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Home » 2016 » शनि साढ़े साती 2016 Published: December 09, 2015

शनि साढ़े साती 2016

शनि साढे साती का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। साढे साती से डरने की बजाय यह समझना ज़्यादा ज़रूरी है कि आख़िर यह है क्या और इसका क्या प्रभाव क्या होगा। आइए शनि साढे साती और शनि की ढइया के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Jaanen naye saal mein kaisi rahegi aapke upar Shani ki kripa.

शनि की साढ़े साती

साढ़े साती की बात करें तो जब जातक का जन्मे होता है, यदि उस समय शनि का गोचर चंद्रमा के बारहवें भाव में होता है, तो साढ़े साती की शुरूआत होती है, वहीं जब शनि का गोचर जन्म कालीन चंद्रमा के तृतीय भाव में होता है तब इसकी समाप्ती होती है। शनि के साढ़े साती की अवधि ढाई साल की होती है, इसलिए इन तीन भावों से गुज़रने में साढ़े सात वर्ष का समय लग जाता है। इसी कुल अवधि को शनि की साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।

शनि की ढइया

साढे साती के अतिरिक्त शनि का एक और गोचर होता है जिसे ढइया की संज्ञा दी गई है। इसका निर्धारण कुछ इस प्रकार होता है। जब शनि का गोचर जन्म के समय चंद्रमा से चौथे या आठवें भाव में होता है, तो इसे ढइया कहा जाता है। इसका प्रभाव ढाई वर्षों तक होने के कारण ही इसे ढइया कहते हैं।

साढे साती और ढइया को तो हमने समझ लिया। आइए अब बात करते हैं कि नए साल 2016 में कौन सी राशियों पर साढे साती और किन-किन राशियों पर ढइया का प्रभाव रहेगा।

साढे साती वाली राशियाँ:- तुला, वृश्चिक और धनु

ढइया वाली राशियाँ:- मेष और सिंह

शनि का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है। उन्हें लगता है कि शनि उनका बहुत बड़ा नुकसान करने वाला है। हालाँकि यह आपका भ्रम ही होता है, क्योंकि हर बार ऐसा नहीं होता है जिसे लेकर आपको परेशान होने और चिंता करने की आवश्यकता है।

कुंडली में चंद्र और शनि का स्थान और उसका प्रभाव

यदि जन्म कुंडली में शनि श्रेष्ठ स्थान पर हो तो यह उत्तम फल को देना वाला होता है। वहीं यदि कुंडली में शनि एवं चंद्रमा अशुभ ग्रहों से युक्त हों और अशुभ स्थानों पर हों, तो शनि की साढे साती एवम ढैया हानिकारक, कष्टकारी, विवादों को जन्म देने वाला, कलह को पैदा करने वाला होता है।

साढे साती वाली राशियाँ:- तुला, वृश्चिक और धनु

तुला राशि पर साढे साती का प्रभाव, परिणाम और उपाय

इस साल तुला शनि की साढ़े साती से प्रभावित है और इस राशि के धन स्थान पर शनि का गोचर भी हो रहा है। आइए अब जानते हैं इन दोनों स्थितियों से तुला राशि को क्या परिणाम मिलने वाला है।

आपकी कुंडली के दूसरे भाव में शनि का गोचर है, इसलिए आपको आर्थिक मामलों में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। धन और पैसों के मामले में किसी प्रकार की कोई जल्दबाज़ी करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। हालाँकि अचानक से धनलाभ का योग बन रहा है, लेकिन आँख मूंदकर चलने वालों को ठोकर लगता ही है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसलिए सोच-विचार कर चलें। निवेश करने से पहले अनुभवी लोगों की सलाह ज़रूर लें। दूर की यात्रा आर्थिक मुनाफ़े वाली होगी और विदेशी संबंधों से लाभ मिलेगा। हालाँकि बाकी अन्य मामलों में भी ऐहतियात बरतना ज़रूरी है। प्रियजनों से प्रेम-पूर्वक बात करें और विवादों से परहेज़ करें। नई शुरूआत करने और निवास स्थान बदलने के लिए समय उपर्युक्त नहीं है।

उपाय:-

  1. कुष्ट रोगियों की सेवा करें।
  2. सवा किलो कोयला व एक लोहे की कील काले कपड़े में बाँधकर अपने सिर पर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।

वृश्चिक राशि पर साढे साती का प्रभाव, परिणाम और उपाय

आपकी जन्म कुंडली के प्रथम भाव में शनि का गोचर होने वाला है। शनि आपके लाभेश और अष्टमेश बुध के नक्षत्र में है। ऐसी स्थिति में आपको मिले-जुले परिणामों से ही संतुष्ट होना पड़ेगा। कार्यों को पूरा करने में विलम्ब हो सकता है। वैसे काम का ज़्यादा दबाव और आपके संघर्ष के कारण परिणाम अच्छे मिलेंगे। वरिष्ठ अधिकारियों से वाद-विवाद करने और उलझने की ग़लती न करें। यह आपके लिए घातक हो सकता है। अपने प्रतिद्वंदियों से भी सतर्क रहना होगा। वे आपको हानि पहुँचाने का प्रयास कर सकते हैं। व्यर्थ के ख़र्चों पर लगाम लगाने का प्रयास करें और सेहत को लेकर किसी प्रकार की कोताही न बरतें। जीवनसाथी की भावनाओं का कद्र करें और रिश्तों के बीच शक़ पैदा न होने दें।

उपाय:-

  1. बंदरों को गुड़ खिलाएँ।
  2. शराब और मांसाहार से बचें।

धनु राशि पर साढे साती का प्रभाव, परिणाम और उपाय

इस साल शनि का गोचर आपकी जन्म कुंडली के व्यय भाव में हो रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि शनि आपके दशमेश और सप्तमेश बुध के नक्षत्र में है। इस अवधि में आपके द्वारा किये जा रहे कार्यों में व्यवधान उतपन्न होने की संभावना ज़्यादा नज़र आ रही है। हालाँकि इन व्यवधानों के बाद भी आपका काम पूरा होगा, इसलिए परेशान होने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है। समय-समय पर स्वास्थ्य जाँच करना उचित होगा, ख़ासकर यदि पहले से कोई शारीरिक कष्ट है तो। व्यय को लेकर सजग रहें और वाणी में मधुरता लाने का प्रयास करें। विदेशी मामलों में सफलता मिलेगी।

उपाय:-

  1. शनिवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएँ व हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  2. शनिवार के दिन जटा वाले ग्यारह नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें।

ढइया वाली राशियाँ:- मेष और सिंह

मेष राशि पर शनि के ढइया का प्रभाव, परिणाम और उपाय

इस साल 2016 में शनिदेव आपकी राशि में आठवें स्थान में रहेंगे। यानी आपकी राशि पर ढइया का प्रभाव रहेगा। अत: शत्रुओं व स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने की आवश्यकता है। व्यवसाय व नौकरी में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, लेकिन मेहनत व निष्ठा पूर्वक काम करने वाले व्यक्तियों को पदोन्नती भी मिल सकती है। आर्थिक मामलों में सचेत रहने की ज़रूरत है। किसी के बहकावें में आकर निवेश न करें। वाणी में मिठास लाने की कोशिश करें व परिजनों के साथ सामंजस्य बिठाकर रहें। प्रेम-संबंधों व संतान की उपेक्षा न करें।

उपाय:-

  1. चींटियों को आटा डालें।
  2. ग़रीबों को जूते व काले वस्त्र दान करें।

सिंह राशि पर शनि के ढइया का प्रभाव, परिणाम और उपाय

इस वर्ष शनि आपकी कुंडली के चतुर्थ भाव में हैं, अत: बेहतर परिणामों की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। हालाँकि शनि आपके धनेश और लाभेश बुध के नक्षत्र में रहेगा, इसलिए आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। यदि आप बड़े दिनों से कोई प्रॉपर्टी या वाहन ख़रीदने के प्रयास में हैं, तो आपकी यह मुराद पूरी होगी। आपको कार्यक्षेत्र में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। नौकरी पेशा वाले लोगों को बेहतर परिणाम मिलेंगे। घरेलू जीवन व स्वास्थ्य का ख़्याल रखना अति आवश्यक है।

उपाय:-

  1. काली गाय को दूध व चावल खिलाएँ।
  2. हनुमान जी को हर शनिवार सिंदूर चढ़ाएँ।

उपरोक्त जानकारियों से हमें उम्मीद है कि आप शनि की साढे साती और ढइया आसानी से समझ गए होंगे। यहाँ हमने उन राशियों की बात की जो राशियाँ वर्ष 2016 में शनि की साढ़े साती और ढइया से प्रभावित हैं और साथ हमने उन प्रभावों से बचने के उपाय भी बताए। इसके बाद भी कुछ ऐसे उपाय हैं जो सर्वथा कारगर साबित होते हैं। आइए इन पर डालते हैं एक नज़र।

  1. तेल का दान
  2. छाया पात्र का दान
  3. शनि मंत्र का जप
  4. दशांश हवन
  5. शनिवार का व्रत
  6. सप्तधान्य दान (सात प्रकार का अनाज)
  7. शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा

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