ग्रहण 2020: जानें सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की तारीख
ग्रहण 2020 के अपने इस पृष्ठ में हम आपको इस साल पड़ने वाले ग्रहणों की जानकारी देंगे, लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें कि ग्रहण विज्ञान और ज्योतिष दोनों ही द्वारा मानी गयी एक खगोलीय घटना है। इस घटना की वजह से धरती के वातावरण के साथ-साथ धरती में रहने वाले जीवों का जीवन भी प्रभावित होता है। ग्रहण के कई पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व हैं। हमारे इस पेज में आपको साल 2020 में होने वाले सारे ग्रहणों की जानकारी मिलेगी और इसके साथ ही आपको यह भी पता चलेगा कि यह ग्रहण धरती के किस कोने में देखे जा सकते हैं। तो हमारे इस लेख को पढ़ें और ग्रहण से संबंधित सारी बातें जानें।
Read in English - Eclipse 2020
ग्रहण 2020: ग्रहण क्या है ?
ग्रहण को एक खगोलीय घटना कहा जा सकता है। इस घटना में कोई खगोलीय पिंड अस्थायी रुप से दो खगोलीय पिंडों के बीच में आ जाता है। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की घटना को ही मुख्य रुप से ग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण की घटना तब घटित होती है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है और सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं। वहीं चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और चंद्रमा तक सूरज की किरणें नहीं पहुंच पातीं। तो कुल मिलाकर देखें तो ग्रहण वह घटना है जब किन्हीं दो आकाशीय पिंडों के बीच में कोई अन्य पिंड कुछ समय के लिये आ जाता है। तो आइये अब जानते हैं ग्रहण 2020 के अनुसार होने वाले ग्रहण के बारे में।
सूर्य ग्रहण 2020
दिन | प्रकार | समयकाल | दृश्यता | सूतक काल |
21 जून | वलयाकार सूर्य ग्रहण | 09:15:58 से 15:04:01 तक |
भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका
और दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्से
|
माना जाएगा
|
14-15 दिसंबर | पूर्ण सूर्य ग्रहण | 19:03:55 से 00:23:03 तक | अफ्रीका का दक्षिणी भाग, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और हिंद महासागर और अंटार्कटिका | नहीं माना जाएगा |
सूर्यग्रहण तीन प्रकार के होते हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- पूर्ण सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है और सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती, इस घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
- आंशिक सूर्य ग्रहण: जब सूर्य आंशिक रुप से चंद्रमा के द्वारा ढक लिया जाता है तो इस घटना को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
- वलयाकार सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा द्वारा सूर्य का मध्य भाग ढक लिया जाता है और सूर्य एक रिंग की तरह नजर आने लगता है तो इस खगोलीय घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
विस्तृत लेख पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें: सूर्य ग्रहण
चंद्र ग्रहण 2020
दिन | प्रकार | समयकाल | दृश्यता | सूतक काल |
10-11* जनवरी | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 22:37 से 02:42 तक | भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में | नहीं माना जाएगा |
5-6* जून | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 23:16 से 02:34 तक | भारत समेत यूरोप, साथ ही साथ अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से | नहीं माना जाएगा |
5 जुलाई | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 08:38 से 11:21 तक | अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से। | नहीं माना जाएगा |
30 नवंबर | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 13:04 से 17:22 तक | एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में। | नहीं माना जाएगा |
Note: दोनों तालिकाओं में दिया गया समय भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार है।
* यह दोनों उपच्छाया चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देंगे लेकिन इस दौरान लगने वाला सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार उपच्छाया चंद्रग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता।
- पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब चंद्रमा पूरी तरह से धरती के द्वारा ढक जाता है। यानि पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है।
- आंशिक चंद्र ग्रहण: जब धरती द्वारा चंद्रमा का कुछ भाग ढक जाता है तो इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
- उपच्छाया चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी की छाया वाले क्षेत्र में चंद्रमा आ जाता है और चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी कटी हुई प्रतीत होती है तो इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
विस्तृत लेख पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें: चंद्र ग्रहण
ग्रहण 2020: वैदिक ज्योतिष में ग्रहण
हिंदू वैदिक ज्योतिष की मदद से हम किसी भी जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर उसके स्वभाव के लक्षण, उसके कर्मों के बारे में बता सकते हैं। सूर्य और चंद्रमा नवग्रहों में से एक हैं और इनका वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इन दोनों ग्रहों के कारण ही धरती पर जीवन भी संभव है। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण का कारण राहु और केतु ग्रह हैं। ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता इसलिये इस दौरान किसी भी शुभ काम को करने से मना किया जाता है। ग्रहण के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिये कई ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं। आइये ग्रहण 2020 के माध्यम से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिये बताये जाने वाले ज्योतिष के कुछ मंत्रों के बारे में।
ग्रहण के दौरान करें नीचे दिये गये मंत्रों का जाप
ग्रहण के दौरान कुछ मंत्रों को जपने की सलाह दी जाती है, इससे ग्रहण के बुरे प्रभाव जातकों पर नहीं पड़ते। मंत्र नीचे दिये गये हैं।
“विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥”
- सूर्य ग्रहण के समय करें नीचे दिये गये मंत्र का जाप
- चंद्र ग्रहण के दौरान करें नीचे दिये गये मंत्र का जाप
ग्रहण 2020: ग्रहण से बनने वाला दोष
आइये ग्रहण 2020 के माध्यम से अब जानते हैं ग्रहण से किस तरह के दोष बनते हैं। जब किसी जातक की कुंडली में राहु और केतु में से कोई सूर्य या चंद्र के साथ बैठा होता है तो ग्रहण दोष का निर्माण होता है। इसे एक अशुभ ज्योतिषीय घटना माना जाता है। उदाहरण के लिये दूसरा घर धन का प्रतिनिधित्व करता है, अगर इस घर में ग्रहण दोष लगा है तो आपको जीवन भर आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ सकता है और आपका व्यवसायिक जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। इसके साथ ही यह घर प्रारंभिक शिक्षा का भी होता है तो ग्रहण दोष के कारण प्रारंभिक शिक्षा अर्जित करने में भी दिक्कतें आ सकती हैं।
ग्रहण 2020: ग्रहण दोष से बचने के उपाय
ग्रहण 2020: वैदिक ज्योतिष द्वारा आपको हर समस्या का समाधान मिलता है। अगर आप सूर्य या चंद्र ग्रहण दोष से गुजर रहे हैं तो आपको ज्योतिष से सलाह लेने के बाद ग्रहण वाले दिन सटीक उपचार करना चाहिए। इन उपचारों में से कुछ नीचे दिये गये हैं। अपने गुरु की सेवा करें और गुरु मंत्र का जाप करें।
- अगर आप सूर्य ग्रहण दोष से प्रभावित हैं तो सूर्य को पानी अर्पित करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करें, नमक का प्रयोग खाने में न करें और कन्याओं को लाल कपड़ा दान करें।
- अगर आप चंद्र ग्रहण दोष से प्रभावित हैं तो कन्याओं को सफेद रंग के कपड़े दान करें। इसके साथ ही सोमवार के दिन केसर, दूध और सफेद चावल से बनी खीर किसी कन्या को खिलाएं।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- राहु और केतु को शांत करने के लिये भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करें।
किसी भी प्रकार के ज्योतिषीय परामर्श के लिए हमारे अनुभवी ज्योतिषी से बात करें। ग्रहण 2020: पौराणिक कथाओं में ग्रहण
पौराणिक कथाओं में ग्रहण के बारे में जिक्र किया गया है और ग्रहण 2020 के माध्यम से जानते हैं इन पौराणिक कथाओं के बारे में। इस संबंध में एक लोकप्रिय कथा यह है कि, राहु और केतु के कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण की घटना घटती है। शास्त्रों के अनुसार समुद्र-मंथन के दौरान जब सागर से जल निकला तो इसके लिये दैत्यों और देवों में लड़ाई हुई, असुर अमृत का पात्र देवों से छीनकर भागने लगे, देवताओं ने अमृत का पात्र वापस लेने की बहुत कोशिशें की लेकिन वो इसमें बुरी तरह से असफल रहे। अंत में हताश होकर वो देवताओं के पास पहुंचे, इसके बाद भगवान विष्णु ने दोनवों को लुभाने के लिये मोहिनी रुप धारण किया। इसके बाद विष्णु भगवान ने अमृत का पात्र दानवों से ले लिया और अमृत को देवताओं मेें बांटने लगे। हालांकि विष्णु भगवान की चाल को स्वरभानु नाम का एक राक्षस समझ गया।
इसके बाद स्वरभानु नाम का यह राक्षस अमृतपान करने के लिये देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गया। हालांकि सूर्य और चंद्र देव को यह बात पता लग गई और उन्होंने भगवान विष्णु को यह बात बता दी, विष्णु भगवान को जैसे ही यह बात पता लगी तो उन्होंने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का धड़ सिर से अलग कर दिया। हालांकि स्वरभानु मरा नहीं क्योंकि तब तक वो अमृत की कुछ बूंदें पी चुका था। स्वर भानु के सर को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना जाता है। और चुंकि सूर्य और चंद्रमा ने स्वरभानु का भेद विष्णु भगवान को बताया था इसलिये शत्रुतावश राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाते हैं।
ग्रहण 2020: ग्रहण के समय सूतक काल
एक दिन के 24 घंटों को 8 पहर में बांटा जाता है इसलिये प्रत्येक पहर 3 घंटे का होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल 4 पहर पहले यानि 12 घंटे पहले शुरु हो जाता है और सूर्य ग्रहण के बाद खत्म होता है। वहीं चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल 3 पहर पहले यानि 9 घंटे पहले शुरु होता है और चंद्र ग्रहण के बाद खत्म होता है।
सूतक के दौरान क्या करें और क्या न करें
- ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। हालांकि यह नियम बच्चों, बीमार लोगों और बुजुर्गों पर लागू नहीं होता।
- सूतक काल के दौरान आपको किसी भी तरह का नया काम शुरु नहीं करना चाहिए।
- सूतक के दौरान कैची और चाकू का प्रयोग भी न करें।
- सूतक के दौरान भगवान की मूर्तियों को हाथ से न छुएं।
- बालों पर कंघी करना, दांतून करना भी सूतक के दौरान अशुभ माना जाता है।
- सूतक के दौरान आपको भगवान का ध्यान करना चाहिए इससे नकारात्मकता का आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- इस समय आप धार्मिक पुस्तकों का भी अध्ययन कर सकते हैं।
ग्रहण 2020: ग्रहण के दौरान गृभवती महिलाएं इन बातों का ध्यान रखें ग्रहण 2020 के अनुसार गृभवती महिलाओं को सूतक के दौरान चाकू और कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गृभवती महिलाओं को ग्रहण की घटना को देखने से भी बचना चाहिए। हो सकते तो ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। अगर आप ग्रहण देखती हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। इससे गृभपात की संभावना भी बढ़ जाती है इसलिए ग्रहण के दौरान सतर्क रहें।
आशा करते हैं कि हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। हम आपके सुनहरे भविष्य की कामना करते हैं।
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