हनुमान चालीसा: उत्पत्ति, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ
हनुमान चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के सभी दुखों का निवारण होता है और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इस बात का जिक्र प्राचीन हिन्दू धर्मशास्त्रों में भी किया गया है। ऐसा कहा गया है कि विशेष रूप से कलयुग में केवल हनुमान जी ही एक ऐसे देवता हैं जिनकी उपस्थिति इस संसार में है और जो अपने भक्तों के दुखों को हरने के लिए हमेशा उनके साथ रहेंगे। खासतौर से लोग भय से मुक्ति और दुखों से बचने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। आमतौर पर ये देखा गया है कि ज्यादातर लोग कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ कर लेते हैं लेकिन शायद वो ये नहीं जानते कि इसके भी कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिसके बारे में आज हम आपको इस लेख के जरिये बताने जा रहे हैं। आईये जानते हैं हनुमान चालीसा को पढ़ने की सही विधि , कैसे हुई इसकी उत्पत्ति और इसे पढ़ने से होने वाले लाभों के बारे में।
कैसे हुई हनुमान चालीसा की उत्पत्ति ?
हनुमान चालीसा की रचना हिन्द साहित्य के महाकवि गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने की थी। तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में ऐसे चमत्कारी शक्तियों का जिक्र किया गया है जो लोगों के दुखों को हर लेता है। हालाँकि इस चमत्कार के रहस्यों के बारे में जानना बेहद आवश्यक है। पवन पुत्र हनुमान को शिव जी का रूद्र अवतार माना जाता है। उन्होनें वानर देव राजा केसरी और माता अंजना के घर जन्म लिया था। इसलिए उन्हें अंजनी पुत्र कहकर भी संबोधित किया जाता है। एक बार अपने बाल्यावस्था में हनुमान जी ने सूर्य को एक फल समझकर निगल लिया था। इस वजह से संपूर्ण संसार में अंधकार छा गया था, इस बात से क्रोधित होकर देवराज इंद्र ने हनुमान जी को तुच्छ वानर समझकर उन्हें अपने वनों से मूर्छित कर दिया। लेकिन जब इंद्र देव सहित समस्त देवताओं को इस बात का पता चला कि वास्तव में वो शिव के रूद्र अवतार हैं तो सभी देवगणों ने उन्हें अपनी शक्तियाँ प्रदान की और घायल अंजनी पुत्र हनुमान को स्वस्थ्य किया। ऐसा माना जाता है कि समस्त देवताओं ने हनुमान जी को ठीक करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया था जिससे उन्हें सभी देवताओं की शक्ति मिली। कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास ने उन मन्त्रों के सार से ही हनुमान चालीसा कि रचना की। हालाँकि उन्होनें हनुमान चालीसा में किसी मंत्र के बारे में नहीं बताया है लेकिन इसमें हनुमान जी के पराक्रम का जिक्र किया गया है जिसके अध्ययन से मनुष्य अपने सांसारिक दुखों से मुक्ति पा सकता है।
हनुमान चालीसा
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को भावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा :
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
हनुमान चालीसा की चौपाइयों का अध्ययन करने के विशेष लाभ
जैसा की हमने आपको पहले ही बता दिया है कि हनुमान चालीसा में किसी भी मंत्र को नहीं लिखा गया है बल्कि इसमें हनुमान जी की पराक्रम की गाथाओं का जिक्र करते हुए कुछ चौपाइयों को लिखा गया है। उन्हीं में से कुछ बेहद चमत्कारी चौपाइयों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसका जाप करना हर किसी के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
- भूत-पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे।
लाभ : हनुमान चालीसा में अंकित इस चौपाई का यदि नियमित रूप से सुबह शाम करीब 108 बार जप किया जाए तो इससे व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है। यदि आपको भी कोई डर सताता है तो आप भी इस चौपाई का जाप कर हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने किसी भी तरह के डर से छुटकारा पा सकते हैं।
- नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।
लाभ : नियमित रूप से हनुमान चालीसा के इस चौपाई का सुबह शाम 108 बार जाप करने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और यदि किसी बीमारी से पीड़ित भी है तो उसे संभवतः मुक्ति अवश्य मिलती है। इसलिए भी हनुमान जी सभी रोगों को हरने वाले देवता के रूप में भी पूजा जाता है। रोगों से मुक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ प्रत्येक मंगलवार को करने से भी लाभ मिलता है।
- अष्ट-सिद्धि नवनिधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।
लाभ : हनुमान जी की पूजा अर्चना अष्ट सिद्ध नवनिधि के दाता के रूप में भी की जाती है। लिहाजा उनकी इस चौपाई का जाप करने से मनुष्य को जीवन में आने वाली हर समस्या से लड़ने की शक्ति मिलती है। जीवन में मुसीबत की घड़ी में यदि रोज़ाना सूर्योदय से पूर्व सच्चे मन से इस चौपाई का जाप किया जाए तो इससे दुखों का निवारण होता है।
- विद्यावान गुनी अति चातुर, रामकाज करिबे को आतुर।
लाभ : हनुमान चालीसा में अंकित इस चौपाई का जाप कर व्यक्ति हनुमान जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर विद्या और बुद्धि में इज़ाफा किया जा सकता है। इसके साथ ही इस चौपाई का नियमित जाप करने से धन संबंधी परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। यदि नियमित तौर पर प्रतिदिन इस मंत्र का जाप 108 बार किया जाए तो इससे आर्थिक पक्ष मजबूत होता है।
- भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्रजी के काज संवारे।
लाभ : यदि आपके किसी काम में आपके दुश्मन अड़ंगा लगा रहे हैं तो हनुमान चालीसा की इस चौपाई का जाप कम से कम रोज़ाना 108 करके आप अपने शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त कर सकते हैं। इस चौपाई का जाप कर आप अपने सभी कामों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
हनुमान चालीसा पाठ की उचित विधि
जैसा की आप सभी जानते हैं कि श्री हनुमान चालीसा का पाठ हर व्यक्ति किसी ना किसी समस्या से मुक्ति या मनोकामना की पूर्ति के लिए करता है। हालाँकि इस चालीसा के पाठ से कभी तो लाभ प्राप्त होता है लेकिन कभी नहीं भी होता है। इस चालीसा के जाप से लाभ प्राप्त ना होने का सबसे बड़ा कारण है हनुमान चालीसा का पाठ विधि पूर्वक उचित रूप से ना करना। यहाँ हम आपको इस चालीसा का जाप करने के कुछ महत्वपूर्ण विधियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका पालन कर आप अवश्य लाभ प्राप्त कर पाने में सफल हो सकते हैं।
- हनुमान चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले नियम पूर्वक सबसे पहले हनुमान जी और श्री राम का मनन करें एवं उनकी मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मूर्ति के समक्ष किसी ताम्बे या पीतल के एक लोटे में जल भरकर रखें।
- हनुमान चालीसा का जाप कम से कम तीन बार और ज्यादा से ज्यादा 108 बार की जानी चाहिए।
- पाठ ख़त्म करने के बाद सबसे पहले रखे गए जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से यदि एक निश्चित समय पर इस चालीसा का जाप किया तो इससे विशेष लाभ मिल सकता है।
- हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से स्नान करने के बाद, स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही करें।
- हनुमान चालीसा पढ़ते समय खासतौर से एक दीया और धूप अवश्य जलाएं।
- विशेष परिस्थितियों में हनुमान चालीसा का जाप यात्रा के दौरान और सोते वक़्त भी किया जा सकता है।
आप अपनी जरुरत अनुसार हनुमान चालीसा में अंकित किसी एक चौपाई का जाप नियमित रूप से तुलसी की माला के साथ कर सकते हैं। इसके साथ जाप से पूर्व मांस, मछली या शराब का सेवन ना करें। हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले श्री राम की पूजा ज़रुर करें।
हनुमान चालीसा पाठ के दौरान बरतें ये सावधानियां
- हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा साफ़ सुथरे और धुले वस्त्रों में ही करें।
- पाठ हमेशा लाल रंग के आसान पर बैठ कर ही करें।
- हनुमान चालीसा के पाठ के दौरान किसी तरह के बुरे ख्याल मन में ना आने दें।
- चालीसा जप के दौरान प्रसाद के रूप में बूँदी के लड्डू, केले और गुड़ चना ही चढ़ाएं।
- इस चालीसा के पाठ की शुरुआत हमेशा मंगलवार या शनिवार के दिन से ही की जानी चाहिए।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले हमेशा अपने इष्ट देव की आराधना ज़रूर करें।
- हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान राम का ध्यान भी अवश्य करें।
- पाठ से पहले हनुमान जी की मूर्ति पर लाला सिंदूर चढ़ाना ना भूलें।
हम आशा करते हैं की हनुमान चालीसा पर आधारित हमारा ये लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा !
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