एस्ट्रोसेज के इस विशेष आर्टिकल के द्वारा आपको यह जानने के लिए सहायता प्राप्त होगी कि वर्ष 2025 के दौरान बुध ग्रह कब वक्री गति में आएंगे। साथ ही बुध ग्रह कब और किस राशि में प्रवेश करेंगे और कब अपनी ही राशि चक्र यात्रा को पूरा करके आगे बढ़ना शुरू करेंगे, इसके अतिरिक्त इस बुध वक्री 2025 कैलेंडर में हम आपको यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि बुध ग्रह जब वक्री गति में होते हैं तो वह जातक के जीवन में किस तरह के प्रभाव लाने में सक्षम होते हैं। आपके लिए यह लेख बेहद फायदेमंद साबित होगा और आप वक्री बुध की स्थिति को अपनी कुंडली के सापेक्ष जानकर अपने जीवन में आने वाली हलचलों को भली प्रकार से समझ पाएंगे और उसी के अनुसार अपनी भावी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे।
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इस बुध वक्री 2025 कैलेंडर के जरिए आप यह तो पता लगाएंगे कि बुध ग्रह वर्ष 2025 के दौरान कब वक्री हो रहा है और कब वह वक्री से मार्गी अवस्था में आ रहे हैं लेकिन आप इसके साथ ही यह भी जानना चाहेंगे कि बुध ग्रह के अतिरिक्त अन्य सभी ग्रह वर्ष 2025 के दौरान कब और किस राशि में वक्री हो रहे हैं और कब वह मार्गी व्यवस्था में आएँगे, इन सभी जानकारियों को प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी के आधार पर आपके जीवन में शुभ और अशुभ अनेक प्रकार के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं और उसी के आधार पर ही आपका भविष्यफल किया जा सकता है। वर्ष 2025 में कौन सा ग्रह कब वक्री होगा, इसकी समस्त जानकारी के लिए आपएस्ट्रोसेज की एक और पेशकश वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 का अवलोकन कर सकते हैं।
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह को बुद्धि का कारक ग्रह माना जाता है। यह संदेश वाहक भी माने जाते हैं और ग्रहों के परिवार में इन्हें राजकुमार की संज्ञा दी गई है। यह नन्हें राजकुमार की तरह हैं जो मासूम होता है। इसी प्रकार कुंडली में बुध ग्रह को सामान्य तौर पर शुभ ग्रह माना जाता है लेकिन कुंडली में जैसी संगति वैसा फल के अनुसार जिस प्रकार की प्रकृति के ग्रहों के साथ बुध ग्रह स्थित होते हैं या जिन ग्रहों का प्रभाव बुध ग्रह के ऊपर होता है, उन्हीं के अनुसार उनके फल शुभ और अशुभ हो सकते हैं। यह संचार के स्वामी हैं। यातायात के साधनों से लेकर संचार के माध्यमों पर बुध ग्रह का प्रभाव माना गया है। यह मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं, विशेष अंशों पर कन्या राशि में ही मूल त्रिकोण और कन्या राशि में ही उच्च अवस्था में माने जाते हैं जबकि मीन राशि इनकी नीच राशि है। बुध प्रधान व्यक्ति अपनी आयु से कम दिखते हैं और युवा दिखाई देते हैं। हाजिर जवाबी इनके अंदर होती है। इनके अंदर कई प्रकार की प्रतिभाएं होती हैं, जो जीवन में इन्हें सफलता दिलाती हैं।
Read Here In English: Mercury Retrograde 2025 Calendar
बुध ग्रह प्रधान व्यक्ति तर्कसंगत विचारों का स्वामी होता है। उसकी तर्कशक्ति मजबूत होती है। बुध ग्रह का बुद्धि पर आधिपत्य होने के कारण व्यक्ति अपने विचारों से लोगों को प्रभावित करने में सक्षम होता है और ऐसा करना ही व्यक्ति को अपने व्यापार और करियर से संबंधित विशेष निर्णय लेने में सफल बनाता है। बुध से संबंधित अनेक प्रकार के करियर संबंधी विकल्प होते हैं जो जातक के जीवन में अनेक रूपों में काम आते हैं। कंप्यूटर से संबंधित काम हो या कम्युनिकेशन से संबंधित काम हो, मीडिया हो या बोलने से संबंधित काम हो, संचार के माध्यमों से संबंधित काम हो या शिक्षा, दीक्षा, ज्योतिष या सांख्यिकी के संबंधित कार्य हो, बुध प्रधान व्यक्ति इन सभी कार्यों में सहजता से आगे बढ़ पाते हैं। बुध की कृपा मिलने से ही जातक को स्कॉलरशिप मिलने के योग बनते हैं।
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इसके विपरीत यदि कुंडली में बुध की स्थिति अत्यंत कमजोर है या वह अशुभ ग्रहों के प्रभाव में आ गए हैं तो जातक को उपरोक्त क्षेत्रों में नकारात्मक परिणाम भी देखने में आ सकते हैं। सबसे पहले बुध के प्रभावित होने पर जातक को मानसिक समस्या और मिर्गी के दौरे आना जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। जातक को त्वचा संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त जातक बोलने में समस्याएं महसूस कर सकता है या वह हाजिर जवाब ना हो और उसी वजह से उसको अपनी बात दूसरों के समक्ष रखने में समस्या महसूस हो, ऐसा भी बुध के कमजोर होने पर हो सकता है। जातक के संबंध अपनी बहनों से या मौसी अथवा बुआ से बिगड़ सकते हैं और उनसे रिश्तों में मधुरता समाप्त हो सकती है।
विशेष रूप से ऐसे जातक जो मीडिया के क्षेत्र में कार्यरत हैं, पत्रकार हैं, व्यापारी हैं, लेखक हैं, गणितज्ञ हैं या ऐसे ही क्षेत्र से संबंधित हैं, उन्हें अपनी कुंडली में बुध की स्थिति का आंकलन अवश्य करना चाहिए और बुध की कमजोर स्थिति में उसे मजबूत बनाने के प्रयास करने चाहिए। ज्योतिष के क्षेत्र में बुध ग्रह का विशेष प्रभाव माना गया है और यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में जब बुध ग्रह वक्री अवस्था में आएंगे तो जातकों को कुंडली में अपनी उपस्थिति से प्रभावित तो करेंगे ही और हम भी समझ सकते हैं कि बुध के यह प्रभाव किन-किन क्षेत्रों में विशेष रूप से दर्शनीय हो सकते हैं।
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ग्रह | वक्री गति प्रारंभ | वक्री गति समाप्त | इस राशि से | इस राशि में |
बुध ग्रह |
15 मार्च 2025 को दोपहर 11:54 बजे से | 07 अप्रैल 2025 | मीन राशि | मीन राशि |
18 जुलाई 2025 की प्रातः 09:45 बजे से | 11 अगस्त 2025 | कर्क राशि | कर्क राशि | |
10 नवंबर 2025 को प्रातः 00:03 बजे से | 29 नवंबर 2025 | वृश्चिक राशि | तुला राशि |
बुध वक्री 2025 कैलेंडर में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि बुध वक्री का क्या अर्थ होता है। यह तो हम सभी को विदित है कि हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा लगाते हैं। इसी तरह बुध ग्रह भी सूर्य की परिक्रमा करते हुए अपने परिक्रमा पथ पर गति करता रहता है और यह सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह है इसलिए चंद्रमा के बाद ज्योतिष में बुध को सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह भी माना जाता है जो लगभग 14 दिनों में एक राशि बदल लेता है। बुध ग्रह के 3 साल पृथ्वी के 1 साल के बराबर माने जाते हैं क्योंकि बुध को सूर्य का चक्कर लगाने में पृथ्वी के अपेक्षा कम समय लगता है। वक्री बुध की स्थिति वह होती है, जब हम पृथ्वी के सापेक्ष ग्रहों की स्थिति का आकलन करते हैं। जब भी कोई ग्रह अपनी निर्धारित कक्षा में गति करता हुआ सूर्य और पृथ्वी के सापेक्ष एक निकटतम बिंदु पर पहुंचता है और पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होने लगता है कि मानो वह उल्टी दिशा में जा रहा हो तो इस प्रकार उल्टा या टेढ़ा चलने को ही ग्रह की वक्री गति कहते हैं।
वास्तव में ग्रह उल्टी चाल से नहीं चलता बल्कि हमें ऐसा भ्रम होता है कि वह उल्टा चल रहा है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब एक ही दिशा में दो गाड़ियां जा रही हैं तो जो तेज गति से चलने वाली गाड़ी है, उसे धीमी गति से चलने वाली गाड़ी उसी दिशा में चलते हुए भी ऐसे लगेगी की जगह जैसे कि वह पीछे उल्टी जा रही हो, इसी भ्रम को वक्रता कहते हैं लेकिन पृथ्वी के सापेक्ष गणना करने पर यह वक्री गति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसा साल में 3 से 4 बार बुध ग्रह के साथ हो सकता है कि वह वक्री अवस्था में आ जाए। यह अपनी वक्री अवस्था में जातक के जीवन को अशुभ और शुभ दोनों ही रूपों में प्रभावित कर सकते हैं।
ऐसे में यह जानना भी आवश्यक हो जाता है कि जब बुध ग्रह अपनी वक्री अवस्था में आएंगे तो वह कुंडली में आपके किस भाव और राशि में वक्री होंगे और उसके अनुसार का क्या फल हो सकता है इसलिए हम इस बुध वक्री 2025 कैलेंडर में यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वर्ष 2025 के दौरान जब बुध ग्रह वक्री अवस्था में आएंगे तो उनकी भावगत् स्थिति के अनुसार आपके जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है।
बुध वक्री 2025 कैलेंडर विशेष तौर पर आपके लिए निर्मित किया गया है जिसमें यह बताया जाएगा कि वर्ष 2025 में बुध ग्रह कब और किस तिथि और किस दिन वक्री अवस्था में आएंगे और कब तक ऐसी अवस्था में ही बने रहेंगे और वक्री से मार्गी कब होंगे, इसके अतिरिक्त हम आपको यह भी बता रहे हैं कि जिस दौरान बुध वक्री अवस्था में आएँगे, उस समय वह किस राशि में होंगे और जब वह वक्री से मार्गी होंगे तब वह कौन सी राशि में होंगे क्योंकि इसका आपके जीवन पर विशेष प्रभाव रहेगा। बुध आपकी कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ और अशुभ दोनों प्रकार का फल दे सकते हैं इसलिए हम आपको आगे बढ़कर यह बता रहे हैं की कुंडली के सभी 12 भावों में बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार बुध के वक्री होने का क्या प्रभाव पड़ेगा।
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वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत बुध ग्रह को एक राजकुमार की संज्ञा दी गई है। यह ईश्वर के संदेशवाहक माने जाते हैं और अच्छी सफलता के कारक भी होते हैं। यह आपके जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं को जन्म देने वाले होते हैं इसलिए वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह की वक्री स्थिति भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है और यही वजह है कि आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि वक्री बुध कुंडली के सभी 12 भावों में आपको किस प्रकार से प्रभावित कर सकता है, चलिए अब इस विषय में विस्तार से जानते हैं।
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कुंडली का प्रथम भाव जिसे हम लग्न भी कहते हैं, जातक के व्यक्तित्व को बताता है। जातक की कद काठी कैसी होगी, समाज में वह किस रूप में दिखाई देगा, उसका व्यवहार और विचार करने की क्षमता को भी यह भाव बताता है। इससे जातक का शारीरिक गठन, शारीरिक स्वास्थ्य और उसके यश के बारे में भी पता चलता है। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार, यदि बुध ग्रह कुंडली के प्रथम भाव में अथवा लग्न में वक्री अवस्था में आ रहे हैं तो यह व्यक्ति को आवेग से भर देते हैं। ऐसा व्यक्ति जल्दबाजी में निर्णय लेता है और प्रतिकूल परिणाम प्राप्त करता है। ऐसे जातक ज्यादा प्रभाव लिए बिना किसी भी हद तक गुजर कर कोई भी काम करने में सक्षम हो जाते हैं और जल्दी ही कोई फैसला लेते हैं। कई बार ऐसा करना अनुकूल भी होता है लेकिन अधिकतर इसके प्रतिकूल परिणाम ही प्राप्त होते हैं।
जातक के मन में एक साथ बहुत सारे विचार तीव्र गति से आते हैं और उसकी वाणी भी ऐसी हो जाती है कि वह लोगों की बात की प्रतिक्रिया तुरंत ही देने लगता है। हालांकि कई बार यह तेज बुद्धि से बहुत सारी समस्याओं का समाधान भी निकलने में सफल हो जाते हैं। हम आपको यह सलाह देते हैं कि वक्री बुध के दौरान आपको किसी से किसी भी प्रकार का ऐसा वादा नहीं करना चाहिए जिसे आप पूरा न कर पाएं क्योंकि आपको उसे पूरा करने में कठिनाई होगी। किसी की गारंटी लेने से बचें और बिना सोचे समझे किसी कागज पर हस्ताक्षर करने से बचें क्योंकि बाद में इससे आपको परेशानी हो सकती है।
बुध वक्री 2025 कैलेंडर से यह पता चलता है कि यदि बुध वक्री अवस्था में आपके दूसरे भाव में मौजूद हो तो आपको आपके ऊपर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। दूसरा भाव धन भाव होता है। यह आपकी वाणी और आपके कुटुंब को भी नियंत्रित करता है। दूसरे भाव में वक्री बुध होने पर जातक बोलता कुछ है और लोगों को समझ कुछ और आता है। उसकी बात का बतंगड़ बन जाता है जिससे जातक के रिश्ते भी बिगड़ सकते हैं। कुटुंब के लोगों से कहासुनी हो सकती है और धन प्राप्ति के बाद धन संचित करने में समस्या हो सकती है। या तो जातक परिवार पर ज्यादा ध्यान देगा या जातक धन पर ज्यादा ध्यान देगा। जिस भी चीज पर ज्यादा ध्यान देगा, दूसरी चीज के लिए उसे संघर्ष करना पड़ सकता है।
बुध के वक्री अवस्था में होने पर ऐसा जातक कंजूसी की हद तक जा सकता है और कई बार हद से ज्यादा खर्च के कारण बचत को समाप्त भी कर सकता है। पारिवारिक विवादों में बेवजह बोलने के कारण परिवार में स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में सतर्कता के साथ और सावधानी पूर्वक किसी से बातचीत करनी चाहिए। यदि बुध अच्छी स्थिति में हैं तो वक्री अवस्था में जातक अपनी वाणी और अपने व्यवहार से अपना काम निकलवा सकता है और धन प्राप्ति के रास्ते बना सकता है। ऐसे जातक को कोई संपत्ति खरीदते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
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तीसरा भाव हमारे साहस और पराक्रम का भाव होता है। इसी के साथ यह जीवन में मार्केटिंग, संचार व्यवस्था, भाई - बहिन, हमारे पड़ोसी, रिश्तेदार, आदि के बारे में भी बताता है। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार, काल पुरुष कुंडली में भी तीसरे भाव में मिथुन राशि आती है जिसके स्वामी बुध देव को माना जाता है। यदि आपकी कुंडली में बुध तीसरे भाव में वक्री अवस्था में हैं तो जातक को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे व्यक्ति के लिए दोस्ती आसान नहीं होती क्योंकि इन्हें दोस्त बनाने में समस्या महसूस होती है। बहुत संघर्षों के बाद ही यदा कदा कोई मित्र बन पाता है। समाज में आसपास के लोग, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से संबंध अच्छे नहीं होते। उनकी प्रतिष्ठा बिगड़ सकती है और भाई-बहिनों से भी संबंध बनते बिगड़ते रह सकते हैं। 2025 में जब बुध वक्री होंगे, तब इनको सावधानियां रखनी होंगी क्योंकि बुध वक्री अवस्था में इनकी संचार व्यवस्था को बिगाड़ सकते हैं। संवाद शैली में भी समस्या आ सकती है जिससे इन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए धैर्य से समझदारी के साथ अपने रिश्तों को और अपने काम को संभालना होगा।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली का चौथा भाव सुख भाव कहलाता है। यह माता का भाव और संपत्ति का भाव भी माना गया है। मातृभूमि के बारे में भी चतुर्थ भाव से पता चलता है। यदि कुंडली में बुध चतुर्थ स्थान पर वक्री हैं तो जातक को माता से सुख और स्नेह में बढ़ोतरी होती है। जातक अत्यंत बुद्धिमान बनता है, उसकी सहज बुद्धि तीव्र होती है, उसके अंदर ज्ञान बढ़ता है। इससे जातक की माता को भी लाभ मिलता है और उनके अंदर भी अच्छे गुणों की उपस्थिति का अनुभव किया जा सकता है। जातक को अपनी माता का स्नेह और प्रेम मिलने के साथ-साथ उनकी अच्छी सलाह भी मिलती है। जब चतुर्थ भाव में बुध वक्री अवस्था में आते हैं तो बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार जातक को संपत्ति की प्राप्ति होती है। जीवन स्तर में ऊंचाइयां आती हैं। ऐसा जातक सुख सुविधाओं पर अच्छा खर्च करते हैं और अपनी माता से विशेष रूप से अपने रिश्तों को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं।
किसी भी जातक की कुंडली में पंचम भाव बुद्धि, प्रेम संबंध, संतान और शिक्षा का भाव माना जाता है। यह हमारी कलात्मक अभिव्यक्ति और क्षमताओं और विचारों का भी प्रतिनिधित्व करता है। पंचम भाव में यदि बुध वक्री अवस्था में हों तो जातक चंचल स्वभाव के हो सकते हैं। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार, पंचम भाव में बुध का वक्री होना आपके लिए कई प्रकार से अनुकूलता लेकर आ सकता है। आपकी बुद्धि तीव्र होगी, आप जो कुछ भी पढ़ेंगे या लिखेंगे, वह आपको शीघ्र ही समझ भी आ जाएगा। आप न्यायप्रिय बनेंगे। आप लोगों के बारे में अच्छा सोचेंगे। किसी का बुरा नहीं मानेंगे, थोड़े चंचल होंगे, निश्छल हृदय से आप प्रेम करेंगे, शिक्षा में लगातार मेहनत करेंगे और उसमें आपको अच्छी-अच्छी चीजों को सीखने और जानने का मौका मिलेगा लेकिन आपकी किसी भी बात को बार-बार कहने की आदत हो सकती है जो सामने वाले को बुरी लग सकती है लेकिन आप लगातार सीखते हैं, जिज्ञासाएं बढ़ती हैं, संतान का सुख भी मिलता है लेकिन बुध वक्री होकर पंचम भाव में अशुभ स्थिति में हों तो संतान का अल्प सुख मिलने के योग बनते हैं अथवा जातक की शिक्षा में भी समस्या हो सकती है।
कुंडली के छठे भाव से रोग यानी कि बीमारियां, रिपु यानी शत्रु, विरोधी और ऋण यानी कर्ज की स्थिति को देखा जाता है। यह हमारे जीवन में संघर्ष का भाव है। हमारे जीवन में कैसी स्थितियों रहेंगी, क्या चुनौतियां आएंगी, राजनीति, प्रतियोगिता परीक्षाओं और वकालत तथा नौकरी का भाव भी छठे भाव को माना गया है। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार जब बुध छठे भाव में वक्री होंगे तो यह आपको अनेक प्रकार की समस्याएं प्रदान कर सकते हैं। ऐसे लोग तर्कसंगत होंगे लेकिन किसी भी तर्क की जगह कुतर्क करने लगेंगे, बेवजह अपने शत्रु बना लेंगे, अपनी वाणी से ही उनके नए-नए विरोधी उत्पन्न होंगे, जो इन्हें परेशान कर सकते हैं लेकिन यदि वकालत के क्षेत्र में हैं तो यही वक्री बुध अत्यंत लाभदायक फल देंगे और यह अपने पेशे में चमकेंगे। इसके बावजूद भी इन्हें अपने शब्दों को बहुत चयन करके ही बोलना चाहिए क्योंकि उनकी बात का गलत अर्थ भी निकाला जा सकता है। स्वास्थ्य को लेकर इन्हें ध्यान देना पड़ सकता है।
कुंडली का सप्तम स्थान लंबी साझेदारियों और व्यापार का भाव भी माना जाता है। सप्तम स्थान पर बुध का वक्री होना जातक को एक अच्छा जीवनसाथी दिला सकता है जो अपनी बुद्धिमानी से जीवनसाथी का पूरा साथ देता है और उसको आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित भी करता है। वक्री बुध 2025 सातवें भाव में उपस्थित होकर आपके व्यापार में उन्नति के योग बनाएगा और विदेशी माध्यमों से भी आपको मदद प्रदान कर सकता है। यह सामाजिक रूप से आपकी छवि को मजबूत बना सकता है और आपको समाज में उत्तम स्थान प्रदान कर सकता है। यह आपके जीवनसाथी से आपको उत्तम सहयोग और समर्पण प्रदान करता है। आप यदि व्यापार के संबंध में कोई नई साझेदारी करने जा रहे हों तो थोड़ी सी सावधानियों के साथ आगे बढ़ने से आपको लाभ मिल सकता है।
वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव को रंध्र भाव या छिद्र भाव कहा जाता है। इससे सब कुछ अप्रत्याशित का पता लगता है इसलिए यह सबसे ज्यादा रहस्यमय भाव है। यहां से अचानक होने वाली अच्छी और बुरी घटनाएं, चौंकाने वाली अधिक जानकारियां, आपके ससुराल पक्ष और आपकी पैतृक संपत्ति के बारे में भी जानकारी से पता चलती है। यदि बुध वक्री 2025 कैलेंडर की बात करें तो आठवें भाव में 2025 में वक्री बुध जातक को साधना में सिद्धि प्रदान करने वाला बनाते हैं। ऐसे व्यक्ति उत्तम आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं। ज्योतिषियों को इस बुध के वक्री प्रभाव से अत्यंत लाभ मिलता है और उनकी वाणी पर मानो सरस्वती विराजमान होती है। वह जो कहते हैं, वह हो जाता है। इस भाव में बुध के वक्री होने से जातक का मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है। उसकी निर्णय लेने की क्षमता और मानसिक मजबूती प्राप्त होती है। अच्छे बुरे का फर्क करने में आसानी होती है। जातक को यदि बैंक से कोई लोन लेना है तो उसमें उसे सफलता मिल सकती है। व्यापार के लिए कुछ नए कदम बढ़ाने में भी वह सफल हो सकता है।
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ज्योतिष में नवम भाव को भाग्य भाव भी कहा जा सकता है। इससे आध्यात्मिक प्रवृत्ति, धर्म, लंबी यात्राओं के बारे में भी जानकारी मिलती है और जातक आध्यात्मिक तौर पर कितना उन्नत है, इसके बारे में भी पता चलता है। यदि नवम भाव में बुध विराजमान हो तो व्यक्ति विरोधी स्वभाव का हो सकता है और स्वयं शत्रु बनाने वाला हो सकता है। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार नवम भाव में बुध वक्री होने पर यह जातक को विद्वान बनाता है और सामाजिक पद प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी करता है। उसके पिता से संबंध मजबूत होंगे और पिता पुत्र के बीच अच्छे संबंध रहेंगे। ऐसा जातक धर्म-कर्म के कामों में ज्यादा रुचि दिखाएगा और उन्हें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा। साथ ही जातक के परिवार, रिश्तेदार, दोस्तों के साथ उसका मान सम्मान बढ़ेगा, जातक खूब लंबी तीर्थ यात्राएं करेगा। विदेश यात्रा के योग भी बनते हैं और उसके परिवार के सदस्यों का उसे आशीर्वाद प्राप्त होगा जिससे उसे यात्राओं में भी सफलता मिलेगी।
वैदिक ज्योतिष में कुंडली के दशम भाव को बहुत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली भाव माना जाता है क्योंकि यह कर्म भाव है। इसी से किसी व्यक्ति की आजीविका और उसके कार्य क्षेत्र के वातावरण के बारे में भी पता चलता है। जातक समाज में कितनी ख्याति प्राप्त करेगा, यह भी इसी भाव से पता चलता है। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार यदि दसवें भाव में बुध वक्री अवस्था में आए तो जातकों को काम करने में कम बाधाओं का सामना करना पड़ता है और उसे सफलता जल्दी मिलती है। वह अपनी प्रतिक्रियाओं को तुरंत देने में सक्षम हो जाते हैं और प्रभावी ढंग से काम करते हैं। करियर में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं जिससे उन्हें अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं।
वह हाजिर जवाब बनते हैं और कार्य क्षेत्र में हास्य विनोद के द्वारा भी अपने आसपास के लोगों से अच्छे संबंध बनाए रखते हैं जिसका उन्हें समय-समय पर लाभ मिलता है। तनाव में कमी आती है और कार्य क्षेत्र पर काम का दबाव उन्हें परेशान नहीं करता है। इस दौरान उन्हें एक अच्छी नौकरी मिलने का अवसर भी मिल सकता है। उनके संबंध वरिष्ठ अधिकारियों से बढ़िया बनते हैं जो नौकरी में उन्हें सफलता देते हैं। जातक के परिवार में भी सुख शांति आती है।
कुंडली का ग्यारहवां भाव महत्वाकांक्षाओं का भाव है। इससे जीवन में व्यक्ति को होने वाली आय का पता चलता है। उसकी आमदनी कितनी होगी, उसकी महत्वाकांक्षाएं कैसी हैं, उसे जीवन में क्या मिलेगा, यह सब कुछ इससे पता चल जाता है। मित्रों के बारे में भी कुछ जानकारी इस भाव से मिल जाती है। जातक सामाजिक तौर पर कैसा रहेगा, यह भी इसी से पता चलता है। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार यदि बुध एकादश भाव में वक्री अवस्था में हो तो जातक के सामाजिक क्षेत्र में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। सामाजिक दायरे में गिरावट आ सकती है। वह सोशल मीडिया माध्यमों पर कुछ ऐसी बातें लिख सकता है जो उसके खिलाफ जा सकती हैं और उसे समझने में परेशानियां महसूस हो सकती हैं। दोस्तों से भी गलतफहमियां हो सकती हैं। किसी से झगड़ा होने की स्थिति बन सकती है। प्रेम संबंधों में उतार चढ़ाव आ सकते हैं। जातक की आमदनी में तो बढ़ोतरी होती है लेकिन समाज में छवि को सही बनाने के लिए उसे बहुत प्रयास करने पड़ सकते हैं।
कुंडली का द्वादश भाव व्यय भाव कहलाता है। इससे जेल यात्रा, अस्पताल जाना, अत्यधिक खर्च और विदेश का विचार किया जाता है। बुध वक्री 2025 कैलेंडर के अनुसार जब बुध वक्री अवस्था में द्वादश भाव में आएगा तो जातक को आंखों से संबंधित समस्याएं, अनिद्रा और कई प्रकार की मानसिक समस्याएं परेशान कर सकती हैं। इस दौरान जातक को अस्पताल में भी जाना पड़ सकता है। जातक यदि गलत कार्य में लिप्त है तो जेल की स्थिति भी बन सकती है। ऐसा सब कुछ बुध के विपरीत परिस्थिति में होने पर संभव होता है। यदि बुध अच्छी स्थिति में वक्री अवस्था में आ रहा है तो जातक का झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की ओर होने लगता है। उसके खर्चों में कमी आती है। उसके विदेश जाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। भौतिक संसाधनों से जातक थोड़ा सा दूर होने लगता है और अध्यात्म की ओर बढ़ता है। दिमाग काफी तेज चलने लगता है। नींद कम आती है और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
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1. बुध वक्री होने पर क्या होता है?
बुध वक्री होने पर अपनी दशा में लेखन कार्यों की ओर रुख करवाता है। जातक की रचना में अंतर्विरोध एवं परिवर्तन को अधिक बल मिलता है।
2. यदि किसी जन्म कुंडली में बुध वक्री हो तो क्या होता है?
बुध मन पर शासन करता है, इसलिए यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध वक्री है, तो आप धीमी गति से सोचने वाले व्यक्ति हो सकते हैं।
3. बुध ग्रह खराब होने के लक्षण क्या हैं?
गुप्त रोग के कारण यौन शक्ति कम हो जाती है। पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है।