द्वादश भाव में स्थित का फल (Ketu in Twelvth House)
केतु फल विचार
यहां स्थित केतू शुभफलों के रूप में आपको राजा के समान सुख और ऐश्वर्य दे सकता है। आपकी आंखे सुंदर होंगी। आप अच्छी शिक्षा प्राप्त करेंगे। आप शास्त्रों को जानने वाले कवित्त सम्पन्न व्यक्ति हैं। आप शत्रुओं को पराजित कर शत्रुओं का नाश करने वाले व्यक्ति हैं। वाद-विवाद में आप हमेशा विजयी रहते हैं।
धार्मिक और शुभ कर्मों कें आप धन खर्च करते हैं। अर्थात आपका धन अच्छे कार्यों में खर्च होता है। लेकिन यहां स्थिति केतू कुछ अशुभ परिणाम भी देता है जिसके कारण आप चंचल स्वभाव के भी हो सकते हैं। आप किसी पर विश्वास नहीम करेंगे। लोंगो को भ्रमित करते रहेंगे। आप कुछ हद तक डरपोक भी हो सकते हैं।
आपका मन अशांत रह सकता है। आपकी पुरानी सम्पत्ति नष्ट हो सकती है। आपको आखों से सम्बंधित कोई तकलीफ हो सकती है। पेट के आस-पास कोई रोग हो सकता है या कष्ट रह सकता है। गुदा में या गुह्यभाग में रोग हो सकता है। पांवों से सम्बंधित कोई तकलीफ रह सकती है। मामा से कम सुख मिलेगा। आपको अपने जीवनकाल में बहुत सी यात्राएं करनी पडेंगी।
केतु ग्रह, कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष में केतु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि केतु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से जानते हैं केतु ग्रह के विभिन्न भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है -
वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह का प्रत्येक भाव में प्रभाव
ज्योतिष में ग्रह
ज्योतिष में केतु ग्रह का महत्व
ज्योतिष में केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि केतु के द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त हों। केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक होता है। ज्योतिष में राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु केतु की उच्च राशि है, जबकि मिथनु में यह नीच भाव में होता है। वहीं 27 रुद्राक्षों में केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी होता है। यह एक छाया ग्रह है। वैदिक शास्त्रो के अनुसार केतु ग्रह स्वरभानु राक्षस का धड़ है। जबकि इसके सिर के भाग को राहु कहते हैं।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार केतु ग्रह व्यक्ति के जीवन क्षेत्र तथा समस्त सृष्टि को प्रभावित करता है। राहु और केतु दोनों जन्म कुण्डली में काल सर्प दोष का निर्माण करते हैं। वहीं आकाश मंडल में केतु का प्रभाव वायव्य कोण में माना गया है। कुछ ज्योतिषाचार्यों का ऐसा मानना है कि केतु की कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण जातक यश के शिखर तक पहुँच सकता है। राहु और केतु के कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है।
ज्योतिष के अनुसार, केतु ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
शारीरिक रचना एवं स्वभाव - ज्योतिष में केतु ग्रह की कोई निश्चित राशि नहीं है। इसलिए केतु जिस राशि में बैठता है वह उसी के अनुरूप फल देता है। इसलिए केतु का प्रथम भाव अथवा लग्न में फल को वहाँ स्थित राशि प्रभावित करती है। हालाँकि कुछ ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि लग्न का केतु व्यक्ति को साधू बनाता है। यह जातकों को भौतिक सुखों से दूर ले जाता है। इसके प्रभाव से जातक लग्न अकेले रहना पसंद करता है। लेकिन यदि लग्न भाव में वृश्चिक राशि हो तो जातक को इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
बली केतु - यदि किसी जातक की कुंडली में केतु तृतीय, पंचम, षष्टम, नवम एवं द्वादश भाव में हो तो जातक को इसके बहुत हद तक अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यदि केतु गुरु ग्रह के साथ युति बनाता है तो व्यक्ति की कुंडली में इसके प्रभाव से राजयोग का निर्माण होता है। यदि जातक की कुंडली में केतु बली हो तो यह जातक के पैरों को मजबूत बनाता है। जातक को पैरों से संबंधित कोई रोग नहीं होता है। शुभ मंगल के साथ केतु की युति जातक को साहस प्रदान करती है।
पीड़ित केतु - केतु के पीड़ित होने से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के सामने अचानक कोई न कोई बाधा आ जाती है। यदि व्यक्ति किसी कार्य के लिए जो निर्णय लेता है तो उसमें उसे असफलता का सामना करना पड़ता है। केतु के कमज़ोर होने पर जातकों के पैरों में कमज़ोरी आती है। पीड़ित केतु के कारण जातक को नाना और मामा जी का प्यार नहीं मिल पाता है। राहु-केतु की स्थिति कुंडली में कालसर्प दोष निर्माण करता है, जो जातकों के लिए घातक होता है। केतु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए जातकों को केतु ग्रह की शांति के उपाय करने चाहिए।
रोग - पैर, कान, रीढ़ की हड्डी, घुटने, लिंग, किडनी, जोड़ों के दर्द आदि रोगों को ज्योतिष में केतु ग्रह के द्वारा दर्शाया जाता है।
कार्यक्षेत्र - समाज सेवा, धर्म आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े सभी कार्यों को ज्योतिष में केतु ग्रह के द्वारा दर्शाया जाता है।
उत्पाद - काले रंग पुष्प, काला कंबल, काले तिल, लहसुनिया पत्थर आदि उत्पाद केतु से संबंधित हैं।
स्थान - सेवाश्रम, आध्यात्मिक एवं धार्मिक स्थान केतु से से संबंधित होते हैं।
पशु-पक्षी तथा जानवर - ज़हरीले जीव एवं काले अथवा भूरे रंग के पशु पक्षियों को राहु के द्वारा दर्शाया जाता है।
जड़ी - अश्वगंधा की जड़।
रत्न - लहसुनिया।
रुद्राक्ष - नौ मुखी रुद्राक्ष।केतु यंत्र
यंत्र - केतु यंत्र।
रंग - भूरा।
मंत्र -
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे।
सुमुषद्भिरजायथा:।।
केतु का तांत्रिक मंत्र
ॐ कें केतवे नमः
केतु का बीज मंत्र
ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
धार्मिक दृष्टि से केतु ग्रह का महत्व
धार्मिक दृष्टि से राहु ग्रह का बडा़ महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला तो अमृतपान के लिए देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और देवताओं और असुरों की दो अलग-अलग पंक्तियों में बिठाया। असुर मोहिनी की सुंदर काया के मोह में आकर सबकुछ भूल गए और उधर, मोहिनी चालाकी से देवताओं को अमृतपान कराने लगी।
इस बीच स्वर्भानु नामक असुर वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गया और अमृत के घूँट पीने लगा। तभी सूर्य एवं चंद्रमा ने भगवान विष्णु को उसके राक्षस होने के बारे में बताया। इस पर विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और वह दो भागों में बँट गया, ज्योतिष में ये दो भाग राहु (सिर) और केतु (धड़) नामक ग्रह से जाने जाते हैं।
इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि धार्मिक दृष्टि के साथ साथ ज्योतिष में केतु ग्रह का महत्व कितना व्यापक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित 12 भाव उसके संपूर्ण जीवन को दर्शाते हैं और जब उन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति के जीवन में उसका असर भी दिखाई देता है।
Astrological services for accurate answers and better feature
Astrological remedies to get rid of your problems
AstroSage on MobileAll Mobile Apps
AstroSage TVSubscribe
- Saturn Transit 2025: Find Out The Impact & Remedies!
- Saturn Transit In Purvabhadrapada: 3 Zodiac Signs Beware
- New Year 2025: The Total Of 9, Bringing Lord Hanuman’s Grace
- Saturn Transit & Solar Eclipse 2025: Unlocking Wealth & Success For 3 Zodiacs!
- First Transit Of 2025 – Mercury In Sagittarius Brings Fortune For 3 Zodiacs!
- Ketu Changes Its Course In 2025: Success & Good Fortune For 3 Zodiac Signs!
- Marriage Muhurat 2025: Read On To Know Dates & More!
- January 2025 Budhaditya Rajyoga: 5 Zodiacs Blessed With Success & Prosperity!
- Horoscope 2025: New Year; New Predictions!
- Monthly Horoscope For January 2025: Check It Out Now!
- बुध का धनु राशि में गोचर: देश-दुनिया और शेयर मार्केट में आएंगे उतार-चढ़ाव!
- नए साल में खूब बजेंगी शहनाइयां, विवाह मुहूर्तों से भरा होगा वर्ष 2025!
- यहाँ देखें नए साल के पहले महीने जनवरी 2025 की पहली झलक!
- राशिफल 2025: इन 4 राशियों के जीवन में आएगी प्रेम की बहार, खूब बरसेगी धन-दौलत!
- वर्ष 2025 में गुरु के दो गोचर का बनेगा अनूठा संयोग, जानें कैसे मिलेंगे आपको परिणाम!
- पौष अमावस्या 2024 के दिन करें इन नियमों का पालन, सूर्यदेव बरसाएंगे कृपा!
- साल 2024 का यह आख़िरी सप्ताह, सभी 12 राशियों के लिए लेकर आएगा कैसे परिणाम?
- टैरो साप्ताहिक राशिफल (29 दिसंबर 2024 से 04 जनवरी, 2025): इस सप्ताह जानें किन राशि वालों को मिलेगी तरक्की!
- अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 29 दिसंबर 2024 से 04 जनवरी, 2025
- टैरो मासिक राशिफल 2025: साल के पहले महीने जनवरी में इन राशियों को मिलेगा मान-सम्मान एवं तरक्की!
- Horoscope 2025
- Rashifal 2025
- Calendar 2025
- Chinese Horoscope 2025
- Saturn Transit 2025
- Jupiter Transit 2025
- Rahu Transit 2025
- Ketu Transit 2025
- Ascendant Horoscope 2025
- Lal Kitab 2025
- Shubh Muhurat 2025
- Hindu Holidays 2025
- Public Holidays 2025
- ராசி பலன் 2025
- రాశిఫలాలు 2025
- ರಾಶಿಭವಿಷ್ಯ 2025
- ਰਾਸ਼ੀਫਲ 2025
- ରାଶିଫଳ 2025
- രാശിഫലം 2025
- રાશિફળ 2025
- రాశిఫలాలు 2025
- রাশিফল 2025 (Rashifol 2025)
- Astrology 2025