विवाह मुहूर्त 2020 : विवाह भी हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है, सभी महत्वपूर्ण संस्कार व्यक्ति के जन्म से पहले शुरू होता है और मृत्यु के बाद समाप्त होते हैं । हिन्दू धर्मशास्त्रों में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदुओं का वर्णन किया गया है, जो ना केवल व्यक्ति के जीवन के मुख्य तथ्यों को तो बताता ही है साथ ही उसे ज्योतिषीय, धार्मिक और वैज्ञानिक अर्थ भी प्रदान करता है। साल 2020 में हिन्दू विवाह मुहूर्त की तिथि, दिन, नक्षत्र और मुहूर्त की अवधि नीचे दिए विवाह मुहूर्त 2020 की सूची में अंकित है। इसके साथ ही साथ, आप विवाह संस्कार 2020 के बारे में और भी अन्य जानकारियाँ ले सकते हैं। जैसे कि विवाह मुहूर्त 2020 क्यों महत्वपूर्ण है, और विवाह संस्कार के दौरान कौन-कौन से प्रमुख अनुष्ठान किये जाते हैं।
Read in English - Vivah Muhurat 2020
दिनांक | दिन | मास-तिथि | नक्षत्र | समय |
15 जनवरी | बुध | माघ कृ. पंचमी | उ.फाल्गुन | 07:15-21:12|23:36-25:42 |
16 जनवरी | गुरु | माघ कृ. षष्ठी | हस्त चित्रा | 25:19-26:30 26:30-31:15 |
17 जनवरी | शुक्र | माघ कृ. सप्तमी | चित्रा स्वाति | 07:15-25:12 25:12-31:12 |
18 जनवरी | शनि | माघ कृ. नवमी | स्वाति | 07:15-12:25|18:28-24:15 |
19 जनवरी | रवि | माघ कृ. दशमी | अनुराधा | 26:51-31:15 |
20 जनवरी | सोम | माघ कृ. एकादशी | अनुराधा | 07:15-23:16 |
26 जनवरी | रवि | माघ शु. द्वितीया | धनिष्ठा | 26:24-30:48 |
29 जनवरी | बुध | माघ शु. चतुर्थी | उ.भाद्रपद | 12:13-31:11 |
30 जनवरी | गुरु | माघ शु. पंचमी | उ.भाद्रपद रेवती | 07:11-15:12 15:12-31:10 |
31 जनवरी | शुक्र | माघ शु. षष्ठी | रेवती अश्विनी | 07:10-17:22 18:58-31:10 |
1 फरवरी | शनि | माघ शु. सप्तमी | अश्विनी | 07:10-18:11 |
3 फरवरी | सोम | माघ शु. नवमी | रोहिणी | 24:52-31:08 |
4 फरवरी | मंगल | माघ शु. दशमी | रोहिणी | 07:08-25:49 |
9 फरवरी | रवि | माघ पूर्णिमा | मघा | 20:31-31:04 |
10 फरवरी | सोम | फाल्गुन कृ. प्रतिपदा | मघा | 070:4-11:31|13:55-17:06 |
11 फरवरी | मंगल | फाल्गुन कृ. तृतीया | उ.फाल्गुन | 14:23-15:35 |
14 फरवरी | शुक्र | फाल्गुन कृ. षष्ठी | स्वाति | 13:03-14:48 |
15 फरवरी | शनि | फाल्गुन कृ. सप्तमी | अनुराधा | 29:09-30:59 |
16 फरवरी | रवि | फाल्गुन कृ. अष्टमी | अनुराधा | 06:59-11:48|15:24-28:53 |
25 फरवरी | मंगल | फाल्गुन शु. द्वितीया | उ.भाद्रपद | 19:10-30:50 |
26 फरवरी | बुध | फाल्गुन शु. तृतीया | उ.भाद्रपद रेवती | 06:50-22:08 22:08-30:49 |
27 फरवरी | गुरु | फाल्गुन शु. चतुर्थी | रेवती | 06:49-17:29 |
28 फरवरी | शुक्र | फाल्गुन शु. पंचमी | अश्विनी | 06:48-15:24|20:22-28:03 |
10 मार्च | मंगल | चैत्र कृ. प्रतिपदा | हस्त | 22:01-30:35 |
11 मार्च | बुध | चैत्र कृ. द्वितीया | हस्त | 06:35-19:00 |
16 अप्रैल | गुरु | वैशाख कृ. नवमी | धनिष्ठा | 23:05-29:54 |
17 अप्रैल | शुक्र | वैशाख कृ. दशमी | उ.भाद्रपद | 05:54-07:05|20:04-25:36 |
25 अप्रैल | शनि | वैशाख शु. द्वितीया | रोहिणी | 20:57-29:45 |
26 अप्रैल | रवि | वैशाख शु. तृतीया | रोहिणी | 05:45-22:56 |
1 मई | शुक्र | वैशाख शु. अष्टमी | मघा | 25:53-29:40 |
2 मई | शनि | वैशाख शु. नवमी | मघा | 05:40-09:03|14:05-23:40 |
4 मई | सोम | वैशाख शु. एकादशी | उ.फाल्गुनी हस्त | 08:57-19:19 19:19-28:44 |
5 मई | मंगल | वैशाख शु. त्रयोदशी | हस्त | 05:56-16:39 |
6 मई | बुध | वैशाख शु. चतुर्दशी | चित्रा चित्रा | 05:36-13:51 1:351-19:45 |
15 मई | शुक्र | ज्येष्ठ कृ. अष्टमी | धनिष्ठा | 05:30-08:29 |
17 मई | रवि | ज्येष्ठ कृ. दशमी | उ.भाद्रपद | 13:58-27:32 |
18 मई | सोम | ज्येष्ठ कृ. एकादशी | उ.भाद्रपद रेवती | 05:19-16:58 16:58-28:29 |
19 मई | मंगल | ज्येष्ठ कृ. द्वादशी | रेवती | 05:28-17:32 |
23 मई | शनि | ज्येष्ठ शु. प्रतिपदा | रोहिणी | 24:17-28:51 |
11 जून | गुरु | आषाढ़ कृ. षष्ठी | धनिष्ठा | 11:28-16:35 |
15 जून | सोम | आषाढ़ कृ. दशमी | रेवती | 05:23-16:31 |
17 जून | बुध | आषाढ़ कृ. एकादशी | अश्विनी | 05:23-06:04 |
27 जून | शनि | आषाढ़ शु. सप्तमी | उ.फाल्गुनी | 23:07-26:54 |
29 जून | सोम | आषाढ़ शु. नवमी | चित्रा | 07:14-29:22 |
30 जून | मंगल | आषाढ़ शु. दशमी | चित्रा | 05:27-05:39 |
27 नवंबर | शुक्र | कार्तिक शु. द्वादशी | अश्विनी | 08:28-24:22 |
29 नवंबर | रवि | कार्तिक शु. चतुर्दशी | रोहिणी | 30:03-30:56 |
30 नवंबर | सोम | कार्तिक पूर्णिमा | रोहिणी | 06:56-30:57 |
1 दिसंबर | मंगल | मार्गशीर्ष कृ. प्रतिपदा | रोहिणी | 06:57-08:30 |
7 दिसंबर | सोम | मार्गशीर्ष कृ. सप्तमी | मघा | 07:40-14:32 |
9 दिसंबर | बुध | मार्गशीर्ष कृ. नवमी | हस्त | 12:32-26:08 |
10 दिसंबर | गुरु | मार्गशीर्ष कृ. दशमी | चित्रा | 12:52-31:04 |
11 दिसंबर | शुक्र | मार्गशीर्ष कृ. एकादशी | चित्रा | 07:04-08:48 |
हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को दो आत्माओं का मेल माना जाता है। दो पूरी तरह से अलग स्वभाव के लोग एक साथ आते हैं, अपने वास्तविक अस्तित्व को किनारे कर साथ में एक नए जीवन की शुरुआत करते हैं। विवाह मुहूर्त 2020 के अंतर्गत, वो जीवन के सभी अच्छे और बुरे समय में एक दूसरे का साथ देने का वादा करते हैं। ईश्वर ने हर स्त्री और पुरुष को कुछ ना कुछ अच्छाई और ख़ामियों के साथ बनाया है। जब वो एक एक दूसरे के साथ विवाह बंधन में बंध जाते हैं तो एक दूसरे की अच्छाईओं से एक दूसरे की ख़ामियों को दूर करने का प्रयास करते हैं। यही कारण है कि, हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से पन्द्रहवां संस्कार “विवाह” को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंडली मिलान और हिन्दू विवाह मुहूर्त को भी इसलिए सामान्य रूप से आवश्यक माना जाता है।
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार विवाह संस्कार एक व्यक्ति को देवताओं के लिए यज्ञ करने और अपने वंश को आगे बढ़ाने की क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा, वो अपनी जिम्मेदारियों को पूरी कर मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार दो लोगों के वैवाहिक रिश्ते को तय करने से पहले दोनों का कुंडली मिलान करवाना आवश्यक माना जाता है। एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 36 में से 18 गुणों का मिलना अहम माना जाता है। किसी भी अन्य जरूरी कार्य की तरह विवाह समारोह का भी शुभ विवाह मुहूर्त 2020 में होना आवश्यक माना जाता है। इसलिए हिन्दू विवाह मुहूर्त की गणना करना महत्वपूर्ण माना गया है।
हिन्दू विवाह मुहूर्त 2020, के अंतर्गत शास्त्रों में उल्लेखित विवाह संस्कार के महत्वपूर्ण पड़ाव निम्नलिखित हैं :
इसके बाद विवाह संस्कार संपन्न होता है और दूल्हा दुल्हन को अपने घर लेकर जाता है।
हिंदू विवाह समारोह की रस्में और परंपराएं आत्म-व्याख्यात्मक हैं, जो इस बात को दर्शाती है कि शादी एक अनुबंध या सौदेबाजी नहीं है, बल्कि एक पवित्र बंधन है। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी अन्य महत्वपूर्ण कार्य की तरह ही विवाह संस्कार को भी शुभ मुहूर्त में संपन्न करना आवश्यक माना जाता है। हिन्दू विवाह मुहूर्त की गणना पंचांग और वर वधु की कुंडली के अनुसार किया जाता है। विवाह मुहूर्त की गणना करते वक़्त बहुत से तथ्यों को ध्यान में रखा जाता है। कभी भी विवाह संस्कार चातुर्मास के दौरान संपन्न नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस इस दौरान शुभ फलों के दाता भगवान विष्णु क्षीर सागर में निद्रा अवस्था में होते हैं। चार मास की इस अवधि को किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है। इसके अलावा विवाह संस्कार का आयोजन खरमास के दौरान भी नहीं किया जाना चाहिए। ये वो अवधि होती है , जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है। इसके साथ ही साथ विवाह संस्कार अधिका मास, क्षया मास और पितृपक्ष या महालया के दौरान नहीं आयोजित किया जाना चाहिए। इस अवधि में संपन्न होने वाले विवाह में वैवाहिक जोड़ों को अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
साल 2020 में विवाह के लिए सबसे शुभ मुहूर्त तब बनेगा जब सूर्य मेष, वृषभ, वृश्चिक और कुम्भ राशियों में गोचर करेगा। दूसरी तरफ, जब सूर्य कर्क, सिंह, कन्या, तुला, धनु और मीन राशि में गोचर करेगा तो उस दौरान विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं होगा। साल 2020 में विवाह के लिए शुभ नक्षत्र हैं रोहिणी, मृगशिरा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्ता, स्वाति, अनुराधा, मूला, उत्तरा अषाढा, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। इसके साथ ही साल 2020 में विवाह संस्कार के शुभ वार हैं - सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार। इसी प्रकार से साल 2020 में विवाह के लिए शुभ तिथियां हैं - द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, एकादशी और त्रियोदशी।
शास्त्रों के अनुसार विवाह संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त की गणना करना अनिवार्य माना जाता है। अगर विवाह, शुभ मुहूर्त साल 2020 में संपन्न ना करवाया जाए तो वैवाहिक जोड़ों को बहुत से अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
हम आशा करते हैं कि विवाह मुहूर्त 2020पर आधारित हमारा ये लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद !