गुरु गोचर 2025 (Guru Gochar 2025) - गुरु ग्रह को बृहस्पति और देवगुरु के नाम से जाना जाता है। इन्हें वैदिक ज्योतिष में सर्वाधिक शुभ ग्रह की मान्यता प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि बृहस्पति अपनी पंचम, सप्तम और नवम दृष्टि से जिस भाव को देखते हैं, उस पर उनकी अमृत समान दृष्टि उस भाव के फलों में अच्छी बढ़ोतरी करती है। देवगुरु बृहस्पति शुक्र के आधिपत्य वाली वृषभ राशि में पिछले वर्ष से गोचर कर रहे हैं और अब 15 मई 2025 को वृषभ राशि से निकलकर प्रातः 2:30 बजे बुध के स्वामित्व वाली मिथुन राशि में गोचर करेंगे।
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गुरु बृहस्पति का गोचर लगभग 13 महीनों तक एक राशि में होने के कारण यह शनि के बाद दूसरा मंद गति से चलने वाले ग्रह है। बृहस्पति ग्रह को देवताओं का गुरु भी कहा जाता है। यह नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह हैं। इसके अतिरिक्त यह धनु राशि और मीन राशि के स्वामी है। गुरु कर्क राशि में अपनी उच्च अवस्था में होते हैं तथा मकर राशि में अपनी नीच अवस्था में माने जाते हैं। एक अनुकूल बृहस्पति जातक को जीवन में संतान, सुख, भवन, धन, समृद्धि, उत्तम वैवाहिक जीवन जैसी सभी चीजों की प्राप्ति कराते हैं और जातक को समाज में सम्मान प्रदान करते हैं।
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वर्ष 2025 के दौरान देवगुरु बृहस्पति मई के महीने में मिथुन राशि में गोचर करेंगे। 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:57 बजे बृहस्पति महाराज मिथुन राशि से निकलकर चंद्रमा के स्वामित्व वाली कर्क राशि में प्रवेश करेंगे जिसमें वह अपनी उच्च अवस्था में होते हैं और इसी कर्क राशि में 11 नवंबर 2025 को सायंकाल 6:31 बजे बृहस्पति महाराज वक्री हो जाएंगे और फिर वक्री अवस्था में 4 दिसंबर 2025 को रात्रि 8:39 बजे मिथुन राशि में एक बार फिर प्रवेश करेंगे। इस प्रकार वर्ष 2025 के दौरान देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि, फिर मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि और फिर कर्क राशि से निकलकर वक्री अवस्था में मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
इस दौरान जब बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर होगा तो 9 जून 2025 को शाम 4:12 से बृहस्पति अस्त अवस्था में आएंगे जिसे बृहस्पति तारा डूबना भी कहेंगे और 9 जुलाई 2025 को रात्रि 10:50 बजे यह अपनी उदित अवस्था में आ जाएंगे जिसे बृहस्पति तारा उदय भी कहते हैं।
गौरतलब है कि बृहस्पति के अस्त होने की अवस्था अनुकूल नहीं मानी जाती और इस दौरान सभी शुभ कार्यों को करने की मनाही हो जाती है क्योंकि बृहस्पति सभी सुख कार्यों को करने वाले हैं। उनके अस्त होने पर इन कार्यों पर जैसे कि विवाह, आदि शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।
मिथुन राशि में आकर बृहस्पति मिथुन राशि वालों के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली ग्रह बन जाएंगे और वहां से तुला राशि, अपनी धनु राशि और कुंभ राशि पर अपनी अमृत समान दृष्टि डालेंगे जिससे न केवल इन राशि वालों को अपितु अन्य राशि के लोगों के जीवन पर भी विभिन्न प्रकार के शुभाशुभ प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
बृहस्पति महाराज एक शुभ ग्रह हैं जो जातक के जीवन में शुभता लेकर आते हैं। यह हमें सामाजिक मान्यताओं, धर्म अध्यात्म से जोड़ते हैं और हमारे अंदर धर्म की वृद्धि करते हैं। यह हमें सही गलत का पाठ पढ़ाते हैं और बताते हैं कि जीवन में हमें अपने संस्कारों और संस्कृति का संयोजन रखते हुए जीवन में अच्छा सामंजस्य रखना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करने के लिए हम तत्पर रह सकें। गुरु गोचर 2025 के इस विशेष लेख में आप यह जानेंगे कि बृहस्पति गोचर 2025 का आपकी राशि के अनुसार आपके जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ेगा, आपके जीवन के किन विशेष क्षेत्रों पर इस गुरु गोचर का प्रभाव पड़ेगा और आपको किन क्षेत्रों में अच्छे और बुरे प्रभाव मिल सकते हैं। इसके साथ ही आप यह भी जान पाएंगे कि गुरु ग्रह की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए आपको इस वर्ष कौन सा उपाय करना चाहिए। तो चलिए आगे विस्तार से जानते हैं गुरु गोचर 2025 (Guru Gochar 2025) का आपकी राशि के लिए क्या प्रभाव रहेगा।
मेष राशि में गुरु देव भाग्य स्थान यानी नवम भाव और व्यय स्थान यानी द्वादश भाव के स्वामी हैं और मिथुन राशि में बृहस्पति का गोचर होने से यह आपकी राशि से तीसरे भाव में गोचर करेंगे। बृहस्पति के इस गोचर के प्रभाव से आपके अंदर आलस की बढ़ोतरी होगी जिससे आप अपने कामों को टालते रहेंगे और इससे आपको कार्यक्षेत्र में और जीवन के अन्य क्षेत्रों में रुकावटों का सामना करना पड़ेगा इसलिए आपको इन समस्याओं से बचने के लिए अपना आलस्य त्याग कर मेहनत करने पर जोर देना होगा। आप धर्म-कर्म के मामलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। धार्मिक यात्राएं बहुत होंगी। मित्रों का सहयोग आपके साथ रहेगा और उनके साथ अच्छी-अच्छी जगह घूमने जाएंगे। आपके भाई - बहनों से आपके संबंध मजबूत होंगे। इससे आपको खुशी महसूस होगी। व्यवसाय में उन्नति के योग बनेंगे। बृहस्पति महाराज की दृष्टि सप्तम भाव, नवम भाव और एकादश भाव पर होने से व्यापार में उन्नति होगी, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ेगा, आपसी संबंधों में चली आ रही समस्याएं दूर होंगी, व्यवसाय का विस्तार हो सकता है और आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी के योग बनेंगे। सामाजिक दायरे में बढ़ोतरी होगी। समाज में आपका मान सम्मान बढ़ेगा। पिता से संबंध मधुर होंगे। 19 अक्टूबर को जब बृहस्पति कर्क राशि में कुछ समय के लिए आएंगे तो परिवार में खुशियां और कोई पूजा जैसा शुभ कार्य या किसी का विवाह, आदि कार्यक्रम संपन्न हो सकते हैं। उसके बाद दिसंबर के महीने में बृहस्पति वक्री अवस्था में जब तीसरे भाव में जाएंगे तो भाई - बहनों से संबंधों में कड़वाहट बढ़ सकती है और कार्यक्षेत्र में सहकर्मियों का व्यवहार परेशान कर सकता है इसलिए आपको सावधान रहना होगा।
उपाय: गुरुवार के दिन उत्तम गुणवत्ता वाला पीला पुखराज अथवा सुनहला रत्न सोने की मुद्रिका में जड़वा का अपनी तर्जनी अंगुली में धारण करें।
वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु देव को अष्टम भाव और एकादश भाव का स्वामी माना जाता है और मिथुन राशि में गुरु का गोचर होने से यह आपकी राशि से दूसरे भाव में प्रवेश करेंगे। बृहस्पति के इस गोचर के प्रभाव से आपकी वाणी में गंभीरता रहेगी। लोग आपकी बातों को ध्यान से सुनेंगे और उनको तवज्जो देंगे। लोग आपसे सलाह मांगेंगे। पारिवारिक जीवन में सुख संतुष्टि रहेगी लेकिन धन संचय करने में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। हालांकि आप अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा बचत योजनाओं में निवेश कर सकते हैं। यहां से बृहस्पति की दृष्टि छठे भाव, आठवें भाव और दसवें भाव पर रहेगी जिससे पैतृक व्यवसाय में उन्नति होगी। आप अपने परिवार के साथ व्यवसाय करते हैं तो विशेष उन्नति प्राप्त होने के योग बनेंगे। नौकरी करने वाले जातकों को भी उत्तम लाभ के योग बनेंगे। आप धर्म - कर्म तो करेंगे, ससुराल पक्ष से संबंध मजबूत होंगे और उनसे धन लाभ और अनेक प्रकार की मदद मिल सकती है। विरोधियों से आपको कोई कष्ट नहीं होगा। अक्टूबर के महीने में जब बृहस्पति महाराज कर्क राशि में जाएंगे तो आपके तीसरे भाव को प्रभावित करेंगे जिससे धार्मिक यात्राओं के योग बनेंगे और परिवार के सदस्यों का सहयोग और प्रेम मिलेगा। कार्यक्षेत्र में स्थिति अच्छी होगी लेकिन दिसंबर के महीने में जब वक्री अवस्था में 4 तारीख को बृहस्पति दोबारा मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे तो वाणी की परेशानी आपको कार्यों में असफलता दिला सकती है। परिवार में कुछ असंतुलन हो सकता है और धन संचित करने में समस्या हो सकती है। घर में किसी का जन्म हो सकता है अथवा किसी का विवाह भी हो सकता है।
उपाय: आपको गुरुवार के दिन पीपल वृक्ष को छुए बिना जल अर्पित करना चाहिए।
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मिथुन राशि के लिए गुरु देव सप्तम भाव और दशम भाव के स्वामी ग्रह हैं। मिथुन राशि में गुरु का गोचर आपके लिए विशेष रूप से प्रभावशाली रहेगा क्योंकि यह आपकी ही राशि में गोचर करेंगे। यहां उपस्थित देवगुरु बृहस्पति की दृष्टि आपके पंचम भाव, सप्तम भाव और नवम भाव पर होगी जिससे संतान से संबंधित सुखद समाचारों के प्राप्ति होगी। यदि आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं तो संतान प्राप्ति का सपना पूरा हो सकता है। विद्या अध्ययन करने में सफलता मिलेगी। शिक्षा में मनचाहे परिणाम मिलेंगे और आपका मन पढ़ने के लिए करेगा। विवाह के योग बनेंगे। यदि आप अविवाहित हैं तो आपका विवाह हो सकता है। विवाहित जातकों के वैवाहिक जीवन की समस्याओं में कमी आएगी और आपसी सामंजस्य बेहतर बनेगा जिससे वैवाहिक जीवन का सुख मिलेगा। व्यापार में उत्तम उन्नति के योग बनेंगे। समाज के रसूखदार और इज्जतदार लोगों से आपकी मेल मुलाकात होगी जिससे आपको व्यापार में अच्छा लाभ और सामाजिक तौर पर उन्नति मिलेगी। धार्मिक कामों में आपको सफलता मिलेगी। आपका भाग्य उन्नति करेगा और आपकी परेशानियों में कमी आएगी। अक्टूबर के महीने में बृहस्पति महाराज दूसरे भाव में जाकर धन संबंधित समस्याओं को दूर करेंगे, तब धन संचित करने में लाभ देंगे और आपके कार्यों में और अधिक सफलता के योग बनाएंगे। दिसंबर के महीने में वक्री अवस्था में आपकी राशि में बृहस्पति का आना स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है तथा वैवाहिक संबंधों और व्यापार में उतार-चढ़ाव की स्थिति का योग बना सकता है।
उपाय: गुरुवार के दिन किसी मंदिर में चने की दाल का दान करें।
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कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज छठे भाव और नवम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 के अनुसार यह आपकी राशि से द्वादश भाव में प्रवेश करेंगे। इस प्रकार बृहस्पति का द्वादश भाव में जाना आपके अच्छे कार्यों में धन खर्च करने की प्रवृत्ति को बढ़ाएगा। आप पूजा - पाठ, धर्म, आध्यात्मिक तीर्थ यात्राओं और अच्छे कार्यों पर तथा समाज के हित में अनेक अच्छे कार्य करेंगे और उन पर धन खर्च करेंगे। इससे न केवल आपको मानसिक संतुष्टि मिलेगी बल्कि समाज में भी आपको सम्मानित दृष्टि से देखा जाएगा। धार्मिक यात्राओं और लंबी यात्राओं के प्रबल योग बनेंगे। आप यदि दिल से कोशिश कर रहे हैं तो आपको विदेश जाने में भी सफलता मिलेगी और आप विदेश गमन कर सकते हैं। इस दौरान आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान देना होगा। वसा जनित समस्याएं परेशान कर सकती हैं या उदर रोग भी पीड़ित कर सकते हैं। बृहस्पति महाराज की दृष्टि आपके चतुर्थ भाव, छठे भाव और अष्टम भाव पर होगी जिससे कुछ खर्च बढ़ेंगे। परिवार के सुख संसाधनों में बढ़ोतरी होगी। पारिवारिक सामंजस्य बढ़ेगा और आप घरेलू मामलों में प्रसन्नता महसूस करेंगे। ससुराल से भी अच्छी खबरें मिलेंगी। अक्टूबर में जब बृहस्पति महाराज आपकी राशि में प्रवेश करेंगे तो आपके लिए सोने पर सुहागा का समय होगा। आपको उत्तम शिक्षा, उत्तम धन, संतान, वैवाहिक जीवन, व्यापार और भाग्य, सभी में अच्छे परिणाम मिलेंगे तथा भाग्य आपको राजयोग सामान परिणाम प्रदान करेगा। दिसंबर में वक्री अवस्था में बृहस्पति द्वादश भाव में आने से स्वास्थ्य समस्याओं और खर्चों को बढ़ा सकते हैं।
उपाय: गुरुवार के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी की उपासना करें।
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सिंह राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति आपके पंचम भाव और अष्टम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 के अनुसार बृहस्पति महाराज आपकी राशि से एकादश भाव में प्रवेश करेंगे। यह आपके लिए अच्छी सफलता का समय होगा। आर्थिक चुनौतियां समाप्त होने लगेंगी और धन प्राप्ति का रास्ता सुगम होगा। आपके पास अच्छी आमदनी आने लगेगी। धन से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी। वहां बैठे बृहस्पति महाराज की दृष्टि आपके तीसरे भाव, पंचम भाव और सप्तम भाव पर होगी जिससे अविवाहित जातकों के विवाह के योग बनेंगे। प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। संतान की प्रगति होगी। आप संतान प्राप्ति की इच्छा करते हैं तो संतान की प्राप्ति भी हो सकती है। शिक्षा में आपको उत्तम सफलता मिलेगी। अचानक से धन लाभ होने का योग बनेगा। किसी तरह की संपत्ति, जो किसी विरासत में मिले, आपको प्राप्त हो सकती है। गुप्त धन प्राप्त हो सकता है। भाई - बहनों के लिए भी यह समय अनुकूल रहेगा और उनसे आपके संबंध मधुर बनेंगे। अक्टूबर में जब बृहस्पति महाराज द्वादश भाव में कर्क राशि में गोचर करेंगे तो शारीरिक समस्याओं को बढ़ाएंगे। आपके खर्चों में बढ़ोतरी करेंगे और दिसंबर में जब वक्री अवस्था में एकादश भाव में आएंगे तो धन प्राप्ति के लिए आपको कठिन प्रयास करने पड़ेंगे। मन की इच्छा पूर्ति में कुछ विलंब हो सकता है।
उपाय: गुरुवार के दिन अपने मस्तक पर हल्दी अथवा केसर का तिलक लगाएं।
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कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति चतुर्थ भाव और सप्तम भाव के स्वामी हैं। मिथुन राशि में गुरु गोचर 2025 के दौरान बृहस्पति ग्रह आपकी राशि से दशम भाव में प्रवेश करेंगे। इस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आप अति आत्मविश्वास का शिकार भी हो सकते हैं जिससे बनते हुए काम अटक सकते हैं। आपको कार्य क्षेत्र में समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए। जो कार्य आपको ना आता हो, उसकी जिम्मेदारी लेना सीखें और उस काम को सीख कर आगे बढ़ें। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए आपको आगे आना होगा क्योंकि यह समय आपकी जिम्मेदारी निभाने का समय होगा। यहां से बृहस्पति महाराज आपके दूसरे भाव, चतुर्थ भाव और छठे भाव को देखेंगे जिससे धन संचय करने के लिए आपका प्रयास बढ़ेगा। आप कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा धन का संचय कर सकें। पारिवारिक संबंधों को मधुर बनाने के लिए भी आप अपनी ओर से कोई कमी बाकी नहीं रखेंगे। माता-पिता के स्वास्थ्य में अच्छे सुधार देखने को मिलेंगे। परिवार के लोगों में आपसी प्रेम और स्नेह की भावना रहेगी। विरोधी पक्ष से आपको कोई समस्या नहीं होगी। अक्टूबर के महीने में बृहस्पति महाराज आपके एकादश भाव में प्रवेश करेंगे तो आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वैवाहिक संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी और प्रेम संबंध मधुर बनेंगे। संतान का सुख मिलेगा। वक्री अवस्था में दिसंबर में बृहस्पति महाराज एक बार फिर से दशम भाव में आएंगे तो उस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में बहुत सावधानी से काम करने की आवश्यकता पड़ेगी।
उपाय: आपको गुरुवार के दिन देसी घी किसी मंदिर में ज्योत के लिए देना चाहिए।
गुरु गोचर 2025 की बात करें तो तुला राशि के जातकों के लिए गुरु आपके लिए तीसरे भाव और छठे भाव के स्वामी हैं और वर्तमान गोचर काल में आपके नवम भाव में प्रवेश करेंगे। नवम भाव में बृहस्पति का गोचर आपकी धार्मिक मान्यताओं को बढ़ाएगा। आप धर्म-कर्म के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। धार्मिक यात्राएं और तीर्थ यात्राएं करेंगे। आपको संघर्ष करने के बाद और ज्यादा प्रयास करने के बाद ही सफलता मिलेगी और तभी आपके काम बनेंगे। जितना ज्यादा आपका प्रयास होगा, उतने अधिक आपको परिणाम प्राप्त होंगे। भाई - बहनों से सहयोग के बाद आपके काम में तेजी आएगी। यहां उपस्थित बृहस्पति महाराज आपकी राशि पर यानी आपके प्रथम भाव, आपके तृतीय भाव और आपके पंचम भाव पर दृष्टि डालेंगे जिससे आपको शिक्षा और उच्च शिक्षा में उत्तम परिणामों की प्राप्ति होगी। संतान का सुख मिल सकता है। संतान प्राप्ति के योग बन सकते हैं। धर्म - कर्म में सफलता मिलेगी और परिवार के लोगों से अच्छा सामंजस्य बढ़ेगा। अक्टूबर में बृहस्पति के दशम भाव में जाने से कार्यक्षेत्र में कुछ उहापोह की स्थिति रहेगी। अति आत्मविश्वास का शिकार होने से बचें। वक्री अवस्था में बृहस्पति दिसंबर में आपके नवम भाव में प्रवेश करेंगे, तब कार्यों में रुकावट आ सकती है और पिताजी को स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं।
उपाय: आपको बृहस्पतिवार का व्रत रखना चाहिए।
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति दूसरे और पंचम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 आपके लिए अष्टम भाव में होने जा रहा है। इस गोचर को ज्यादा अनुकूल नहीं माना जा सकता है इसलिए आपको सावधानियां रखनी होंगी। आपको कार्यक्षेत्र में कुछ अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। बनते हुए काम अटक सकते हैं। भले ही आप धार्मिक कामों में अच्छा अनुभव महसूस करें और आपको अच्छे आध्यात्मिक अनुभव हों लेकिन धन संबंधी मामलों में आपको परेशानी उठानी पड़ सकती है। धन हानि हो सकती है। स्वास्थ्य में गिरावट आपको परेशानी दे सकती है। यहां उपस्थित बृहस्पति महाराज आपके द्वादश भाव, द्वितीय भाव और चतुर्थ भाव पर पूर्ण दृष्टि डालेंगे जिससे ससुराल में कुछ शुभ समाचार सुनने को मिल सकते हैं। आपके खर्चों में बढ़ोतरी होगी। विदेश यात्रा के योग बन सकते हैं। अचानक से कभी-कभी धन प्राप्ति हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त परिवार में ससुराल के लोगों का हस्तक्षेप बढ़ सकता है। अक्टूबर में बृहस्पति महाराज के नवम भाव में गोचर से सभी कार्यों में सफलता मिलेगी। भाग्य मजबूत होगा और आप सफलता प्राप्त करेंगे। नौकरी में बदलाव हो सकता है और दूसरी नौकरी अच्छी पदोन्नति के साथ मिल सकती है। वक्री अवस्था में बृहस्पति महाराज दिसंबर में एक बार फिर अष्टम भाव में प्रवेश करेंगे, उस दौरान धन और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
उपाय: गुरुवार के दिन श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
धनु राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह आपकी राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आपके चतुर्थ भाव यानी कि आपके सुख भाव के स्वामी भी हैं और बृहस्पति का गोचर आपकी राशि से सप्तम भाव में होगा। यह गोचर आपके वैवाहिक संबंधों के लिए मधुरता का समय लेकर आएगा। आप और आपके जीवनसाथी के मध्य तल्खियां कम होंगी और प्रेम बढ़ेगा। एक - दूसरे के प्रति जिम्मेदारी निभाने का भाव और समर्पण की भावना बढ़ेगी। आप यदि कोई व्यवसाय करते हैं तो उसमें भी आपको अच्छी सफलता प्राप्त हो सकती है। जमीन से जुड़ी कोई पुरानी मुराद पूरी हो सकती है। आप संपत्ति अर्जित कर सकते हैं। यहां से बृहस्पति महाराज आपके एकादश भाव, प्रथम भाव और तृतीय भाव को देखेंगे जिससे यात्राओं से लाभ होगा, आपकी आमदनी में बढ़ोतरी और तेजी देखने को मिल सकती है, आपकी निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होगी जिससे आपको फायदा होगा। अक्टूबर में जब बृहस्पति महाराज अष्टम भाव में जाएंगे तो गहन आध्यात्मिक अनुभव मिल सकते हैं। ससुराल से कोई सुखद समाचार मिल सकता है लेकिन स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। वक्री अवस्था में बृहस्पति महाराज दिसंबर में सप्तम भाव में फिर से आ जाएंगे तब वैवाहिक संबंधों में आपसी सामंजस्य की कमी परेशान कर सकती है और व्यवसाय पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
उपाय: गुरुवार के दिन से शुरू करके बृहस्पति महाराज के बीज मंत्र का जाप करें।
मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति महाराज तीसरे भाव और द्वादश भाव के स्वामी हैं और गुरु गोचर 2025 आपकी राशि से छठे भाव में होगा। यह गोचर आपको विशेष रूप से सावधान रहने की और इंगित करता है क्योंकि इस गोचर के दौरान जहां एक तरफ आपको अपनी नौकरी में अच्छे परिणाम मिलेंगे, वहीं आपको स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पेट और एसिडिटी, अपच, पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं और वसा जनित समस्याएं या कोलेस्ट्रोल का बढ़ना परेशानी का कारण बन सकता है। इस दौरान खर्चों में भी बढ़ोतरी होगी। आप अपने आलस्य को छोड़ेंगे, तभी आपको सफलता मिलेगी। विरोधी सिर उठाने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि अक्टूबर में जैसे ही बृहस्पति महाराज सप्तम भाव में प्रवेश करेंगे, इन सभी के ऊपर आप विजय प्राप्त करेंगे। आर्थिक समृद्धि होगी। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। वैवाहिक संबंधों में प्रगति आएगी। अविवाहित जातकों का विवाह होने के योग बनेंगे। आपको जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। आपकी निर्णय लेने की क्षमता भी प्रबल होगी और आपका व्यवसाय भी उन्नति करेगा। नौकरी में भी पदोन्नति के प्रबल योग बनेंगे। इसके बाद वक्री अवस्था में बृहस्पति के दिसंबर के महीने में फिर से छठे भाव में आने से स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत होगी।
उपाय: गुरुवार के दिन गुड़ और चने की दाल से केले के वृक्ष की पूजा करें।
कुम्भ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति महाराज दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 आपकी राशि से पंचम भाव में होने जा रहा है। यह गोचर आपको धन लाभ के प्रबल योग देगा। आपकी आर्थिक समृद्धि होगी। योजनाओं में सफलता मिलेगी। मनचाही इच्छापूर्ति होगी। आपकी आमदनी में जबरदस्त इजाफा होने के योग बनेंगे। यदि आप नौकरी में बदलाव चाहते हैं तो वह आपको इस दौरान मिल जाएगी और एक अच्छी नौकरी मिलेगी जिसमें आपको पद और तनख्वाह में वृद्धि की सौगात मिल सकती है। यहां से बृहस्पति महाराज आपके नवम भाव, एकादश भाव और प्रथम भाव को देखेंगे और आपके अंदर उत्तम संस्कारों की बढ़ोतरी करेंगे। आपकी संतान भी संस्कारी बनेगी। शिक्षा में आपको उत्तम सफलता मिलेगी। उच्च शिक्षा में भी आपकी सफलता बढ़ेगी। आप धन कमाने के लिए लालायित रहेंगे। संतान से जुड़ी शुभ सूचनाऐं आपको प्राप्त होंगी। आपकी स्वास्थ्य समस्याओं में कमी आएगी। निर्णय लेने की क्षमता प्रबल होगी। अक्टूबर के महीने में जब बृहस्पति महाराज छठे भाव में आएंगे तो स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकते हैं और आपके खर्चों में भी तेजी लेकर आएंगे। उसके बाद जब बृहस्पति महाराज वक्री अवस्था में पंचम भाव में दिसंबर के महीने में आएँगे, तब आपको प्रेम संबंधों में आने वाली समस्याओं के प्रति जागरूक रहना चाहिए और आर्थिक चुनौतियों तथा स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति ध्यान देने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस दौरान नौकरी में भी उतार-चढ़ाव आ सकते हैं।
उपाय: गुरुवार के दिन श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।
गुरु गोचर 2025 आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि गुरु महाराज आपकी राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आपके कर्म भाव यानी की दशम भाव के स्वामी भी हैं और गुरु का यह गोचर आपकी राशि से चतुर्थ भाव में होने जा रहा है। बृहस्पति के इस गोचर से जहां एक तरफ पारिवारिक जीवन में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा और आपसी सामंजस्य की कमी रहेगी, वहीं आप अपने कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलता अर्जित कर पाएंगे। आप खूब मेहनत करेंगे। पूरे ध्यान से अपने काम को करेंगे जिससे आपके प्रदर्शन में सुधार आने के योग बनेंगे। बृहस्पति यहां बैठकर आपके अष्टम भाव, दशम भाव और द्वादश भाव को देखेंगे जिससे खर्चों में बढ़ोतरी होगी। हालांकि खर्च अच्छे कार्यों पर होंगे। आपकी आयु में वृद्धि करेंगे और ससुराल पक्ष के लिए भी अच्छा समय रहेगा। उन्हें इस दौरान कुछ अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। आप काम के सिलसिले में एक शहर से दूसरे शहर जा सकते हैं और काम के सिलसिले में यात्रा के योग बनेंगे। अक्टूबर के महीने में बृहस्पति महाराज जब पंचम भाव में गोचर करेंगे तो वह समय संतान और आर्थिक समृद्धि के लिए अच्छा रहेगा। प्रेम संबंधों में भी सफलता का समय रहेगा। उसके बाद वक्री होकर जब बृहस्पति महाराज एक बार फिर से चतुर्थ भाव में दिसंबर में प्रवेश करेंगे तो पारिवारिक समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। परिवार के लोगों के बीच असंतुलन समस्या का बड़ा कारण बन सकता है और आपको कार्यक्षेत्र में भी जबरदस्त मेहनत करनी होगी, तभी जाकर आपको सफलता मिल पाएगी।
उपाय: आपको गुरुवार के दिन बृहस्पति महाराज के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।
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1. गुरु का गोचर कब होगा?
15 मई 2025 को वृषभ राशि से निकलकर प्रातः 2:30 बजे बुध के स्वामित्व वाली मिथुन राशि में गोचर करेंगे।
2. गुरु एक राशि में कितने दिनों तक रहते हैं?
गुरु ग्रह एक राशि में तकरीबन 13 महीनों का समय व्यतीत करते हैं। अगर गुरु वक्री अवस्था में हैं तो ये समय और भी बढ़ सकता है।
3. गुरु ग्रह की राशियाँ कौन सी हैं?
गुरु ग्रह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं।
4. गुरु (बृहस्पति) किस भाव में शुभ फल देते हैं?
बृहस्पति की पहले, दूसरे, पांचवें और सातवें भाव में स्थिति शुभता, आशावाद, धन, रचनात्मकता और सामंजस्यपूर्ण संबंध लाती है।