रुद्राभिषेक अर्थात रुद्र का अभिषेक। रूद्र यानि भगवान शिव का अभिषेक अर्थात भगवान
शंकर को जब स्नान कराया जाता है तो उसे रुद्राभिषेक की कहते हैं। रुद्राभिषेक मंत्र
(Rudrabhishek Mantra) द्वारा किया जाने वाला एक शक्तिशाली ऊर्जा पूर्ण कार्य है, जिसकी
वजह से भगवान शिव की असीम अनुकंपा शीघ्र ही प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक मंत्रों द्वारा
किया जाता है और वास्तव में रुद्राभिषेक मंत्र कोई एक मंत्र नहीं बल्कि मंत्रों का
समूह है, जो 'शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी' के रूप में भी जाना जाता है। इसे केवल
'रुद्राष्टाध्यायी' भी कहते हैं और “रुद्री पाठ” के नाम से भी इसको जाना जाता है। रुद्राभिषेक
मंत्र की विशेषता
रुद्राभिषेक मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सटीक और अचूक उपाय है क्योंकि
इसके पाठ अथवा जप करने से भगवान शिव व्यक्ति को सभी सुख-सुविधाओं से संपूर्ण बनाते
हैं और उसके जीवन में चली आ रही समस्याओं का अंत हो जाता है। अर्थात भगवान शिव की कृपा
को शीघ्र अति शीघ्र प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक मंत्र का प्रयोग किया जा सकता
है। रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार भगवान शिव ही और रूद्र माने जाते हैं और रुद्र ही शिव
माने जाते हैं। कहा भी गया है रूतम् दुःखम्, द्रावयति नाशयतीतिरूद्रः । भगवान शिव,
जो रुद्र के रूप में प्रतिष्ठित हैं, वे हमारे जीवन के सभी दुखों एवं कष्टों को शीघ्र
ही नष्ट अर्थात समाप्त कर देते हैं।
रुद्राभिषेक मंत्र का प्रभाव
रुद्राभिषेक मंत्र की शक्ति इतनी अधिक होती है कि जिस क्षेत्र में भी इसका जप किया
जाता है, उससे कई किलोमीटर तक के हिस्से में शुद्धता आ जाती है और वहां की नकारात्मकता
का अंत होता है। यह ग्रह जनित दोषों का भी अंत करता है और यदि आपके आसपास कोई बीमार
व्यक्ति है, तो उसको बीमारी से छुटकारा भी इस रुद्राभिषेक मंत्र के द्वारा मिल सकता
है।
रुद्रहृदयोपनिषद् में यह रूद्र मंत्र वर्णित है:
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।
अर्थात भगवान रूद्र ही जग सृष्टिकर्ता ब्रह्मा तथा जग पालन पोषण करता विष्णु हैं और
सभी देवता रुद्र के ही अंश हैं। इस सम्पूर्ण चराचर जगत में सभी कुछ रुद्र से ही जन्मा
हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि रूद्र ही ब्रह्म हैं और वही स्वयंभू भी हैं।
वायुपुराण में भगवान रूद्र को महिमामंडित करते हुए यह वर्णन किया गया है:
यश्च सागरपर्यन्तां सशैलवनकाननाम्।
सर्वान्नात्मगुणोपेतां सुवृक्षजलशोभिताम्।।
दद्यात् कांचनसंयुक्तां भूमिं चौषधिसंयुताम्।
तस्मादप्यधिकं तस्य सकृद्रुद्रजपाद्भवेत्।।
यश्च रुद्रांजपेन्नित्यं ध्यायमानो महेश्वरम्।
स तेनैव च देहेन रुद्र: संजायते ध्रुवम्।।
अर्थात जो प्राणी सागर पर्यंत, वन, पर्वत, जल एवं वृक्षों से युक्त तथा श्रेष्ठ गुणों
से युक्त ऐसी महान पृथ्वी का दान करता है, जो धन-धान्य तथा सुवर्ण और औषधियों से भी
युक्त हो, उसके दान करने से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी कहीं अधिक पुण्य फल एक
बार के रुद्री जप अर्थात रुद्राभिषेक से प्राप्त हो जाता है। इसलिए जो कोई भी भगवान
शिव का ध्यान करके रुद्री पाठ करता है और रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव को मनाता
है, वह प्राणी उसी देह से भगवान रूद्र स्वरूप ही हो जाता है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं
है।
रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra)
वैसे तो रुद्राभिषेक मंत्र शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के सभी मुख्य आठों अध्यायों
में दिए गए मन्त्रों से किया जाता है लेकिन आवश्यक होने पर और यदि आप स्वयं ही आसान
विधि से रुद्राभिषेक करना चाहें तो निम्लिखिन रुद्राभिषेक मंत्र से आप भगवान शिव का
रुद्राभिषेक कर हैं:
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः
॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा
मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय
नमो अस्तु ॥
रुद्राष्टाध्यायी में कुल कुल दस अध्याय हैं, जिनका पाठ रुद्राभिषेक के समय किया जाता
है। इनमें भी आठ अध्याय मुख्य हैं, जिनके आधार पर ही इसको रुद्राष्टाध्ययी कहा गया
है। आठवां अध्याय सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जिसे 'नमक चमक' के नाम से भी जाना जाता है।
नमक चमक का पाठ बहुत महत्वपूर्ण है और इसके पाठ से भगवान शिव आप से शीघ्र अति शीघ्र
प्रसन्न होते हैं। रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद का एक अंग माना गया है।
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स्तोत्रम् के महत्व और उसका अर्थ
भगवान शिव को समर्पित और उनकी महिमा का गुणगान करने वाले इस शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी
में कुल दस अध्याय हैं, लेकिन मुख्य आठ अध्यायों में भगवान शिव की समस्त महिमा और कृपा
शक्ति के बारे में बताया गया है और उनका गुणगान किया गया है। इसलिए इन आठ अध्यायों
के आधार पर ही इसे अष्टाध्यायी कहा जाता है। भगवान शिव की भक्ति करने से समस्त प्रकार
के कष्टों से मुक्ति मिलती है और दुखों का निवारण होता है। रुद्राभिषेक करते समय समस्त
दसों अध्यायों का पाठ करना चाहिए।
रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान
शिव की पूजा करते समय शिवलिंग पर दुग्ध, घी, शुद्ध जल, गंगाजल, शक्कर, गन्ने
का रस, बूरा, पंचामृत, शहद, आदि का उपयोग करते हुए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना
चाहिए:
रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं | सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो
रूद्र उच्च्यते|| एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः । एकदशभिरेता
भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।
रुद्राभिषेक मंत्र से पूजा करते समय उपरोक्त वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए और शिवलिंग
का अभिषेक करना चाहिए तथा उपरोक्त मंत्रों का जाप करने के बाद शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी
का पाठ करें और रुद्राष्टाध्यायी का पंचम और अष्टम अध्याय का पाठ अवश्य करें।
रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने की विधि
प्रत्येक मंत्र जाप के लिए विशेष विधि होती है, जिसके अनुसार आपको पाठ करना चाहिए,
क्योंकि यदि पूर्ण विधि-विधान के अनुसार कोई भी मंत्र जाप किया जाता है, तो उसका फल
कई गुना बेहतर प्राप्त होता है। रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करने से पहले आपको यह जान
लेना आवश्यक होता है कि उस दिन, जब आप यह पाठ करने जा रहे हैं तो “शिव वास” कहां है,
क्योंकि यदि सही समय पर यह मंत्र जाप किया जाएगा, तो शिव जी की कृपा मिलेगी और यदि
किसी अन्य समय पर किया जाए, तो शिवजी रुष्ट भी हो सकते हैं। यह भी जान लें कि यदि आप
किसी उद्देश्य विशेष के लिए रुद्राभिषेक मंत्र का जप करना चाहते हैं, तो आपको शिव वास
अवश्य जानना चाहिए, लेकिन इसके विपरीत यदि निष्काम रूप से भगवान शिव की आराधना करना
चाहते हैं, तो उसके लिए शिव वास देखा जाना आवश्यक नहीं है। शिव वास को जानने के लिए
आप निम्नलिखित वर्णन को पढ़ सकते हैं:
शिव वास जानने की विधि
जब आप किसी विशेष उद्देश्य में सफलता की कामना से रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हैं,
तो आपको शिव वास का विचार करना चाहि,ए क्योंकि यदि आप उचित शिव वास में रुद्राभिषेक
मंत्र से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपकी सभी इच्छाएं अवश्य पूर्ण होती
हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
- किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथमा, अष्टमी और
अमावस्या तथा शुक्ल पक्ष की द्वितीया व नवमी तिथि के दिन भगवान शिव का वास माता
गौरी के साथ होता है। ऐसे में यदि आप इस इन तिथियों को रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान
शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपको सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तथा एकादशी और शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी
तिथि में भगवान शिव का वास कैलाश पर्वत पर होता है और इस दिन रुद्राभिषेक मंत्र से
शिव आराधना करने पर भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त होती है तथा आपके परिवार में सुख
समृद्धि के साथ-साथ आनंद की वृद्धि होती है।
- किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि तथा शुक्ल पक्ष की षष्ठी और
त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव नंदी पर सवार होते हैं और ऐसे में संपूर्ण विश्व में भ्रमण
करते हैं। यदि इन तिथियों में रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव का अभिषेक किया जाए,
तो आपका अभीष्ट सिद्ध होता है अर्थात जो भी आपकी कामना हो, वह अवश्य ही पूर्ण होती
है।
- कृष्ण पक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी तथा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा
तिथियों में भगवान शिव का निवास श्मशान में होता है। वे समाधि में मग्न होते हैं। यदि
इन तिथियों पर रुद्राभिषेक मंत्र से रुद्राभिषेक किया जाए, तो भगवान शिव की साधना भंग
होने से उनके क्रोधित होने की संभावना होती है और ऐसे में आपको लाभ के स्थान पर हानि
हो सकती है और आप के ऊपर कोई बड़ी विपत्ति भी आ सकती है।
- कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी तथा शुक्ल पक्ष की तृतीया तथा दशमी तिथि में भगवान
शिव का वास देवताओं की सभा में होता है, क्योंकि इन तिथियों पर वे सभी देवताओं की समस्याएं
सुनते हैं। यदि इन तिथियों में रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव का आवाहन किया जाए,
तो वे क्रुद्ध हो सकते हैं, क्योंकि उनके कार्य में व्यवधान उत्पन्न होता है। इसलिए
इस दिन रुद्राभिषेक मंत्र का जप करने से संताप तथा दुख मिल सकता है।
- कृष्ण पक्ष की तृतीया और दशमी तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तथा एकादशी तिथि में भगवान
शिव का वास क्रीड़ा क्षेत्र में होता है क्योंकि वे क्रीड़ा रत रहते हैं। इसलिए इन तिथियों
पर रुद्राभिषेक मंत्र का प्रयोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आपकी संतान
को कष्ट मिलने की संभावना होती है।
- किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तथा शुक्ल पक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी
तिथि में भगवान शिव का वास भोजन स्थल में होता है और वे भोजन करते हैं। यदि इस दिन
रुद्राभिषेक मंत्र से शिव जी का आवाहन करने पर वह व्यक्ति को पीड़ा दे सकते हैं इसलिए
इस दिन भी रुद्राभिषेक मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
इस प्रकार से आप शिव वास को जानकर सकाम रूप से रुद्राभिषेक मंत्र का जप एवम् प्रयोग
कर सकते हैं।
विष्णु मंत्र से पाएँ
जगत के पालनहार का आशीर्वाद
रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने के लाभ
रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करने से अनेक प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और मंत्र
जाप करने वाले के सभी अभीष्ट सिद्ध होते हैं कुछ विशेष उद्देश्यों में पूर्ति के लिए
भी रुद्राभिषेक मंत्र का जप किया जाता है इसलिए रुद्राभिषेक मंत्र जाप से प्राप्त होने
वाले लाभ इस प्रकार हैं:
- यदि आप कालसर्प योग से पीड़ित है तो आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हुए रुद्राभिषेक
कराना चाहिए।
- यदि आपके घर में गृहकलेश चला आ रहा है और परिवार के लोगों में आपस में लड़ाई झगड़ा
होता है, तो आपको रुद्राभिषेक कराना अत्यंत लाभकारी साबित होगा।
- यदि आप किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं, तो आपको कुशा के द्वारा रुद्राभिषेक मंत्र से
शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
- यदि आप अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जाप
करते हुए गन्ने के रस से शिवजी का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
महालक्ष्मी मंत्र जाप
से पाएँ जीवन में सुख-समृद्धि
- यदि आप मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, तो आपको किसी तीर्थ से जल लाकर पूरे मन से
भगवान शिव का रुद्राभिषेक मंत्र द्वारा पूजन करना चाहिए।
- यदि संतान प्राप्ति के उद्देश्य से रुद्राभिषेक मंत्र का जप करना हो, तो किसी भी दुग्ध
से रुद्राभिषेक करना चाहिए और यदि आपकी संतान उत्पन्न होकर मृत हो तो गौ दुग्ध से रुद्राभिषेक
करना चाहिए।
- यदि आपको नौकरी ना मिल रही हो या नौकरी मिलने में दिक्कत हो अथवा शत्रु परेशान कर रहे
हों, तो इन सभी समस्याओं का समाधान है, रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हुए सरसों के
तेल से रुद्राभिषेक करना।
- यदि वर्षा ना हो रही हो और फसल की हानि होने लगे, तो समाज के कल्याण के लिए वर्षा के
उद्देश्य से भगवान शिव का जल से अभिषेक करना चाहिए और रूद्राभिषेक मंत्र का जप करना
चाहिए
- यदि आप सुन्दर, विद्वान् और संस्कारी संतान प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको रुद्राभिषेक
मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
- यदि लम्बे समय से ज्वर की समस्या चल रही हो, तो ज्वर की शांति के लिए गंगाजल से अभिषेक
करें और रुद्राभिषेक मंत्रों का उच्चारण करें।
- यदि आपको भवन या वाहन खरीदने की इच्छा है तो उसकी प्राप्ति के लिए आपको रुद्राभिषेक
मंत्र का जाप करने के साथ-साथ दही से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
- शहद एवं घी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से धन की वृद्धि होती है और लक्ष्मी का
वास होता है।
- किसी भी बीमारी से कष्ट मुक्ति हेतु जल में इत्र मिलाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
याद रखें रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते समय इत्र यदि ‘खस ‘ का हो तो बेहतर रहेगा।
- यदि आप दूध से रुद्राभिषेक करते हैं तो प्रमेह रोग की समस्या से मुक्ति मिलती है।
- पुत्र की कामना करने वाले व्यक्ति को जल में शक्कर मिलाकर रुद्राभिषेक मंत्र का जाप
करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
- यदि आप तपेदिक रोग से पीड़ित हैं तो आपको शहद के द्वारा रुद्राभिषेक करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त यदि आप शहद से रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपके जीवन के सभी पापों का भी
शमन हो जाता है।
- उत्तम स्वास्थ्य हर किसी की इच्छा होती है, इसलिए यदि आप आरोग्यता प्राप्त करना चाहते
हैं, तो आपको गाय के दूध अथवा शुद्ध घी अथवा दोनों से रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करना
चाहिए।
- यदि आप विद्वान बनना चाहते हैं और अपनी बुद्धि का विकास करना चाहते हैं तो आपको दूध
में शक्कर मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
- यदि आपको ही व्यापार करते हैं और उसमें लगातार नुकसान हो रहा है तो इससे बचने के लिए
आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जप करना चाहिए।
- विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा में आने वाली रुकावट को दूर करने के लिए भी रुद्राभिषेक
मंत्र से शिव जी को प्रसन्न करना बेहतर परिणाम दिलाता है।
- केवल इतना ही नहीं जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं और कार्यों में रुकावटों
को दूर करने के लिए आप रुद्राभिषेक मंत्र का जप करके भगवान शिव से कृपा प्राप्त कर
सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
जानें महामृत्युंजय
मन्त्र का महत्व और उससे जुड़े समस्त तथ्यों के बारे में !
हम आशा करते हैं कि रुद्र मंत्र पर दिया गया हमारा यह लेख आपको पसंद आएगा और इस लेख
के माध्यम से आप अपने जीवन में रुद्राभिषेक मंत्र की महत्ता को समझकर उसे अपनाएंगे
और उसके द्वारा जीवन को समृद्ध बनाएँगे।