रुद्राभिषेक का संबंध प्रत्यक्ष रूप से भगवान शिव से है, उन्हें रूद्र अवतार भी माना जाता है। रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक, यानि कि शिव जी का अभिषेक करना। हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार मनुष्य के द्वारा किए गए पाप ही उसके दुखों का कारण बनते है। ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति की कुंडली में मौजूद पापों से छुटकारा पाने के लिए यदि रुद्राभिषेक किया जाए तो उससे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस क्रिया के माध्यम से व्यक्ति अपने निजी जीवन से जुड़े दुखों से निजात भी आसानी से पा सकते हैं। भोलेनाथ को परम दयालु माना गया है वे अपने भक्तों की श्रद्धा को देखते हुए उन्हें जल्द ही आशीर्वाद देकर उनके सभी दुखों को दूर कर देते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको रुद्राभिषेक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। आईये जानते हैं रुद्राभिषेक की महत्ता और उसके लाभों के बारे में।
रुद्राभिषेक मुख्य रूप से मनुष्य अपने सभी दुखों से मुक्ति पाने के लिए करते हैं। रूद्र अवतार शिव का विधि पूर्वक अभिषेक करने से मनुष्यों को उसके सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में लिखा है “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:” यानि कि शिव सभी दुखों को हरकर उनका नाश कर देते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुंडली में मौजूद महापातक या अशुभ दोष भी शिव जी का रुद्राभिषेक करने से दूर हो जाते हैं। रुद्राभिषेक कर शिव जी के द्वारा शुभ आशीर्वाद तथा मनवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा व्यक्ति कम समय में ही अपने सभी मनोकामनाओं की पूर्ती कर सकता है।
इसका अर्थ है कि सभी देवताओं में रूद्र समाहित हैं और सभी देवता रूद्र का ही अवतार है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश सभी रूद्र के ही अंश हैं। इसलिए रुद्राभिषेक के द्वारा ऐसा भी माना जाता है की सभी देवताओं की पूजा अर्चना एक साथ हो जाती है। हिन्दू धार्मिक मान्यतों के अनुसार मात्र रूद्र अवतार शिव का अभिषेक करके व्यक्ति सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। केवल रुद्राभिषेक के द्वारा शिव जी के साथ-साथ अन्य देवगणों की पूजा भी सिद्ध हो जाती है। रुद्राभिषेक के दौरान मनुष्य अपनी विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए भिन्न प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करते हैं।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव सदा ही इस ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाते रहते हैं, इसलिए ऐसा माना जाता है की जब उनकी उपस्थिति शुभ काल में हो तभी रुद्राभिषेक किया जाना चाहिए। खासतौर से शिव जी का रुद्राभिषेक यदि सावन के महीने में किया जाए तो ये विशेष फलदायी साबित होता है। इसके अतिरिक्त रुद्राभिषेक करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस विशेष क्रिया में प्रमुख रूप से रूद्र के खास मंत्रों का जाप और शिवलिंग का विभिन्न द्रव्यों से स्नान करवाने को महत्वपूर्ण माना गया है। किसी भी प्रकार की मनोकामना की पूर्ति के लिए शिव जी की शुभ उपस्थिति अवश्य देख लें। हालाँकि सावन के पवित्र महीने, महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत के दिन बिना शिव जी की उपस्थिति देखें ही रुद्राभिषेक किया जा सकता है। इन दिनों शिव जी की उपस्थिति हमेशा ही शुभ और फलदायी होती है।
जब कोई व्यक्ति किसी विशेष परिस्थिति या समस्या से ग्रसित होता है तो ऐसी स्थिति में शिव जी का रुद्राभिषेक कर उन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। हिन्दू धर्म में शिव की अाराधना की इस विधि को बेहद कारगर और फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यता है की रुद्राभिषेक के द्वारा व्यक्ति अपने पिछले जन्म के पापों से भी मुक्ति पा सकता है। व्यक्ति जिस मनोकामना के लिए रुद्राभिषेक करते हैं उससे संबंधित द्रव्यों से ही शिव जी का अभिषेक किया जाना चाहिए।
इस विधि को प्रारंभ करने से पहले उपयुक्त सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लेनी चाहिए। इसके लिए मुख्य तौर पर दीया, घी, तेल, बाती, फूल, सिन्दूर, चंदन का लेप, धूप, कपूर, अगरबत्ती, सफ़ेद फूल, बेल पत्र, दूध, गंगा जल और जिस मनोकामना के लिए रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं उससे संबंधित द्रव्य, गुलाब जल आदि एकत्रित कर लें।
रुद्राभिषेक की विधि शुरू करने से पहले गणेश जी कि श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की जानी चाहिए। इस दौरान रुद्राभिषेक करने की संकल्प ली जाती है और फिर आगे की विधि शुरू की जाती है। इसके साथ ही भगवान् शिव, पार्वती सहित सभी देवता और नौ ग्रहों का मनन कर रुद्राभिषेक का उद्देश्य बताया जाता है। ये पूजा विधि संपन्न होने के बाद ही रुद्राभिषेक की प्रक्रिया शुरू की जाती है। अब शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित किया जाता है, यदि शिवलिंग पहले ही उत्तर दिशा में स्थापित है तो अच्छी बात है। घर पर यदि इस क्रिया को संपन्न कर रहे हैं तो इसके लिए आप मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उसका अभिषेक कर सकते हैं। रुद्राभिषेक करने के लिए स्वयं पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठे और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए इस विधि की शुरुआत करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान करवाने के बाद रुद्राभिषेक में इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों को अर्पित करें। अंत में शिवजी को प्रसाद चढ़ाएं और उनकी आरती करें। इस क्रिया के दौरान अर्पित किया जाने वाला जल या अन्य द्रव्यों को इस क्रिया के दौरान उपस्थित सभी जनों पर छिड़के और उन्हें प्रसाद स्वरूप पीने दें। इस क्रिया के दौरान विशेष रूप से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप जरूर करें। रुद्राभिषेक खासतौर से किसी विद्वान् पंडित से करवाना अत्यंत सिद्ध माना जाता है। हालाँकि यदि आप स्वयं भी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर इस विधि को पूर्ण कर सकते हैं।
शिव जी का रुद्राभिषेक करते समय मुख्य रूप से “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:“ मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि रूद्र अवतार शिव हमारे दुखों को जल्द हर कर उसे समाप्त कर देते हैं। इस पवित्र क्रिया के दौरान निम्नलिखित श्लोकों का जाप करना उत्तम माना जाता है।
इस प्रकार से आप भी भगवान् शिव का रुद्राभिषेक कर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं। केवल आपको इस बात का ध्यान रखना है कि जिस मनोकामना के लिए आप रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं उसी के अनुसार अभिषेक के लिए द्रव्य का चुनाव करें।
हम आशा करते हैं की रुद्राभिषेक पर आधारित हमारा ये लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं !