उपनयन मुहूर्त 2025

उपनयन मुहूर्त 2025: सनातन धर्म में निर्धारित किए गए 16 संस्कारों में से दसवां संस्कार होता है उपनयन संस्कार अर्थात जनेऊ संस्कार। सनातन धर्म के पुरुषों में जनेऊ धारण करने की परंपरा सालों से चली आ रही है। उपनयन शब्द का अर्थ होता है खुद को अंधेरे से दूर कर प्रकाश की तरफ बढ़ना। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि उपनयन संस्कार होने के बाद ही बालक धार्मिक कार्य में शामिल हो सकता है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में जनेऊ संस्कार को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आज अपने इस विशेष लेख के माध्यम से जानेंगे वर्ष 2025 के लिए शुभ उपनयन मुहूर्त 2025 की जानकारी। साथ ही जानेंगे उपनयन संस्कार से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें भी।

देखें उपनयन मुहूर्त 2025 और जानें जनेऊ धारण का शुभ मुहूर्त!

क्या होता है उपनयन संस्कार?

उपनयन संस्कार में बालक को जनेऊ धारण कराया जाता है। जनेऊ दरअसल तीन धागों का एक सूत्र होता है जिसे पुरुष अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक धारण करते हैं। अगर आप भी वर्ष 2025 में जनेऊ धारण या उपनयन संस्कार करना या किसी के लिए करवाने के लिए सोच रहे हैं तो उपनयन मुहूर्त 2025 की सबसे सटीक और विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारा यह लेख अंत तक अवश्य पढ़ें।

बात करें उपनयन शब्द की तो यह दो शब्दों से मिलकर बना होता है जिसमें उप का अर्थ होता है निकट और नयन का अर्थ होता है दृष्टि अर्थात इसका शाब्दिक अर्थ होता है खुद को अंधकार (अज्ञानता) की स्थिति से दूर रखना और प्रकाश (आध्यात्मिक ज्ञान) की ओर बढ़ना। ऐसे में उपनयन संस्कार सभी संस्कारों में सबसे पवित्र और प्रसिद्ध अनुष्ठान माना जाता है। आमतौर पर ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य भी विवाह से पहले दूल्हे के लिए धागा बांधने की इस रस्म को आयोजित करते हैं। इस संस्कार को यज्ञोपवीत के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में शूद्रों के अलावा हर कोई जनेऊ धारण कर सकता है।

Read in English: Upanayana Muhurat 2025

उपनयन मुहूर्त का महत्व

हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों के लिए यह परंपरा या संस्कार बेहद ही मजबूत और महत्वपूर्ण माना गया है। जनेऊ संस्कार या उपनयन संस्कार के साथ ही बालक बाल्यावस्था से यौन अवस्था तक उदित होता है। इस दौरान पुजारी या कोई पंडित लड़के के बाए कंधे के ऊपर से लेकर दाहिने हाथ के नीचे तक एक पवित्र धागा जिसे जनेऊ कहते हैं वह बांधते हैं। जनेऊ में मुख्य रूप से तीन धागे होते हैं इन तीन धागों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। यह धागे देवरुण, पितृरुण और ऋषिरुण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।

इसके अलावा एक मत के अनुसार यह कहा जाता है कि यह धागे सत्व, रहा और तम का प्रतिनिधित्व करते हैं। चौथे मत के अनुसार कहा जाता है कि यह धागे गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक होते हैं। पांचवें मत के अनुसार कहा जाता है कि यह धागे आश्रमों के प्रतीक है। जनेऊ की कुछ मुख्य बातें होती हैं जैसे,

नौ तार: उपनयन मुहूर्त 2025 के अनुसार, इसमें 9 तार होते हैं। जनेऊ की प्रत्येक जीव में तीन तार होते हैं जिन्हें जोड़ा जाए तो 9 बनता है। ऐसे में तारों की कुल संख्या 9 होती है।

पाँच गांठे: जनेऊ में पांच गांठे होती है। यह पांच गांठे ब्रह्मा, धर्म, कर्म, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं।

जनेऊ की लंबाई: जनेऊ की लंबाई की बात करें तो उपनयन मुहूर्त 2025 में शामिल किया गया जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है। इसमें जनेऊ धारण करने वाले को 64 कला और 32 विधाओं को सीखने का प्रयास करने का आवाहन दिया जाता है। 32 विद्या, चार वेद, चार उपवेद, 6 दर्शन, 6 आगम, 3 सूत्र और 9 आरण्यक होते हैं।

जनेऊ धारण करना: जब भी बालक जनेऊ धारण करता है तो केवल एक छड़ी धारण करता है। वह केवल एक ही कपड़ा पहना है और बिना टांके वाला कपड़ा पहना जाता है, गले में पीले रंग का कपड़ा लिया जाता है।

यज्ञ: उपनयन मुहूर्त 2025 के मुताबिक, जनेऊ धारण करते समय यज्ञ किया जाता है जिसमें बालक और उनके परिवार के लोग शामिल होते हैं। जनेऊ के बाद पंडित को गुरु दीक्षा दी जाती है।

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गायत्री मंत्र: जनेऊ की शुरुआत गायत्री मंत्र से होती है। गायत्री मंत्र के तीन चरण होते हैं।

तत्सवितुर्वरेण्यं- ये पहला चरण होता है।

भर्गो देवस्य धीमहि- ये दूसरा चरण है और

धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ तीसरा चरण कहा जाता है।

जनेऊ संस्कार के लिए मंत्र

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।

आयुधग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।

उपनयन मुहूर्त 2025

अगर आप भी अपनी संतान के लिए या अपने किसी करीबी के लिए उपनयन संस्कार मुहूर्त की तलाश कर रहे हैं तो हम आपकी समस्या का हल लेकर आए हैं क्योंकि इस विशेष लेख में हम आपको उपनयन मुहूर्त 2025 की सटीक जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं जो हमारे विद्वान ज्योतिष्यों द्वारा तैयार की गई है। यह मुहूर्त नक्षत्र और ग्रहों की चाल और स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जाते हैं। माना गया है कि अगर कोई भी शुभ मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाए तो फलित होता है ऐसे में अगर आप भी उपनयन संस्कार या कोई भी शुभ काम करने जा रहे हैं तो उसके लिए मुहूर्त देखकर ही कदम आगे बढ़ाएं इससे आपके जीवन में शुभता आएगी और किया गया काम भी सफल होगा।

जीवन में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए प्रश्न पूछें

जनवरी 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
1 जनवरी 2025

07:45-10:22

11:50-16:46

2 जनवरी 2025

07:45-10:18

11:46-16:42

4 जनवरी 2025

07:46-11:38

13:03-18:48

8 जनवरी 2025 16:18-18:33
11जनवरी 2025 07:46-09:43
15 जनवरी 2025

07:46-12:20

13:55-18:05

18 जनवरी 2025

09:16-13:43

15:39-18:56

19 जनवरी 2025 07:45-09:12
30 जनवरी 2025 17:06-19:03
31 जनवरी 2025

07:41-09:52

11:17-17:02

फरवरी 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
1 फरवरी 2025

07:40-09:48

11:13-12:48

2 फरवरी 2025 12:44-19:15
7 फरवरी 2025

07:37-07:57

09:24-14:20

16:35-18:55

8 फरवरी 2025 07:36-09:20
9 फरवरी 2025

07:35-09:17

10:41-16:27

14 फरवरी 2025

07:31-11:57

13:53-18:28

17 फरवरी 2025

08:45-13:41

15:55-18:16

मार्च 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
1 मार्च 2025

07:17-09:23

10:58-17:29

2 मार्च 2025

07:16-09:19

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14 मार्च 2025 14:17-18:55
15 मार्च 2025

07:03-11:59

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16 मार्च 2025

07:01-11:55

14:09-18:47

31 मार्च 2025

07:25-09:00

10:56-15:31

अप्रैल 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
2 अप्रैल 2025 13:02-19:56
7 अप्रैल 2025

08:33-15:03

17:20-18:48

9 अप्रैल 2025 12:35-17:13
13 अप्रैल 2025

07:02-12:19

14:40-19:13

14 अप्रैल 2025

06:30-12:15

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18 अप्रैल 2025 09:45-16:37
30 अप्रैल 2025

07:02-08:58

11:12-15:50

मई 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
1मई 2025 13:29-20:22
2मई 2025 06:54-11:04
7मई 2025

08:30-15:22

17:39-18:46

8मई 2025 13:01-17:35
9मई 2025

06:27-08:22

10:37-17:31

14मई 2025 07:03-12:38
17मई 2025

07:51-14:43

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28मई 2025 09:22-18:36
29मई 2025

07:04-09:18

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31मई 2025

06:56-11:31

13:48-18:24

जून 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
5 जून 2025 08:51-15:45
6 जून 2025 08:47-15:41
7 जून 2025

06:28-08:43

11:03-17:56

8 जून 2025 06:24-08:39
12 जून 2025

06:09-13:01

15:17-19:55

13 जून 2025

06:05-12:57

15:13-17:33

15 जून 2025 17:25-19:44
16 जून 2025 08:08-17:21
26 जून 2025 14:22-16:42
27 जून 2025

07:24-09:45

12:02-18:56

28 जून 2025 07:20-09:41
30 जून 2025 09:33-11:50

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जुलाई 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
5 जुलाई 2025 09:13-16:06
7 जुलाई 2025

06:45-09:05

11:23-18:17

11 जुलाई 2025

06:29-11:07

15:43-20:05

12 जुलाई 2025

07:06-13:19

15:39-20:01

26 जुलाई 2025

06:10-07:51

10:08-17:02

27 जुलाई 2025 16:58-19:02

अगस्त 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
3 अगस्त 2025 11:53-16:31
4 अगस्त 2025 09:33-11:49
6 अगस्त 2025

07:07-09:25

11:41-16:19

9 अगस्त 2025 16:07-18:11
10 अगस्त 2025

06:52-13:45

16:03-18:07

11 अगस्त 2025 06:48-11:21
13 अगस्त 2025

08:57-15:52

17:56-19:38

24 अगस्त 2025 12:50-17:12
25 अगस्त 2025

06:26-08:10

12:46-18:51

27 अगस्त 2025 17:00-18:43
28 अगस्त 2025

06:28-12:34

14:53-18:27

सितंबर 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
3 सितंबर 2025 09:51-16:33
4 सितंबर 2025

07:31-09:47

12:06-18:11

24 सितंबर 2025

06:41-10:48

13:06-18:20

27 सितंबर 2025 07:36-12:55

अक्टूबर 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
2 अक्टूबर 2025

07:42-07:57

10:16-16:21

17:49-19:14

4 अक्टूबर 2025

06:47-10:09

12:27-17:41

8 अक्टूबर 2025

07:33-14:15

15:58-18:50

11 अक्टूबर 2025

09:41-15:46

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24 अक्टूबर 2025

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26 अक्टूबर 2025 14:47-19:14
31 अक्टूबर 2025

10:41-15:55

17:20-18:55

नवंबर 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
1 नवंबर 2025

07:04-08:18

10:37-15:51

17:16-18:50

2 नवंबर 2025 10:33-17:12
7 नवंबर 2025 07:55-12:17
9 नवंबर 2025

07:10-07:47

10:06-15:19

16:44-18:19

23 नवंबर 2025

07:21-11:14

12:57-17:24

30 नवंबर 2025

07:42-08:43

10:47-15:22

16:57-18:52

दिसंबर 2025- शुभ उपनयन मुहूर्त

तारीख समय
1 दिसंबर 2025 07:28-08:39
5 दिसंबर 2025

07:31-12:10

13:37-18:33

6 दिसंबर 2025

08:19-13:33

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21 दिसंबर 2025

11:07-15:34

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22 दिसंबर 2025

07:41-09:20

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24 दिसंबर 2025 13:47-17:18
25 दिसंबर 2025

07:43-12:18

13:43-15:19

29 दिसंबर 2025

12:03-15:03

16:58-19:13

क्या यह जानते हैं आप? शास्त्रों में कई जहां पर महिलाओं के भी जनेऊ पहनने का उल्लेख मिलता है लेकिन वह लड़कों की तरह इस कंधे से बाजू तक नहीं बल्कि गले में हार की तरह धारण करती हैं। प्राचीन समय में विवाहित पुरुष दो पवित्र धागे या जनेऊ पहनता थे जिसमें से एक वह अपने लिए पहनते थे और एक अपनी पत्नी के लिए पहनते थे।

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उपनयन संस्कार की सही विधि

अब बात करें सही विधि की तो उपनयन मुहूर्त 2025 के अनुसार, जनेऊ संस्कार या उपनयन संस्कार शुरू करने से पहले बच्चे के बाल का मुंडन अवश्य कराया जाता है।

  • उपनयन मुहूर्त 2025 के दिन बालक को सबसे पहले स्नान कराया जाता है फिर उनके सिर और शरीर पर चंदन का लेप लगाया जाता है।
  • इसके बाद हवन की तैयारी शुरू कर दी जाती है। इस दौरान बच्चा भगवान गणेश की पूजा करता है।
  • देवी देवताओं का आवाहन करने के लिए गायत्री मंत्र का 10,000 बार जाप किया जाता है।
  • इस दौरान लड़का शास्त्रों की शिक्षाओं का पालन करने और व्रत रखने का संकल्प लेता है।
  • इसके बाद वह अपने कम उम्र के लड़कों के साथ चूरमा खाता है और दोबारा स्नान करता है।
  • पिता या परिवार का कोई भी बड़ा सदस्य बच्चों के सामने गायत्री मंत्र का पाठ करता है और बालक से कहता है कि, 'आप आज से ब्राह्मण हैं'।
  • फिर वह उसे एक डांडा देते हैं और उसे पर मेखला और कंडोरा बांधा जाता है।
  • इसके बाद बालक ब्राह्मण आसपास के लोगों से भिक्षा मांगता है।
  • रिवाज के तहत कहा जाता है कि बच्चा रात में खाने के बाद अपने घर से भाग जाता है क्योंकि वह पढ़ाई के लिए काशी जा रहा होता है। कुछ देर बाद लोग जाते हैं और शादी के नाम पर उसे वापस ले आते हैं।

उपनयन संस्कार से संबंधित विशेष नियम

उपनयन मुहूर्त 2025 कहता है कि उपनयन संस्कार से संबंधित कुछ विशेष नियम भी निर्धारित किए गए हैं। क्या कुछ हैं ये नियम चलिए जान लेते हैं।

  • जनेऊ संस्कार के दिन उपनयन मुहूर्त 2025 में ही यज्ञ का आयोजन किया जाना चाहिए।
  • जिस भी बालक के लिए उपनयन संस्कार किया जा रहा है वह अपने परिवार के साथ इस यज्ञ में अवश्य शामिल होता है।
  • उपनयन मुहूर्त 2025 के दिन लड़के को अर्थात जिसका उपनयन संस्कार किया जा रहा है उसे बिना सिला हुआ वस्त्र धारण कराया जाता है और हाथ में डांडा दिया जाता है, गले में पीला वस्त्र और पैर में खड़ाऊ पहनाई जाती है।
  • मुंडन के दौरान बालक के सिर पर एक एक चोटी अवश्य छोड़ी जाती है।
  • जनेऊ पीले रंग का होता है और लड़के को इस गुरु दीक्षा के साथ पहनना होता है।
  • ब्राह्मणों के लिए सुझाए गए जनेऊ संस्कार की आयु 8 वर्ष की होती है, क्षत्रिय बालकों के लिए यह 11 वर्ष है, वैश्यों के लिए 12 वर्ष।

दिलचस्प जानकारी: कहा जाता है उपनयन संस्कार के दौरान जनेऊ पहनने से व्यक्ति आध्यात्मिक से जुड़ता है। वह बुरे कर्म, बुरे विचारों से दूर जाता है और अपने जीवन को आध्यात्मिक बनाता है।

जनेऊ का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व जानते हैं आप?

हिंदू संस्कार में बताए गए सभी संस्कारों का धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी होता है। उपनयन मुहूर्त 2025 बता रहा है कि जनेऊ धारण करने के धार्मिक और वैज्ञानिक और साथ ही साथ स्वास्थ्य लाभ की तो कहा जाता है कि, जनेऊ धारण करने के बाद कुछ उचित नियमों का पालन करना होता है और अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है तो ऐसी संतान बेहद ही सफल जीवन व्यतीत करते हैं, ऐसे बालकों को बुरे सपने नहीं आते क्योंकि जनेऊ हृदय से जुड़ा होता है। ऐसे में यह हृदय से संबंधित बीमारियों की आशंका को भी बेहद कम कर देता है।

साथ ही साथ यह सूत्र व्यक्ति को दाँत, पेट और बैक्टीरिया से होने वाली परेशानियों से दूर रखता है। जब इस पवित्र सूत्र को कान के ऊपर बांधा जाता है तो इससे सूर्य नाड़ी जागृत होती है। यह सूत्र व्यक्ति को पेट से जुड़ी परेशानियों और ब्लड प्रेशर से दूर रखता है। साथ ही साथ यह गुस्से को भी नियंत्रित करता है। जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति का शरीर के साथ-साथ आत्मा भी शुद्ध होती है, उसके मन में बुरे विचार नहीं आते हैं, साथ ही ऐसे व्यक्तियों को कब्ज, एसिडिटी, पेट की बीमारियां और तमाम तरह के संक्रमण भी नहीं होते हैं।

उपनयन संस्कार 2025: इन बातों का रखें विशेष ख्याल

जब भी उपनयन मुहूर्त 2025 की गणना की जाती है तो इसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है जैसे कि,

नक्षत्र: उपनयन मुहूर्त के लिए आर्द्रा नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, स्‍वाति नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्‍ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र बेहद ही शुभ माने गए हैं ऐसे में इन नक्षत्र का विशेष ध्यान रखना होता है

दिन: दिन की बात करें तो उपनयन मुहूर्त के लिए रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है।

लग्न: लग्न की बात करें तो लग्न से शुभ ग्रह सातवें, आठवां या बारहवें भाव में स्थित होना बेहद शुभ होता है या शुभ ग्रह किसी तीसरे, छठे, 11वें भाव में हो तो इसे भी शुभ माना गया है। इसके अलावा अगर चंद्रमा लग्न में वृषभ राशि या कर्क में हो तो यह भी अति शुभ स्थिति है।

माह: महीने की बात करें तो उपनयन मुहूर्त 2025 के अनुसार, चैत्र का महीना, वैशाख का महीना, माघ का महीना और फाल्गुन का महीना जनेऊ संस्कार के लिए अति शुभ होते हैं।

जनेऊ धारण कर रहे हैं तो इन बात कर रखें विशेष ध्यान

  • उपनयन मुहूर्त 2025 के नियम के अनुसार, जनेऊ धारण करने के बाद जब भी व्यक्ति शौच के लिए जाता है तो उन्हें अपने जनेऊ को कान पर लपेट लेना होता है। ऐसा करने से कान के पास मौजूद कुछ नसों पर दबाव पड़ता है जिससे रक्तचाप नियंत्रित होता है।
  • दाहिने कान के पास से शरीर की ऐसी नसें गुजरती है जिनका संबंध गुप्त इंद्रियों से होता है। ऐसे में व्यक्ति को अनजाने में ही सही लेकिन शुक्राणु की रक्षा होती है।
  • मेडिकल रिसर्च में भी पाया गया है कि जो लोग जनेऊ धारण करते हैं उन्हें हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, आदि की आशंका अन्य लोगों के मुकाबले कम होती है।
  • जो लोग रोजाना कान पर जनेऊ लपेटते हैं उनकी स्मरण शक्ति ज्यादा तेज होती है।
  • यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण करने से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्वास्थ्य मजबूत होता है। ऐसे व्यक्ति बुरे कार्य नहीं करते हैं और ऐसे व्यक्तियों के पास बुरी आत्माएं भी नहीं आती है।

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हम उम्मीद करते हैं उपनयन मुहूर्त पर विशेष हमारा यह खास लेख आपके लिए सहायक साबित हुआ होगा और आपको इससे उपयुक्त जानकारी प्राप्त हुई होगी। अगर ऐसा है तो इस लेख को अपने शुभचिंतकों, दोस्तों आदि के साथ शेयर करना ना भूलें। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1: उपनयन संस्कार क्यों जरूरी है?

उत्तर: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उपनयन संस्कार के बाद ही बालक धार्मिक कार्यों में शामिल हो सकता है।

प्रश्न 2: अक्टूबर 2025 में उपनयन संस्कार कब करें?

उत्तर: उपनयन संस्कार 2025 के अक्टूबर में आप 2, 4, 8, 11, 24, 26 या 31 आदि तिथियों को कर सकते हैं।

प्रश्न 3: उपनयन संस्कार में क्या होता है?

उत्तर: उपनयन संस्कार के अंतर्गत बालक को जनेऊ पहनाया जाता है।

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