श्रावण मास, हिन्दू पंचांग के अनुसार पाँचवाँ महीना है। आम बोलचाल में इसे सावन कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह महीना लगभग जुलाई और अगस्त के दौरान आता है। इस वर्ष 2019 में 17 जुलाई से सावन का महीना प्रारंभ हो रहा है और इसका समापन 15 अगस्त को है। सावन का महीना बेहद ही सुहावना होता है। इस समय चारों ओर हरियाली छाई होती है। हिन्दू धर्म में इस माह को बहुत ही पावन माना जाता है। मान्यता के अनुसार यह मास भगवान शिव को समर्पित है। इसलिए इस दौरान उनकी आराधना का बड़ा महत्व है। वहीं श्रावण में इंद्र देव के आशीर्वाद से बरसात होती है, जिससे आषाढ़ मास की तपती गर्मी से न केवल मनुष्यों को बल्कि हर जीव-जंतुओं को भी राहत मिलती है। श्रावण मास का हर एक दिन अपने में किसी न किसी विशेष महत्व को समेटे हुए है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्रावण में सूर्य ग्रह अपनी स्वराशि यानि सिंह में गोचर करता है, जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है।
पहला सावन सोमवार व्रत | सोमवार | जुलाई 22, 2019 |
दूसरा सावन सोमवार व्रत | सोमवार | जुलाई 29, 2019 |
तीसरा सावन सोमवार व्रत | सोमवार | अगस्त 5, 2019 |
चौथा सावन सोमवार व्रत | सोमवार | अगस्त 12, 2019 |
पर्व | दिन | दिनांक |
हरियाली तीज | शनिवार | अगस्त 3, 2019 |
नाग पंचमी | सोमवार | अगस्त 5, 2019 |
श्रावण पुत्रदा एकादशी | रविवार | अगस्त 11, 2019 |
रक्षा बंधन (श्रावण मास की पूर्णिमा) | गुरुवार | अगस्त 15, 2019 |
पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन श्रावण मास में ही हुआ था। मंथन में से 14 रत्न निकले थे। इनमें एक हलाहल विष भी निकला था। कहते हैं कि यह विष सृष्टि का विनाश कर सकता था। ऐसे में सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने इस विष को अपने गले में उतार लिया। विष के कारण उनका गला नीला पीड़ा गया। इस कारण भगवान शिव का एक नाम नीलकण्ठ भी है। सृष्टि के विनाश को रोकने के लिए भोलेनाथ भगवान शिव के इस महान कार्य का आभार प्रकट करने के लिए लोग श्रावण के मास में उनकी सच्चे मन से आराधना करते हैं। उनके लिए श्रद्धालु कांवड़ यात्रा के माध्य से उसमे गंगा जल भरकर उनका अभिषेक करते हैं। शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए शिव जी के भक्त सावन में पड़ने वाले सभी सोमवारों के व्रत का पालन भी करते हैं।
शिव पुराण के अनुसार, श्रावण माह और सोमवार का दिन, ये दोनों ही दिन भगवान शिव को अति प्रिय हैं। इसलिए जो कोई व्यक्ति सावन सोमवार का व्रत करता है भगवान शिव उसकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। सावन में सोमवार के व्रत करने का भी विधान है। श्रावण मास में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदायी माना गया है। विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु के लिए सावन सोमवार का व्रत करती है। जबकि अविवाहित महिलाएँ योग्य वर की प्राप्ति के लिए सोमवार व्रत का पालन करती हैं। सावन सोमवार व्रत की विधि कुछ इस प्रकार है:
नोट:- भगवान शिव जी का शहद, दूध एवं गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें बेल पत्र चढ़ाएँ। व्रत का पालन सूर्योदय से सूर्यास्त तक करना चाहिए। व्रत के समय श्रद्धालु मौन अवस्था में रह सकते हैं। इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी किया जा सकता है। व्रत के समापन के बाद लोगों को भगवान भोले का प्रसाद बाँटना चाहिए। इसके पश्चात सामान्य और सात्विक भोजन किया जाना चाहिए।
व्रत के दौरान व्रत धारण करने वाला व्यक्ति निम्नलिखित चीज़ों को ग्रहण कर सकता है :
मंगल गौरी व्रत: यह व्रत श्रावण मास में मंगलवार के दिन जीवन में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए नव विवाहित महिलाओं के द्वारा रखा जाता है।
वराह लक्ष्मी व्रत: अपने पति और परिवार की मंगल कामना के लिए विवाहित महिलाएँ वराह लक्ष्मी व्रत को सावन में पड़ने वाले शुक्रवार को यह व्रत रखती हैं।
संपत शनिवार व्रत: सावन में यह व्रत शनिवार के दिन रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि संपत शनिवार व्रत को रखने से कुंडली में निहित सभी शनि दोषों से छुटकारा मिलता है।
नाग पंचम व्रत: नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने से व्यक्ति को सर्पदंश का भय दूर होता है।
इन सबके अलावा श्रावण मास में लोग किसी विशेष कामना के लिए व्रत का पालन करते हैं। व्रत रखने वाला व्यक्ति केवल एक समय ही भोजन करता है। अगर आप ऊपर दिए गए व्रत की विधि पालन करने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं तो आप पूरे श्रावण माह में केवल एक समय भोजन करें और नियमित रूप से शिव की आराधना करें, ऐसा करने से आपके ऊपर निश्चित रूप से भगवान शिव की कृपा होगी।
हम आशा करते हैं कि सावन 2019 से जुड़े इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। हमारी वेबसाइट से जुड़े रहने के धन्यवाद!