वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर विशेष इस लेख में जानिए 13 नवंबर 2022 को होने वाले इस गोचर का सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर क्या कुछ प्रभाव पड़ेगा। यह विशेष गोचरफल वैदिक ज्योतिष की गणना पर और विद्वान ज्योतिषियों द्वारा तैयार किया गया है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार सौरमंडल के किसी भी ग्रह की वक्री गति आकाश के माध्यम से उस ग्रह की गति में एक स्पष्ट परिवर्तन को दर्शाती है। परंतु किसी ग्रह का भौतिक रूप से परिक्रमा करते हुए अपनी कक्षा में पीछे की ओर बढ़ना वास्तविक सत्य नही है। ये तो केवल ग्रह और पृथ्वी की सापेक्ष स्थिति के कारण पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है। लेकिन वैदिक ज्योतिष में इसका बहुत बड़ा महत्व है और यह स्थिति भी लोगों के जीवन को प्रमुख रूप से प्रभावित करती है। अब मंगल ग्रह 30 अक्टूबर 2022 को शाम 6 बजकर 55 मिनट पर मिथुन राशि से वक्री हो चुके हैं।
वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर 13 नवंबर 2022 को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट पर वृषभ राशि में होने जा रहा है और ये फिर 13 जनवरी 2023, रात 11 बजकर 30 मिनट तक मार्गी होने तक उसी अवस्था में रहेंगे।
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ज्योतिष में मंगल को एक उग्र ग्रह माना गया है। मंगल और सूर्य व्यक्ति के शरीर के सभी अग्नि तत्वों को नियंत्रित करते हैं। मंगल ही व्यक्ति को जीवन शक्ति, शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति, समर्पण, इच्छाशक्ति, कुछ भी करने की प्रेरणा और किसी भी कार्य को पूरा करने की भरपूर मात्रा में ऊर्जा देता है। मंगल ग्रह के प्रभाव वाले जातक साहसी, आवेगी और सीधे आगे बढ़ते जाते हैं।
मंगल ग्रह भूमि, वास्तविक अवस्था, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग का कारक भी है। परंतु अब ये ग्रह वक्री हो रहा है, इसलिए इस दौरान हमारे ऊर्जा के स्तर में कुछ व्याकुलता देखी जा सकती है। वास्तव में मंगल का वक्री होना वो स्थिति होती है जब आपके प्रोत्साहन में, आपकी ऊर्जा में और आपकी शारीरिक शक्ति में भी कमी आने लगती है और इस कारण आप अजीब तरह का व्यवहार करने लगते हैं।
वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर के परिणामस्वरूप आप स्वभाव से कुछ चिड़चिड़े और अचानक क्रोधित हो सकते हैं। लेकिन इसके अलावा किसी भी जातक के लिए मंगल का ये प्रभाव विशेष रूप से उसकी जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति और दशा पर ही निर्भर करेगा।
वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर सभी 12 राशियों पर कैसा प्रभाव डालेगा यह जानने के लिए पढ़ें यह विशेष लेख।
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मंगल ग्रह मेष राशि के प्रथम यानी लग्न भाव के स्वामी होने के साथ-साथ उनके अष्टम भाव के स्वामी भी होते हैं। अब मंगल देव इस दौरान अपनी वक्री अवस्था में आपकी राशि के द्वितीय भाव में विराजमान होंगे। कुंडली में दूसरा भाव जातक के परिवार, बचत और वाणी का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में अब मंगल का दूसरे भाव में होना आपको अपनी वाणी को लेकर कुछ मुंहफट बना देगा। इसके कारण आप दूसरों के समक्ष कुछ असभ्य भी नज़र आ सकते हैं। यहां तक कि इस वजह से परिवार के साथ आपका बात-बार पर विवाद या झगड़ा भी संभव है।
इसके अलावा अष्टमेश का आपके दूसरे भाव में होना आर्थिक जीवन में भी आपके लिए अचानक धन हानि होने के योग बनाएगा। इसलिए शुरुआत से ही इसके प्रति सचेत रहें और इस समय कुछ भी नया शुरू करने या निवेश करने से बचें। इस राशि के छात्रों के लिए भी अवधि कुछ परेशानी उत्पन्न कर सकती है। क्योंकि छात्र अपनी शिक्षा को लेकर कुछ व्याकुल नज़र आएंगे। इसलिए उन्हें खुद को हर परीक्षा के लिए तैयार करने पर ध्यान देने और अपने लक्ष्यों के प्रति केंद्रित रखने की कोशिश करनी होगी। अन्यथा उनकी ऊर्जा में कमी के कारण उन्हें समस्या आ सकती है। हालांकि ये स्थिति आपको अपनी पढ़ाई को लेकर घबराहट तो देगी परंतु आप पहले से अधिक सावधान नज़र आएंगे।
वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर के दौरान चूंकि मंगल आपके दूसरे भाव में होंगे और उनकी दृष्टि आपके प्रेम और रोमांस के पांचवें भाव पर होगी। इसलिए आप अपने प्रेम संबंधों में कुछ असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। कई जातक इस दौरान अचानक किसी तीर्थ स्थल की यात्रा पर जाने की योजना भी बना सकते हैं।
उपाय- प्रतिदिन सात बार हनुमान चालीसा का जाप करें।
वृषभ राशि के लिए मंगल ग्रह आपके दीर्घकालीन साझेदारियों, व्यापार, आयात-निर्यात अर्थात इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, सामाजिक छवि, विवाह व जीवनसाथी के सातवें तथा खर्चों, रोग, यात्रा, विदेश आदि के बारहवें भाव के स्वामी होते हैं। अब मंगल देव वक्री अवस्था में आपकी ही राशि यानी आपके लग्न भाव में प्रस्थान करेंगे। इसलिए मंगल की ये स्थिति आपको सबसे अधिक अपने स्वास्थ्य जीवन पर ध्यान देने के योग बनाएगी। क्योंकि मंगल एक उग्र ग्रह है और इसका प्रभाव इस दौरान आपकी त्वचा में रूखापन ला सकता है। इसके लिए आपको खुद को हाइड्रेट रखने के लिए समय-समय पर पानी पीते रहने और खुद को ठीक से मॉइस्चराइज करने की सलाह दी जाती है।
साथ ही आपको इस अवधि में ध्यान और शारीरिक व्यायाम करने की भी ज़रूरत होगी। क्योंकि ऐसा करके आप अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाने में सक्षम होंगे। यदि आपका विदेशी भूमि से कोई व्यावसायिक संबंध है या आप विदेश से जुड़ा कोई व्यापार करते हैं तो उससे जुड़े आपको प्रतिकूल फल प्राप्त होंगे। इसलिए शुरुआत से ही खुद को अधिक सतर्क रखें।
इसके अलावा इस समय लग्न में मौजूद मंगल की चतुर्थ दृष्टि आपके चतुर्थ भाव पर होगी और इससे आप अपनी मां के प्रति अधिक संवेदनशील नज़र आएंगे। आपको उनकी सेहत पर भी अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत होगी।
वो जातक जो किसी संपत्ति की बिक्री या खरीद की योजना बना रहे हैं, उन्हें वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर के दौरान ऐसा कुछ भी करने से बचना चाहिए। क्योंकि मंगल आपके बारहवें भाव के व्यय और नुकसान का स्वामी है, इसलिए हर प्रकार की खरीद-बिक्री से बचें और यदि बहुत ज़रूरी हो तो हर सौदे के दौरान अतिरिक्त सतर्क रहने की आपको सख्त आवश्यकता होगी। चूंकि मंगल की दृष्टि स्वयं के भाव पर ही होगी और यह स्थिति उन सभी जातको के लिए बहुत उत्तम सिद्ध होगी जो विवाह के बंधन में बंधना चाहते हैं। लेकिन बावजूद इसके उन्हें भी खुद को शांत रखने की कोशिश अधिक करनी होगी।
हालांकि दूसरों पर अपना दबदबा बनाना आपके लिए कुछ परेशानियां उत्पन्न कर सकता है। वहीं वृषभ राशि के जातकों को यात्रा करते समय भी इस दौरान सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि आठवें भाव पर मंगल की आठवीं दृष्टि आपके जीवन में कुछ अनिश्चितताओं को जन्म दे सकती है।
उपाय- मां दुर्गा को लाल फूल चढ़ाएं।
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मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल देव एकादश भाव तथा छठे भाव के स्वामी होते हैं। अब 13 नवंबर 2022 को ये अपनी वक्री अवस्था में आपके खर्चों, रोग, यात्रा, विदेश आदि के द्वादश भाव में विराजमान होंगे।
इसके अलावा इस दौरान आपके द्वादश भाव में उपस्थित मंगल की चतुर्थ दृष्टि आपके तीसरे भाव पर भी होगी। जिसके परिणामस्वरूप आप अपने छोटे भाई-बहन के साथ किसी प्रकार के तर्क-वितर्क या विवाद में पड़ सकते हैं। कई जातक इस दौरान किसी छोटी दूरी की यात्रा पर जाने की योजना भी बनाएंगे। परंतु उस यात्रा के रद्द होने से धन से जुड़ा नुकसान संभव है। इसलिए समझदारी से ही कोई भी योजना बनाएं। यदि आप किसी भी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं तो इसे अनदेखा न करने की आपको सख्त सलाह दी जाती है अन्यथा छोटी सी दिखने वाली कोई समस्या आगे चलकर किसी गंभीर बीमारी का रूप भी ले सकती है।
वहीं मंगल की अष्टम दृष्टि इस समय आपके साझेदारी व विवाह के सप्तम भाव पर होगी। इसलिए खुद को सर्वोपरि समझने का आपका स्वभाव साथी के साथ आपको कुछ अनावश्यक अहंकार से संबंधित किसी समस्या में डाल सकता है। इसके कारण आपके और साथी के संबंधों में उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलेंगे। इसलिए इस अवधि में शादीशुदा जातकों को सबसे अधिक अपने दांपत्य जीवन पर ध्यान देने की ज़रूरत होगी।
उपाय- रोजाना प्रात:काल के समय भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
मंगल ग्रह कर्क राशि के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण ग्रह होता है। क्योंकि यह उनके लिए केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी होने के कारण योग कारक होते हैं अर्थात आपको राजयोग देने में सक्षम हैं। इसके अलावा ये आपके पंचम और दशम भाव के स्वामी भी हैं। अब इस दौरान आपके लाभ के एकादश भाव में विराजमान होंगे। ऐसे में वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर आपकी इच्छाओं की पूर्ति और लाभ के लिए बहुत अच्छी सिद्ध होगा। परंतु ये सकारात्मक परिणाम आपको अचानक प्राप्त होंगे। इसके चलते ही आप अपने कार्यस्थल पर किए गए अपने कड़े परिश्रम व मेहनत के उचित परिणामों का आनंद भी लेंगे। लेकिन इससे आपके अंदर कुछ अहंकार की वृद्धि भी देखी जाएगी, जो सबसे अधिक आपकी छवि को खराब करने का कार्य करेगी।
इसके अलावा इस राशि के छात्रों के लिए यह अवधि विशेष उत्तम रहने वाली है। बावजूद इसके फिर भी अपने स्वभाव में आए कुछ बदलावों के कारण वे थोड़े जिद्दी और लापरवाह भी हो सकते हैं और इस कारण वे अपनी असफलता के लिए हर बार अपने दोस्तों पर ही सारा दोष मढ़ सकते हैं। इसलिए उन्हें सलाह दी जाती है कि अपनी पूरी एकाग्रता और ऊर्जा सही दिशा में लगाते हुए उन्हें तुरंत अपनी तैयारी शुरू करनी होगी।
वहीं स्वास्थ्य जीवन के दृष्टिकोण से भी यदि आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो उसे अभी नज़रअंदाज़ करना आपके लिए परेशानी का बड़ा कारण बन सकता है। इसलिए शुरुआत से ही अपनी सेहत के प्रति सतर्कता बरतें।
उपाय- मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें और मिठाइयों का दान करें।
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सिंह राशि के जातकों के लिए मंगल नवम अर्थात भाग्य भाव जो कि एक त्रिकोण भाव भी है तथा केंद्र भाव अर्थात चतुर्थ भाव के स्वामी होने से योगकारक ग्रह हैं। कुंडली के चतुर्थ भाव से हमारे जीवन में सभी प्रकार के सुख सुविधाओं, हमारी माता, चल तथा अचल संपत्ति आदि के बारे में जानकारी मिलती है। वहीं नवम भाव को भाग्य तथा धर्म स्थान कहा जाता है। ऐसे में मंगल ग्रह अब अपनी वक्री अवस्था में आपके कर्म यानी दशम भाव में विराजमान हो रहे हैं। ऐसे में इस कारण आप अपने कार्यस्थल पर काफी दबंग और दूसरों पर हावी होते दिखाई देंगे। इसके अलावा अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी आप खुद को कुछ चिड़चिड़ा और दिशाहीन महसूस कर सकते हैं। इसलिए कार्यस्थल पर आपका यह स्वभाव आपकी छवि को नुकसान पहुंचाएगा।
हाल ही के अनुमान में आपको पूर्व में आधिकारिक पदों पर नए अवसर अधिक मिलेंगे। लेकिन वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर आपको नई भूमिका में आने में कुछ परेशानियां दे सकता है। इसके अलावा इस समय मंगल की चतुर्थ दृष्टि आपके लग्न पर होगी। इससे आपके व्यक्तित्व में ऊर्जा की कमी, ईर्ष्या, चिड़चिड़ापन और आक्रामकता की वृद्धि हो सकती है। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि खुद को किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधि में शामिल करें।
वहीं सप्तम दृष्टि आपके चतुर्थ भाव पर होने से आपको माता का सहयोग मिल सकेगा। लेकिन आपको उनके स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। मंगल देव सिंह राशि के छात्रों की पढ़ाई में अचानक कुछ व्यवधान भी उत्पन्न कर सकते हैं इसलिए उन्हें भी शिक्षा के प्रति खुद को अधिक सचेत रखने की सलाह दी जाती है।
उपाय- मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें और मिठाई का दान करें।
कन्या राशि के जातकों के लिए मंगल आपके भाई-बहनों के तृतीय भाव और अनिश्चितता व गोपनीयता के अष्टम भाव पर शासन करते हैं। जो अब अपनी वक्री अवस्था में आपके पिता, गुरु और भाग्य के नवम भाव में विराजमान होंगे। ऐसे में मंगल की इस स्थिति के कारण आपको अपने पिता या गुरु के बीच किसी बात को लेकर कुछ असहमति का सामना करना पड़ सकता है और इससे आपको उनके साथ समस्या भी संभव है। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि हर परिस्थिति में उनकी पूरी बात धैर्यपूर्वक सुनें। क्योंकि ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।
कई जातकों को इस दौरान अचानक किसी तीर्थस्थल की यात्रा पर जाना पड़ेगा। हालांकि मंगल की इस स्थिति के कारण आपके पिता आपके ऊपर कुछ हावी भी हो सकते हैं और इससे आपको उनके साथ रस्साकशी करनी होगी। साथ ही उनके स्वास्थ्य का भी आपको ध्यान रखने की ज़रूरत रहने वाली है।
इसके अलावा आपके द्वादश भाव पर मंगल की दृष्टि यह दर्शाती है कि आपको कुछ अप्रत्याशित ख़र्चों से भी दो-चार होना पड़ेगा। वहीं मंगल की सप्तम दृष्टि तृतीय भाव पर होने से आपको अचानक से किसी छोटी यात्रा पर जाना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त मंगल की आपके चतुर्थ भाव पर अष्टम दृष्टि भी आपको घरेलू सुख-सुविधाओं में बाधा दे सकती है। जिससे घर का वातावरण कुछ अशांत होगा। साथ ही आपकी मां का स्वास्थ्य भी खराब होने से आपको परेशानी संभव है। इसलिए इसके बारे में शुरुआत से ही सतर्क रहने की जरूरत होगी।
उपाय- मंदिर में गुड़ और मूंगफली से बनी मिठाई प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
तुला राशि के जातकों के लिए मंगल द्वितीय व सप्तम भाव के स्वामी हैं और अब अपनी वक्री अवस्था में वे आपके अष्टम भाव में विराजमान होंगे। ऐसे में मंगल की ये स्थिति आपके लिए थोड़ी चुनौतीपूर्ण रहेगी। क्योंकि कुंडली का अष्टम भाव व्यक्ति की दीर्घायु, अचानक होने वाली घटनाओं, गोपनीयता आदि को दर्शाता है। इसलिए इस भाव में मंगल का होना जातकों को कई क्षेत्रों में संघर्ष देने वाला है।
वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर वो समय होगा जब आपके जीवन में अचानक घटित हो रही बहुत सी घटनाएं आपको कुछ मानसिक तनाव व बेचैनी दे सकती हैं। इसके अलावा आपके एकादश भाव में मंगल की चतुर्थ दृष्टि भी आपके आर्थिक जीवन में अचानक से उतार-चढ़ाव लेकर आएगी।
साथ ही मंगल का आपके द्वितीय भाव को दृष्टि करना जातकों को संचार में कमांडिंग और आधिकारिक बना देगा। इसके परिणामवस्वरूप आपका दूसरों के साथ मौखिक रूप से विवाद या झगड़ा संभव है। परंतु आपको अपनी वाणी व शब्दों के चयन को लेकर थोड़ी सतर्कता बरतनी होगी। खासकर अधिकारियों व बड़े लोगों से बातचीत करते समय सावधान रहें। साथ ही आपको किसी भी तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए भी यात्रा करते समय अधिक सतर्क रहने का प्रयास करना होगा।
उपाय- यदि स्वास्थ्य अनुमति दे तो रक्तदान ज़रूर करें।
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मंगल उनके लग्न भाव के स्वामी होने के साथ-साथ छठे भाव के स्वामी भी हैं और अब वे अपनी वक्री अवस्था में आपके जीवनसाथी और व्यावसायिक साझेदारी के सप्तम भाव में विराजमान होंगे। ऐसे में मंगल की ये स्थिति आपको अपने रिश्तों में ज़रूरत से ज्यादा हावी और आक्रामक बना देगी और इसके कारण आपके अनावश्यक अहंकार के चलते आपको साथी के साथ संघर्ष और तर्क-वितर्क करना पड़ सकता है। यही वजह आपके दांपत्य जीवन में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण बनेगी इसलिए अपने वैवाहिक जीवन पर शुरुआत से ही अपना विशेष ध्यान देना आपके लिए आवश्यक रहेगा।
इसके अलावा इस दौरान मंगल की दृष्टि आपके दशम भाव पर होने से कार्यस्थल पर आप अपनी छवि को लेकर थोड़े अधिक असुरक्षित हो सकते हैं। इसका नकारात्मक प्रभाव सीधे तौर पर आपके कार्यस्थल के साथ-साथ पार्टनरशिप के व्यापार पर भी दिखाई देगा। इसलिए जितना संभव हो किसी के साथ भी अहंकार के कारण संघर्ष में पड़ने से बचें।
साथ ही लग्न और दूसरे भाव पर मंगल की दृष्टि आपकी खाने-पाने की आदत को भी खराब कर सकती है। इससे आपकी सेहत बुरी तरह प्रभावित रहने वाली है। इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। ऐसे में आप जो भी खाते हैं उसके प्रति सचेत रहें, अन्यथा आपकी लापरवाही जहाँ आपको किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या देगी, तो वहीं आपकी सतर्कता आपको अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देंगे का कार्य करेगी।
उपाय- देवी लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें लाल फूल चढ़ाएं।
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धनु राशि के जातकों के लिए मंगल उनके पंचम व द्वादश भाव के स्वामी हैं और अब वे अपनी वक्री अवस्था में आपकी राशि के छठे भाव में विराजमान हो रहे हैं। कुंडली का छठा भाव जातक के शत्रु, स्वास्थ्य, प्रतिस्पर्धा, मामा आदि का भाव होता है। ऐसे में मंगल की इस स्थिति के कारण ये समय सबसे अधिक स्वास्थ्य की दृष्टि से आपके लिए थोड़ा जोखिम भरा रहेगा। क्योंकि आशंका है कि इस समय आपको रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी समस्या, ऊर्जा की कमी और शारीरिक शक्ति से जुड़ी कुछ परेशानी हो।
कार्यक्षेत्र पर भी आपको अपने विरोधियों के प्रति सावधान रहने की ज़रूरत होगी क्योंकि आशंका है कि आपके दुश्मन व शत्रु आपके खिलाफ कुछ योजना बनाते हुए आपको किसी षडयंत्र में फंसाने का प्रयास करें। हालांकि आपकी समझदारी ही उन पर विजय दिलाते हुए आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं होने देगी। परंतु इस राशि के जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है और वे थोड़ा विचलित महसूस कर सकते हैं और उन्हें अपने लक्ष्यों पर अपना ध्यान केंद्रित करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
इस समय मंगल छठे भाव में होते हुए आपके नौवें, बारहवें और एकादश भाव पर भी दृष्टि डालेंगे। इसके परिणास्वरूप आपको लंबी दूरी की यात्रा (विदेश यात्रा) पर जाने का अवसर मिलेगा और इस दौरान आपको अपना अधिक धन भी ख़र्च करना होगा। ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि स्वयं का भगवान के चरणों में आत्मसमर्पण कर दें और भगवान के प्रति कृतज्ञता महसूस करते हुए खुद में भी आधात्मिक्ता की वृद्धि की अनुभूति करें।
उपाय- गुड़ का नियमित सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल रहेगा।
मकर राशि के जातकों के लिए मंगल उनके चतुर्थ भाव और एकादश भाव पर शासन करते हैं। अब मंगल देव इस समय अपनी वक्री अवस्था में आपके संतान, शिक्षा, प्रेम संबंध, पूर्व पुण्य के पंचम भाव में विराजमान होंगे। इसके फलस्वरूप इस राशि के छात्रों के लिए यह अवधि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उत्तम रहेगा। लेकिन कभी-कभी वे खुद में ऊर्जा की कमी महसूस कर सकते हैं और इससे उन्हें सही निर्णय लेने में कुछ समस्या संभव है।
शोध कार्य या मनोगत अध्ययन से जुड़े जातकों के लिए भी वक्री मंगल का वृषभ राशि में गोचर अनुकूल सिद्ध होगा क्योंकि मंगल की इस समय आपकी राशि के अष्टम भाव पर दृष्टि होगी। परंतु बावजूद इसके कुछ अनिश्चितताओं के कारण आपको कुछ चीज़ों की शुरुआत पुनः करनी होगी। वक्री मंगल के कारण मकर राशि के प्रेम संबंधों में भी खटास देखी जाएगी।
वहीं शादीशुदा जातकों को इस दौरान सबसे अधिक अपने बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि इस अवधि में उनमें ऊर्जा में वृद्धि और ईर्ष्या की भावना अधिक होगी। ऐसे में बच्चों के रूप में उनके लिए उन भावनाओं को संभालना मुश्किल रहेगा और इससे ही उनके व्यवहार में कुछ समस्या देखी जाएगी। इसलिए आपके लिए बेहतर यही होगा कि अपने काम से समय निकालते हुए उनके साथ किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधियों या खेल में शामिल होकर उनकी ऊर्जा को सही दिशा देने में उनकी सहायता करें।
उपाय- किसी जरूरतमंद बच्चे को लाल रंग के वस्त्र दान करें।
कुंभ राशि के जातकों के लिए मंगल तृतीय भाव व दशम भाव पर शासन करते हैं और अब मंगल वक्री अवस्था में माता, घर, घरेलू जीवन, भूमि, संपत्ति और वाहन के चतुर्थ भाव में विराजमान हो जाएंगे। इसलिए इस समय आपको अपने घर और वाहन की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके अलावा चतुर्थ भाव आपकी माता का भी प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में अपनी माता के स्वास्थ्य पर भी अधिक ध्यान दें।
क्योंकि आपकी मां आधिकारिक होते हुए आप पर थोड़ी हावी हो सकती है और उनकी ये आक्रामकता के कारण उन्हें बी.पी. से संबंधित समस्या संभव है। मंगल की चतुर्थ दृष्टि सप्तम भाव में होने से आपको अपने साथी के प्रति थोड़ा पजेसिव बना सकती है और इससे आप रिश्तों में अपने तेज़-मिज़ाज स्वभाव के कारण मतभेद में पड़ सकते हैं।
इसके अलावा मंगल की आपके दशम भाव पर दृष्टि होगी। इसलिए आप अपने कार्यस्थल पर कार्यों में अतिरिक्त वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं और इसके लिए आपको बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी। हालांकि ये परिस्थिति आपके लिए कभी-कभी कुछ कठिनाई और परेशानी का कारण बन सकती है।
उपाय- अपनी मां या मां समान किसी महिला को गुड़ से बनी मिठाई भेंट करें।
मीन राशि के जातकों के लिए मंगल आपके दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल अपनी वक्री अवस्था में आपकी राशि से तीसरे भाव में विराजमान होंगे। कुंडली का तीसरा भाव जातक के भाई-बहनों, शौक, कम दूरी की यात्रा, संचार कौशल आदि का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में मंगल की इस स्थिति के कारण मीन राशि के जातक विशेष रूप से खाना पकाने, मार्शल आर्ट जैसे अपने किसी शौक में खुद को शामिल करने की योजना बना सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको सचेत रहने की भी आवश्यकता होगी क्योंकि इसके लिए आप अपना बहुत सारा धन खर्च तो करेंगे ही साथ ही आप शारीरिक रूप से भी खुद को चोट पहुंचा सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप अपने साहस और इच्छाशक्ति की कमी के कारण भी अपने इन शौक को बीच में ही अधूरा छोड़ सकते हैं।
मंगल देव आपके संवाद में भी कुछ चिड़चिड़ापन लाने का कार्य करेंगे। क्योंकि इस समय मंगल की दृष्टि आपके छठे भाव पर होगी और इस कारण स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस अवधि में आपकी सहनशक्ति और ऊर्जा के स्तर में भी काफी उतार-चढ़ाव देखे जाएंगे। इससे आपको अपनी किसी पूर्व की ऐसी बीमारी या समस्या से उबरने में देरी हो सकती है।
वहीं मंगल की नवम भाव पर भी दृष्टि आपका रुझान धार्मिक और रहस्यमय प्रथाओं की ओर बढ़ाएगी। ऐसे में यदि आप ज्योतिष सीखने की सोच रहे हैं तो उसके लिए यह समय बहुत उत्तम रहेगा।
उपाय- इस गोचर से अधिक लाभ पाने के लिए नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करें।
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