पुष्य नक्षत्र का फल
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह है। यह चक्र या पहिया की तरह दिखायी देता है। इस नक्षत्र के बृहस्पति (गुरु - बृहस्पति) और लिंग पुरुष है। यदि आप पुष्य नक्षत्र से संबंध रखते हैं, तो उससे जुड़ी अनेक जानकारियाँ जैसे व्यक्तित्व, शिक्षा, आय तथा पारिवारिक जीवन आदि यहाँ प्राप्त कर सकते हैं।
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पुष्य नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व
आप दयालु, ममतापूर्ण और उदार प्रवृत्ति के हैं। इस नक्षत्र के देवता बृहस्पति माने गए हैं जिसके फलस्वरूप आपका व्यक्तित्व गंभीर, आस्थावान, सत्यनिष्ठ, सदाचारी और देवता सरीखा प्रतापी है। आपकी देह मांसल होगी और शरीर कुछ भरा हो सकता है। साथ ही चेहरा गोलाकार व चमकदार होगा। अभिमान तो आपमें लेशमात्र भी नहीं है। जीवन में सुख, शान्ति व आनंद प्राप्त करना आपका परम लक्ष्य है। आप कर्तव्यनिष्ठ, विश्वसनीय, मिलनसार व बुरे समय में लोगों का साथ देने वाले हैं। स्वादिष्ट भोजन के आप रसिया हैं और लौकिक सुख में आसक्त रहते हैं। प्रशंसा आपको फुला देती है जबकि आलोचना असहाय जान पड़ती है, इसलिए मीठा बोलकर ही आपसे अच्छा कार्य करवाया जा सकता है। सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं को जुटाना आपको अच्छा लगता है। दृढ़निश्चयी और आस्थावान होना भी आपके व्यक्तित्व में शामिल है। अपने इन्हीं गुणों के कारण यदि आप लोकप्रिय और सभी से स्नेह व सम्मान प्राप्त करने वाले हों तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। आपका स्वभाव धार्मिक है और दान-पुण्य करने तथा धार्मिक यात्राएँ करने से भी आप पीछे नहीं रहेंगे। योग शास्त्र , तंत्र-मंत्र, ज्योतिष आदि शास्त्रों में भी आपकी गहन रुचि रहेगी। माता व माता समान स्त्रियों का आप विशेष आदर करेंगे। आपकी कार्यशैली रचनात्मक है और जन्मजात प्रतिभा भी आपमें है। यदि आपको कोई काम सौंपा जाए तो यह निश्चित होकर कहा कहा जा सकता है कि वह कार्य अवश्य संपूर्ण होगा, क्योंकि आप हर काम को निहायत ही ईमानदारी और संपूर्ण कुशलता से करने का प्रयत्न करते हैं। काम के सिलसले में कभी-कभी आपको अपनी पत्नी व बच्चों से दूर जीवन बिताना भी पड़ सकता है, तथापि इससे परिवार के प्रति आपके लगाव में कोई कमी नहीं आती है। धन-वैभव प्राप्त करने के लिए आप निरंतर प्रयत्नशील रहेंगे। आपका स्वभाव शांतिप्रिय, सज्जनता से भरा हुआ और समर्पण की भावना से युक्त होगा। आप अक्सर सबके दबाव और दुर्व्यवहार का शिकार भी हो सकते हैं। आप ईश्वरभक्त और सबकी सहायता करने वाले हैं तथा अपने मन की बात मुश्किल से व्यक्त कर पाते हैं। वैवाहिक जीवन में भी आप जीवनसाथी तक से अपने मन की बात कहने में हिचकते हैं जिसके फलस्वरूप आपको कभी-कभार ग़लत समझ लिया जाता है और इसी कारण आप आत्म-पीड़ा के भी शिकार हो जाते हैं।
शिक्षा और आय
आप थियेटर, कला और वाणिज्य व्यवसाय के क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। इसके साथ ही डेयरी से जुड़े कार्य, कृषि, बाग़वानी, पशुपालन, खाने-पीने की सामग्री के निर्माण व वितरण, राजनीति, सांसद, विधायक, धर्मगुरु, परामर्शदाता, मनोचिकित्सक, धर्म व दान संस्था से जुड़े स्वयंसेवक के रूप में, अध्यापक, प्रशिक्षक, बच्चों की देखभाल के कार्य, प्ले स्कूल में कार्य, भवन निर्माण तथा आवास बस्ती से जुड़े कार्य, धार्मिक व सामाजिक उत्सवों के आयोजनकर्ता, शेयर बाज़ार, वित्त विभाग, जल प्रधान कार्य, सेवा से जुड़े काम, माल ढोने जैसे श्रमप्रधान कार्य करके जीवनयापन कर सकते हैं।
पारिवारिक जीवन
आप अपने जीवनसाथी और बच्चों के साथ रहना चाहेंगे, मगर नौकरी या व्यवसाय के चलते अपना अधिकतर समय अपने परिवार से दूर बिताएंगे। इसी वजह से आपका पारिवारिक जीवन कुछ समस्याग्रस्त रह सकता है, परन्तु आपका जीवनसाथी आपके प्रति समर्पित रहेगा और आपकी अनुपस्थिति में वह परिवार का ध्यान अच्छी प्रकार से रखेगा। 33 वर्ष की आयु तक आपके जीवन में कुछ संघर्ष होने की संभावना है, परन्तु 33 वर्ष की अवस्था से आपकी चतुर्मुखी प्रगति होगी।
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