चंद्र ग्रहण भारतीय ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। पूर्णिमा की रात्रि में चंद्र ग्रहण के घटित होने से प्रकृति और मानव जीवन में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। ये परिवर्तन अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के हो सकते हैं। जिस तरह चंद्रमा के प्रभाव से समुद्र में ज्वार भाटा आता है, ठीक उसी प्रकार चंद्र ग्रहण की वजह से मानव समुदाय प्रभावित होता है। हर वर्ष पृथ्वी पर चंद्र ग्रहण घटित होते हैं। इस साल 2019 में दो चंद्र ग्रहण होंगे। आइये जानते हैं इन दोनों चंद्र ग्रहण के दिखाई देने की तारीख, समय, दृश्यता और प्रभाव।
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2019 में पहला चंद्र ग्रहण
दिनांक | समय | प्रकार | दृश्यता |
21 जनवरी 2019 | 08:07:34 से 13:07:03 बजे तक | पूर्ण चंद्र ग्रहण | मध्य प्रशांत महासागर, उत्तरी/दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका |
सूचना: यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए यहां पर इसका धार्मिक महत्व और सूतक मान्य नहीं होगा। चंद्र ग्रहण पुष्य नक्षत्र और कर्क राशि में लगेगा, इसलिए इस राशि और नक्षत्र से संबंधित लोग इस चंद्र ग्रहण से प्रभावित होंगे।
2019 में दूसरा चंद्र ग्रहण
दिनांक | समय | प्रकार | दृश्यता |
16-17 जुलाई 2019 | 25:32:35 से 28:29:50 बजे तक (भारतीय समयानुसार, 01:32:35 से 04:29:50 बजे तक) | आंशिक चंद्रग्रहण | भारत और अन्य एशियाई देश, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया |
सूचना: यह चंद्रग्रहण 16-17 जुलाई के मध्य घटित होगा और भारत में दिखाई देगा, इसलिए यहां पर इस ग्रहण का सूतक मान्य होगा। यह ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में लगेगा और धनु व मकर दोनों राशि के जातकों पर इसका असर देखने को मिलेगा।
सूतक काल वह अशुभ समय है जो ग्रहण के घटित होने से पूर्व शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्ति पर स्नान के बाद खत्म होता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल को अच्छा समय नहीं माना जाता है इसलिए इस समय में कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। इनमें मूर्ति पूजा, मूर्तियों का स्पर्श और भोजन बनाना व खाना वर्जित होता है। हालांकि वृद्धजनों, रोगियों और बच्चों पर ग्रहण का सूतक प्रभावी नहीं होता है। इसके अलावा जहां जिस देश या क्षेत्र में ग्रहण दिखाई देता है वहीं पर उसका सूतक मान्य होता है।
चंद्र ग्रहण ( 16-17 जुलाई) के सूतक का समय | |
सूतक प्रारंभ | 16 जुलाई को 15:55:13 बजे से |
सूतक समाप्त | 17 जुलाई 04:29:50 बजे |
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, तो यह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है। इस खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण कहते हैं। इस समय में हानिकारक ऊर्जा उत्सर्जित होती है जिससे वातावरण दूषित हो जाता है और प्रत्येक जीव-जन्तु पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि ईश्वर भक्ति, जप-तप और प्रार्थना के माध्यम से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है जो हर साल घटित होती है। प्रत्येक वर्ष इनकी संख्या घटती और बढ़ती रहती है। साल 2019 में कुल 2 चंद्रग्रहण दिखाई देंगे। इनमें 21 जनवरी को पहला चंद्रग्रहण लगेगा और दूसरा चंद्रग्रहण 16-17 जुलाई के बीच घटित होगा। ध्यान रहे चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन दिखाई देता है। इन दोनों ग्रहण में से सिर्फ 16-17 जुलाई को घटित होने वाला चंद्रग्रहण ही भारत में दिखाई देगा।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। क्योंकि इस दौरान वातावरण में उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव गर्भ में पल रहे उनके बच्चों पर हो सकता है। हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटना या छीलने जैसे कार्य नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से बच्चों के अंगों को क्षति पहुंच सकती है।
चंद्र ग्रहण से संबंधित आवश्यक प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न: चंद्र ग्रहण के समय भोजन करना क्यों वर्जित है?
उत्तर: मान्यता है कि ग्रहण के दौरान पकाया या खाया गया भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। क्योंकि ग्रहण के प्रभाव से भोजन दूषित हो जाता है। इस वजह से कुछ लोग ग्रहण वाले दिन उपवास भी रखते हैं।
प्रश्न: चंद्र ग्रहण के समय पूजा, जप-तप क्यों करना चाहिए?
उत्तर: शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय में की गई साधना और ईश्वर की भक्ति का फल कई गुना अधिक मिलता है। साथ ही जप-तप के प्रभाव से व्यक्ति पर ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता है।
प्रश्न: चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर क्यों नहीं निकलने दिया जाता है?
उत्तर: मान्यता है कि चंद्र ग्रहण के समय में उत्सर्जित होने वाली नकारात्मक ऊर्जा गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर बुरा असर डाल सकती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलने दिया जाता है।
ग्रहण को लेकर धर्म और विज्ञान के अलग-अलग मत व विचार हैं। हालांकि इसमें एक बात समान है कि ग्रहण के समय पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए जरूरी है कि हम ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतें।
हम आशा करते हैं कि चंद्रग्रहण पर आधारित यह लेख आपको अवश्य पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ!
इस बार चंद्र ग्रहण पर 149 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है जो कि कोई शुभ संकेत देता हुआ तो नजर नहीं आ रहा। जहां चंद्र धनु राशि में शनि और केतु जैसे ग्रहों के साथ होगा तो उसके सामने सूर्य राहु और शुक्र के साथ स्थित होगा। इस वजह से दो मुख्य ग्रह चंद्र और सूर्य मुख्य रूप से पीड़ित रहेंगे और शनि और केतु का योगदान होने से इसका व्यापक असर पड़ेगा। ऐसी संभावना है कि भूकंप और भूस्खलन जैसी समस्याएं आ सकती हैं और आतंकी घटनाओं में भी वृद्धि होने की संभावना रहेगी क्योंकि इस दौरान मंगल भी नीच राशि में स्थित होगा। भारत की राशि से छठे भाव में यह ग्रहण लगेगा जिसकी वजह से देश में कोई बड़ी बीमारी अथवा समस्याओं का जन्म होगा। विदेशी ताकतों के प्रति भी हमारे देश को सावधान रहना होगा। इसके अतिरिक्त महिलाओं पर अत्याचार तथा चोरों का उपद्रव बढ़ेगा और किसी गणमान्य व्यक्ति का वियोग भी सहन करना पड़ सकता है।
यह चंद्र ग्रहण का ऑटोमोबाइल सेक्टर पर विपरीत असर पड़ सकता है। देश में बेरोजगारी बढ़ने की संभावना रहेगी। विभिन्न प्रकार के समस्याओं के बावजूद भी जनता किसी न किसी कारण खुश रहेगी। किसी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से संबंधित कोई बुरी सूचना मिल सकती है। प्राकृतिक आपदाओं और आंतरिक संघर्षों में वृद्धि हो सकती है। चारों ओर हलचल मची रहेगी लेकिन इसके बावजूद भी बड़े-बड़े देश आपसी मनमुटाव को दूर करने का प्रयास भी करेंगे।
यह चंद्र ग्रहण विभिन्न क्षेत्रों के लिए बड़ा व्यापक असर देगा। आषाढ़ै क्वाचिदेव वषति घनो रोगो अन्न लाभ। क्वाचिद्धक्षे मूलफलानि हन्ति वर्ष शुभ सम्मवेत ।। अर्थात आषाढ़ मास में पड़ने के कारण इस चंद्रग्रहण के कारण कहीं पर अधिक वर्षा और कहीं पर कम वर्षा होगी तो कहीं रोगों का जन्म होगा और कुछ क्षेत्रों पर अन्न का लाभ होगा। वृक्षों के मूल अर्थात वृक्षों की जड़, फल, वृक्ष आदि अच्छे होंगे और शेष वर्ष शुभ होगा। इसके अतिरिक्त घी, तेल, गुड़, अनाज, खांड, बिनौला आदि के भावों में तेजी आएगी।
चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पीड़ित होता है जिससे व्यक्ति को मानसिक रूप से तनाव की अनुभूति हो सकती है ऐसे में आपको प्राणायाम और व्यायाम करना चाहिए। आप चंद्र देव की आराधना भी कर सकते हैं। इस दौरान चंद्र देव का गायत्री मंत्र “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ” का जाप करना परम लाभदायक माना गया है। इसके अतिरिक्त आप देवों के देव महादेव का कोई भी मंत्र इस ग्रहण के दौरान जब सकते हैं। चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद घर में शुद्धता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। चंद्रग्रहण के बाद जरुरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मणों को अनाज आदि का दान करें।
चंद्र ग्रहण के दौरान दूध, दही, घी, अचार आदि में कुशा या फिर तुलसी पत्र रख देना चाहिए जिससे अशुद्ध ना हों। सूखे पदार्थों में कुशा नहीं रखनी चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के बाद ताजा जल भरना चाहिए और उसी को पीना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान दान करना और जप करना परम फलदायी माना गया है। जो लोग रोगी हैं उन्हें रोग से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप ग्रहण काल के दौरान करना चाहिए। गर्भवती स्त्रियों को इस दौरान धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए ताकि उनकी होने वाली संतान तेजस्वी हो और सभी सद्गुणों से युक्त हो।
अब से कुछ ही देर में चंद्र ग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। इसलिए यदि आपको भोजन करना हो अथवा कोई में शुभ कार्य संपन्न करना हो तो सूतक शुरू होने से पहले ही निपटा लें। सूतक लगने के बाद कोई भी यात्रा आदि का कार्य ना करें और अपने घर के मंदिर के द्वार बंद कर दें।
सूतक एक ऐसा समय है जिसके दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्यों का करना और विशेष रूप से पूजा-पाठ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। चाहे सूर्यग्रहण हो चाहे चंद्रग्रहण अथवा परिवार में किसी शिशु का जन्म लेना या किसी व्यक्ति की मृत्यु होना आदि सभी समय अशौच अथवा सूतक होता है। मृत्यु के पश्चात लगने वाले सूतक को पातक भी कहते हैं। सूर्य ग्रहण से 12 घंटा पहले और चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है जिसमें सभी शुभ कार्य करना मना होता है।
चंद्र ग्रहण का व्यापक प्रभाव से गर्भवती महिलाओं को बचना चाहिए क्योंकि उनके गर्भ में पल रही संतान पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व ही गर्भवती महिलाओं को अपने पहनने वाले कपड़ों पर गेरू से स्वास्तिक बनाना चाहिए तथा ग्रहण के उपरांत स्नान करने के बाद यह कपड़े दान कर देने चाहिए। इसके साथ-साथ उन्हें अपने पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप करना भी काफी अच्छा रहता है। साथ ही साथ ग्रहण को देखने से बचना चाहिए और काटना, छीलना, बुनना, सिलाई, और शयन आदि से बचना चाहिए।
आज का चंद्र ग्रहण मंगलवार के दिन तथा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में घटित होने वाला है। इसके परिणाम स्वरूप अनेक स्थानों पर दुर्भिक्ष अर्थात अकाल पड़ने की संभावना रहेगी और जल की कमी होने का भय रहेगा। सज्जन लोगों और धनी लोगों को समस्या होगी तथा किसान अर्थात खेती करने वाले और मकान बनाने वाले बिल्डरों को भी पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण धनु और मकर राशि में घटित हो रहा है इसलिए विशेष रूप से भारत वर्ष में इसका प्रभाव पंजाब राज्य पर पड़ेगा जहां पर उथल-पुथल होने की संभावना रहेगी तथा साथ ही साथ देश के व्यापारियों और डॉक्टरों तथा मंत्रियों आदि पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त दक्षिण के राज्यों में रहने वाले लोगों को भी समस्या हो सकती है।
आज के चंद्र ग्रहण का सूतक श्याम 3:55 बजे से लगेगा इसलिए जिन लोगों को गुरु पूर्णिमा की पूजा करनी है अथवा भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना है उन्हें सूतक लगने से पूर्व ही सभी कार्य संपन्न कर लेने चाहिए। जिन लोगों ने आज व्रत रखा है उन्हें अगले दिन अर्थात 17 जुलाई को प्रातः स्नान के पश्चात सूर्यदेव को अर्घ्य देने के उपरांत ही व्रत का पारण करना चाहिए। हेमाद्रि के अनुसार वेधकाले ग्रहणे पक्वमन्नं त्याज्यं। व्रत के दौरान ग्रहण वेध अर्थात सूतक होने से पका हुआ अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
आज का चंद्र ग्रहण आषाढ़ मास में घटित हो रहा है। इस महीने में चंद्र ग्रहण होने से जल के स्रोतों विशेषकर नदियों और तालाबों में जल का प्रवाह कम रहने की संभावना होगी और वर्षा भी कम हो सकती है जिसकी वजह से जल की कमी का अनुभव करना पड़ेगा। कुछ विशेष क्षेत्रों जैसे कि कश्मीर, चीन, अफगानिस्तान (कंधार) आदि में राजनीतिक उथल-पुथल मचेगी। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक आपदाओं की संभावना भी रहेगी जिससे बड़े स्तर पर जन और धन की हानि हो सकती है। कहीं वर्षा की अधिकतर कहीं बिल्कुल न्यूनता होने से समस्याएं जन्म लेंगी।
चंद्र ग्रहण 16-17 जुलाई को भारतीय समयानुसार 25:32:35 से 28:29:50 बजे तक (01:32:35 से 04:29:50 बजे तक 17 जुलाई) घटित होगा। इस ग्रहण की कुल अवधि लगभग 2 घंटे 58 मिनट की होगी। यह चंद्र ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में धनु राशि से शुरू होकर मकर राशि तक जाएगा इसलिए जिन लोगों का जन्म धनु राशि, मकर राशि और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अंतर्गत हुआ है उनके लिए यह ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली रहेगा। अतः उन्हें विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।
आज मंगलवार की रात्रि अर्थात आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 16-17 जुलाई को खंडग्रास चंद्र ग्रहण लगेगा। यह चंद्रग्रहण पूरे भारतवर्ष में प्रारंभ से अंत तक दिखाई देगा उसके साथ-साथ एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण भाग, दक्षिण अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, हिंद महासाग,र अंटार्कटिका और दक्षिणी ध्रुव में दिखाई देगा। यह वर्ष 2019 का अंतिम चंद्रग्रहण है। इसके बाद अगले वर्ष 10-11 जनवरी 2020 को उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण का सूतक सायं काल 3:55 बजे से प्रारंभ होगा, इसलिए सूतक संबंधी सभी नियम तभी से प्रभावी माने जाएंगे।