चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के बारे में जानकारी देने के लिए एस्ट्रोसेज के इस विशेष लेकर द्वारा हम आपको बताएंगे कि वर्ष 2024 में कुल कितने चंद्र ग्रहण घटित होंगे और उनमें से प्रत्येक ग्रहण किस तरीके का होगा यानी कि वह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा या आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि कौन सा चंद्र ग्रहण किस प्रकृति का होकर किस दिन, तिथि, दिनांक को कितने बजे लगेगा और कहां-कहां पर उसकी दृश्यता होगी। इसके साथ ही आपको यह भी जानने को मिलेगा कि चंद्र ग्रहण 2024 का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है, उसका सूतक काल क्या है, सूतक काल के दौरान आपको कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए, गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, आदि।
सभी महत्वपूर्ण जानकारियां आपको इस महत्वपूर्ण लेख में जानने को मिलेगी इसलिए हम आपको यही सलाह देते हैं कि आप इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य ही पूरा पढ़ें ताकि आपको हर बारीक से बारीक जानकारी प्राप्त हो सके। इस चंद्र ग्रहण 2024 के विशेष लेख को एस्ट्रोसेज के जाने-माने ज्योतिषीडॉ मृगांक शर्मा ने तैयार किया है। तो आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के बारे में सभी महत्वपूर्ण बातें और उसका प्रभाव।
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चंद्र ग्रहण आकाश में घटने वाली एक विशेष घटना है जो प्रकृति से तो खगोलीय घटना है लेकिन सभी के लिए कौतूहल का विषय रहती है। सभी चंद्र ग्रहण जब लगता है तो उसे देखने का इंतजार करते हैं और इसके बारे में जानना चाहते हैं क्योंकि यह देखने में बहुत ही सुंदर दिखाई देता है और क्योंकि यह सूर्य ग्रहण नहीं होता तो इसमें हमें आंखों की रोशनी को लेकर भी कोई समस्या नहीं होती। यह देखने में इतना सुंदर हो सकता है कि हम उसे शब्दों में बात भी नहीं सकते हैं। वास्तव में प्रकृति का एक अद्भुत नजारा चंद्र ग्रहण के रूप में हमें दिखाई देता है। चंद्र ग्रहण का भी सूर्य ग्रहण की भांति धार्मिक और आध्यात्मिक तथा पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के रूप से भी ग्रहण बहुत महत्वपूर्ण स्थिति होती है।
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को सर्वाधिक महत्व दिया गया है क्योंकि यह हमारे जीवन में कफ प्रकृति को निर्धारित करता है और हमारे शरीर में जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और ज्योतिष में चंद्रमा को मां का कारक कहा जाता है और मन की गति सर्वाधिक तीव्र होती है। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि चंद्र ग्रहण का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और उनके मन में तरह-तरह के नकारात्मक और डरावने विचार पनपने लगते हैं क्योंकि हमारे मन में अनेक प्रकार की भ्रांतियां होती हैं कि चंद्रग्रहण हानिकारक होगा और इससे हमें नुकसान हो सकता है जबकि वास्तविकता कई बार इससे भिन्न भी हो सकती है और हमें उसके बारे में जानना चाहिए और यही जानकारी देने के लिए हमने यह लेख आपके लिए तैयार किया है।
यदि हम चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो ज्योतिष में तो चंद्र ग्रहण को अनुकूल नहीं माना गया है क्योंकि इस स्थिति में सर्वाधिक प्रभाव देने वाला चंद्रमा पीड़ित अवस्था में होता है। राहु केतु के प्रभाव में आकर चंद्रमा पीड़ित अवस्था में हो जाता है। इससे मानसिक तनाव, अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और जिस किसी की कुंडली में भी चंद्र ग्रहण योग होता है उसे मानसिक रूप से आय स्थिरता, व्याकुलता, बेचैनी, तनाव, अवसाद जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि हर समस्या का समाधान भी है और यही वजह है कि ज्योतिष में भी चंद्र ग्रहण दोष के उपाय बताए गए हैं। तो चंद्र ग्रहण के भी विशेष उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से जिन लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है वो इसके दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और समझ लेते हैं चंद्र ग्रहण 2024 के बारे में विस्तृत जानकारी:
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जैसा कि हम सभी को विदित है कि पृथ्वी सूर्य का अपने निश्चित परिक्रमा पत्र में चक्कर लगाती है पर पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह परिक्रमा निरंतर जारी रहती है और इसके साथ ही पृथ्वी अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती रहती है जिसकी वजह से दिन और रात की अवस्था जन्म लेती है। जब पृथ्वी सूर्य के और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाते लगाते किसी एक विशेष स्थिति में आ जाती है कि वहां से सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक ही रेखा में आ जाते हैं और इस स्थिति में चंद्रमा पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पृथ्वी के बीच में आ जाने से चंद्रमा पर नहीं पहुंच पाता है तब पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा पर अंधेरा जैसा प्रतीत होता है। यानी कि चंद्रमा कुछ काला या मद्धिम सी रोशनी वाला प्रतीत होने लगता है। इस अवस्था को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। साल 2024 में भी यह घटना होने वाली है जिसे हम चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) के नाम से जानेंगे।
बृहत् कुंडली: जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय
अभी ऊपर आपने जाना की चंद्र ग्रहण क्या होता है। अब हम जानने की कोशिश करते हैं कि चंद्र ग्रहण कितने तरीके के हो सकते हैं। जिस प्रकार सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है और पृथ्वी के छाया से चंद्रमा अंधकार युक्त दिखाई देता है तो कभी-कभी स्थिति ऐसी होती है कि पृथ्वी की छाया पूरे चंद्रमा की छाया को ढक लेती है तो कभी ऐसी स्थिति भी होती है कि चंद्रमा का आंशिक भाग ही ग्रसित हो पाता है और चंद्रमा पूरी तरह से काला दिखाई नहीं देता है, इसी के कारण चंद्र ग्रहण की स्थिति भी अलग-अलग प्रकार की हो सकती है। अगर चंद्र ग्रहण के प्रकार की बात करें तो यह लगभग तीन प्रकार का हो सकता है जो विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग तरीके से आपको दिखाई देता है और अलग-अलग तरह से बनता है। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण कितने प्रकार का होता है:
जब हम पूर्ण चंद्र ग्रहण की बात कर रहे हैं तो यह स्थिति विशेष रूप से दर्शनीय होती है। जब पृथ्वी की छाया द्वारा सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा पर पहुंचने से पूर्ण रूप से रोक लिया जाता है तो ऐसी स्थिति में सूर्य के प्रकाश से कुछ समय के लिए हीन होकर चंद्रमा लाल या गुलाबी रंग का प्रतीत होने लगता है और पृथ्वी से देखने पर तो चंद्रमा के धब्बे भी स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। ऐसी स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण या फिर सुपर ब्लड मून (Super Blood Moon) कहा जा सकता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का पूरा भाग पृथ्वी की छाया से ढका प्रतीत होता है। यही अवस्था पूर्ण चंद्र ग्रहण कहलाती है। पूर्ण चंद्र ग्रहण को खग्रास चंद्र ग्रहण भी कह सकते हैं।
यदि हम आशिक चंद्र ग्रहण की बात करें तो यह वह स्थित है जब पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी अधिक होती है तो ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन पृथ्वी की छाया द्वारा चंद्रमा की दूरी अधिक होने के कारण पूर्ण रूप से चंद्रमा ग्रसित नहीं हो पाता है बल्कि पृथ्वी की छाया से उसका कुछ भाग ही ग्रसित दिखाई देता है। तो इस स्थिति को आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा के कुछ क्षेत्र को छोड़कर शेष स्थान पर सूर्य का प्रकाश पूर्ण रूप से दृश्य समान होता है इसीलिए यह आंशिक चंद्रग्रहण कहलाता है। यह अधिक लंबी अवधि का भी नहीं होता है। आशिक चंद्र ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण भी कह सकते हैं।
जब पृथ्वी चंद्रमा से अधिक दूरी पर होती है और सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पहुंचने से पूर्ण रूप से नहीं रुक पाता बल्कि थोड़ा पृथ्वी की छाया से रुक जाता है और थोड़ा नहीं रुक पाता तो इस स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं क्योंकि इसमें चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया कुछ हिस्सों पर पड़ती है और शेष जगह पर सूर्य का प्रकाश नज़र आता है। यह ग्रहण इसी कारण ज्यादा लंबी अवधि का भी नहीं होता है।
ऊपर बताए गए चंद्र ग्रहण की प्रकृति के अतिरिक्त एक विशेष प्रकृति का चंद्र ग्रहण और भी देखा जाता है इसे विशेष रूप से चंद्रग्रहण नहीं माना गया है। कई बार ऐसी स्थिति होती है कि पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है जिससे चंद्रमा की सतह धुंधली और मध्यम सी प्रतीत होने लगती है। इसमें चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता और काला नहीं होता केवल उसकी छाया ही मालिन प्रतीत होती है। ऐसी स्थिति को हम उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं। चूंकि इस प्रकार की श्रेणी के चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता है इसलिए इसको चंद्र ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है और इसे चंद्र ग्रहण की संज्ञा नहीं दी गई है। खगोलीय दृष्टिकोण से तो यह एक ग्रहण जैसी घटना मानी जा सकती है लेकिन इसका कोई भी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व नहीं होता क्योंकि जब चंद्रमा ग्रसित ही नहीं हुआ तो उस पर ग्रहण कैसा और यही वजह है कि इस प्रकार के ग्रहण के दौरान सभी प्रकार के धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाकलाप भली भांति संपादित किए जा सकते हैं।
अभी हमने जाना कि चंद्र ग्रहण क्या होता है और चंद्र ग्रहण कितनी तरह का होता है। अब एक विशेष बात जो अपने अधिकांश लोगों के मुंह से सुनी होगी कि चंद्र ग्रहण का सूतक काल लग गया है। तो वास्तव में वह सूतक काल क्या है अब उसके बारे में बताते हैं। वैदिक काल से ही सनातन धर्म की स्थिति रही है और उसके अनुसार चंद्र ग्रहण का जो सूतक काल है वह हमें पता चलता है। प्रत्येक ग्रहण से पूर्व कुछ विशेष ऐसी अवधि होती है जिसके दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के मामले में यह चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व लगभग तीन पहर पूर्व का समय होता है। यानी कि जब चंद्र ग्रहण शुरू होने वाला हो तो उसे लगभग 9 घंटे पूर्व से उसका सूतक काल प्रारंभ हो जाता है और सूतक काल का समापन चंद्र ग्रहण के मोक्ष यानी कि चंद्र ग्रहण के समापन के साथ ही हो जाता है। इस सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है क्योंकि यदि आप इस दौरान कोई शुभ कार्य करते हैं तो मान्यता अनुसार उसके शुभ फल प्रदान करने की स्थिति समाप्त हो जाती है इसलिए मूर्ति पूजा, मूर्ति स्पर्श करना, शुभ कार्य जैसे की विवाह, मुंडन, अन्य शुभ कोई भी कार्य, गृहप्रवेश इत्यादि चंद्र ग्रहण के सूतक काल के दौरान नहीं किए जाते हैं।
अभी तक हम यह जान पाए हैं कि चंद्र ग्रहण क्या होता है, वह कितने प्रकार का होता है, उसका सूतक काल क्या होता है, आदि यह सभी जानकारियां हमें प्राप्त हो चुकी हैं। अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) कब लगेगा, किस तिथि, किस दिन, किस दिनांक को, कितने बजे से कितने बजे तक और कहां पर वह दृश्यमान होगा, ये सभी कुछ जानते हैं और यह भी जानते हैं कि वर्ष 2024 में कुल मिलाकर कितने चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं। लगभग प्रत्येक वर्ष ही चंद्र ग्रहण घटित होते हैं। हालांकि उनकी अवधि और उनकी संख्या में अंतर आ सकता है। चंद्र ग्रहण को खगोलीय घटना के रूप में मान्यता प्राप्त है। अगर वर्ष 2024 के बारे में बात करें तो हम जानेंगे की कुल मिलाकर मुख्य रूप से एक ही चंद्र ग्रहण इस वर्ष दिखाई देने वाला है। यानी कि वर्ष 2024 में मुख्य रूप से केवल एक हीचंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) घटित होगा जो की मुख्य चंद्र ग्रहण होगा। इसके अतिरिक्त एक उपच्छाया चंद्रग्रहण भी आकार लेने वाला है जिसे हम ग्रहण नहीं मानते हैं लेकिन फिर भी आपकी सुविधा और जानकारी के लिए उसके बारे में भी हम आपके यहां पर बता रहे हैं:
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) भारतवर्ष में लगभग दृश्य मान नहीं होगा इसलिए भारत में इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा क्योंकि जहां पर ग्रहण दिखाई देता है, वहां उसका सूतक काल प्रभावी माना जाता है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि इसको ग्रहण नहीं माना जाता है। आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं कि वर्ष 2024 में मुख्य चंद्रग्रहण का क्या समय होगा और वह कहां-कहां दिखाई देगा।
चन्द्र ग्रहण 2024 - खंडग्रास चंद्रग्रहण | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक |
चन्द्र ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) |
चन्द्र ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा |
बुधवार, 18 सितंबर, 2024 |
प्रातः काल 7: 43 बजे से |
प्रातः काल 8:46 बजे तक |
दक्षिणी अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और पश्चिमी यूरोप (भारत में जब यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा तब तक संपूर्ण भारत में चंद्रस्त की स्थिति हो चुकी होगी इसलिए यह ग्रहण भारत में लगभग दृश्यमान नहीं होगा। केवलउपच्छाया प्रारंभ होते समय उत्तर पश्चिम भारत और उत्तर दक्षिणी शहरों में चंद्रस्त होगा इसलिए कुछ समय के लिए चंद्रमा की चांदनी में धुंधलापन आ सकता है। इस प्रकार भारत में यह उपच्छाया के रूप में भी आंशिक रूप से ही दिखाई देने के कारण यह ग्रहण की श्रेणी में नहीं आएगा।) |
नोट: उपरोक्त तालिका में दिया गया चंद्र ग्रहण का समय भारतीय मानक समय के अनुसार दिया गया है।यदि ग्रहण 2024 (Grahan 2024) के अंतर्गत चंद्रग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) की बात करें तो यह चंद्र ग्रहण एक आंशिक यानी कि खंडग्रास चंद्र ग्रहण होने वाला है। भारत में यह चंद्र ग्रहण लगभग दृश्यमान नहीं होगा, क्योंकि भारत में जब यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा, तब तक संपूर्ण भारत में चंद्रास्त की स्थिति हो चुकी होगी। केवलउपच्छाया प्रारंभ होते समय उत्तर पश्चिम भारत और उत्तर दक्षिण शहरों में चंद्रास्त होगा और इसी वजह से कुछ समय के लिए चंद्रमा की चांदनी में धुंधलापन आ सकता है। इस प्रकार भारत में यहउपच्छाया के रूप में भी आंशिक रूप से ही दिखाई देगा और इसी कारण यह भारत में ग्रहण की श्रेणी में नहीं माना जाएगा और जब यह ग्रहण ही नहीं होगा, तो इसका कोई भी प्रभाव मान्य नहीं होगा।
यदि हम ऊपर वर्णित खंडग्रास चंद्र ग्रहण की बात करें तो उसका विभिन्न राशियों पर यदि प्रभाव देखा जाए तो मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि के जातकों के लिए इस ग्रहण का कुछ ना कुछ अशुभ प्रभाव हो सकता है। जबकि शेष राशियों वृषभ, सिंह, धनु और मकर के जातकों के लिए शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। मेष राशि के जातकों को धन हानि होने के योग बनेंगे तो मिथुन राशि के जातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कर्क राशि के जातकों की मानसिक व्याकुलता भी बढ़ेगी। कन्या राशि के जातकों को वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जबकि तुला राशि के जातक किसी रोग की चपेट में आ सकते हैं। वृश्चिक राशि के जातकों को आत्म सम्मान से समझौता करना पड़ सकता है तो कुंभ राशि के जातकों को धन हानि का सामना करना पड़ सकता है। मीन राशि के जातकों को शारीरिक कष्ट हो सकते हैं और मानसिक तनाव बढ़ेगा। इसके विपरीत वृषभ राशि के जातकों को धन लाभ होने के योग बनेंगे। सिंह राशि के जातकों को सुख की प्राप्ति होगी। धनु राशि के जातकों को कार्यों में सफलता मिलेगी और मकर राशि के जातकों को धन लाभ होने के योग बनेंगे।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2024 | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक | चन्द्र ग्रहण प्रारंभ समय | चन्द्र ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा | सोमवार, 25 मार्च, 2024 | प्रातः 10:23 बजे से | दोपहर बाद 15:02 बजे तक |
आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, बेल्जियम, दक्षिण नॉर्वे, स्विटजरलैंड, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, जापान, रूस का पूर्वी भाग, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर शेष ऑस्ट्रेलिया और अधिकांश अफ्रीका (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट:ग्रहण 2024 (Grahan 2024) के अनुसार उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समय के अनुसार है। जैसा कि हमने पहले भी बताया है, यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2024 होगा जिसे ग्रहण की संज्ञा नहीं दी गई है और इसी वजह से इसका ना तो कोई सूतक काल प्रभावी होगा और ना ही कोई धार्मिक प्रभाव मान्य होगा। आप अपने सभी कार्यों को निर्विघ्न रूप से पूर्ण कर सकते हैं, वैसे भी यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए आप सभी शुभ कार्य विधिवत रूप से कर सकते हैं।
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥
श्लोक अर्थ - अन्धकाररूप महाभीम चन्द्रमा और सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्ण तारा के दान से मुझे शान्ति प्रदान कीजिए।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
श्लोक अर्थ - सिंहिकानन्दन (सिंहिका के पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहण से होने वाले भय से मेरी रक्षा कीजिए।
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हमें उम्मीद है कि चंद्र ग्रहण 2024 (Chandra Grahan 2024) से संबंधित एस्ट्रोसेज का यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इस लेख को पसंद करने एवं पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !