सिख त्योहार 2025: एस्ट्रोसेज का यह विशेष लेख आपको वर्ष 2025 में आने वाले सिख धर्म के प्रमुख पर्वों एवं त्योहारों की सूची प्रदान करेगा। इस लेख को सिख धर्म को ध्यान में रखकर विशेष रूप से तैयार किया गया है जिसकी सहायता से आप साल 2025 के अवकाशों की पहले से योजना बना सकें और अपने परिवारजनों तथा दोस्तों के साथ कुछ ख़ुशनुमा लम्हें बिता सकें। तो आइये बिना देर किये शुरुआत करते हैं सिख त्योहार 2025 के इस ब्लॉग की और सबसे पहले जानते हैं सिख धर्म के महत्व के बारे में।
Read in English: Sikh Holiday 2025
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तारीख | सप्ताह के दिन | त्योहार |
05 जनवरी 2025 | रविवार | गुरु गोबिंद सिंह जी जयंती |
13 जनवरी 2025 | सोमवार | लोहड़ी |
14 मार्च 2025 से 16 मार्च 2025 | शुक्रवार से रविवार | होला मोहल्ला |
14 मार्च 2025 | शुक्रवार | सिख नव वर्ष |
14 अप्रैल 2025 | सोमवार | बैसाखी |
16 जून 2025 | सोमवार | शहीदी |
01 सितंबर 2025 | सोमवार | पहला प्रकाश श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी |
08 अक्टूबर 2025 | बुधवार | गुरु रामदास जयंती |
15 अक्टूबर 2025 | बुधवार | गुरु हरकिशन सिंह गुरयाई, गुरु हर राय ज्योति जोत |
20 अक्टूबर 2025 | सोमवार | गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना |
26 अक्टूबर 2025 | सोमवार | गुरु गोबिंद सिंह ज्योति जोत |
12 नवंबर 2025 | बुधवार | बंदी छोड़ दिवस |
5 नवंबर 2025 | बुधवार | गुरु नानक जयंती |
24 नवंबर 2025 | सोमवार | गुरु तेग बहादुर की शहादत |
21 दिसंबर 2025 | रविवार | साहिबजादों का बलिदान दिवस |
नोट: सिख त्योहार 2025 से संबंधित ऊपर लिखी हुई तिथियों में बदलाव हो सकता है। यदि किसी तिथि में बदलाव होता है तो हम आपको अपडेट रखेंगे।
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सिख त्योहार 2025 के अनुसार, सिख धर्म भारत के महत्वपूर्ण धर्मों में एक है, जो पांचवां सबसे बड़ा धर्म है और दुनिया भर में 28 मिलियन से अधिक सिख हैं। सिख धर्म प्रेम और एकता के सिद्धांतों पर आधारित संदेश सिखाती है और सभी अनुयायियों से आध्यात्मिक योद्धा बनने का आह्वान करती है। पंजाबी सिख की मूल भाषा है और सिख शब्द का अर्थ पंजाबी में शिष्य होता है। सिख धर्म की शुरुआत सिख धर्म के सबसे पहले गुरु गुरुनानक देव द्वारा दक्षिण एशिया के पंजाब में हुई थी और इस धर्म की नींव भी गुरु नानक देव ने की थी। इस धर्म की उत्पत्ति के पीछे बुराई और जातिवाद को खत्म करना था।
सिख धर्म सर्वेश्वरवादी या एकेश्वरवादी धर्म है यानी सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है। उनका मानना है कि उन्हें अपने प्रत्येक काम में ईश्वर को याद करना चाहिए। इसे सिमरन कहा जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब मुख्य रूप से सिखों का एक पवित्र धार्मिक ग्रंथ है। इसे केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि सिख धर्म का आखिरी और जीवित गुरु भी माना जाता है। दरअसल दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने वर्ष 1708 में अपनी मृत्यु से पहले घोषणा कर दी थी कि उनके बाद कोई व्यक्ति गुरु नहीं होगा और गुरु ग्रंथ साहिब अंतिम गुरु होंगे। इसे आदि ग्रंथ के रूप में भी माना जाता है। यह सूक्तियों, दोहों, शब्दों और लेखों का एक संग्रह है।
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सिख धर्म के गुरुओं की बात करें तो सिख धर्म के दस प्रमुख गुरु हैं। सिख धर्म के लोग मानते हैं कि सभी 10 मानव गुरुओं में एक ही आत्मा का वास था। इन सभी 10 गुरुओं ने सिख धर्म को और भी ज्यादा मजबूत बनाया है। ये दस गुरु इस प्रकार है:
सिख त्योहार 2025 में अन्य धर्मों की तरह सिख धर्म में भी कई व्रत व त्योहार पड़ते हैं। आइए जानते हैं प्रमुख त्योहारों के बारे में विस्तार से।
लोहड़ी का त्योहार हर साल 13 या 14 जनवरी को सिख धर्म के लोगों के द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार ख़ास मायने रखता है। पहले इस त्योहार को केवल कुछ ही राज्यों जैसे की हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली आदि में मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसता ट्रेंड तेजी बढ़ गया है और खुशी को बांटने के लिए देश के अन्य हिस्सों में भी लोग इस त्योहार को बहुत ही उत्साह के साथ मनाने लगे हैं। इस दिन नई फसलों की पूजा होती है। अग्नि जलाकर उसमें गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक, मक्का आदि को अर्पित किया जाता है। इसके बाद परिवार के साथ-साथ आस पास के लोग उस अग्नि की परिक्रमा करते है, नाज गाना करते हैं और पूरी रात जश्न में डूबे रहते हैं। पंजाब में लोहड़ी का त्योहार नव नवेली वधु या बच्चों के लिए ख़ास महत्व रखता है क्योंकि उनके लिए यह त्योहार बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।
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सिख धर्म के लोग बैसाखी के त्योहार को वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक मानते हैं। इसे वैसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है। बैसाखी का त्योहार प्रत्येक वर्ष 13 या 14 अप्रैल को पड़ता है। इस साल यह त्योहार 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। बैसाखी के दिन ही सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह ने 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ की स्थापना करने का मुख्य कारण धर्म की रक्षा करना और समाज में फैल रही बुराइयों को समाप्त करना था। इस त्योहार को मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बैसाखी के कई अलग-अलग नाम हैं। इसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन आत्मा के कारक ग्रह सूर्य राशि चक्र की पहली राशि यानी मेष में गोचर करते हैं।
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक है, जो सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक जी के जन्म के रूप में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। नानक साहिब का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था। गुरु नानक देव ने लोगों को कुछ ऐसी शिक्षाएं दी थी जो सही राह पर चलने का मार्ग दिखाती हैं। गुरु नानक देव ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी और जात-पात का विरोध किया व सच्चाई पर चलने का मार्ग दिखाया था। इसके साथ ही, वे रूढ़िवादिता और अंधविश्वास रखने वाले लोगों के खिलाफ थे । उन्होंने गुरुद्वारे में लंगर की शुरुआत की थी और आज तक यह परंपरा चलती आ रही है। लंगर करने के पीछे कारण यह था कि एक ही जगह बैठकर अमीर-गरीब सब मिलकर भोजन कर सकें। यही नहीं गुरु नानक जी ने ही ‘इक ओंकार’ का संदेश दिया, जिसका मतलब है ‘ईश्वर एक है’।
गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु थे और उनका जन्म पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन 1666 में बिहार के पटना शहर में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह के जन्म के रूप में हर साल गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाई जाती है। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और यह सिख धर्म के पूरे इतिहास की सबसे अहम घटनाओं में एक मानी जाती है। गुरु गोविंद सिंह ने ही वर्ष 1708 में अपनी मृत्यु से पहले यह ऐलान कर दी थी कि उनके बाद कोई व्यक्ति गुरु नहीं होगा और गुरु ग्रंथ साहिब आखिरी गुरु होंगे। गुरु गोबिंद सिंह ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा करने और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए बिता दिया। इनकी शिक्षाएं आज भी लोगों का मार्गदर्शन करती है और बहुत कुछ सीखने के लिए प्रेरित करती है।
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उत्तर 1. सिख कैलेंडर में सिख धर्म के प्रमुख व्रत एवं त्योहारों की तिथि बताई जाती है।
उत्तर 2. गुरु नानक जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी।
उत्तर 3. इस साल सिख नव वर्ष की शुरुआत 14 मार्च 2025 को होगी।
उत्तर 4. बैसाखी 2025 में 14 अप्रैल को सोमवार के दिन मनाई जाएगी।