मंगल मिथुन में वक्री (30 अक्टूबर 2022)
एस्ट्रोसेज के इस लेख में आप जानेंगे कि मंगल मिथुन में वक्री (30 अक्टूबर, 2022) होकर सभी 12 राशियों के जातकों को किस प्रकार के फल प्रदान करेगा। जो कि पूर्ण रूप से वैदिक ज्योतिष पर आधारित है और हमारे विद्वान ज्योतिषियों द्वारा मंगल ग्रह की चल, स्थिति व जातक की दशा का अच्छे से विश्लेषण कर तैयार किया गया है। आइए जानते हैं कि मिथुन राशि में मंगल की वक्री अवस्था आपके लिए कैसी साबित होगी।
मंगल मिथुन में वक्री 30 अक्टूबर 2022 को हो रहे हैं। ज्योतिष में लाल ग्रह मंगल को भूमि पुत्र के रूप में जाना जाता है। "मंगल" शब्द का अर्थ होता है "शुभ"। सनातन धर्म में मंगल ग्रह का संबंध देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न देवी-देवताओं से संबंधित बताया गया है। जैसे दक्षिण भारत में मंगल देव को भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) के साथ जोड़कर देखा जाता है। जबकि उत्तर भारत में भगवान हनुमान के साथ इनका संबंध बताया गया है। इसके अलावा महाराष्ट्र में मंगल को भगवान गणेश के साथ जोड़ा जाता है।
ज्योतिष में मंगल ग्रह
ज्योतिष में भी मंगल को एक उग्र ग्रह माना गया है, यही कारण है कि इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है। समस्त ग्रहों में से मंगल और सूर्य हमारे शरीर के सभी अग्नि तत्वों को नियंत्रित करते हैं। इसे जीवन शक्ति, शारीरिक ऊर्जा, सहनशक्ति, समर्पण, इच्छाशक्ति, कुछ करने की प्रेरणा और किसी भी कार्य को पूर्ण करने की ऊर्जा आदि का कारक प्राप्त होता है। जिस जातक की कुंडली में मंगल का प्रभाव अधिक होता है वो लोग साहसी, आवेगी और सीधे आगे बढ़ना पसंद करते हैं। मंगल को भूमि, वास्तविक अवस्था, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग का कारक भी माना जाता है।
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मंगल वक्री की समयावधि
मंगल मिथुन में वक्री 30 अक्टूबर 2022, रविवार को शाम 6 बजकर 19 मिनट पर होने जा रहा है। हालांकि मंगल का ये वक्री 13 नवंबर 2022 तक बहुत ही कम समय के लिए होगा उसके बाद वे वृषभ राशि में विराजमान हो जाएंगे। वक्री गति का अर्थ है पीछे की ओर बढ़ना। इस स्थिति में पृथ्वी से देखने पर कोई विशेष ग्रह पीछे की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत होता है और इसी स्थिति को ही ग्रह का वक्री होना कहते हैं।
मंगल हर दो वर्षों में लगभग दो से ढाई महीने के लिए वक्री गति करता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रह का वक्री होना विशेष महत्व रखता है। ऐसे में जब मंगल वक्री होता है तो उसके प्रभाव से जातक के स्वभाव में चिड़चिड़पन, निराशा, क्रोध, आक्रामकता और धैर्य की कमी देखी जा सकती है। ऐसे में मंगल की ये स्थिति हर जातक को अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाने की सलाह देती है।
वक्री मंगल के नकारात्मक प्रभाव से जातक को ऊर्जा या बिजली की वस्तुओं, रसोई के उपकरण, खाना पकाने के चूल्हे आदि से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आपको सतर्क रहते हुए ज़रूरत अनुसार इन उपकरणों को तुरंत ठीक करवाने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसके अलावा किसी भी जातक के लिए मंगल का ये प्रभाव विशेष रूप से उसकी जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति और दशा पर ही निर्भर करेगा।
मंगल के मिथुन में वक्री करने से सभी 12 राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा आइए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं इसकी विस्तृत जानकारी।
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यह राशिफल आपकी चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी व्यक्तिगत चन्द्र राशि अभी जानने के लिए चंद्र राशि कैलकुलेटर का उपयोग करें।
मेष
मेष राशि के लिए मंगल देव उनके प्रथम यानी लग्न भाव के स्वामी होने के साथ-साथ उनके अष्टम भाव के स्वामी भी होते हैं। अब मंगल देव इस दौरान अपनी वक्री अवस्था में आपकी राशि के तृतीय भाव में गोचर करेंगे। कुंडली के तृतीय भाव से हम आपके भाई-बहन, शौक, कम दूरी की यात्रा और संचार कौशल के बारे में ज्ञात करते हैं। ऐसे में अब मंगल के इस भाव में वक्री करने के कारण आप अपनी वाणी में बहुत आक्रामक और सीधा-स्पष्ट मुंह पर बोलने वाले व्यक्ति के रूप में नज़र आएंगे। इस कारण आप किसी प्रकार के शारीरिक झगड़े में भी पड़ सकते हैं। इसलिए आपके लिए इस दौरान अपनी ऊर्जा को नियंत्रण में रखना सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य होगा अन्यथा आप खुद को किसी बड़ी मुसीबत में डाल देंगे।
साथ ही अन्य लोगों के विवादों में भी शामिल होने से बचें। यदि आप एक व्यापारी हैं तो आपको अपने व्यापार में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि बावजूद इसके आपको भाग्य का साथ मिलने से ये अवधि आपके लिए अनुकूल ही रहेगी। परंतु काम का दबाव आपको कुछ मानसिक तनाव देगा। वहीं स्वयं के प्रयासों से आप अच्छा धन लाभ भी करने में सफल रहेंगे।
उपाय: श्री हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें और 4 केले भगवान हनुमान को अर्पित करें।
वृषभ
वृषभ राशि के जातकों के लिए मंगल उनके खर्चों के द्वादश और दीर्घकालीन साझेदारियों के सप्तम भाव के स्वामी होते हैं। अब वे आपके दूसरे भाव में वक्री होंगे। कुंडली का दूसरा भाव परिवार, बचत और वाणी का प्रतिनिधित्व करता है। अब मंगल देव वक्री अवस्था में आपकी राशि से द्वितीय भाव में प्रस्थान करते हुए आपको अपनी वाणी में मुंहफट स्पष्टवादी बनाएंगे जिसे दूसरों द्वारा आपको असभ्य भी समझा जा सकता है। यहां तक कि आपके इस मुंहफट स्वभाव के कारण परिवार के साथ आपके कुछ झगड़े भी हो सकते हैं। यदि आप किसी पारिवारिक संपत्ति प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं तो आपको इसके लिए अभी और इंतजार करना होगा।
प्रेम संबंधों की बात करें तो मंगल मिथुन में वक्री होकर आपके प्रेम जीवन के लिए थोड़े प्रतिकूल साबित हो सकते हैं क्योंकि आपका अति अधिकारात्मक स्वभाव और कठोर वाणी आपके प्रेम संबंधों को प्रभावित करने का कार्य करेंगे। इस वक्री अवधि के दौरान आपको यूँ तो कई यात्राओं पर जाने का अवसर मिलेगा। परंतु ये यात्राएं आपको थकान दे सकती हैं या आपके खर्चों को बढ़ा सकती हैं। यदि आप विदेश में रहते हैं तो यह समय आपके लिए धन कमाने की अच्छी संभावनाएं बनाएगा। इसके अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनियों या विदेशी कंपनियों में काम करने वाले जातकों को भी मंगल के वक्री से विशेष रूप से फायदा मिलेगा।
उपाय: हल्दी और गुड़ मिश्रित आटा या आटे की लोई गाय को खिलाएं।
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मिथुन
मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल देव उनके एकादश भाव तथा छठे भाव के स्वामी होते हैं। अब 30 अक्टूबर 2022 को मंगल आपकी राशि से ही अपना वक्री करेंगे यानी मंगल का ये वक्री आपके लग्न भाव में होगा। चूंकि लग्न भाव से हम जातक के व्यक्तित्व और उसके जन्म के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। ऐसे में मंगल का ये स्थान परिवर्तन सबसे अधिक आपके ही जीवन को प्रभावित करेगा। इसलिए इस समय अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें और बहुत सावधानी से वाहन चलाएं क्योंकि इस समय आपकी एक छोटी सी गलती भी आपको गंभीर समस्या में डाल सकती है। साथ ही आपको अपने क्रोध और अहंकार पर भी नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है अन्यथा आपका अक्रामक स्वभाव आपके रिश्तों में विवाद उत्पन्न कर देगा। विशेषरूप से मंगल का नकारात्मक प्रभाव शादीशुदा जातकों के वैवाहिक जीवन पर पड़ने की आशंका अधिक रहेगी।
हालांकि इस अवधि में प्रेमी जातकों की लव लाइफ में रोमांस और प्रेम बना रहेगा। परंतु शादीशुदा जातकों को अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना होगा क्योंकि मंगल मिथुन में वक्री होकर उन्हें कुछ शारीरिक परेशानियां दे सकता है। वो जातक जो किसी प्रकार की यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं उन्हें अभी कुछ समय के लिए हर प्रकार की यात्रा करने से बचना होगा। साथ ही वाहन या घर खरीदने के लिए भी समय थोड़ा प्रतिकूल है इसलिए अभी ऐसा करने से बचें।
उपाय: भगवान गणेश को लाल फूल अर्पित करें।
कर्क
कर्क राशि के जातकों के लिए मंगल योगकारक ग्रह होते हैं। क्योंकि यह आपके केंद्र और त्रिकोण भावों यानी पंचम और दशम भावों को नियंत्रित करते हैं। अब इस दौरान मंगल देव आपके विदेशी भूमि, अलगाव, अस्पताल, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, खर्चों आदि के द्वादश भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। इसके परिणामस्वरूप वो जातक जो मल्टीनेशनल कंपनियों या अन्य किसी विदेशी कंपनियों में कार्यरत हैं या निर्यात-आयात के व्यवसाय में जुड़े हैं उन्हें इस दौरान मंगल देव लाभ मिलने के योग बनाएंगे।
इसके अलावा कुंडली का द्वादश भाव अनावश्यक व्यय और खर्चों का भी भाव होता है। इसलिए इस दौरान आपके ख़र्चों में बढ़ोतरी देखी जाएगी। कई जातकों को बिजली के उपकरण, रसोई उपकरण, खाना पकाने के चूल्हे आदि से भी संबंधित कुछ समस्या होने की आशंका है। ऐसे में इनके रख-रखाव का ध्यान रखें और इनके खराब होने पर तुरंत किसी विशेषज्ञ से उन्हें ठीक करवाएं। साथ ही आपको इस अवधि में अपनी सेहत का भी ख़ास ख्याल रखने की ज़रूरत होगी चूंकि मंगल मिथुन में वक्री होकर आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
उपाय: प्रतिदिन सात बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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सिंह
सिंह राशि के जातकों के लिए मंगल उनके नवम अर्थात भाग्य भाव व चतुर्थ भाव के स्वामी होने से योगकारक ग्रह बन जाते हैं। ऐसे में 30 अक्टूबर को योगकारक ग्रह का आपके लाभ के एकादश भाव में वक्री अवस्था में गोचर करना जातकों को अलग-अलग माध्यमों से लाभ मिलने के योग बनाएगा।
वहीं अगर आप कोई वाहन या घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपको उसमें भी इस दौरान सफलता मिलेगी। ये अवधि यूँ तो आपके साहस और पराक्रम में भी अपार वृद्धि करेगी लेकिन आपको अपने आत्मविश्वास को स्वयं के ऊपर हावी न होने देने की भी ख़ास सलाह दी जाती है। अन्यथा इसकी वजह से आप खुद को किसी बड़ी परेशानी में डाल देंगे। संभावना ये भी अधिक है कि इस समय आपको अपने जीवन में कई सुनहरे अवसर प्राप्त होंगे जिसका आपको लाभ उठाते हुए ईमानदारी से स्वागत करने की और निरंतर अपने जीवन में आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी।
उपाय: नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा करें और उन्हें मंगलवार के दिन मिठाई का प्रसाद चढ़ाएं।
कन्या
कन्या राशि के जातकों के लिए मंगल आपके भाई-बहनों के तृतीय भाव और अनिश्चितता व गोपनीयता के अष्टम भाव के स्वामी होते हैं। अब मंगल आपके कर्म यानी दशम भाव में अपना वक्री करेंगे। कुंडली के इस भाव से हम कार्यक्षेत्र, बल, कार्यवाही और सामाजिक स्थिति के बारे में पता लगाते हैं। ऐसे में मंगल का इस भाव में वक्री होना जातकों की काम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाने में मदद करेगा।
पेशेवर रूप से देखा जाए तो मंगल मिथुन में वक्री होकर आपके ऊपर काम का दबाव बढ़ा सकता है जिससे आपको स्वयं को व अपने कार्य को अगले स्तर तक ले जाने के लिए अधिक प्रयास करने और समय देने की ज़रूरत होगी। मंगल की इस वक्री स्थिति के दौरान आपको अपनी मां के स्वास्थ्य का भी अच्छे से ध्यान रखने की और उनके साथ अपने अच्छे संबंध बनाए रखने की आवश्यकता होगी। इस राशि के वो छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में हैं उन्हें मंगल देव सफलता मिलने के योग बनाएंगे। इसलिए छात्रों को शुरुआत से ही खुद को सकारात्मक रखते हुए प्रयासरत रहना होगा।
उपाय: प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमान जी को मीठा पान अर्पित करें।
तुला
तुला राशि के जातकों के लिए मंगल आपके द्वितीय व सप्तम भाव पर शासन करते हैं और अब वे आपकी राशि से पिता, गुरु और भाग्य के नवम भाव में वक्री होंगे। इसके परिणामस्वरूप आपको अपने पिता व गुरु के साथ आपसी विचारों में किसी प्रकार की असहमति और विवादों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि अपनी प्रतिक्रिया देने से पहले उनकी बात को पूरा सुनें और समझें। क्योंकि ऐसा करना ही आपके लिए अधिक फायदेमंद साबित होगा।
अब बात करें प्रेम सम्बन्धों की तो वो सिंगल जातक जो लंबे समय से शादी के बंधन में बंधने के इच्छुक हैं उन्हें इस दौरान शादी के बंधन में बंधने का मौका मिलेगा। कई जातक अपने साथी के साथ किसी प्रकार की विदेश यात्रा पर जाने की योजना भी बना सकते हैं। हालांकि इस यात्रा से उनके कुछ खर्चें भी बढ़ सकते हैं लेकिन बावजूद इसके आप एक-दूसरे के साथ का आनंद लेते दिखाई देंगे। कार्यक्षेत्र पर मंगल देव का प्रभाव आपको अपने कार्यों में बाधा और चुनौतियां दे सकता है। परन्तु इन विपरीत परिस्थितियों में भी अपने हौसले को कम न होने देते हुए साहस के साथ हर परिस्थिति का डटकर सामना करें।
उपाय: मंदिरों में गुड़ और मूंगफली की मिठाई प्रसाद स्वरूप चढ़ाएं।
वृश्चिक
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मंगल उनके लग्नेश होने के साथ-साथ उनके छठे भाव के स्वामी भी हैं। अब वे आपकी राशि से अष्टम भाव में वक्री होंगे। ऐसे में लग्नेश का अष्टम भाव में वक्री होना जातकों के जीवन में कुछ चुनौतीपूर्ण स्थितियों को जन्म दे सकते हैं। क्योंकि कुंडली में अष्टम भाव दीर्घायु, आकस्मिक घटना, गोपनीयता आदि का भाव होता है। इसलिए इस अवधि में आपको अपने स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल करने की आवश्यकता होगी। साथ ही यदि आप पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं तो अपनी समस्या के प्रति ज़रा भी लापरवाही न बरतें और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें। इसके अलावा आपको अच्छी सेहत के लिए अच्छा खानपान लेने, व्यायाम करने, अपना ध्यान रखने और सुरक्षित ड्राइव करने की भी सलाह दी जाती है।
मंगल देव कई जातकों को प्रेम संबंधित मुद्दों से जुड़ी भी समस्या मिलने के योग बनाएंगे। कार्यक्षेत्र में भी कई उतार-चढ़ाव आपको परेशान कर सकते हैं। इसके कारण आपको कुछ वांछित कार्यों को पूरा करने में समय लग सकता है। वहीं इस राशि के जातकों को इस अवधि में किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र, हथियार और अग्नि यंत्रों से दूरी बनाकर रखने की ज़रूरत होगी। यदि आप अपनी कोई सर्जरी कराने की सोच रहे थे तो फिलहाल इससे बचना ही आपके लिए बेहतर रहेगा। क्योंकि किसी भी तरह की सर्जरी या ऑपरेशन के लिए समय थोड़ा प्रतिकूल है।
उपाय: मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।
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धनु
धनु राशि के जातकों के लिए मंगल उनके पंचम व द्वादश भाव के स्वामी हैं और अब वे आपके जीवनसाथी व व्यावसायिक साझेदारी के सप्तम भाव में वक्री होंगे। ऐसे में आपकी राशि में मंगल की ये स्थिति आपको अपने रिश्तों में स्वभाव से हावी और आक्रामक बना देगी। जिसके परिणामस्वरूप शादीशुदा जातकों का अपने साथी के साथ अनावश्यक के अहंकार और तर्क-वितर्क के कारण संघर्ष व विवाद संभव है। इसका नकारात्मक प्रभाव सीधे तौर पर आप दोनों के संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव का कारण भी बनेगा। इसलिए इस अवधि में सबसे अधिक आपको अपने वैवाहिक जीवन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
कार्यक्षेत्र की बात करें तो व्यावसायिक रूप से आपको यूँ तो इस समय अपने काम में सफलता मिलेगी। लेकिन सफलता मिलने में कुछ देरी हो सकती है। साथ ही आपको अपने स्वास्थ्य का ज़्यादा ध्यान रखते हुए नियमित रूप से खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस दौरान आपके सप्तम भाव में वक्री होते हुए मंगल देव आपके लग्न पर दृष्टि डालेंगे और इसके कारण आपके शरीर में सूखापन बढ़ सकता है।
उपाय: शुक्रवार के दिन मां दुर्गा को लाल फूल अर्पित करना आपके लिए अनुकूल रहेगा।
मकर
मकर राशि के जातकों के लिए मंगल ग्रह आपके चतुर्थ और एकादश भाव के स्वामी होते हैं। अब इस दौरान मंगल आपकी राशि से छठे भाव में वक्री अवस्था में अपना गोचर करेंगे। कुंडली में छठे भाव से हम जातक के शत्रु, स्वास्थ्य, प्रतिस्पर्धा, मामा पक्ष आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। ऐसे में इसी भाव में मंगल का वक्री होना उन छात्रों के लिए अनुकूल रहेगा जो लंबे समय से किसी विदेशी विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे थे। क्योंकि ये वो अवधि होगी जब आपको अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के चलते निश्चित रूप से सफलता मिलने के योग बनेंगे। परंतु इसके लिए शुरुआत से अपनी मेहनत जारी रखें।
साथ ही जिन जातकों का कोई केस या कानूनी मामला चल रहा था तो यह समय अवधि उसका फैसला आपके पक्ष में देते हुए आपको लाभ मिलने के योग बनाएगी। हालांकि इस समय सबसे अधिक आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस अवधि में आप किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप आपको अपने धन का एक बड़ा भाग अपनी सेहत पर खर्च भी करना पड़ेगा।
उपाय: गुड़ का नियमित सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए अधिक उत्तम रहेगा।
कुंभ
कुम्भ राशि के जातकों के लिए मंगल आपके तृतीय और दशम भाव के स्वामी होते हैं। अब 30 अक्टूबर को मंगल अपना वक्री आपकी राशि से पंचम भाव में करेंगे। कुंडली के पंचम भाव से हम संतान, शिक्षा, प्रेम संबंध, पूर्व जन्म के पुण्य आदि का ज्ञात करते हैं। ऐसे में इस भाव में मंगल का वक्री करना जातकों को अपनी पढ़ाई-लिखाई के दौरान एकाग्रता की कमी से जुड़ी कुछ समस्या दे सकता है।
इसके अलावा दांपत्य जातकों को भी इस अवधि में अपने बच्चों से जुड़ी कुछ चिंता व तनाव महसूस होंगे। खासकर से आपकी संतान की सेहत और शिक्षा आपकी मानिसक बेचैनी बढ़ाने का कार्य करेंगे। वहीं प्रेम संबंधों के लिहाज़ से वो जातक जो किसी रिलेशनशिप में हैं। उनकी अपने पार्टनर के साथ किसी कारणवश अनबन संभव है। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करें और अपने साथी पर हावी होने से भी बचें।
उपाय: ज़रूरतमंद व गरीब छोटे बच्चों में अनार बांटें।
मीन
मीन राशि के जातकों के लिए मंगल देव उनके द्वितीय व नवम भाव के स्वामी होते हैं और अब वे आपकी माता, घर, घरेलू जीवन, भूमि, संपत्ति और वाहनों के चतुर्थ भाव में वक्री हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप आपको इस अवधि में अपनी माता के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की सबसे अधिक ज़रूरत होगी। क्योंकि आशंका है कि मंगल देव की इस वक्री स्थिति के कारण उन्हें स्वास्थ्य हानि होने से परेशानी उठानी पड़े।
इसके अलावा आपके और मां के बीच कुछ मतभेद भी उत्पन्न होते दिखाई देंगे। जिसका नकारात्मक प्रभाव आप दोनों के संबंधों पर पड़ेगा। कार्यस्थल पर कुछ परिवर्तन होने की संभावना रहेगी और इसके कारण आपको अपने कार्य स्थल पर कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं। वो जातक जो किसी प्रकार की प्रॉपर्टी से जुड़ा कोई सौदा कर रहे हैं उन्हें अभी ये सौदे करने से बचना होगा। क्योंकि इसके लिए अवधि थोड़ी प्रतिकूल रहने वाली है। साथ ही आपको घरेलू सुख-सुविधाओं में भी कमी के कारण असंतुष्टि महसूस हो सकती है।
उपाय: अपनी मां या मां समान महिलाओं को गुड़ से बनी मिठाई भेंट करें।
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