आज अपने इस लेख की मदद से हम आपको चंद्र ग्रहण 2020 से जुड़ी सारी जानकारियां देंगे। आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कुछ ऐसी प्रमुख खगोलीय घटनाएं हैं जिनका वैदिक ज्योतिष में भी बड़ा महत्व है। चंद्र ग्रहण भी इन्हीं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। चंद्र ग्रहण की घटना का ज्योतिष के साथ-साथ राशियों पर भी बहुत गहरा असर पड़ता है। इस लेख में हम चंद्र ग्रहण के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे। हम आपको बताएंगे कि साल 2020 में चंद्र ग्रहण किस दिन पड़ेगा और इसका समय क्या है। आपको बता दें कि इस साल चार बार चंद्र ग्रहण की घटना घटेगी। अगर आप जानना चाहते हैं कि चंद्र ग्रहण कब है तो नीचे दी गई तालिका को देखें।
Read in English - Lunar Eclipse 2020
दिन | प्रकार | समयकाल | दृश्यता | सूतक काल |
10-11* जनवरी | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 22:37 से 02:42 तक | भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में | नहीं माना जाएगा |
5-6* जून | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 23:16 से 02:34 तक | भारत समेत यूरोप, साथ ही साथ अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से | नहीं माना जाएगा |
5 जुलाई | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 08:38 से 11:21 तक | अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से। | नहीं माना जाएगा |
30 नवंबर | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | 13:04 से 17:22 तक | एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में। | नहीं माना जाएगा |
Note: तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार है।
* यह दोनों उपच्छाया चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देंगे लेकिन इस दौरान लगने वाला सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार उपच्छाया चंद्रग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता।
आइए अब जानते हैं कि चंद्र ग्रहण 2020 की यह घटनाएं किन नक्षत्रों में और कौन सी तिथियों को होंगी इनसे किन राशियों में पर प्रभाव पड़ेगा।
खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस घटना में पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। जिसके कारण चंद्रमा की दृश्यता कम हो जाती है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि यह घटना पूर्णिमा की रात को होती है। चंद्र ग्रहण की इस घटना का ज्योतिष में भी बहुत बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण शुरु होने से पहले ही सूतक काल शुरु हो जाता है और इसकी वजह से वातावरण में नकारात्मकता ऊर्जा छा जाती है। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं नीचे इन तीनों के बारे में बताया गया है।
खगोल विज्ञान में चंद्रमा ग्रह नहीं है लेकिन, वैदिक ज्योतिष में इसे ग्रह का दर्जा दिया गया है और नवग्रहों में यह एक महत्वपूर्ण ग्रह है। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है और वृषभ राशि में यह उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है। जन्म कुंडली में यह माता का कारक ग्रह माना गया है, क्योंकि इसका स्वभाव में ग्रहणशील है और निशाचर है। पारिवारिक खुशहाली, तेज दिमाग और अच्छे व्यक्तित्व के लिये कुंडली में चंद्रमा का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। वहीं अगर कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो इसकी वजह से शारीरिक विकास में कमी आती है और ऐसे इंसान का मन चंचल रहता है। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है उन्हें मोती रत्न धारण करना चाहिए। यदि आप अपने चंद्रमा को मजबूत कर लें तो आपको लाभकारी परिणामों की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण तब होता है जब राहु और केतु चंद्रमा के साथ किसी राशि या घर में एक साथ आ जाते हैं। राहु और केतु चंद्रमा के ही दो काल्पनिक बिंदू (Nodes) उत्तरी नोड और दक्षिणी नोड हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन में निकले अमृत को जब मोहिनी रुप धारण कर भगवान विष्णु सब देवताओं में बांट रहे थे तो स्वरभानु नाम का एक असुर देवताओं का रुप धारण कर देवताओं के बीच आ गया लेकिन सूर्य और चंद्रमा को स्वरभानु के बारे में पता लग गया और उन्होंन यह बात भगवान विष्णु को बता दी। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने चक्र से स्वर भानु के धड़ को सिर से अलग कर दिया। हालांकि स्वरभानु मरा नहीं क्योंकि तब तक अमृत की कुछ बूंदें उसके गले में जा चुकी थीं। तब से स्वर भानु के सिर वाले भाग को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि, सूर्य और चंद्र देव ने राहु-केतु यानि स्वरभानु का भेद भगवान विष्णु को बताया था इसलिये शत्रुतावश राहु-केतु सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के इन दोनों को ग्रहण लगाकर शापित करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण 2020 के शुरु होने से पूर्व अशुभ काल शुरु हो जाता है, इस अशुभ काल को सूतक काल कहा जाता है। इस समयावधि में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए। चंद्र ग्रहण के शुरु होने से 3 पहर पहले यानि 9 घंटे पहले यह अवधि शुरु होती है। आपको बता दें कि एक पहर 3 घंटे का होता है। इस दौरान कुछ सावधानियां बरतना जरुरी होता है, हालांकि छोटे बच्चों, अस्वस्थ लोगों और बुजुर्गों के लिये यह सावधानियां बरतना जरुरी नहीं है।
सूर्य ग्रहण से विपरीत, चंद्र ग्रहण की घटना को नग्न आंखों से देखा जा सकता है। इससे आंखों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2020 में रात्रि के समय चंद्र ग्रहण को आसानी से देखा जा सकता है क्योंकि रात के समय कोई भी हानिकारक किरणें वातावरण में नहीं होंगी। चंद्र ग्रहण को देखने के लिये आंखों पर कोई सुरक्षा जैसे चश्मा पहनने की भी आवश्यकता नहीं होती। हालांकि गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि चंद्र ग्रहण के दौरान वो घर से बाहर न निकलें। इससे उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर गलत असर पड़ सकता है। इससे आपके बच्चे का विकास रुक सकता है।
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