विद्यारंभ मुहूर्त 2025 वह शुभ समय होता है जब बच्चे की शिक्षा की शुरुआत की जाती है। यह संस्कार विशेष रूप से भारतीय परंपरा में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मुहूर्त को चुनते समय ज्योतिष में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शुभ योगों का ध्यान रखा जाता है ताकि बच्चे की शिक्षा और जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।इस लेख में, हम विद्यारंभ मुहूर्त 2025 के लिए सभी महत्वपूर्ण तिथियां और समय प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा,आपको विद्यारंभ मुहूर्त का महत्व, अर्थ और इसकी गणना कैसे की जाती है, यह सब भी जानने को मिलेगा। तो आइए सबसे पहले एक नज़र डालते हैं वर्ष विद्यारंभ मुहूर्त की सूची पर।
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Read in English: Vidyarambh Muhurat 2025
तारीख | समय | नक्षत्र |
15/01/2025 | 07:15 ए.एम. से 10:20 ए.एम. | पुष्य |
20/01/2025 | 07:15 ए.एम. से 09:55 ए.एम. | हस्त |
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तारीख | समय | नक्षत्र |
03/02/2025 | 07:10 ए.एम. से 06:10 पी.एम. | रेवती |
09/02/2025 | 12:00 पी.एम. से 06:15 पी.एम. | आर्द्रा |
19/02/2025 | 06:59 ए.एम. से 07:25 ए.एम. | स्वाति |
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तारीख | समय | नक्षत्र |
02/03/2025 | 09:00 ए.एम. से 06:25 ए.एम. | रेवती |
03/03/2025 | 06:00 पी.एम. से 06:28 पी.एम. | अश्विनी |
09/03/2025 | 06:47 ए.एम. से 06:30 पी.एम. | पुनर्वसु |
10/03/2025 | 07:47 ए.एम. से 01:50 पी.एम. | पुष्य |
अप्रैल में विद्यारंभ के लिए कोई शुभ समय उपलब्ध नहीं है।
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तारीख | समय | नक्षत्र |
01/05/2025 | 02:20 पी.एम. से 06:50 पी.एम. | मृगशिरा |
02/05/2025 | 05:58 ए.एम. से 06:50 पी.एम. | आर्द्रा |
14/05/2025 | 06:35 ए.एम. से 11:45 ए.एम. | अनुराधा |
18/05/2025 | 06:58 पी.एम. से 07:01 पी.एम. | उत्तराषाढ़ा |
19/05/2025 | 05:48 ए.एम. से 06:10 ए.एम. | श्रवण |
23/05/2025 | 04:10 पी.एम. से 07:00 पी.एम. | उत्तरा भाद्रपद |
तारीख | समय | नक्षत्र |
05/06/2025 | 05:45 ए.एम. से 09:10 ए.एम. | हस्त |
06/06/2025 | 10:15 ए.एम. से 03:25 पी.एम. | चित्रा |
20/06/2025 | 01:25 पी.एम. से 07:20 पी.एम. | रेवती |
26/06/2025 | 09:50 ए.एम. से 07:10 पी.एम. | आर्द्रा |
तारीख | समय | नक्षत्र |
04/07/2025 | 04:35 पी.एम. से 07:10 पी.एम. | चित्रा |
07/07/2025 | 05:50 ए.एम. से 07:10 पी.एम. | अनुराधा |
13/07/2025 | 05:55 ए.एम. से 06:50 ए.एम. | श्रवण |
25/07/2025 | 09:15 ए.एम. से 11:05 ए.एम. | पुष्य |
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अगस्त माह में विद्यारंभ के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
तारीख | समय | नक्षत्र |
23/09/2025 | 12:39 पी.एम. से 01:15 पी.एम. | हस्त |
तारीख | समय | नक्षत्र |
10/10/2025 | 12:15 पी.एम. से 02:33 पी.एम. | कृतिका |
तारीख | समय | नक्षत्र |
21/11/2025 | 08:20 ए.एम. से 11:35 ए.एम. | अनुराधा |
तारीख | समय | नक्षत्र |
01/12/2025 | 09:00 ए.एम. से 12:12 पी.एम. | रेवती |
05/12/2025 | 09:00 ए.एम. से 10:30 ए.एम. | रोहिणी |
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विद्यारंभ मुहूर्त 2025 का भारतीय संस्कृति और परंपरा में विशेष महत्व है क्योंकि यह बच्चे की शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक होता है। इसे बच्चे के जीवन में ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में पहला कदम माना जाता है।विद्यारंभ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला विद्या और दूसरा आरंभ, जिसका अर्थ है शिक्षा की शुरुआत। भारतीय परंपरा में विद्या को देवी सरस्वती का आशीर्वाद माना जाता है। विद्यारंभ के दिन बच्चे के जीवन में ज्ञान और बुद्धिमत्ता की वृद्धि के लिए देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
विद्यारंभ संस्कार से बच्चे के शैक्षिक जीवन की शुरुआत होती है, जो उसके भविष्य की दिशा तय करता है। यह संस्कार यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि बच्चा शिक्षा के प्रति समर्पित रहे और उसके जीवन में विद्या का सही महत्व हो। विद्यारंभ मुहूर्त का निर्धारण पंचांग, तिथि, नक्षत्र, और योग को ध्यान में रखकर किया जाता है।
शुभ मुहूर्त में शिक्षा की शुरुआत करने से बच्चे के शैक्षिक जीवन में सफलता और समृद्धि की संभावना बढ़ जाती है। सही मुहूर्त में किए गए कार्यों को सकारात्मक परिणाम देने वाला माना जाता है। इस संस्कार के माध्यम से बच्चे को न केवल अकादमिक शिक्षा की शुरुआत कराई जाती है, बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी दी जाती है। यह संस्कार बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ज्योतिष शास्त्रों में विद्यारंभ संस्कार का बहुत अधिक महत्व बताया गया है इसलिए माता-पिता को अपने बच्चे की जन्म कुंडली किसी अच्छे ज्योतिषी या पंडित को दिखाकर विद्यारंभ संस्कार के लिए मुहूर्त निकलवाना चाहिए। इसके लिए बच्चे की कुंडली के साथ-साथ तिथि, नक्षत्र, राशि और वार आदि जैसे आवश्यक पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। चलिए जानते हैंविद्यारंभ मुहूर्त 2025के लिए कौन-कौन से वार, तिथि, नक्षत्र और राशि माने जाते हैं।
शुभ वार | शुभ नक्षत्र | शुभ राशि | शुभ तिथि |
सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार और रविवार | रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, अश्विनी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति, अभिजीत, धनिष्ठा, श्रवण, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा, हस्त, मूल, रेवती और पूर्वाषाढ़ा | वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, और धनु लग्न | मघा शुक्ल की सप्तमी, फाल्गुन शुक्ल की तृतीया और चैत्र-वैशाख की शुक्ल तृतीया |
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विद्यारंभ मुहूर्त के लिए कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में।
विद्यारंभ के लिए शुभ तिथि का चयन पंचांग के आधार पर किया जाता है। वसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, विजयदशमी (दशहरा), और शरद पूर्णिमा जैसे विशेष दिन इस संस्कार के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, इन तिथियों पर ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति अत्यंत शुभ होती है, जो शिक्षा की सफलता के लिए लाभकारी होती है।
विद्यारंभ मुहूर्त के समय सही नक्षत्र और योग का होना अत्यंत आवश्यक है। पुष्य, अश्विनी, मृगशिरा, हस्त, और स्वाति नक्षत्र को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त जैसे शुभ योगों का चयन करना भी महत्वपूर्ण होता है।
राहुकाल को अशुभ समय माना जाता है इसलिए विद्यारंभ के दौरान इस समय से बचना चाहिए। इस समय में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।
बच्चे की कुंडली में शुभ लग्न का होना भी विद्यारंभ मुहूर्त का एक महत्वपूर्ण कारक है। शुभ लग्न में शिक्षा की शुरुआत से बच्चे को जीवन में विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
विद्यारंभ के समय देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा में बच्चे के हाथ में चौक या पेंसिल देकर अक्षर लिखवाया जाता है, जिसे शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
विद्यारंभ संस्कार की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से करनी चाहिए। इसके बाद माता सरस्वती का ध्यान करके इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। मंत्र- ‘ॐ पावका नः सरस्वती, वाजेभिवार्जिनीवती। यज्ञं वष्टुधियावसुः। ॐ सरस्वत्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।’
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1. विद्यारंभ के लिए कौन सा दिन अच्छा है?
विद्यारंभ के शुभ समारोह के विशेष दिन विजयादशमी, नवरात्रि का अंतिम दिन, अक्षय तृतीया, वसंत पंचमी और रथसप्तमी दिवस हैं।
2. विद्या प्राप्ति के लिए कौन सा मंत्र है?
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा॥
3. विद्यारंभ के लिए कौन सी उंगली का उपयोग करना है?
बच्चे की तर्जनी उंगली पकड़ी जाती है, और उन्हें मंत्र लिखने के लिए निर्देशित किया जाता है।