चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024)
चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के बारे में जानकारी देने के लिए एस्ट्रोसेज के इस विशेष लेकर द्वारा हम आपको बताएंगे कि वर्ष 2024 में कुल कितने चंद्र ग्रहण घटित होंगे और उनमें से प्रत्येक ग्रहण किस तरीके का होगा यानी कि वह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा या आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि कौन सा चंद्र ग्रहण किस प्रकृति का होकर किस दिन, तिथि, दिनांक को कितने बजे लगेगा और कहां-कहां पर उसकी दृश्यता होगी। इसके साथ ही आपको यह भी जानने को मिलेगा कि चंद्र ग्रहण 2024 का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है, उसका सूतक काल क्या है, सूतक काल के दौरान आपको कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए, गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, आदि।
सभी महत्वपूर्ण जानकारियां आपको इस महत्वपूर्ण लेख में जानने को मिलेगी इसलिए हम आपको यही सलाह देते हैं कि आप इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य ही पूरा पढ़ें ताकि आपको हर बारीक से बारीक जानकारी प्राप्त हो सके। इस चंद्र ग्रहण 2024 के विशेष लेख को एस्ट्रोसेज के जाने-माने ज्योतिषीडॉ मृगांक शर्मा ने तैयार किया है। तो आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के बारे में सभी महत्वपूर्ण बातें और उसका प्रभाव।
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चंद्र ग्रहण आकाश में घटने वाली एक विशेष घटना है जो प्रकृति से तो खगोलीय घटना है लेकिन सभी के लिए कौतूहल का विषय रहती है। सभी चंद्र ग्रहण जब लगता है तो उसे देखने का इंतजार करते हैं और इसके बारे में जानना चाहते हैं क्योंकि यह देखने में बहुत ही सुंदर दिखाई देता है और क्योंकि यह सूर्य ग्रहण नहीं होता तो इसमें हमें आंखों की रोशनी को लेकर भी कोई समस्या नहीं होती। यह देखने में इतना सुंदर हो सकता है कि हम उसे शब्दों में बात भी नहीं सकते हैं। वास्तव में प्रकृति का एक अद्भुत नजारा चंद्र ग्रहण के रूप में हमें दिखाई देता है। चंद्र ग्रहण का भी सूर्य ग्रहण की भांति धार्मिक और आध्यात्मिक तथा पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के रूप से भी ग्रहण बहुत महत्वपूर्ण स्थिति होती है।
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को सर्वाधिक महत्व दिया गया है क्योंकि यह हमारे जीवन में कफ प्रकृति को निर्धारित करता है और हमारे शरीर में जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और ज्योतिष में चंद्रमा को मां का कारक कहा जाता है और मन की गति सर्वाधिक तीव्र होती है। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि चंद्र ग्रहण का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और उनके मन में तरह-तरह के नकारात्मक और डरावने विचार पनपने लगते हैं क्योंकि हमारे मन में अनेक प्रकार की भ्रांतियां होती हैं कि चंद्रग्रहण हानिकारक होगा और इससे हमें नुकसान हो सकता है जबकि वास्तविकता कई बार इससे भिन्न भी हो सकती है और हमें उसके बारे में जानना चाहिए और यही जानकारी देने के लिए हमने यह लेख आपके लिए तैयार किया है।
यदि हम चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो ज्योतिष में तो चंद्र ग्रहण को अनुकूल नहीं माना गया है क्योंकि इस स्थिति में सर्वाधिक प्रभाव देने वाला चंद्रमा पीड़ित अवस्था में होता है। राहु केतु के प्रभाव में आकर चंद्रमा पीड़ित अवस्था में हो जाता है। इससे मानसिक तनाव, अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और जिस किसी की कुंडली में भी चंद्र ग्रहण योग होता है उसे मानसिक रूप से आय स्थिरता, व्याकुलता, बेचैनी, तनाव, अवसाद जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि हर समस्या का समाधान भी है और यही वजह है कि ज्योतिष में भी चंद्र ग्रहण दोष के उपाय बताए गए हैं। तो चंद्र ग्रहण के भी विशेष उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से जिन लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है वो इसके दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और समझ लेते हैं चंद्र ग्रहण 2024 के बारे में विस्तृत जानकारी:
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चंद्रग्रहण क्या होता है
जैसा कि हम सभी को विदित है कि पृथ्वी सूर्य का अपने निश्चित परिक्रमा पत्र में चक्कर लगाती है पर पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह परिक्रमा निरंतर जारी रहती है और इसके साथ ही पृथ्वी अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती रहती है जिसकी वजह से दिन और रात की अवस्था जन्म लेती है। जब पृथ्वी सूर्य के और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाते लगाते किसी एक विशेष स्थिति में आ जाती है कि वहां से सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक ही रेखा में आ जाते हैं और इस स्थिति में चंद्रमा पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पृथ्वी के बीच में आ जाने से चंद्रमा पर नहीं पहुंच पाता है तब पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा पर अंधेरा जैसा प्रतीत होता है। यानी कि चंद्रमा कुछ काला या मद्धिम सी रोशनी वाला प्रतीत होने लगता है। इस अवस्था को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। साल 2024 में भी यह घटना होने वाली है जिसे हम चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के नाम से जानेंगे।
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चंद्रग्रहण के प्रकार
अभी ऊपर आपने जाना की चंद्र ग्रहण क्या होता है। अब हम जानने की कोशिश करते हैं कि चंद्र ग्रहण कितने तरीके के हो सकते हैं। जिस प्रकार सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है और पृथ्वी के छाया से चंद्रमा अंधकार युक्त दिखाई देता है तो कभी-कभी स्थिति ऐसी होती है कि पृथ्वी की छाया पूरे चंद्रमा की छाया को ढक लेती है तो कभी ऐसी स्थिति भी होती है कि चंद्रमा का आंशिक भाग ही ग्रसित हो पाता है और चंद्रमा पूरी तरह से काला दिखाई नहीं देता है, इसी के कारण चंद्र ग्रहण की स्थिति भी अलग-अलग प्रकार की हो सकती है। अगर चंद्र ग्रहण के प्रकार की बात करें तो यह लगभग तीन प्रकार का हो सकता है जो विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग तरीके से आपको दिखाई देता है और अलग-अलग तरह से बनता है। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण कितने प्रकार का होता है:
पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)
जब हम पूर्ण चंद्र ग्रहण की बात कर रहे हैं तो यह स्थिति विशेष रूप से दर्शनीय होती है। जब पृथ्वी की छाया द्वारा सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा पर पहुंचने से पूर्ण रूप से रोक लिया जाता है तो ऐसी स्थिति में सूर्य के प्रकाश से कुछ समय के लिए हीन होकर चंद्रमा लाल या गुलाबी रंग का प्रतीत होने लगता है और पृथ्वी से देखने पर तो चंद्रमा के धब्बे भी स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। ऐसी स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण या फिर सुपर ब्लड मून (Super Blood Moon) कहा जा सकता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का पूरा भाग पृथ्वी की छाया से ढका प्रतीत होता है। यही अवस्था पूर्ण चंद्र ग्रहण कहलाती है। पूर्ण चंद्र ग्रहण को खग्रास चंद्र ग्रहण भी कह सकते हैं।
आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse)
यदि हम आशिक चंद्र ग्रहण की बात करें तो यह वह स्थित है जब पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी अधिक होती है तो ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन पृथ्वी की छाया द्वारा चंद्रमा की दूरी अधिक होने के कारण पूर्ण रूप से चंद्रमा ग्रसित नहीं हो पाता है बल्कि पृथ्वी की छाया से उसका कुछ भाग ही ग्रसित दिखाई देता है। तो इस स्थिति को आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा के कुछ क्षेत्र को छोड़कर शेष स्थान पर सूर्य का प्रकाश पूर्ण रूप से दृश्य समान होता है इसीलिए यह आंशिक चंद्रग्रहण कहलाता है। यह अधिक लंबी अवधि का भी नहीं होता है। आशिक चंद्र ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण भी कह सकते हैं।
जब पृथ्वी चंद्रमा से अधिक दूरी पर होती है और सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पहुंचने से पूर्ण रूप से नहीं रुक पाता बल्कि थोड़ा पृथ्वी की छाया से रुक जाता है और थोड़ा नहीं रुक पाता तो इस स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं क्योंकि इसमें चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया कुछ हिस्सों पर पड़ती है और शेष जगह पर सूर्य का प्रकाश नज़र आता है। यह ग्रहण इसी कारण ज्यादा लंबी अवधि का भी नहीं होता है।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)
ऊपर बताए गए चंद्र ग्रहण की प्रकृति के अतिरिक्त एक विशेष प्रकृति का चंद्र ग्रहण और भी देखा जाता है इसे विशेष रूप से चंद्रग्रहण नहीं माना गया है। कई बार ऐसी स्थिति होती है कि पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है जिससे चंद्रमा की सतह धुंधली और मध्यम सी प्रतीत होने लगती है। इसमें चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता और काला नहीं होता केवल उसकी छाया ही मालिन प्रतीत होती है। ऐसी स्थिति को हम उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं। चूंकि इस प्रकार की श्रेणी के चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता है इसलिए इसको चंद्र ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है और इसे चंद्र ग्रहण की संज्ञा नहीं दी गई है। खगोलीय दृष्टिकोण से तो यह एक ग्रहण जैसी घटना मानी जा सकती है लेकिन इसका कोई भी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व नहीं होता क्योंकि जब चंद्रमा ग्रसित ही नहीं हुआ तो उस पर ग्रहण कैसा और यही वजह है कि इस प्रकार के ग्रहण के दौरान सभी प्रकार के धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाकलाप भली भांति संपादित किए जा सकते हैं।
चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) का सूतक काल
अभी हमने जाना कि चंद्र ग्रहण क्या होता है और चंद्र ग्रहण कितनी तरह का होता है। अब एक विशेष बात जो अपने अधिकांश लोगों के मुंह से सुनी होगी कि चंद्र ग्रहण का सूतक काल लग गया है। तो वास्तव में वह सूतक काल क्या है अब उसके बारे में बताते हैं। वैदिक काल से ही सनातन धर्म की स्थिति रही है और उसके अनुसार चंद्र ग्रहण का जो सूतक काल है वह हमें पता चलता है। प्रत्येक ग्रहण से पूर्व कुछ विशेष ऐसी अवधि होती है जिसके दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के मामले में यह चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व लगभग तीन पहर पूर्व का समय होता है। यानी कि जब चंद्र ग्रहण शुरू होने वाला हो तो उसे लगभग 9 घंटे पूर्व से उसका सूतक काल प्रारंभ हो जाता है और सूतक काल का समापन चंद्र ग्रहण के मोक्ष यानी कि चंद्र ग्रहण के समापन के साथ ही हो जाता है। इस सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है क्योंकि यदि आप इस दौरान कोई शुभ कार्य करते हैं तो मान्यता अनुसार उसके शुभ फल प्रदान करने की स्थिति समाप्त हो जाती है इसलिए मूर्ति पूजा, मूर्ति स्पर्श करना, शुभ कार्य जैसे की विवाह, मुंडन, अन्य शुभ कोई भी कार्य, गृहप्रवेश इत्यादि चंद्र ग्रहण के सूतक काल के दौरान नहीं किए जाते हैं।
2024 में चंद्र ग्रहण कब है?
अभी तक हम यह जान पाए हैं कि चंद्र ग्रहण क्या होता है, वह कितने प्रकार का होता है, उसका सूतक काल क्या होता है, आदि यह सभी जानकारियां हमें प्राप्त हो चुकी हैं। अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) कब लगेगा, किस तिथि, किस दिन, किस दिनांक को, कितने बजे से कितने बजे तक और कहां पर वह दृश्यमान होगा, ये सभी कुछ जानते हैं और यह भी जानते हैं कि वर्ष 2024 में कुल मिलाकर कितने चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं। लगभग प्रत्येक वर्ष ही चंद्र ग्रहण घटित होते हैं। हालांकि उनकी अवधि और उनकी संख्या में अंतर आ सकता है। चंद्र ग्रहण को खगोलीय घटना के रूप में मान्यता प्राप्त है। अगर वर्ष 2024 के बारे में बात करें तो हम जानेंगे की कुल मिलाकर मुख्य रूप से एक ही चंद्र ग्रहण इस वर्ष दिखाई देने वाला है। यानी कि वर्ष 2024 में मुख्य रूप से केवल एक हीचंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) घटित होगा जो की मुख्य चंद्र ग्रहण होगा। इसके अतिरिक्त एक उपच्छाया चंद्रग्रहण भी आकार लेने वाला है जिसे हम ग्रहण नहीं मानते हैं लेकिन फिर भी आपकी सुविधा और जानकारी के लिए उसके बारे में भी हम आपके यहां पर बता रहे हैं:
- साल 2024 का पहला और मुख्य चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) बुधवार, 18 सितंबर, 2024 को लगेगा।
- साल का दूसरा चंद्र ग्रहण एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा जिसे ग्रहण की संज्ञा नहीं दी गई है। फिर भी हम जानकारी के लिए बता रहे हैं कि यहसोमवार, 25 मार्च, 2024 को लगेगा।
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) भारतवर्ष में लगभग दृश्य मान नहीं होगा इसलिए भारत में इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा क्योंकि जहां पर ग्रहण दिखाई देता है, वहां उसका सूतक काल प्रभावी माना जाता है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि इसको ग्रहण नहीं माना जाता है। आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं कि वर्ष 2024 में मुख्य चंद्रग्रहण का क्या समय होगा और वह कहां-कहां दिखाई देगा।
चन्द्र ग्रहण 2024 - खंडग्रास चंद्रग्रहण | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक |
चन्द्र ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) |
चन्द्र ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा |
बुधवार, 18 सितंबर, 2024 |
प्रातः काल 7: 43 बजे से |
प्रातः काल 8:46 बजे तक |
दक्षिणी अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और पश्चिमी यूरोप (भारत में जब यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा तब तक संपूर्ण भारत में चंद्रस्त की स्थिति हो चुकी होगी इसलिए यह ग्रहण भारत में लगभग दृश्यमान नहीं होगा। केवलउपच्छाया प्रारंभ होते समय उत्तर पश्चिम भारत और उत्तर दक्षिणी शहरों में चंद्रस्त होगा इसलिए कुछ समय के लिए चंद्रमा की चांदनी में धुंधलापन आ सकता है। इस प्रकार भारत में यह उपच्छाया के रूप में भी आंशिक रूप से ही दिखाई देने के कारण यह ग्रहण की श्रेणी में नहीं आएगा।) |
नोट: उपरोक्त तालिका में दिया गया चंद्र ग्रहण का समय भारतीय मानक समय के अनुसार दिया गया है।यदि ग्रहण 2024 (Grahan 2024) के अंतर्गत चंद्रग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) की बात करें तो यह चंद्र ग्रहण एक आंशिक यानी कि खंडग्रास चंद्र ग्रहण होने वाला है। भारत में यह चंद्र ग्रहण लगभग दृश्यमान नहीं होगा, क्योंकि भारत में जब यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा, तब तक संपूर्ण भारत में चंद्रास्त की स्थिति हो चुकी होगी। केवलउपच्छाया प्रारंभ होते समय उत्तर पश्चिम भारत और उत्तर दक्षिण शहरों में चंद्रास्त होगा और इसी वजह से कुछ समय के लिए चंद्रमा की चांदनी में धुंधलापन आ सकता है। इस प्रकार भारत में यहउपच्छाया के रूप में भी आंशिक रूप से ही दिखाई देगा और इसी कारण यह भारत में ग्रहण की श्रेणी में नहीं माना जाएगा और जब यह ग्रहण ही नहीं होगा, तो इसका कोई भी प्रभाव मान्य नहीं होगा।
खंडग्रास चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024)
- वर्ष 2024 का मुख्य चंद्र ग्रहण 2024 एक खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा।
- खंडग्रास होने के कारण इसको आंशिक चंद्रग्रहण 2024 भी कहा जा सकता है।
- हिंदू पंचांग के अनुसार यह खंडग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को घटित होगा।
- यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण बुधवार 18 सितंबर 2024 को लगेगा।
- भारतीय मानक समय के अनुसार यह चंद्र ग्रहण प्रातः काल 7:43 से शुरू होगा और प्रातः काल 8:46 तक चलेगा।
- भाद्रपद मास में लगने वाला यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) मीन राशि के अंतर्गत पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसके कारण विश्व में चिंताजनक स्थिति का निर्माण हो सकता है।वर्षा की असमानता रहेगी। चावल आदि धन की फसल खराब हो सकती है लेकिन इसके बावजूद भी कृषि का उत्पादन संतोषजनक स्थिति में रहेगा। दूध तथा फलों के उत्पादन में कमी आ सकती है। इसके अतिरिक्त चावल, ज्वार, सफेद धन, चांदी का तीर, श्वेत धातु, मलमल आदि श्वेत वस्त्र, चना, तिल, कपास, रूई, पीतल, सोना आदि धातुएँ महंगी हो सकती हैं।
- मजीठ, सोना, तांबा, घी, चांदी, तेल, गुणनखंड, बाजरा, ज्वार, चना, मोठ, धान, कपास, लवंग, अफीम, कपड़ा, सुपारी और लाल रंग के कपड़ों के स्टॉक से बहुत ज्यादा फायदा मिलेगा।
- इस खंडग्रास चंद्र ग्रहण के प्रभाव से महिलाओं में गर्भधारण संबंधी समस्याओं और गर्भपात की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है।
- आंखों से संबंधित समस्याओं और अतिसार रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है।
- कोई भी चंद्र ग्रहण केवल अशुभ परिणाम ही नहीं देता बल्कि उसके अच्छे परिणाम भी होते हैं। इसी तरह इस चंद्र ग्रहण 2024 के कारण आर्थिक रूप से उन्नति का समय हो सकता है और जनता के बीच भय तथा रोगों की समाप्ति होगी।
- इसी के परिणाम स्वरूप सरकारी क्षेत्र की संस्थाओं की उन्नति होगी और वे तरक्की करेंगे।
- यह चंद्र ग्रहण 2024 खंडग्रास के रूप में लगभग 1 घंटा 3 मिनट तक रहेगा।
- इस खंडग्रास चंद्र ग्रहण 2024 के उपच्छाया की अवधि लगभग 4 घंटे 6 मिनट के आसपास होगी।
- इस ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने के समय यानी कि सुबह 7:43 बजे से लगभग नौ घंटे पूर्व शुरू हो जाएगा और चंद्र ग्रहण के मोक्ष काल यानी की प्रातः काल 8:46 बजे तक रहेगा।
- भारत में यह चंद्र ग्रहण लगभग दृश्यमान नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जब यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने वाला होगा तब तक लगभग संपूर्ण भारतवर्ष में चंद्रास्त हो चुका होगा। हालांकि इस ग्रहण की उपच्छाया प्रारंभ होते समय उत्तर पश्चिमी भारत और उत्तर दक्षिणी शहरों में चंद्रास्त हो रहा होगा इसलिए कुछ समय के लिए इन क्षेत्रों में चंद्रमा की रोशनी में धुंधलापन आ सकता है और इस तरीके से यह भारत के कुछ क्षेत्रों में आंशिक उपच्छाया के रूप में ही दिखाई देगा इसलिए इसे ग्रहण नहीं माना जा सकता है।
- यदि इसकी दृश्यता की बात करें तो दक्षिणी अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और पश्चिमी यूरोप में मुख्य रूप से यह ग्रहण दृश्यमान होगा। इसके अतिरिक्त अफ्रीका, पेसिफिक, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा। पाकिस्तान के कराची शहर में भी यह दिखाई दे सकता है।
- चंद्र ग्रहण 2024 मीन राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के अंतर्गत लगेगा इसलिए मीन राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातकों और उनसे संबंधित राशियों के लिए यह ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली साबित हो सकता है।
- यदि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो जब यह चंद्र ग्रहण लगेगा उस समय सूर्य, केतु और शुक्र युति में होंगे तो चंद्रमा और राहु की युति होगी। चंद्रमा से द्वादश भाव में वक्री शनि कुंभ राशि में होंगे और चंद्रमा से छठे भाव में बुध अपनी अस्त अवस्था में दिखाई देंगे। इसके अतिरिक्त चंद्रमा से तीसरे भाव में बृहस्पति और चौथे भाव में मंगल उपस्थिति दर्शाएंगे।
- इस प्रकार यदि चंद्र ग्रहण की बात की जाए तो मानसिक रूप से विशेष रूप से प्रभाव डालने वाला समय होगा। इस चंद्र ग्रहण से प्रभावित देशों के मध्य आपसी प्रतिद्वंद्विता और मानसिक तनाव इस हद तक बढ़ सकता है कि वह एक दूसरे के प्रति दुष्प्रचार में लगे रह सकते हैं और उनके लिए एक दूसरे के मन में भय की भावना भी बढ़ेगी जिससे विश्व में अशांति का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- जो जातक मीन राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे हैं और ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां विशेष रूप से चंद्र ग्रहण दृश्य मन होगा उन्हें विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि इस ग्रहण के प्रभाव से उनकी मानसिक अवस्था कुछ समय के लिए विचलित हो सकती है, निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है और उनके निजी जीवन में समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
- हमने आगे इस ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय भी बताए हैं जिन्हें करने से आपको बहुत लाभ मिल सकता है और ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने में और बड़ी से बड़ी समस्या से बाहर निकलने में आपको आसानी हो सकती है। आप उन उपायों को अपनाकर अपने जीवन में चिंताओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और सफलता अर्जित कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण 2024 का विशेष राशिफल
यदि हम ऊपर वर्णित खंडग्रास चंद्र ग्रहण की बात करें तो उसका विभिन्न राशियों पर यदि प्रभाव देखा जाए तो मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि के जातकों के लिए इस ग्रहण का कुछ ना कुछ अशुभ प्रभाव हो सकता है। जबकि शेष राशियों वृषभ, सिंह, धनु और मकर के जातकों के लिए शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। मेष राशि के जातकों को धन हानि होने के योग बनेंगे तो मिथुन राशि के जातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कर्क राशि के जातकों की मानसिक व्याकुलता भी बढ़ेगी। कन्या राशि के जातकों को वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जबकि तुला राशि के जातक किसी रोग की चपेट में आ सकते हैं। वृश्चिक राशि के जातकों को आत्म सम्मान से समझौता करना पड़ सकता है तो कुंभ राशि के जातकों को धन हानि का सामना करना पड़ सकता है। मीन राशि के जातकों को शारीरिक कष्ट हो सकते हैं और मानसिक तनाव बढ़ेगा। इसके विपरीत वृषभ राशि के जातकों को धन लाभ होने के योग बनेंगे। सिंह राशि के जातकों को सुख की प्राप्ति होगी। धनु राशि के जातकों को कार्यों में सफलता मिलेगी और मकर राशि के जातकों को धन लाभ होने के योग बनेंगे।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2024 | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक | चन्द्र ग्रहण प्रारंभ समय | चन्द्र ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा | सोमवार, 25 मार्च, 2024 | प्रातः 10:23 बजे से | दोपहर बाद 15:02 बजे तक |
आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, बेल्जियम, दक्षिण नॉर्वे, स्विटजरलैंड, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, जापान, रूस का पूर्वी भाग, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर शेष ऑस्ट्रेलिया और अधिकांश अफ्रीका (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट:ग्रहण 2024 (Grahan 2024) के अनुसार उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समय के अनुसार है। जैसा कि हमने पहले भी बताया है, यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2024 होगा जिसे ग्रहण की संज्ञा नहीं दी गई है और इसी वजह से इसका ना तो कोई सूतक काल प्रभावी होगा और ना ही कोई धार्मिक प्रभाव मान्य होगा। आप अपने सभी कार्यों को निर्विघ्न रूप से पूर्ण कर सकते हैं, वैसे भी यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए आप सभी शुभ कार्य विधिवत रूप से कर सकते हैं।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024)
- उपरोक्त बताए गए चंद्रग्रहण के अतिरिक्त एक अन्य उपच्छाया चंद्रग्रहण भी 2024 में लगेगा।
- हिंदू पंचांग के अनुसार यह चंद्रग्रहण फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा।
- यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिन सोमवार, दिनांक 25 मार्च 2024 को लगेगा।
- यह चंद्रग्रहण प्रात: 10:23 बजे से अपराह्न 15:02 बजे तक लगेगा।
- आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, बेल्जियम, दक्षिण नॉर्वे, स्विटजरलैंड, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, जापान, रूस का पूर्वी भाग, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर शेष ऑस्ट्रेलिया और अधिकांश अफ्रीका में भी दिखाई देगा।
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह चंद्रग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा।
- यह चंद्रग्रहण लगभग 4 घंटे 39 मिनट की अवधि का होगा।
- वास्तव में चंद्रमा के ग्रसित न होने के कारण उपच्छाया चंद्रग्रहण को ग्रहण की मान्यता नहीं दी जाती है इसलिए इसका कोई सूतक काल भी मान्य नहीं होगा इसलिए आप इस ग्रहण काल में अपने सभी कार्य आसानी से संपादित कर सकते हैं।
चंद्रग्रहण के दौरान किए जाने वाले ये खास उपाय दिलाएंगे आपको हर समस्या से मुक्ति
- ग्रहण काल की कुल अवधि में यानी कि ग्रहण के स्पर्श कल या प्रारंभ होने से लेकर ग्रहण के मोक्ष यानी ग्रहण की समाप्ति तक आपको सच्चे मन से ईश्वर की आराधना करनी चाहिए आप ईश्वर के जिस भी स्वरूप को मानते हैं उनके किसी मंत्र का जाप कर सकते हैं अथवा मनी मां उनका ध्यान या भजन कर सकते हैं।
- चंद्र ग्रहण के सूतक काल के दौरान आपको चंद्रमा के बीज मंत्र का जाप करना बहुत ज्यादा लाभदायक होगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए चंद्रमा अनुकूल होना आवश्यक है।
- चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान राहु और केतु का प्रभाव बढ़ने से आपको उनसे संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए या फिर उनसे संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।
- चंद्र ग्रहण के दौरान आप मन ही मन में समर्थ अनुसार दान करने का संकल्प लें और चंद्र ग्रहण की समाप्ति के साथ थी दान योग्य वस्तुओं को अवश्य ही दान में दे दें।
- चंद्र ग्रहण के मोक्ष कल के बाद ही स्नान करें और उसके बाद भगवान की मूर्तियों को गंगाजल आदि से शुद्ध करें।
- आपके पूरे घर में चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए इसके साथ आप गोमूत्र का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
- चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान भगवान शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना उन लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है जो किसी बड़ी बीमारी की चपेट में हैं।
- यदि आप किसी ग्रह जनित बड़ा से पीड़ित हैं तो चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान आप उसे ग्रह के मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- अत्यधिक विपदा ग्रस्त होने पर आपको चंद्र ग्रहण की अवधि में हनुमान जी के मंत्र का जाप करना चाहिए।
- चंद्र ग्रहण के मोक्ष कल के बाद विशेष रूप से कल वेस्टन काले तिल साबू थोड़ा आटा दाल चावल चीनी सफेद वस्त्र सतनजा आदि का दान अवश्य करना चाहिए।
- ग्रहण के मोक्ष के बाद आप पवित्र नदी में भी स्नान कर सकते हैं।
- चंद्र ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक गर्भवती स्त्रियों को कुछ भी काटने सिलने या बनाने से परहेज करना चाहिए और अपने उदर पर गेरू से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए।
- आपके लिए और भी बेहतर होगा यदि आप अपने सिर पर चुन्नी या साड़ी का पल्ला ओढ़ लें और उस पर भी गेरू से स्वास्तिक या ॐ का चिन्ह भी बना सकती हैं।
- ग्रहण काल के दौरान खाने-पीने की वस्तुएं अशुद्ध हो जाती हैं इसलिए ग्रहण का सूतक लगने से पूर्व ही तुलसी पत्र अथवा कुशा सभी पेय पदार्थों, विशेष रूप से दूध, दही, आदि में रख देना चाहिए।
चंद्रग्रहण के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
- चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) का सूतक काल अशुद्ध समय होता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए इसलिए आप कोई भी नया काम यदि शुरू करना चाहते हैं तो इस समय का परित्याग करें।
- ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण के मोक्ष तक चलने वाले सूतक को का ध्यान रखते हुए इस दौरान भोजन बनाने और भोजन खाने से बचना चाहिए यदि आप बीमार हैं यह छोटे बालक हैं तो केवल ग्रहण की अवधि को छोड़कर आप भोजन कर सकते हैं।
- चंद्र ग्रहण की अवधि में किसी भी तरह के शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
- चंद्र ग्रहण की अवधि में और सूतक काल के दौरान न तो किसी मंदिर में प्रवेश करना चाहिए और न ही किसी देवी देवता की मूर्ति का स्पर्श करना चाहिए।
- ग्रहण काल की अवधि में काटना, सिलना, बुनना, आदि गतिविधियों से बचना चाहिए और कैंची, चाकू, सुई, तलवार, हथियारों, आदि का प्रयोग करने से बचें।
- ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए इस दौरान सोना नहीं चाहिए।
चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के दौरान इन मंत्रों के जाप से मिलेगी सफलता
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥
श्लोक अर्थ - अन्धकाररूप महाभीम चन्द्रमा और सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्ण तारा के दान से मुझे शान्ति प्रदान कीजिए।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
श्लोक अर्थ - सिंहिकानन्दन (सिंहिका के पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहण से होने वाले भय से मेरी रक्षा कीजिए।
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हमें उम्मीद है कि चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) से संबंधित एस्ट्रोसेज का यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इस लेख को पसंद करने एवं पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
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