सूर्य ग्रहण का हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में बड़ा महत्व है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार ग्रहण महज एक खगोलीय घटना है लेकिन भारतीय ज्योतिष में यह बड़े परिवर्तन का कारक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के घटित होने से पहले ही उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है और ग्रहण की समाप्ति के बाद भी कई दिनों तक उसका असर देखने को मिलता है। साल 2019 में कुल 3 सूर्य ग्रहण घटित होंगे। इनमें पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी, दूसरा 2 जुलाई और तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को दिखाई देगा। हालांकि इनमें से सिर्फ एक सूर्य ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा, जो 26 दिसंबर को घटित होगा।
सूर्य ग्रहण 2019 | ||
दिनांक | वार | समय |
6 जनवरी | रविवार | 05:04:08 से 09:18:46 तक |
2 जुलाई | मंगलवार | 23:31:08 से 02:14:46, 3 जुलाई तक |
26 दिसंबर | गुरुवार | 08:17:02 से 10:57:09 तक |
सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। इन तीनों सूर्य ग्रहण में से केवल 26 दिसंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा। इसलिए भारत में सिर्फ इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य होगा।
हिन्दू पंचांग के अनुसार यह ग्रहण पौष अमावस्या के दिन शनिवार के रात्रि के बाद 6 जनवरी रविवार को सुबह 05:04:08 से 09:18:46 बजे तक दिखाई देगा। यह ग्रहण मध्य-पूर्वी चीन, जापान, उत्तरी-दक्षिणी कोरिया, उत्तर-पूर्वी रूस, मध्य-पूर्वी मंगोलिया, प्रशांत महासागर, अलास्का के पश्चिमी तटों पर ही दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। साल का पहला सूर्य ग्रहण धनु राशि और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में लगेगा, अतः इस राशि व नक्षत्र से संबंधित लोगों के लिए यह ग्रहण कष्टकारी रहने की संभावना है।
वर्ष 2019 में दूसरा सूर्य ग्रहण आषाढ़ अमावस्या के दिन मंगलवार रात्रि में 23:31:08 बजे से शुरू होकर 02:14:46 बजे तक दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण चीली, अर्जेंटीना, पैसिफिक और दक्षिणी अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा, हालांकि यह भारत में नहीं दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि और आर्द्रा नक्षत्र में लग रहा है। ऐसे में इस राशि और नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के लिए ग्रहण दुःखदायी हो सकता है। मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह है जबकि आर्द्रा राहु का नक्षत्र है।
साल 2019 में तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 को दिखाई देगा। यह ग्रहण पौष अमावस्या के दिन गुरुवार को सुबह 08:17:02 से 10:57:09 बजे तक घटित होगा, जो कि भारत, पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए इस राशि और नक्षत्र से संबंधित जातकों के लिए यह परेशानी का कारण बन सकता है। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा इसलिए यहां पर इसका धार्मिक महत्व और सूतक माना जाएगा। यह सूर्य ग्रहण साल 2019 में भारत में दिखाई देने वाला एक मात्र ग्रहण होगा।
सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 | ||
दिनांक | समय | दृश्यता |
26 दिसंबर, गुरुवार | 08:17:02 से 10:57:09 तक | भारत, पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका |
26 दिसंबर 2019 को दिखाई देने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक एक दिन पूर्व 25 दिसंबर को शाम 5:33 बजे से प्रारंभ होगा और अगले दिन सुबह 10:57 पर सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद खत्म होगा। अतः 25 दिसंबर शाम साढ़े 5 बजे से ही सूतक के नियम प्रभावी हो जाएंगे। इस समय में मूर्ति पूजा और स्पर्श आदि कार्य न करें।
हिंदू धर्म में ग्रहण के समय कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। क्योंकि सूतक या सूतक काल एक ऐसा अशुभ समय होता है, जिसमें कुछ विशेष कार्य करने की मनाही होती है। सामान्यत: ग्रहण लगने से कुछ घंटों पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण के समाप्त होने पर स्नान के बाद सूतक काल समाप्त होता है। बुजुर्ग, बच्चों और रोगियों पर ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होता है।
ग्रहण घटित होने के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने और ग्रहण देखने से बचना चाहिए। ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटने और छीलने जैसे कार्यों से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय चाकू और सुई का उपयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों को क्षति पहुंच सकती है।
"ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ”
विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है लेकिन हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में ग्रहण को लेकर अलग दृष्टिकोण है। ग्रहण के प्रभाव से प्रकृति में कई बदलाव देखने मिलते हैं, जिनका मानव समुदाय पर गहरा असर पड़ता है। अतः ग्रहण और सूतक काल में इनसे जुड़े नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
एस्ट्रोसेज की ओर से उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ!