ग्रहण एक खगोलीय घटना है लेकिन हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सदियों से ग्रहण को बड़ा महत्व दिया गया है। मान्यता है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण के प्रभाव से प्रकृति में कई परिवर्तन देखने को मिलते हैं। ग्रहण हर वर्ष घटित होते हैं, साल 2019 में भी पृथ्वी पर कुल 5 ग्रहण दिखाई देंगे। इनमें 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण होंगे। साल के पहले महीने जनवरी में ही एक-एक चंद्र और सूर्य ग्रहण घटित होंगे। 6 जनवरी को 2019 का पहला सूर्य ग्रहण दिखाई देगा और 21 जनवरी को चंद्र ग्रहण दृश्यमान होगा। वहीं 2 जुलाई को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और 16 जुलाई को चंद्र ग्रहण दिखेगा। इसके बाद 26 दिसंबर को साल का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण पड़ेगा।
सूर्य ग्रहण 2019 | ||
पहला सूर्य ग्रहण | 6 जनवरी | 05:04:08 से 09:18:46 तक |
दूसरा सूर्य ग्रहण | 2 जुलाई | 23:31:08 से 26:14:46, 3 जुलाई तक |
तीसरा सूर्य ग्रहण | 26 दिसंबर | 08:17:02 से 10:57:09 तक |
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चंद्र ग्रहण 2019 | ||
पहला चंद्र ग्रहण | 21 जनवरी | 09:03:54 से 12:20:39 तक |
दूसरा चंद्र ग्रहण | 16 जुलाई | 01:31:43 से 04:29:39 तक |
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सूचना: दोनों तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समयानुसार है।
हिन्दू वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के जीवन में आने वाले समस्त सुख-दुःख उसके अपने कर्म के साथ-साथ ग्रह गोचर और नक्षत्र के प्रभाव पर भी निर्भर करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का बड़ा महत्व है। इनमें सूर्य और चंद्रमा भी आते हैं, इसी वजह से सूर्य और चंद्र ग्रहण का महत्व बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी ग्रहण घटित होने से पहले ही उसका असर दिखना शुरू हो जाता है और ग्रहण होने के समाप्त होने के बाद भी इसका प्रभाव कई दिनों तक देखने को मिलता है। ग्रहण का प्रभाव न केवल मनुष्यों पर बल्कि जल, जीव और पर्यावरण के अन्य घटकों पर भी पड़ता है। इन्हीं कारणों से ग्रहण मानव समुदाय को व्यापक रूप से प्रभावित करता है।
जन्म कुंडली में कई योग और दोष होते हैं। जिनके प्रभाव से मनुष्य को जीवन में सफलता और विफलता दोनों ही मिलती है। ग्रहण की वजह से हमारी कुंडली में ग्रहण दोष भी उत्पन्न हो जाता है। यह एक अशुभ दोष है जिसके प्रभाव से मनुष्य को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु में से कोई एक ग्रह बैठा है, तो ग्रहण दोष बनता है। इसके अतिरिक्त अगर सूर्य या चंद्रमा के भाव में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह स्थित हो, तो यह भी ग्रहण दोष कहलाता है। ग्रहण दोष के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में एक मुसीबत टलते ही दूसरी मुश्किल आ जाती है। नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, आर्थिक समस्या और खर्च जैसी परेशानी बनी रहती है।
हिन्दू धर्म में ग्रहण के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इसमें सूर्य और चंद्र ग्रहण के लिए राहु और केतु को जिम्मेदार माना जाता है। मान्यता है कि देवता और दानवों ने जब समुद्र मंथन किया था, उस समय समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए अमृत को दानवों ने देवताओं से छीन लिया था। असुरों को अमृत के सेवन से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक सुंदर नारी का रूप धारण किया। इस दौरान मोहिनी ने दानवों से अमृत ले लिया और उसे देवताओं में बांटने लगी, लेकिन भगवान विष्णु की इस चाल को राहु नामक दैत्य समझ गया और वह देव रूप धारण कर देवताओं के बीच बैठ गया। जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय सूर्य और चंद्रमा ने उसका भांडा फोड़ दिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को उसके धड़ से अलग कर दिया। अमृत के प्रभाव से उसकी मृत्यु नहीं हुई इसलिए उसका सिर राहु व धड़ केतु छायाग्रह के नाम से सौर मंडल में स्थापित हो गए। माना जाता है कि राहु और केतु इस बैर के कारण से सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण के रूप में शापित करते हैं।
आधुनिक विज्ञान में ग्रहण को एक खगोलीय घटना कहा जाता है। इसके अनुसार जब एक खगोलीय पिंड की छाया दूसरे खगोलीय पिंड पर पड़ती है, तो ग्रहण घटित होता है। हालांकि ये पूर्ण और आंशिक ग्रहण समेत कई प्रकार के होते हैं।
खगोल शास्त्र के अनुसार जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य में चंद्रमा आ जाता है, तब यह पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की किरणों को रोकता है और सूर्य पर अपनी छाया बनाता है। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा गया है।
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो यह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
आधुनिक विज्ञान में जहां ग्रहण मात्र एक खगोलीय घटना है। वहीं वैदिक ज्योतिष में ग्रहण को लेकर एक अलग ही मान्यता है। हालांकि खगोल शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक और हानिकारक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसलिए ग्रहण के समय में हमें आवश्यक सावधानी जरूर बरतनी चाहिए।