चतुर्थ भाव में स्थित राहु का फल (Rahu in Fourth House)
राहु फल विचार
यहां स्थित राहू आपको साहसी बनाता है और राजसत्ता से माध्यम से सुख दिला सकता है अथवा राजा का प्रेम पात्र बना सकता है। किसी प्राशासनिक व्यक्ति के द्वारा आपका हित साधन हो सकता है। आपको माता से सुख मिलेगा। आपके चित्त में स्थिरता रहेगी। आपके पास विभिन्न प्रकार के वस्त्र और आभूषण होंगे।
आपको अपनी जन्मभूमि में रहने के अवसर कम ही मिलेंगे। आप प्रवासी होंगे या विदेश में रहेंगे। आपको घूमना-फिरना बहुत पसंद होगा। बडी उन्नति की राह में यहां स्थित राहू रुकावटे उत्पन्न करता है लेकिन नौकरी के मामले में राहू राहत देता है। साझेदारी के मामलों में भी यहां स्थित राहू अच्छे परिणाम देता है।
राहू की यह स्थिति कभी-कभी दो विवाह अथवा दो लोगों से आंतरिक लगाव को दर्शाता है। आपका जीवन साथी आपके विपरीत समय में आपका पूरा सहयोग करेगा। पुत्रों की संख्या कम होती है। उम्र के छत्तीसवें वर्ष से लेकर छप्पनवें वर्ष तक भाग्य अपेक्षाकृत अधिक साथ देता है। लेकिन अशुभ प्रभावी राहू आपको मानसिक अशांति देता है। अपने पास सारे सुख के साधन उपलब्ध हो तो भी मन दुखी रह सकता है।
राहु ग्रह, कुंडली में स्थित 12 भावों पर विभिन्न तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष में राहु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि राहु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से जानते हैं राहु ग्रह के विभिन्न भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है -
वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह का प्रत्येक भाव में प्रभाव
ज्योतिष में ग्रह
ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्व
ज्योतिष में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता
है। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएँ, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक
यात्राएँ आदि का कारक कहते हैं। जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित
हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व
प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च
होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता
है।
27 नक्षत्रों में राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। ज्योतिष में राहु ग्रह को एक छाया ग्रह कहा जाता है। दरअसल, सूर्य और पृथ्वी के बीच जब चंद्रमा आता है और चंद्रमा का मुख सूर्य की तरफ होता है तो पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया राहु ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
राहु काल
हिन्दू पंचांग के अनुसार, राहु ग्रह के प्रभाव से दिन में एक अशुभ समयावधि होती है जिसमें शुभ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इस अवधि को राहु काल कहते हैं। यह अवधि लगभग डेढ़ घण्टे की होती है तथा स्थान एवं तिथि के अनुसार इसमें अंतर देखने को मिलता है।
ज्योतिष के अनुसार, राहु ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
शारीरिक रचना एवं स्वभाव - वैदिक ज्योतिष के अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित लग्न भाव में राहु होता है वह व्यक्ति सुंदर और आकृषक व्यक्तित्व वाला होता है। व्यक्ति साहसिक कार्यों से पीछे नहीं हटता है। लग्न का राहु व्यक्ति को समाज में प्रभावशाली बनाता है। हालाँकि इसके प्रभाव बहुत हद तक लग्न में स्थित राशि पर निर्भर करता है। हालाँकि ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि लग्न का राहु व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल नहीं होता है।
बली राहु - ज्योतिष में राहु ग्रह को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यदि राहु किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुभ हो तो वह उसकी किस्मत चमका सकता है। कुंडली में मजबूत राहु व्यक्ति को प्रखर बुद्धि का बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति अपने धर्म का पालन करता है और समाज में उसे मान-सम्मान और यश प्राप्त होती है।
पीड़ित राहु - कुंडली यदि राहु पीड़ित हो तो जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। यह जातक के अंदर बुरी आदतों को पैदा करता है। पीड़ित राहु के प्रभाव से जातक छल, कपट और धोखा करता है। व्यक्ति मांस, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों का सेवन करता है। पीड़ित राहु व्यक्ति को अधर्मी बनाता है। इसके प्रभाव में आकर जातक दूसरों को परेशान करता है। यदि ऐसा हो तो जातकों को राहु से संबंधित उपाय करने चाहिए। ज्योतिष में राहु ग्रह की शांति के उपाय बताए गए हैं।
रोग - पीड़ित राहु के कारण व्यक्ति को शारीरिक समस्याएँ भी होती हैं। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके कारण हिचकी, पागलपन, आँतों की समस्या, अल्सर, गैस्ट्रिक आदि समस्याएं होती हैं।
कार्य व व्यवसाय - कूटनीतिक कार्य, राजनीति, आखेट, क़ानून से सबंधित कार्य, सेवा, बुरे कर्म, चोरी, जादूगर, हिंसा आदि कार्यों को ज्योतिष में राहु ग्रह के द्वारा दर्शाया जाता है।
उत्पाद - मांस, शराब, गुटका, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट एवं अन्य मादक पदार्थ ज्योतिष में राहु ग्रह के द्वारा दर्शाए जाते हैं।
स्थान - शराब की दुकान, जुए का अड्डा, कूड़े का ढेर आदि स्थानों को ज्योतिष में राहु ग्रह के द्वारा दर्शाया जाता है।
पशु-पक्षी तथा जानवर - ज़हरीले जीव एवं काले अथवा भूरे रंग के पशु पक्षियों को राहु के द्वारा दर्शाया जाता है।
जड़ी - नागरमोथ की जड़।
रत्न - गोमेद।
रुद्राक्ष - आठ मुखी रुद्राक्ष।
यंत्र - राहु यंत्र।
रंग - गहरा नीला।
मंत्र -
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा। कया शचिष्ठया वृता।।
राहु का तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः
राहु का बीज मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
धार्मिक दृष्टि से राहु ग्रह का महत्व
धार्मिक दृष्टि से राहु ग्रह का बडा़ महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला तो अमृतपान के लिए देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और देवताओं और असुरों की दो अलग-अलग पंक्तियों में बिठाया। असुर मोहिनी की सुंदर काया के मोह में आकर सबकुछ भूल गए और उधर, मोहिनी चालाकी से देवताओं को अमृतपान कराने लगी।
इस बीच स्वर्भानु नामक असुर वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गया और अमृत के घूँट पीने लगा। तभी सूर्य एवं चंद्रमा ने भगवान विष्णु को उसके राक्षस होने के बारे में बताया। इस पर विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और वह दो भागों में बँट गया, ज्योतिष में ये दो भाग राहु (सिर) और केतु (धड़) नामक ग्रह से जाने जाते हैं।
इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि धार्मिक दृष्टि के साथ साथ ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्व कितना व्यापक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित 12 भाव उसके संपूर्ण जीवन को दर्शाते हैं और जब उन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति के जीवन में उसका असर भी दिखाई देता है।
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