चंद्र ग्रहण 2025

चंद्र ग्रहण 2025 के संदर्भ में एस्ट्रोसेज का यह विशेष लेख हम आपको यह सोचकर पेश कर रहे हैं कि यह आपको वर्ष 2025 में लगने वाले सभी चंद्र ग्रहण के बारे में पूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। वर्ष 2025 में कुल मिलाकर कितने चंद्र ग्रहण लगेंगे, वे पूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे या आंशिक चंद्र ग्रहण होंगे अथवा उपच्छाया चंद्र ग्रहण यानी कि किस तरीके का चंद्र ग्रहण होगा।

यहां पढ़ें चंद्र ग्रहण 2025

इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि हर चंद्र ग्रहण किस तिथि, किस दिन, किस दिनांक को कितने बजे से कितने बजे तक लगेगा। वह चंद्र ग्रहण 2025 विश्व पटल पर कहां-कहां दिखाई देगा, क्या वह भारत में दिखाई देगा अथवा नहीं, चंद्र ग्रहण से संबंधित धार्मिक मान्यताएं क्या होंगी और चंद्र ग्रहण का सूतक क्या होगा, गर्भवती महिलाओं को कौन सी सावधानी रखने की आवश्यकता पड़ेगी, ग्रहण के दौरान कौन-कौन से कार्य करने होंगे और कौन से कार्यों से बचने की कोशिश करनी होगी, आदि सभी महत्वपूर्ण जानकारियां हम आपको इस चंद्र ग्रहण 2025 के लेख में प्रदान कर रहे हैं।

आपके लिए इस आर्टिकल को एस्ट्रोसेज के जाने-माने ज्योतिषी डॉ मृगांक शर्मा ने तैयार किया है। आइए अब जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां।

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क्या होगा साल 2025 में खास

चंद्र ग्रहण 2025 एक खगोलीय घटना है जिसका हम सभी को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। यह बहुत ही खूबसूरत दृश्य होता है जब आकाश में हमें चंद्र ग्रहण की घटना दिखाई देती है। यह इतनी खूबसूरत होती है कि इसे सरल शब्दों में कहना मुश्किल है। सारी दुनिया के वैज्ञानिकों के अतिरिक्त आम जनमानस भी चंद्र ग्रहण को देखना पसंद करते हैं और लोगों को ऐसी जगह की तलाश रहती है, जहां पर चंद्र ग्रहण पूर्ण रूप से ज्यादा से ज्यादा अवधि के लिए और स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके।

जिस प्रकार सूर्य ग्रहण का अपना अलग महत्व है, उसी प्रकार चंद्र ग्रहण का भी विशेष महत्व है। इसका वैज्ञानिक महत्व तो है ही इसके अतिरिक्त खगोलीय, आध्यात्मिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी सूर्य ग्रहण की भांति चंद्र ग्रहण भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

हालांकि, कई बार चंद्र ग्रहण के नाम से हमारे मन में अनेक प्रकार की आशंकाएं और नकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगते हैं और हम मानने लगते हैं कि कोई भी ग्रहण नकारात्मकता फल लेकर ही आएगा लेकिन ऐसा सदैव नहीं होता बल्कि कई बार वह अनुकूल परिणाम भी देते हैं।

वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रहण का विशेष प्रभाव माना गया है क्योंकि वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। चंद्रमा हमारे शरीर के जल तत्व और मन पर नियंत्रण रखता है और चंद्र ग्रहण की अवस्था में चंद्रमा पीड़ित हो जाता है जिससे मनुष्‍य को मानसिक रूप से अस्थिरता, व्याकुलता, बेचैनी, मानसिक तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

यदि हमारी कुंडली में चंद्रमा विपरीत स्थिति में हो या पीड़ित अवस्था में हो तो चंद्र ग्रहण को विशेष रूप से देखने से बचना चाहिए और इसके प्रभाव से बचने के लिए आवश्यक उपाय करने चाहिए। यदि कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष बना हुआ है, तब भी इन बातों पर ध्यान देना चाहिए। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है, उनके लिए चंद्र ग्रहण के दौरान मानसिक तनाव से गुज़रने की स्थिति बन सकती है और यदि चंद्र ग्रहण उनकी ही राशि में घटित हो रहा है तो उन्हें विशेष सावधानी रखनी चाहिए और किसी भी सूरत में चंद्र ग्रहण को अपनी आंखों से देखने से बचना चाहिए।

ऐसा न करने पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव पड़ने की संभावना सर्वाधिक रहेगी और चंद्रमा के कुंडली में कमजोर होने के कारण उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए उन्हें आवश्यक उपचार कराना चाहिए जिससे कोई समस्या उत्पन्न न हो।

विशुद्ध रूप से कहें तो चंद्र ग्रहण 2025 भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार भी पृथ्वी के सभी जीवधारियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थिति होती है। इस दौरान चंद्रमा को ग्रहण लगता है। वैदिक ज्योतिषी इसे कुंडली में भी ग्रहण दोष के रूप में देखते हैं और उसके नकारात्मक प्रभाव के बारे में भी बताते हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से ग्रहण के दौरान कोई भी अच्छा काम करना वर्जित होता है। आइए अब विस्तार से जानते हैं क्या होता है चंद्र ग्रहण और यह कैसे घटित होता है।

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चंद्र ग्रहण को यदि सरल रूप में परिभाषित करने की कोशिश करें तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और अपने अक्ष पर भी घूर्णन गति करती है जबकि चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह होने के कारण पृथ्वी की परिक्रमा करता है। कई बार पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा अपनी स्थितियों में ऐसी स्थिति निर्मित कर लेते हैं कि यह तीनों एक ही रेखा में आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो कुछ समय के लिए ऐसा होता है कि सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर तो पड़ती है लेकिन पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह से ढक जाता है और सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए चंद्रमा तक सीधा नहीं पहुंच पाता तथा चंद्रमा पर अंधेरा प्रतीत होने लगता है, इस अवधि को ही चंद्र ग्रहण के रूप में जाना जाता है।

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चंद्र ग्रहण 2025 - कितने प्रकार का होता है चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण की बात की जाए तो सूर्य ग्रहण की भांति यह भी अनेक प्रकार से दिखाई दे सकते हैं। चंद्र ग्रहण क्या होता है, यह तो हम आपको बता चुके हैं लेकिन अपनी परिस्थितियों के अनुसार यह अलग-अलग रूपों में दिखाई दे सकता है। चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि किस प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण:

पूर्ण चंद्र ग्रहण

जब हम पूर्ण चंद्र ग्रहण की बात करते हैं तो यह मानकर चलिए की यह वह स्थिति होती है जब पृथ्वी की छाया द्वारा चंद्रमा का संपूर्ण भाग ढक लिया जाता है और सूर्य की रोशनी पृथ्वी की छाया के कारण चंद्रमा पर नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में चंद्रमा लाल या गुलाबी रंग का दिखाई देने लगता है और पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा के धब्बे भी स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। इसी को पूर्ण चंद्र ग्रहण या सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है। इसी‌ को पूर्ण चंद्र ग्रहण या खग्रास चंद्र ग्रहण के रूप में जाना जाता है।

आंशिक चंद्र ग्रहण

जब पृथ्वी चंद्रमा से अधिक दूरी पर स्थित होती है तो ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर जाने से पूर्व पृथ्वी पर पड़ता है और पृथ्वी की छाया से चंद्रमा का कुछ हिस्सा ढक जाता है लेकिन पूर्ण रूप से चंद्रमा नहीं ढक पाता है, तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा आंशिक रूप से ग्रसित होता हुआ महसूस होता है। इसी स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं और इसी को खंडग्रास चंद्र ग्रहण के रूप में भी जाना जाता है।

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उपच्छाया चंद्र ग्रहण

ऊपर हमने आपको बताया कि पूर्ण चंद्र ग्रहण और आशिक चंद्र ग्रहण क्या होता है। उपरोक्त दोनों प्रकारों के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का चंद्र ग्रहण भी कभी-कभी अस्तित्व में देखने में आता है। खगोलीय दृष्टिकोण से तो इसे ग्रहण कहते हैं लेकिन धार्मिक रूप से इसका प्रभाव मान्य नहीं होता है। कई बार खगोलीय रूप में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है और इससे चंद्रमा की सतह कुछ धुंधली सी दिखाई देने लगती है लेकिन उसका कोई भी भाग ग्रसित होता हुआ महसूस नहीं होता, बस इसी स्थिति को हम उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। इसको ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है और इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी नहीं है और न ही सूतक काल भी मान्य होता है लेकिन खगोलीय रूप से इसे भी चंद्र ग्रहण कह सकते हैं।

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चंद्र ग्रहण 2025 का सूतक काल

जिस प्रकार हम सूर्य ग्रहण के सूतक काल की बात करते हैं, उसी प्रकार चंद्र ग्रहण का भी सूतक काल मान्य होता है। सूतक काल वह अवधि होती है जो चंद्र ग्रहण के शुरू होने से लगभग तीन प्रहर पूर्व यानी कि लगभग 9 घंटे पहले शुरू हो जाती है और यह ग्रहण के मोक्ष के साथ यानी कि ग्रहण के समाप्त होने के साथ ही खत्‍म हो जाती है। यह अशुभ समय होता है। इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि उसमें सफलता की संभावना संदिग्ध होती है। मूर्ति पूजा, मूर्ति स्पर्श करना, मंदिर जाना, किसी भी प्रकार का शुभ कार्य जैसे विवाह करना, मुंडन कराना, जनेऊ कराना, आदि संस्कार इस सूतक काल की अवधि में नहीं करने चाहिए। अब हमने यह जाना कि चंद्र ग्रहण का सूतक काल क्या होता है, चलिए अब जानते हैं कि वर्ष 2025 में कुल कितने चंद्र ग्रहण लगेंगे।

चंद्र ग्रहण 2025 - वर्ष 2025 में चंद्र ग्रहण कब है

जैसे ही कोई नया वर्ष शुरू होता है तो हमारे मन में यह उत्सुकता जागने लगती है कि इस साल चंद्र ग्रहण कब-कब घटित होंगे, तो चलिए अब जानते हैं कि वर्ष 2025 में चंद्र ग्रहण कब है।

वर्ष 2025 में कुल मिलाकर दो चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं जिनमें से एक चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। आइए अब इन चंद्र ग्रहण के बारे में विस्तार से जानते हैं:

पहला चंद्र ग्रहण 2025 - खग्रास चंद्रग्रहण
तिथि दिन तथा दिनांक

चंद्र ग्रहण प्रारंभ समय

(भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार)

चंद्र ग्रहण समाप्त समय दृश्यता का क्षेत्र

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा

तिथि

शुक्रवार,

14 मार्च, 2025

प्रातः काल 10: 41 बजे से

दोपहर 14:18 बजे तक

ऑस्ट्रेलिया का अधिकांश भाग यूरोप, अफ्रीका का अधिकांश भाग, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका

(भारत में दृश्यमान नहीं)

नोट: यदि ग्रहण 2025 के अंतर्गत चंद्रग्रहण की बात करें, तो उपरोक्त तालिका में दिया गया चंद्र ग्रहण का समय भारतीय मानक समय के अनुसार दिया गया है।

यह साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण होगा लेकिन यह भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इस कारण से भारत में इसका कोई भी धार्मिक प्रभाव भी मान्य नहीं होगा और न ही इसका कोई सूतक काल प्रभावी होगा।

यह एक पूर्ण यानी कि खग्रास चंद्र ग्रहण होगा जो फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि, शुक्रवार, 14 मार्च 2025 को प्रातः काल 10:41 बजे से शुरू होगा और दोपहर 14:18 बजे तक रहेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश भाग यूरोप अफ्रीका के अधिकांश भाग, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका, आदि क्षेत्रों में प्रमुखता से दिखाई देगा।

यह चंद्र ग्रहण सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा इसलिए सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली रहेगा। चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा से सप्तम भाव में सूर्य और शनि विराजमान रहकर चंद्रमा को पूर्ण सप्तम दृष्टि से देखेंगे जिससे इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाएगा। उस दिन चंद्रमा से दूसरे भाव में केतु, सप्तम भाव में सूर्य और शनि, अष्टम भाव में राहु, बुध और शुक्र, दशम भाव में बृहस्पति और एकादश भाव में मंगल महाराज विराजमान होंगे।

ग्रहण 2025 के बारे में यहां विस्तार से जानें।

दूसरा चंद्र ग्रहण 2025 - खग्रास चंद्रग्रहण
तिथि दिन तथा दिनांक चंद्र ग्रहण प्रारंभ समय(भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) चंद्र ग्रहण समाप्त समय दृश्यता का क्षेत्र

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा

तिथि

रविवार/सोमवार, 7/8 सितम्बर, 2025 रात्रि 21:57 बजे से मध्यरात्रि उपरांत 25:26 बजे तक (8 सितंबर की प्रातः 01:26 बजे तक) भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र

नोट: ग्रहण 2025 के अनुसार उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समय के अनुसार है।

यह चंद्र ग्रहण साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा लेकिन यह विश्व के अनेक क्षेत्रों के साथ-साथ भारत में भी दृश्यमान होगा इसलिए भारत सहित सभी दृश्यमान क्षेत्रों में इसका सूतक काल मान्य होगा। इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर 2025 को दोपहर 12:57 से प्रारंभ हो जाएगा और ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा।

यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, रविवार, 7 सितंबर 2025 को रात्रि के 21:57 बजे शुरू होगा जो मध्य रात्रि उपरांत 25:26 बजे यानी कि 28 सितंबर 2025 की प्रातः 1:26 बजे तक चलेगा। यह एक खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्रग्रहण भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में प्रमुखता से दिखाई देगा। यह खग्रास चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित होगा। चंद्रमा के साथ राहु और चंद्रमा से सप्तम भाव में सूर्य, केतु और बुध विराजमान होंगे। चंद्रमा से अष्टम भाव में मंगल और छठे भाव में शुक्र, चंद्रमा से पंचम भाव में बृहस्पति और दूसरे भाव में शनि विराजमान होंगे।

इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव गहन होगा। हालांकि, बृहस्पति की दृष्टि चंद्रमा पर होने के कारण कुछ हद तक प्रभाव में कमी भी हो सकती है। कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे लोगों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि उनके लिए यह ग्रहण अनिष्टकारी हो सकता है।

इस प्रकार चंद्र ग्रहण 2025 की बात करें, तो वर्ष 2025 के दौरान कुल मिलाकर विश्व पटल पर दो चंद्र ग्रहण लगेंगे और दोनों ही चंद्र ग्रहण पूर्ण ग्रहण होंगे जिनमें से पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को लगेगा जो भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा जो भारत में भी दिखाई देगा। ग्रहण से संबंधित सूतक काल कब लगेगा और उसका क्या प्रभाव होता है, यह हम सब कुछ आपको ऊपर बता चुके हैं। आइए अब यह जानने का प्रयास करते हैं कि चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होगा।

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चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

जब भी चंद्र ग्रहण लग रहा हो या चंद्र ग्रहण का सूतक काल चल रहा हो तब हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिनमें से कुछ कार्य करने चाहिए और कुछ कार्य नहीं करने चाहिए, इन सभी के बारे में आप निम्न प्रकार समझ सकते हैं:

  • ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण काल के दौरान स्नान करना चाहिए। इस दौरान दान, जप, स्तोत्र पाठ, मंत्र जाप, मंत्र सिद्धि, तीर्थ स्थान पर स्नान, हवन ध्यान, आदि शुभ कार्य कर सकते हैं।
  • सूर्य के अस्त होने से पूर्व अपनी राशि के अनुसार सफेद वस्त्र, चावल, अन्न, जल, ऋतु फल, आदि दान योग्य वस्तुओं का संग्रह करें और दान करने का संकल्प कर लें।
  • ग्रहण के अगले दिन 8 तारीख को प्रातः काल सूर्योदय के समय पुनः स्नान करने के बाद संकल्प ली हुई सामग्री अथवा वस्तुओं को किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें।
  • भले ही चंद्र ग्रहण रात्रि में समाप्त हो, यदि आप सक्षम हैं तो आपको रात्रि में भी ग्रहण के मोक्ष के उपरांत तुरंत स्नान करना चाहिए।
  • सूतक काल और ग्रहण काल के दौरान मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
  • ग्रहण के सूतक काल से ग्रहण के मोक्ष तक किसी से झूठ न बोलें, किसी के साथ कपट न करें और व्यर्थ की चुगलियां न करें।
  • इस दौरान अनावश्यक खान-पान करने और सोने से बचें।
  • चंद्र ग्रहण के सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार का मैथुन, आदि कार्य न करें।
  • सूतक काल के दौरान तेल मालिश न करें। इस दौरान न तो नाखून काटें, न दाढ़ी बनाएं और न ही बाल कटवाएं।
  • चंद्र ग्रहण 2025 के सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सब्जियां या कोई अन्य पदार्थ काटने, छीलने, बुनने, पापड़ सेंकने, आदि कार्यों से परहेज़ करना चाहिए।
  • इस दौरान गर्भवती महिलाओं को धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए और प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। इससे उनकी संतान स्वस्थ होगी और उसके अंदर अच्छे गुणों का विकास होगा।
  • ग्रहण काल और उसके मोक्ष के तुरंत बाद तीर्थ स्थानों जैसे कि वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार, अयोध्या या अन्य तीर्थ स्थानों पर स्नान करने का विशेष महत्व है।
  • सूतक काल के दौरान भोजन पकाने से बचें और इस दौरान संभव हो तो भोजन भी ग्रहण न करें।
  • सूतक काल लगने से पहले ही कुशा और तुलसी पत्र ऐसी वस्तुओं में डाल देना चाहिए जो ग्रहण काल के उपरांत प्रयोग की जानी हों जैसे कि दूध, दही, अचार, चटनी, मुरब्बा, घी, आदि। ऐसा करने से वह दूषित नहीं हो होते हैं।
  • ग्रहण काल के स्पर्श के समय स्नान करना चाहिए।
  • ग्रहण काल के मध्य में होम तथा ईश्वर पूजन, आदि कार्य करने चाहिए।
  • ग्रहण के मोक्ष के समय में श्राद्ध, अन्न, वस्त्र, धन, आदि का दान करना चाहिए।
  • ग्रहण काल के दौरान श्री महामृत्युंजय मंत्र का यथासंभव जाप करना चाहिए।
  • चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान चंद्रमा के मंत्र का भी जाप करना चाहिए।
  • चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अत्यंत लाभ मिलता है ये मंत्र इस प्रकार हैं:-

तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥

इस श्लोक का अर्थ यह है कि अन्धकार रूप महाभीम चन्द्रमा और सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्ण तारा के दान से मुझे शान्ति प्रदान कीजिए।

विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥

नाग नागिन का जोड़ा दान किया जाता है, तो यही मंत्र पढ़ा जाता है।

इस प्रकार उपरोक्त लेख के माध्यम से हमने आपको चंद्र ग्रहण 2025 के बारे में विस्तृत जानकारी देने का पूर्ण प्रयास किया है। हम साथ में यही आशा कर रहे हैं कि उपरोक्त प्रदान की गई समस्त जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी और आपको संतुष्टि प्रदान करेगी और इसको जानकर आप अपने जीवन में आवश्यक कार्यों को भली प्रकार संपादित कर पाएंगे।

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हम आशा करते हैंं कि वर्ष 2025 आपके जीवन में खुशहाली और तरक्की लेकर आए और आप जीवन में सदैव सफलता की ओर अग्रसर होते रहें। हमारी वेबसाइट पर विजिट करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. ग्रहण के कितने प्रकार होते हैं?

वैदिक ज्‍योतिष में दो प्रकार के ग्रहण का वर्णन मिलता है जिसमें सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण शामिल हैं।

2. चंद्र ग्रहण का सूतक कब लगता है?

चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पूर्व लग जाता है।

3. किन ग्रहों की वजह से ग्रहण लगता है?

छाया ग्रह राहु और केतु ग्रहण लगाते हैं।

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