जानें गायत्री मंत्र जाप का महत्व और इसके लाभों के बारे में !
गायत्री मंत्र से आप सभी भली-भांति अवगत होंगें, इस पवित्र मंत्र को हिन्दू धर्म में ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। गायत्री मंत्र का जाप आपके हर समस्या का समाधान है। हमारे शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इस एक मात्र मंत्र का जाप करने से आप जीवन में सभी मन वंचित फल प्राप्त कर सकते हैं। आज इस लेख के जरिये हम आपको गायत्री मंत्र से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
कैसे हुई गायत्री मन्त्र की उत्पत्ति ?
प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार गायत्री मंत्र की उत्पत्ति विश्वामित्र ने की थी। ऐसा माना जाता है कि जब इंद्र देव ने मेनका का रूप धारण कर उनकी तपस्या भंग की थी तो इस बात से व्याकुल विश्वामित्र ने अपना ध्यान संचय करने का लाख प्रयास किया लेकिन इसके वाबजूद भी उन्हें सफलता नहीं मिली। अंततः विश्वामित्र ने परमात्मा का ध्यान करते हुए ‘‘ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।” मंत्र का उच्चारण किया। जिसका आशय है कि “ॐ शब्द से उत्पन्न हुए परम पूज्य परमात्मा और भू, भुवः, स्व तीनों लोकों के परमात्मा मैं आपके तेज का ध्यान करता हूँ, आप मेरी मस्तिष्क में निवास करें और मुझे प्रेरणा दें।” इसके बाद विश्वामित्र खुद को परमात्मा के हवाले कर तपस्या में जुट गए। इस मंत्रोउच्चारण के बाद जब उनकी तपस्या को भंग करने का प्रयास किया गया तो इसमें किसी को सफलता नहीं मिली। माना जाता है कि इसके बाद ही विश्वामित्र को ब्रह्मा जी ने ऋषि की उपाधि दी। हालाँकि एक अन्य कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है की गायत्री ब्रह्मा जी की पत्नी थी जिसे चेतना की शक्ति माना जाता है। इन्ही से गायत्री मंत्र की उत्पत्ति हुई।
गायत्री मंत्र के उच्चारण से हो सकता है सभी कष्टों का निवारण
सनातन हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष स्थान दिया गया है। आपने अक्सर देखा होगा कि किसी भी शुभ कार्य या हवन अनुष्ठान के दौरान खासतौर से गायत्री मन्त्र का उच्चारण ज़रूर किया जाता है। शास्त्रों में भी ये कहा गया है कि यदि विधि पूर्वक गायत्री मंत्र का जाप किया जाए तो इससे आपको कई फायदे मिल सकते हैं। चूँकि इस मंत्र को चेतना और बुद्धि का मंत्र माना जाता है इसलिए ये मंत्र विशेष रूप से छात्रों के लिए ख़ासा लाभदायक माना गया है। यदि छात्र इस मंत्र का जाप रोज़ाना तक़रीबन 108 बार करें तो उनका मन पढ़ाई में केंद्रित रहता है और परीक्षा में सफलता मिलती है। इस मंत्र का जाप करने से आपको ध्यान केंद्रित करने और किसी चीज को याद रखने में आसानी होती है। इसके अलावा गायत्री मंत्र के रोज़ाना उच्चारण करने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी नाश होता है और शरीर रोग मुक्त रहता है।
गायत्री मंत्र से मिलने वाले अन्य लाभ
- इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सबल होती है।
- संतान पक्ष से मिलने वाले समस्याओं का समाधान होता है।
- पवित्र गायत्री मंत्र का जाप करने से दिमाग को शांति मिलती है और सभी प्रकार के मानसिक विकारों से छुटकारा मिलता है।
- इस मंत्र के जाप से ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है।
- नियमित रूप से इस मंत्र का जाप कर शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है।
- विशेष तौर गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से दमा की बीमारी और अन्य सांस संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है।
- इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के क्रोध में गिरावट आती है।
- मन प्रसन्न रहता है और चेहरे पर तेज आता है।
- गायत्री माँ के बीज मंत्र का जाप कर शत्रुओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
- आँख एवं पेट के रोगों से मुक्ति पाने के लिए यदि किसी शुभ दिन हवन कुंड में एक हजार बार गायत्री मंत्र का जाप करते हुए घी, दूध या शहद से आहुति दी जाए तो इससे लाभ मिल सकता है।
गायत्री मंत्र के सभी शब्दों का विवरण निम्नलिखित है
ॐ : प्रणव
भूर : मनुष्य को प्राण या जीवन प्रदान करने वाला।
भुवः: सभी दुखों को हरने वाला या नाश करने वाला।
स्वः : मनुष्य को सुख प्रदान करने वाला।
तत : वह
सवितुर : सूर्य के समान उज्जवल।
वरेण्यं : सबसे उत्तम या प्रबल।
भर्गो : सभी कर्मों से मनुष्य का उद्धार करने वाला है।
देवस्य: देव या प्रभु।
धीमहि: : आत्मचिंतन या ध्यान।
धियो: : बुद्धि।
यो: : जो
नः : हमारी
प्रचोदयात : हमें शक्ति प्रदान करें।
गायत्री मंत्र का इस समय जाप करने से मिलता है लाभ
वैसे तो गायत्री मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है लेकिन विशेष लाभ प्राप्ति के लिए इस मंत्र के जाप करने के उचित समय के बारे में शास्त्रों में बताया गया है। इस मंत्र का निम्न समय में जाप करने से मिलता है ख़ास लाभ।
- सूर्योदय से पहले और सूर्य के उदित होने के फ़ौरन बाद इस मंत्र का जाप करने से उचित फल मिल सकता है।
- दोपहर के वक़्त भी इस मंत्र का जाप कर आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- संध्या में सूर्यास्त से पहले गायत्री मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ की प्राप्ति हो सकती है।
- रात के समय इस मंत्र का जाप करना निषेध मना गया है।
गायत्री मंत्र जाप के दौरान इस विधि का करें पालन
- सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ देते हुए गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
- स्नान करने के बाद साफ़-सुथरे वस्त्र धारण कर खासतौर से तांबे के पात्र में जल भरकर मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ दें।
- गायत्री मंत्र का जाप करते वक़्त रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग किया जा सकता है।
- अपने इष्ट देवी देवता की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने के बाद तक़रीबन 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
- गायत्री मंत्र का जाप मन में करने से विशेष लाभ मिलता है इसलिए इस मंत्र का जाप मन ही मन करें तो बेहतर है।
गायत्री मंत्र जाप के दौरान इन नियमों का करें पालन
गायत्री मंत्र का जाप करने से मिलने वाले विशेष लाभ के बारे में हम आपको ऊपर बता चुके हैं। इस मंत्र का जाप आपके लिए जितना लाभदायक होता है, उतना ही आवश्यक है इसके मंत्रोउच्चारण के दौरान कुछ ख़ास नियमों का पालन करना। गायत्री मंत्र जाप से पहले इन नियमों का पालन अवश्य करें।
- कभी भी बिना स्नान किये और गंदे कपड़ों में इस मंत्र का जाप ना करें।
- यदि आप गायत्री मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या अन्य माला का प्रयोग करते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि उसका इस्तेमाल आपके अलावा और कोई ना करें।
- गायत्री मंत्र का जाप हमेशा शोर शराबे से दूर और एकांत में ही करें।
- इस दौरान अपने ध्यान में बाधा उत्पन्न करने वाले चीजों से खुद को दूर रखें।
- मंत्र जाप के क्रम में अपनी साँसों पर ख़ास नियंत्रण रखें।
हम आशा करते हैं कि हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
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