सूर्य ग्रहण 2025 की पूरी जानकारी देने के लिए एस्ट्रोसेज का यह खास लेख हमने आप ही के लिए तैयार किया है। इस लेख में आपको वर्ष 2025 के दौरान होने वाले सभी सूर्य ग्रहण के बारे में समस्त जानकारी प्रदान की जा रही है। हमने इसमें आपको यह भी बताया है कि सूर्य ग्रहण किस दिन, किस तिथि, किस दिनांक को और कितने बजे से कितने बजे तक और किस तरीके का सूर्य ग्रहण होगा यानी कि सूर्य ग्रहण किस प्रकार का होगा, वह कहां-कहां दिखाई देगा और देश और दुनिया में कहां-कहां पर उसकी दृश्यता रहेगी, क्या वह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं।
इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि सूर्य ग्रहण से मानव जीवन पर किस तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं और सूर्य ग्रहण का सूतक काल क्या रहेगा। इस आर्टिकल को एस्ट्रोसेज के जाने-माने ज्योतिषी डॉ मृगांक शर्मा ने विशेष रूप से आपके लिए ही तैयार किया है। यदि आप सूर्य ग्रहण 2025 से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी एक ही समय में एक ही स्थान पर प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें।
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यदि हम सूर्य ग्रहण 2025 की बात करें तो यह एक विशेष प्रकार की घटना है जो आकाश मंडल में दिखाई देती है जिसे खगोलीय दृष्टि से भी विशेष माना जाता है। यह सूर्य ग्रहण की घटना सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की विशेष परिस्थितियों के कारण निर्मित होती है।
हम सभी इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती है। वहीं चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह होने के कारण पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है। सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी और चंद्रमा दोनों प्रकाशमान होते हैं और पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति भी सूर्य की विशेष कृपा के कारण संभव हो पाती है। इस प्रकार पृथ्वी और चंद्रमा की गति के कारण ही जब चंद्रमा सूर्य के सापेक्ष पृथ्वी के इतनी निकट आ जाता है कि वह सूर्य के प्रकाश को सीधे पृथ्वी तक पहुंच पाने में बाधा बन जाता है और ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश सीधे पृथ्वी पर कुछ समय के लिए नहीं आ पाता है। उस दौरान चंद्रमा उस प्रकाश को अवरोधित कर देता है।
ऐसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इस परिस्थिति के अंतर्गत चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने लगती है तो सूर्य ग्रसित होता हुआ सा प्रतीत होने लगता है। यह सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के संरेखण के कारण ही संभव हो पता है। इसी को सूर्य ग्रहण कहते हैं और यही सूर्य ग्रहण के होने का कारण होता है।
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सूर्य ग्रहण को हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में विशेष रूप से मान्यता प्रदान की गई है। यह ज्योतिषीय रूप से भी महत्वपूर्ण है और खगोलीय घटना के रूप में भी मान्यता रखता है। इसके अतिरिक्त इसका धार्मिक रूप से भी काफी महत्व माना गया है। जब भी आकाश मंडल में सूर्य ग्रहण की घटना आकार लेती है तो यह पृथ्वी के सभी निवासियों को कई तरह से प्रभावित करती है और सूर्य ग्रहण के दौरान जो भी जीव पृथ्वी पर निवास करते हैं, वे सभी कुछ समय के लिए हैरान और परेशान से हो जाते हैं।
ग्रहण काल में पृथ्वी पर ऐसी स्थिति भी बनती है जब प्रकृति एक अलग ही रूप में दिखाई देने लगती है। सूर्य ग्रहण की घटना देखने में बहुत ही सुंदर खगोलीय घटना दिखाई देती है। यही वजह है कि दुनिया जहान के लोग सूर्य ग्रहण की तस्वीर लेने की कोशिश करते हैं। हालांकि, हम यहां पर आपको आगाह करते हैं कि सूर्य ग्रहण को कभी भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसा करना नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि इससे आपकी आंखों के रेटिना पर गलत प्रभाव पड़ सकता है और सूर्य की रोशनी के कारण आपकी आंखों की रोशनी भी हमेशा के लिए जा सकती है।
अगर आप विशुद्ध वैज्ञानिक रूप से सूर्य ग्रहण को देखना ही चाहते हैं तो सेफ्टी गियर और फिल्टर आदि का प्रयोग करके ही आप सूर्य ग्रहण 2025 को देखें और इसका फिल्मांकन करें।
धार्मिक दृष्टिकोण से बात करें तो सूर्य ग्रहण को शुभ घटनाओं में शुमार नहीं किया गया है क्योंकि यह इस तरह का समय होता है, जब सूर्य के ऊपर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। सूर्य पवित्र है और जगत की आत्मा है और उस पर राहु का नकारात्मक प्रभाव पड़ने से सूरज ग्रसित हो जाता है। दिन के समय में भी सूरज के प्रकाश की कमी के कारण रात जैसी स्थिति उत्पन्न होती है। पक्षियों को लगता है कि शाम हो चुकी और वह अपने घरों को लौटने लग जाते हैं। वातावरण में अजीब सी शांति का माहौल हो जाता है। प्रकृति से जुड़े सभी प्रकार के नियम प्रभावित होने लग जाते हैं। सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है, यही हमारी जगत की इच्छा शक्ति है, हमारी उपलब्धियां, आशाओं, हमारे पिता, पिता स्वरूप व्यक्तियों और राज्य, राजा, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, आदि के कारक ग्रह सूर्य देव होते हैं। जब सूर्य ग्रहण लगता है तो वह जिस राशि और नक्षत्र में आकार लेता है, उसमें जन्म लेने वाले जातकों के लिए विशेष रूप से ज्यादा प्रभावशाली होता है लेकिन सभी के लिए सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव ही मिले, ऐसा आवश्यक नहीं बल्कि कुछ रूपों में और कुछ जातकों के लिए यह सकारात्मक भी हो सकता है क्योंकि यह राशि के अनुसार शुभ और अशुभ प्रभाव देता है इसलिए सभी को अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रयास करने चाहिए।
सूर्य ग्रहण जब भी आकार लेता है, यह हमारे जीवन में उत्सुकता लेकर आता है। हमारे सामने अलग-अलग रूपों में सूर्य ग्रहण दिखाई दे सकता है। सूर्य ग्रहण के प्रकार भी कई होते हैं जिनमें मुख्य रूप से पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकर सूर्य ग्रहण शामिल हैं। तो चलिए अब विस्तार से जानते हैं कि सूर्य ग्रहण कुल कितने प्रकार के होते हैं और इन सभी के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं:
जब चंद्रमा गति करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में इस प्रकार से आ जाता है कि पूर्ण रूप से सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक जाने से पूर्व चंद्रमा उसको रोक लेता है और चंद्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है जिससे अंधेरा सा महसूस होने लगता है और कुछ समय के लिए सूर्य ग्रसित दिखाई देता है, इसी को पूर्ण सूर्य ग्रहण या खग्रास सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
उपरोक्त स्थिति के अतिरिक्त एक ऐसी स्थिति आती है कि सूर्य के सापेक्ष चंद्रमा पृथ्वी से इतनी दूरी पर होता है कि पूर्ण रूप से सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर आने से रोकने में सक्षम नहीं होता लेकिन सूर्य का कुछ हिस्सा ही उसकी छाया से ढक पाता है, ऐसी स्थिति में सूर्य का आंशिक भाग ही ग्रसित महसूस होता है, इसी को आंशिक सूर्य ग्रहण या खंडग्रास सूर्य ग्रहण कहते हैं।
जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी बहुत ज्यादा होती है और ऐसी स्थिति में सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आने के कारण चंद्रमा केवल सूर्य के केंद्रीय भाग को ही ढक पाता है तो ऐसी स्थिति में सूर्य एक रिंग की तरह यानी कि एक अंगूठी की तरह या एक कंगन की तरह दिखाई देता है, इसी को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसे दूसरे शब्दों में वलयाकर सूर्य ग्रहण या रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। यह स्थिति बहुत कम अवधि के लिए ही होती है।
उपरोक्त तीन के अतिरिक्त एक दुर्लभ प्रकृति का सूर्य ग्रहण भी देखने को मिलता है जिसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह अत्यंत दुर्लभ स्थिति में ही होता है और लगभग सभी सूर्य ग्रहण में से लगभग 5% ही हाइब्रिड सूर्य ग्रहण की अवस्था प्राप्त कर सकते हैं। हाइब्रिड सूर्य ग्रहण वह स्थिति होती है कि जब ग्रहण की शुरुआत में यह सूर्य ग्रहण वलयाकार रूप में दिखाई देता है फिर पूर्ण ग्रहण के रूप में दिखता है और उसके बाद धीरे-धीरे वह फिर से वलयाकर स्थिति में आ जाता है, ऐसा बहुत ही कम स्थानों पर देखने को मिलता है और बहुत ही कम ऐसा होता है। इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहते हैं।
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जैसे ही कोई वर्ष आता है तो हमें यह उत्सुकता रहती है कि इस साल में सूर्य ग्रहण कितने लगेंगे, भारत में कितने दिखाई देंगे, तो हम आपको सूर्य ग्रहण 2025 के बारे में बता रहे हैं कि इस वर्ष कुल मिलाकर दो सूर्य ग्रहण घटित होने वाले हैं। इनका विस्तृत विवरण नीचे दी गई तालिका के अनुसार आप बहुत ही आसानी से समझ सकते हैं:-
पहला सूर्य ग्रहण 2025 - खंडग्रास सूर्यग्रहण | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक |
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) |
सूर्य ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
चैत्र मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि |
शनिवार 29 मार्च, 2025 |
दोपहर 14:21 बजे से |
सायंकाल 18:14 तक |
बरमूडा, बारबाडोस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, उत्तरी ब्राज़ील, फिनलैंड, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, कनाडा का पूर्वी भाग, लिथुआनिया, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, सूरीनाम, स्वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, नॉर्वे, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट: यदि ग्रहण 2025 की बात करें तो उपरोक्त तालिका में दिया गया सूर्य ग्रहण का समय भारतीय मानक समय के अनुसार है।
यह वर्ष 2025 का पहला सूर्य ग्रहण होगा लेकिन भारत में दृश्यमान न होने के कारण इसका भारत में कोई भी धार्मिक प्रभाव नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल प्रभावी माना जाएगा।
वर्ष 2025 में आकार लेने वाला पहला सूर्य ग्रहण यानी कि साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण एक खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा जो कि चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनिवार के दिन 29 मार्च 2025 को दोपहर 14:21 बजे से सायंकाल 18:14 बजे तक प्रभावशाली रहेगा। यह सूर्य ग्रहण बरमूडा, बारबाडोस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, उत्तरी ब्राज़ील, फिनलैंड, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, कनाडा का पूर्वी भाग, लिथुआनिया, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, सूरीनाम, स्वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, नॉर्वे, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र, आदि में प्रमुखता से दिखाई देगा। भारतवर्ष में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा इसलिए भारत में इसका कोई महत्व नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल मान्य होगा लेकिन जिन क्षेत्रों में दिखाई देगा, वहां पर ग्रहण का सूतक काल सूर्य ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाएगा।
यह सूर्य ग्रहण मीन राशि और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। इस दिन मीन राशि में सूर्य और राहु के अतिरिक्त शुक्र, बुध और चंद्रमा उपस्थित होंगे। इससे द्वादश भाव में शनि महाराज विराजमान होंगे। इससे तीसरे भाव में वृषभ राशि में बृहस्पति, चौथे भाव में मिथुन राशि में मंगल और सप्तम भाव में कन्या राशि में केतु महाराज विराजमान होंगे। पांच ग्रहों का प्रभाव एक साथ होने के कारण इस सूर्य ग्रहण का बहुत गहन प्रभाव देखने को मिलेगा।
ग्रहण 2025 के बारे में यहां विस्तार से जानें।
दूसरा सूर्य ग्रहण 2025 - खण्डग्रास सूर्यग्रहण | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक |
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) |
सूर्य ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि |
रविवार, 21 सितंबर, 2025 |
रात्रि 22:59 बजे से |
मध्यरात्रि उपरांत 27:23 बजे तक (22 सितंबर की प्रातः 03:23 बजे तक) |
न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया का दक्षिण भाग (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट: यदि ग्रहण 2025 के अनुसार देखें तो उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समय के अनुसार है।
यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दृश्यमान नहीं होगा और यही वजह है कि भारत में इस सूर्य ग्रहण का कोई भी धार्मिक प्रभाव अथवा सूतक काल प्रभावी नहीं माना जाएगा और सभी लोग अपने काम विधिवत रूप से संपादित कर सकते हैं।
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण एक खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा जो आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रविवार, 21 सितंबर, 2025 की रात्रि 22:59 बजे से शुरू होकर मध्य रात्रि उपरांत 27:23 बजे तक यानी कि 22 सितंबर 2025 की प्रातः 03:23 बजे तक चलेगा। यह सूर्य ग्रहण न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण भाग आदि में प्रमुखता से दिखाई देगा। साल 2025 के पहले सूर्य ग्रहण की भांति यह दूसरा सूर्य ग्रहण भी भारत वर्ष में दिखाई नहीं देगा इसलिए यहां पर इसका सूतक वगैरह भी मान्य नहीं होगा लेकिन जिन क्षेत्रों में इसकी दृश्यता रहेगी, वहां पर सूतक काल सूर्य ग्रहण के शुरू होने से लगभग 12 घंटे पूर्व शुरू हो जाएगा।
21 सितंबर 2025 को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आकार लेगा। जिस समय सूर्य ग्रहण घटित होगा उस दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे और उन पर मीन राशि में बैठे श्री शनि देव की पूर्ण दृष्टि होगी। इससे दूसरे भाव में तुला राशि में मंगल महाराज, छठे भाव में कुंभ राशि में राहु महाराज, दशम भाव में बृहस्पति महाराज और द्वादश भाव में शुक्र और केतु की युति भी होगी। कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों और महिलाओं के लिए तथा व्यापारियों के लिए यह सूर्य ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली साबित हो सकता है।
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि सूतक काल सूर्य ग्रहण के शुरू होने से चार प्रहर पूर्व यानी कि लगभग 12 घंटे पूर्व लग जाता है। सूतक काल वह समय होता है जिस अवधि में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है क्योंकि यह एक अशुभ समय माना गया है।
इस दौरान जो भी काम करते हैं, उसके सफल होने की उम्मीद कम होती है इसलिए इस दौरान कोई काम न करना ही बेहतर होता है लेकिन यदि कुछ कार्य अति आवश्यक हों, तो ही करें और शुभ कार्यों से परहेज़ करना चाहिए। यह सूतक काल सूर्य ग्रहण शुरू होने से लगभग 12 घंटे पूर्व शुरू हो जाता है और सूर्य ग्रहण की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो जाता है। चूंकि, ऊपर बताए गए दोनों ही सूर्य ग्रहण 2025 भारत में दिखाई नहीं देंगे इसलिए भारत में इनका कोई सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि किसी भी ग्रहण का सूतक काल वहीं पर मान्य होता है, जहां पर वह दिखाई देता है लेकिन जिन क्षेत्रों में यह सूर्य ग्रहण 2025 दिखाई देंगे, वहां पर सूतक काल का प्रभाव माना जाएगा और उससे संबंधित सभी नियम मान्य होंगे।
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सूर्य ग्रहण 2025 के समय आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक होगा। यदि आप इन बातों का पूर्ण रूप से ध्यान रखते हैं तो आप सूर्य ग्रहण 2025 के अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं और इस सूर्य ग्रहण के कुछ विशेष प्रभाव, जो आपके लिए शुभ हो सकते हैं, उन्हें प्राप्त करने में भी आपको सरलता रहेगी। चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से कार्य हैं जिनका आपको सूर्य ग्रहण 2025 के दौरान ध्यान रखना चाहिए:-
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1. ज्योतिष के अनुसार ग्रहण कितने के प्रकार होते हैं?
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण -दो तरह के ग्रहण होते हैं।
2. सूर्य ग्रहण का सूतक कब लगता है?
सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व लग जाता है।
3. किन ग्रहों के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है?
छाया ग्रह राहु और केतु की वजह से ग्रहण लगते हैं।