पंचम भाव में स्थित बुध का फल (Mercury in Fifth House)
बुध फल विचार
यहां स्थित बुध के कारण आपका स्वरूप सुंदर होना चाहिए। आपका स्वभाव पवित्र है। आप प्रसन्नचित्त, कुशाग्रबुद्धि और बुद्धिमान व्यक्ति हैं। आप वाद विवाद में कुशल, तर्ककुशल और मधुरभाषी व्यक्ति हैं। आपके सुंदर व्यवहार के कारण लोग आपके वशीभूत हो जाएंगे। आप सदाचारी, धैर्यशील, चरित्रवान और संतिषी व्यक्ति हैं। आप उद्यमी और अपने काम में दक्ष हैं। आपको माता और विपरीत लिंग के व्यक्ति का सुख मिलेगा। आप राज दरबार में भी सम्मानित होंगे।
आपको संतान और विशेषकर पुत्र सुख मिलेगा। आप विभिन्न प्रकार के मंत्रों को जानते हैं। पंचम भाव में बुध होने कारण आपको आर्थिक तंगी से भी नहीं जूझना पडेगा। आप अपनी बुद्धि से धनार्जन करते रहेंगे। आपकी रुचि सट्टे और जुएं में भी हो सकती है। आप यशस्वी और लोक समुदाय में प्रभावशाली रहेंगे। आपकी रुचि साहित्य में होगी और आप लेखक, कवि, नाटक रचयिता या उपन्यासकार हो सकते हैं।
यहां स्थित बुध कभी-कभी दंभी भी बनाता है जिससे बचाव करना जरूरी होगा। कभी-कभी आपके मन में लोभ की भावना भी पनप सकती है, जिससे बचाव करना जरूरी होगा। यद्यपि आपको संतान सुख मिलेगा लेकिन उसमें कुछ बाधाएं आ सकती हैं या कन्याओं की संख्या अधिक हो सकती है। इन सबके बावजूद आप अपनी व्यवसायिक बुद्धि और विद्या के कारण एक सुखद जीवन व्यतीत करेंगे।
ज्योतिष में बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। इसके अतिरिक्त बुध एक तटस्थ ग्रह है, परंतु विभिन्न ग्रहों से युति के कारण इसके फलों में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं बुध ग्रह के विभिन्न भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है -
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह का प्रत्येक भाव में प्रभाव
ज्योतिष में ग्रह
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह को एक शुभाशुभ ग्रह माना गया है
अर्थात ग्रहों की संगति के अनुरूप ही यह फल देता है। यदि बुध ग्रह शुभ ग्रहों (गुरु,
शुक्र और बली चंद्रमा) के साथ होता है तो यह
शुभ फल देता है और क्रूर ग्रहों (मंगल, केतु,
शनि राहु,
सूर्य) की संगति में अशुभ फल देता है। बुध ग्रह
मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है।
कन्या इसकी उच्च राशि भी है जबकि
मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है। 27 नक्षत्रों
में बुध को अश्लेषा,
ज्येष्ठा और
रेवती नक्षत्र
का स्वामित्व प्राप्त है। हिन्दू ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता और मित्र का
कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शुत्र ग्रह हैं। बुध का
वर्ण हरा है और सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित है।
बुध ग्रह का मानव जीवन पर प्रभाव
शारीरिक रूप रेखा एवं स्वभाव - जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह लग्न भाव में स्थित हो, वह व्यक्ति शारीरिक रूप से सुंदर होता है। देखने में व्यक्ति अपनी वास्तविक उम्र से कम आयु का दिखता है तथा उसकी आँखें चमकदार होंगी। लग्न का बुध व्यक्ति को स्वभाव से चालाक, तर्कसंगत, बौद्धिक रूप से धनी और कुशल वक्ता बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का स्वभाव भी सौम्य होता है और वह कई भाषाओं का ज्ञाता होता है। व्यवसाय क्षेत्र में भी ऐसे जातक सफल होते हैं। प्रथम भाव में बैठा बुध ग्रह जातक व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है।
बली बुध के प्रभाव - यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है तो जातक की संवाद शैली कुशल होती है। वह हाज़िर जवाबी होता है। व्यक्ति अपनी बातों से सबको मोह लेता है। बली बुध व्यक्ति को कुशाग्र बुद्धि का बनाता है। वह गणित विषय में अच्छा होता है। व्यक्ति की गणना करने की शक्ति तीव्र होती है। ऐसे जातक सभी विषयों को तार्किक दृष्टि से देखते हैं। वाणिज्य और क़ारोबार में भी व्यक्ति सफल होता है। बुध की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है, वह एक अच्छा वक्ता होता है। संवाद और संचार के क्षेत्र में व्यक्ति अग्रणी भूमिका निभाता है।
पीड़ित बुध के प्रभाव - यदि जन्म कुंडली में बुध ग्रह किसी क्रूर अथवा पापी ग्रहों से पीड़ित हो तो यह जातक के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से समस्या कारक होता है। इस स्थिति में जातक अपने विचारों को सही रूप में बोलकर पेश नहीं कर पाता है तथा वह गणित विषय में कमज़ोर होता है और उसे गणना करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। पीड़ित बुध जातक को दिमागी रूप से कमज़ोर बनाता है। उसे चीज़ों को समझने में दिक्कत होती है। पीड़ित बुध के प्रभाव से व्यक्ति को क़ारोबार में हानि होती है। व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता आती है। ऐसे में जातकों को बुध ग्रह से संबंधित उपाय करना चाहिए।
रोग - पीड़ित बुध के कारण जातक को स्वास्थ्य हानि का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को बोलने में समस्या, नसों में पीड़ा, बहरापन, जीव, मुख, गले तथा नाक से संबंधित रोग, चर्म रोग, अत्यधिक पसीना आना, तंत्रिका तंत्र में परेशानी आदि का सामना करना पड़ता है।
कार्यक्षेत्र - वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह का संबंध वाणिज्य, लेखन, एंकरिंग, वकील, पत्रकारिता, कथा वाचक, प्रवक्ता आदि से है।
उत्पाद - ज्योतिष में बुध ग्रह के द्वारा अखरोट, पालक, पौधे, घी, तेल, हरी दालें, हरे रंग के वस्त्र आदि वस्तुएँ दर्शायी जाती हैं ।
स्थान - कॉलेज, विद्यालय, विश्वविद्यालय, सभी प्रकार के वाणिज्यिक स्थान, खेल का मैदान आदि।
पशु पक्षी - कुत्ता, बकरी, तोता, लोमड़ी, सरीसृप आदि।
जड़ - विधारा मूल।
रत्न - पन्ना।
रुद्राक्ष - चार मुखी रुद्राक्ष।
यंत्र - बुध यंत्र।
रंग - हरा
बुध का वैदिक मंत्र
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।
बुध का तांत्रिक मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः
बुध का बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
खगोल विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह
खगोल विज्ञान के अनुसार सौर मंडल में बुध सबसे छोटा ग्रह है और यह सूर्य से सबसे नज़दीक है। लेकिन बुध की घूर्णन गति सबसे तेज़ है। बुध के अक्ष का झुकाव अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे कम है। यह सूर्य की परिक्रमा 87 दिन 23 घंटे में पूरी करता है। बुध का एक दिन पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर होता है। बुध ग्रह पर वायुमंडल का अभाव है। इस ग्रह को सूर्यास्त के बाद अथवा ठीक सूर्योदय के ठीक पहले नग्न आँखों से देखा जा सकता है।
धार्मिक दृष्टि से बुध ग्रह का महत्व
सनातन धर्म में बुध ग्रह को देवता के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि बुध, हमारी प्रज्ञा के देवता हैं। बुद्धि और क़ारोबार में सफलता पाने के लिए बुधवार के दिन बुध ग्रह की उपासना की जाती है। धार्मिक दृष्टि से बुध देव वृद्धि और समृद्धि देने वाले देव माने गए हैं। बुध ग्रह भगवान विष्णु जी का प्रतिनिधित्व करता है। कहते हैं यदि जिस व्यक्ति के ऊपर बुद्ध देव की कृपा बरस जाये तो उसका जीवन कल्याणमय हो जाता है। बुध उत्तर दिशा का स्वामी होता है जो कुबेर देव का स्थान है।
आप देख सकते हैं ज्योतिष में बुध ग्रह का कितना बड़ा महत्व होता है। यदि आप अपनी जन्म कुंडली में बुध ग्रह की कृपा पाना चाहते हैं तो आप बुध से संबंधित उपाय कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको विविध क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
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