल, रेवती, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति, अभिजीत, धनिष्ठा, श्रवण, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा नक्षत्र सबसे शुभ माने गये हैं।
  • ज्योतिषी विद्यारंभ संस्कार को चैत्र-वैशाख शुक्ल तृतीया, माघ शुक्ल सप्तमी तथा फाल्गुन शुक्ल तृतीया में ही करने की सलाह देते हैं।
  • इसके लिए रविवार, सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार का दिन सबसे ज्यादा उत्तम माना गया है।
  • लग्नों में से वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या और धनु लग्न विद्यारंभ संस्कार के लिए सबसे ज्यादा शुभ देखे गए हैं।
  • इसके अलावा माना गया है कि जब वृषभ और मिथुन राशि कुंडली में सातवें स्थान पर हो जिसके साथ दसवें घर में एक लाभकारी ग्रह और आठवें घर में कोई भी अन्य ग्रह नहीं हो तो ऐसी स्थिति में विद्यारंभ मुहूर्त बालक के लिए सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।
  • चतुर्दशी, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी, सूर्य संक्रांति के दौरान विद्यारंभ संस्कार करना अशुभ माना जाता है।
  • इसके साथ ही पौष, माघ और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि भी इस संस्कार के लिए अच्छी नहीं मानी जाती हैं।
  • विद्यारंभ मुहूर्त निकालते समय चंद्र दोष और तारा दोष का समय भी निषेध बताया गया है।

हम आशा करते हैं कि विद्यारंभ संस्कार 2020 से जुड़ा हुआ हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा और इसमें निहित जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होंगी। हमारी वेबसाइट ‘ऍस्ट्रोसेज’ से जुड़े रहने के आपका साधूवाद!

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