शुभ मुहूर्त 2025: सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य को करने से पूर्व शुभ मुहूर्त को देखा जाता है जिससे व्यक्ति को उस विशेष अवधि में किये गए काम में सफलता प्राप्त हो सके। सामान्य शब्दों में कहें तो, वह समय जब ग्रहों की स्थिति, दशा या नक्षत्र अनुकूल हो, उस मुहूर्त में किया गया कोई भी कार्य अपने साथ सुख-समृद्धि एवं कामयाबी लेकर आता है। लेकिन, अक्सर आपके मन में भी ऐसे सवाल उठते होंगे कि ऐसा क्यों होता है? आपके मन में उठने वाले इन सवालों का जवाब आपको एस्ट्रोसेज के इस आर्टिकल शुभ मुहूर्त 2025 के माध्यम से मिलेगा।
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इस आर्टिकल में आपको न सिर्फ वर्ष 2025 में आने वाली शुभ तिथियों एवं मुहूर्त के बारे में जा नकारी मिलेगी, बल्कि हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त का महत्व, इसको निर्धारित करने के नियम और किन बातों का रखना होता है ध्यान? आदि से भी आपको रूबरू करवाएंगे। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जानते हैं क्या होता है शुभ मुहूर्त।
Read In English: Shubh Muhurat 2025
सरल शब्दों में शुभ मुहूर्त 2025 वह समय होता है जब हम किसी नए कार्य या मांगलिक कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त के दौरान सभी ग्रह एवं नक्षत्र अनुकूल स्थिति में होते हैं इसलिए इस अवधि में वह सकारात्मक परिणाम देने में सक्षम होते हैं। हिंदुओं द्वारा प्रत्येक शुभ एवं मांगलिक काम को करने से पहले मुहूर्त और तिथि को देखा जाता है और सबसे उत्तम समय को ही शुभ मुहूर्त कहा जाता है। इस अवधि को सभी तरह के शुभ कामों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
जैसे-जैसे समय के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं शुभ मुहूर्त के प्रति लोगों की विचारधारा में भी बदलाव आया है और वह बिना शुभ मुहूर्त देखे ही नए एवं मांगलिक कार्यों का आरंभ कर देते हैं लेकिन, इसलिए उन्हें कार्यों में नकारत्मक परिणामों का सामना करना पड़ता है। ऐसा कार्य को शुभ मुहूर्त में न करने की वजह से होता है।
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जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है हम सब यह बात भली-भांति जानते हैं कि जब कोई व्यक्ति किसी नए कार्य की शुरुआत करता है, तो बहुत आशा के साथ करता है और शुभ मुहूर्त किसी काम में सफलता को निर्धारित करने की क्षमता रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मनुष्य को नए कार्य या मांगलिक कार्य में सफलता तब ही मिल सकती है जब उस काम को शुभ मुहूर्त में किया जाए अर्थात ग्रहों ग्रहों एवं नक्षत्रों की शुभ स्थिति की अवधि में उनके आशीर्वाद से किया जाता है। हालांकि, शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त को देखे जाने की परंपरा वैदिक काल से ही प्रचलन में है क्योंकि शुभ-अशुभ मुहूर्त से ही काम की कार्य की सफलता-असफलता निर्धारित होती है।
ऐसा माना जाता है कि जो मनुष्य अपने जीवन में समय के महत्व को समझ जाता है, वह अवश्य ही सफल होता है और यह बात शुभ मुहूर्त पर भी लागू होती है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में जो काम संपन्न किया जाता है उसमें शुभ फल प्राप्त होते हैं और वह निर्विघ्न पूर्ण होता है। हिंदू धर्म में अनेक ऐसे अवसर आते हैं जब व्यक्ति शुभ मुहूर्त को देखना और उसके अनुसार कार्य करना पसंद करता है जैसे कि विवाह, अन्नप्राशन, मुंडन, विद्यारम्भ, उपनयन आदि। इन संस्कारों को करने के लिए सदैव शुभ तिथि व मुहूर्त का चयन किया जाता है जिससे यह व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य लेकर आ सकें।
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अगर आप भी आने वाले साल यानी कि वर्ष 2025 में विवाह या अपने शिशु के मुंडन, अन्नप्राशन आदि संस्कार के लिए मुहूर्त की तलाश में हैं, तो यहाँ हम आपको नामकरण के लेकर विवाह तक के शुभ मुहूर्त और तिथियां प्रदान कर रहे हैं।
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वर्ष 2025 में कर्णवेध मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: कर्णवेध मुहूर्त 2025
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वर्ष 2025 में उपनयन मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: उपनयन मुहूर्त 2025
वर्ष 2025 में विद्यारंभ मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: विद्यारंभ मुहूर्त 2025
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वर्ष 2025 में अन्नप्राशन मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: अन्नप्राशन मुहूर्त 2025
आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं कि कैसे होता है है शुभ मुहूर्त का निर्माण।
शुभ मुहूर्त 2025 से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं जैसे क्या होता है शुभ मुहूर्त और इसका महत्व आदि। इन सबके बावजूद भी आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आख़िरकार कैसे बनता है शुभ मुहूर्त और हम कैसे जान सकते हैं कि बनने वाला कोई मुहूर्त शुभ है या अशुभ। इन सवालों का जवाब जानने में ज्योतिष आपकी सहायता कर सकता है क्योंकि ज्योतिष विद्या के माध्यम से हम हर सवाल का जवाब जान सकते हैं। इस प्रकार, शुभ मुहूर्त के बारे में भी ज्योतिष में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
शुभ मुहूर्त के निर्धारण के लिए तिथि, वार, योग, नक्षत्र, नौ ग्रहों की स्थिति, करण, शुक्र-गुरु अस्त, अधिक मास, मलमास, शुभ-अशुभ योग, राहुकाल, शुभ लग्न एवं भद्रा आदि की गणना की जाती है। लेकिन, शुभ मुहूर्त के समान ही अशुभ मुहूर्त भी होते हैं जो कार्य की सफलता-असफलता तय करते हैं। इस प्रकार, सनातन धर्म में समय मापने की इकाई के रूप में मुहूर्त को देखा जाता है।
वहीं, पंचांग के अनुसार, एक दिन में 24 घंटे होते हैं जिसके आधार पर एक दिन में कुल 30 मुहूर्त निकलते हैं। ऐसे में, हर मुहूर्त 48 मिनट तक चलता है।इस सूची के माध्यम से आप जान सकते है कि कौन सा मुहूर्त शुभ है और कौन सा अशुभ।
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मुहूर्त का नाम | मुहूर्त की प्रवृत्ति |
रूद्र | अशुभ |
आहि | अशुभ |
मित्र | शुभ |
पितृ | अशुभ |
वसु | शुभ |
वाराह | शुभ |
विश्वेदेवा | शुभ |
विधि | शुभ (सोमवार और शुक्रवार के अलावा) |
सतमुखी | शुभ |
पुरुहूत | अशुभ |
वाहिनी | अशुभ |
नक्तनकरा | अशुभ |
वरुण | शुभ |
अर्यमा | शुभ (रविवार के अलावा) |
भग | अशुभ |
गिरीश | अशुभ |
अजपाद | अशुभ |
अहिर-बुध्न्य | शुभ |
पुष्य | शुभ |
अश्विनी | शुभ |
यम | अशुभ |
अग्नि | शुभ |
विधातृ | शुभ |
कण्ड | शुभ |
अदिति | शुभ |
अति शुभ | अत्यंत शुभ |
विष्णु | शुभ |
द्युमद्गद्युति | शुभ |
ब्रह्म | अत्यंत शुभ |
समुद्रम | शुभ |
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शुभ मुहूर्त 2025 के अनुसार,पंचांग में शुभ मुहूर्त की गणना करते समय तिथि, वार, योग, करण और नक्षत्र आदि को ध्यान में रखा जाता है। ऐसे में, इन पांचों तथ्यों को शुभ मुहूर्त निर्धारित करते समय सबसे पहले देखा जाता है। आइए इन विषयों के बारे में विस्तार से बात करते हैं।
शुभ मुहूर्त के चयन के समय तिथि का नाम सबसे पहले आता है। पंचांग के अनुसार, एक महीने में कुल 30 दिन अर्थात 30 तिथियां होती हैं जिन्हें 15-15 के दो वर्गों में बांटा जाता है। इन्हें शुक्ल और कृष्ण पक्ष कहा जाता हैं। शुभ मुहूर्त 2025 के अनुसार, अमावस्या वाले पक्ष को कृष्ण और पूर्णिमा वाले पक्ष को शुक्ल पक्ष कहते है। अब हम आपको बताने जा रहे हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली तिथियों के बारे में।
शुक्ल पक्ष | कृष्ण पक्ष |
प्रतिपदा तिथि | प्रतिपदा तिथि |
द्वितीया तिथि | द्वितीया तिथि |
तृतीया तिथि | तृतीया तिथि |
चतुर्थी तिथि | चतुर्थी तिथि |
पंचमी तिथि | पंचमी तिथि |
षष्ठी तिथि | षष्ठी तिथि |
सप्तमी तिथि | सप्तमी तिथि |
अष्टमी तिथि | अष्टमी तिथि |
नवमी तिथि | नवमी तिथि |
दशमी तिथि | दशमी तिथि |
एकादशी तिथि | एकादशी तिथि |
द्वादशी तिथि | द्वादशी तिथि |
त्रयोदशी तिथि | त्रयोदशी तिथि |
चतुर्दशी तिथि | चतुर्दशी तिथि |
पूर्णिमा तिथि | पूर्णिमा तिथि |
शुभ मुहूर्त 2025 के मुताबिक,वार या दिन भी शुभ मुहूर्त के निर्धारण में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पंचांग में सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते है जब मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं जिसमें रविवार का नाम सबसे पहले आता है। इसके विपरीत, गुरुवार, मंगलवार को सभी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त के निर्धारण का तीसरा पहलू नक्षत्र होता है। ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं और इनमें से कुछ नक्षत्र को शुभ या अशुभ माना गया है। साथ ही, प्रत्येक नक्षत्र पर किसी न किसी ग्रह का स्वामित्व होता है। किन नक्षत्रों पर है किन ग्रहों का शासन, चलिए जानते हैं।
नक्षत्र और स्वामी ग्रह के नाम
नक्षत्रों के नाम | स्वामी ग्रह |
अश्विनी, मघा, मूल | केतु |
भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा | शुक्र |
कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा | सूर्य |
रोहिणी, हस्त, श्रवण | चंद्र |
मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा | मंगल |
आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा | राहु |
पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद | बृहस्पति |
पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद | शनि |
अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती | बुध |
शुभ मुहूर्त के निर्धारण में योग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्र की स्थिति के आधार पर कुल 27 योगों का वर्णन किया गया है और इनमें से 9 योग अशुभ और 18 योग शुभ होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं।
शुभ योग: हर्षण, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव।
अशुभ योग: शूल, गण्ड, व्याघात, विष्कुम्भ, अतिगण्ड, परिघ, वैधृति, वज्र, व्यतिपात
शुभ मुहूर्त 2025 के अनुसार,करण शुभ मुहूर्त के निर्धारण का पांचवां और अंतिम पहलू होता है। पंचांग के अनुसार, एक तिथि में दो करण होते हैं और एक तिथि के पूर्वार्ध और उत्तरार्ध में एक-एक करण होते हैं। इसी क्रम में, करण की संख्या 11 हो जाती हैं और इसमें 4 करण स्थिर जबकि 7 चर प्रकृति के होते हैं। आइये आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इन करण के नामों और प्रकृति के बारे में। स्थिर और चर करण के नाम नीचे दिए गए हैं।
स्थिर करण | चतुष्पाद, किस्तुघ्न, शकुनि, नाग |
चर करण | विष्टि या भद्रा, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, बव, बालव |
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
उत्तर: मुहूर्त वह अवधि होती है जब ग्रहों व नक्षत्रों की स्थिति शुभ कार्यों के लिए अच्छी होती है।
उत्तर: धार्मिक ग्रंथों में कुल 30 मुहूर्त का वर्णन मिलता है।
उत्तर: 2025 में जून माह में विवाह के सिर्फ 3 मुहूर्त हैं।
उत्तर: साल 2025 में हर महीने में अन्नप्राशन संस्कार के मुहूर्त उपलब्ध हैं।