विवाह मुहूर्त 2024: सनातन धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्य खासतौर पर विवाह को सदैव शुभ मुहूर्त में किया जाता है। जब विवाह की बात होती है, तो सबसे पहले शुभ मुहूर्त पर ही विचार किया जाता है। ऐसे में, एस्ट्रोसेज अपने पाठकों के लिए लेकर आया है विवाह मुहूर्त 2024 का यह विशेष लेख जिसके माध्यम से हम आपको वर्ष 2024 में विवाह के लिए सबसे शुभ मुहूर्त एवं तिथियां प्रदान करेंगे। साथ ही जानेंगे, विवाह मुहूर्त के निर्धारण के समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाता है। आइये अब जानते हैं वर्ष 2024 में विवाह मुहूर्त की शुभ तिथियां।
2025 के विवाह मुहूर्त को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: विवाह मुहूर्त 2025
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
सनातन धर्म में 16 संस्कार होते हैं, जिसमें विवाह संस्कार सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विवाह व्यक्ति के जीवन का सबसे अहम पड़ाव है, जो वर और वधू के साथ-साथ दो परिवारों को आपस में जोड़ने का काम करता है। हिंदू धर्म में विवाह जैसे शुभ कार्य को अशुभ मुहूर्त में करने से बचना चाहिए क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव वर-वधू के जीवन पर पड़ता है इसलिए शादी-विवाह को शुभ मुहूर्त में ही किया जाना जरूरी है। विवाह में गुण मिलान को जितना महत्वपूर्ण माना गया है, उतना ही महत्व शुभ मुहूर्त का भी दिया गया है। ज्योतिष के अनुसार, विवाह को संपन्न करने के लिए प्रेम और विवाह के कारक ग्रह शुक्र का उदित अवस्था में होना बेहद जरूरी होता है।
यह भी पढ़ें: राशिफल 2024
वैदिक ज्योतिष में हर वर्ष में कुल पांच सिद्ध मुहूर्त होते हैं। इनमें फुलेरा या फुलरिया दूज, देवउठनी एकादशी, बसंत पंचमी, विजयादशमी और अक्षय तृतीया है। इन पांच दिनों में मुहूर्त न होते हुए भी शुभ कार्य जैसे विवाह आदि किए जा सकते हैं क्योंकि ये अपने आप में सिद्ध मुहूर्त बताए गए हैं।
जब वर-वधू के कुंडली मिलान या गुण मिलान हो जाता है तो उसके बाद जन्म राशि के आधार पर विवाह मुहूर्त के लिए तिथि, वार, नक्षत्र तथा समय को निकाला जाता है और इसे ही विवाह मुहूर्त के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही वर-वधू का जन्म जिस चंद्र नक्षत्र में होता है, उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर को भी विवाह की तिथि ज्ञात करने में प्रयोग किया जाता है। हालांकि लड़का-लड़की की राशियों में विवाह के लिए एक जैसी ही तिथि को विवाह मुहूर्त के लिए लिया जाता है।
अपने जीवन को कैसे बनाएं खास? विद्वान ज्योतिषियों से फोन पर बात करके जानें जवाब
पिछले साल यानी 2023 की अपेक्षा नव वर्ष 2024 में शादियों के शुभ मुहूर्त की भरमार है यानी यह साल शादी-विवाह के लिहाज़ से बहुत ही ख़ास रहने वाला है। देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी के चातुर्मास को अगर छोड़ दें तो साल 2024 में लगभग हर महीने शादी की शहनाइयां गूंजेंगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, नए साल में विवाह के कुल 58 शुभ मुहूर्त रहेंगे।
Read in English: Vivah Muhurat 2024
तिथि और दिन |
मुहूर्त का समय |
नक्षत्र |
तिथि |
16 जनवरी, मंगलवार |
शाम 8 बजकर 1 मिनट से 17 जनवरी की सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक |
उत्तराभाद्रपद, रेवती |
षष्ठी, सप्तमी |
17 जनवरी, बुधवार |
सुबह 7 बजकर 15 से रात 9 बजकर 50 मिनट तक |
रेवती |
सप्तमी |
20 जनवरी, शनिवार |
मध्यरात्रि 03 बजकर 9 मिनट से 21 जनवरी की सुबह 07 बजकर 14 मिनट तक |
रोहिणी |
एकादशी |
21 जनवरी, रविवार |
सुबह 07 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 23 मिनट तक |
रोहिणी |
एकादशी |
22 जनवरी, सोमवार |
सुबह 07 बजकर 14 मिनट से 23 जनवरी की शाम 04 बजकर 58 मिनट तक |
मृगशिरा |
द्वादशी, त्रयोदशी |
27 जनवरी, शनिवार |
शाम 07 बजकर 44 मिनट से 28 जनवरी की सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक |
मघा |
द्वितीया, तृतीया |
28 जनवरी, रविवार |
सुबह 7 बजकर 12 मिनट से दोपहर 03 बजकर 53 मिनट तक |
मघा |
तृतीया |
30 जनवरी, मंगलवार |
सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 31 जनवरी की सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक |
उत्तराफाल्गुनी, हस्त |
पंचमी |
31 जनवरी, बुधवार |
सुबह 07 बजकर 10 मिनट से 1 फरवरी की मध्य रात्रि 01 बजकर 8 मिनट तक |
हस्त |
पंचमी, षष्ठी |
तिथि और दिन |
मुहूर्त का समय |
नक्षत्र |
तिथि |
04 फरवरी, रविवार |
सुबह 07 बजकर 21 मिनट से 05 फरवरी की सुबह 05 बजकर 44 मिनट कर |
अनुराधा |
नवमी, दशमी |
06 फरवरी, मंगलवार |
दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से 07 फरवरी की सुबह 06 बजकर 27 मिनट तक |
मूल |
एकादशी, द्वादशी |
07 फरवरी, बुधवार |
सुबह 4 बजकर 37 मिनट से 8 फरवरी की सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक |
उत्तराषाढ़ा |
त्रयोदशी |
08 फरवरी, गुरुवार |
सुबह 07 बजकर 05 मिनट से सुबह 11 बजकर 17 मिनट तक |
उत्तराषाढ़ा |
त्रयोदशी |
12 फरवरी, सोमवार |
दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से 13 फरवरी की सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक |
उत्तराभाद्रपद |
तृतीया, चतुर्थी |
13 फरवरी, मंगलवार |
दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 14 फरवरी की सुबह 05 बजकर 11 मिनट तक |
रेवती |
पंचमी |
17 फरवरी, शनिवार |
सुबह 08 बजकर 46 मिनट से दोपहर 1 बजकर 44 मिनट तक |
रोहिणी |
नवमी |
24 फरवरी, शनिवार |
दोपहर ** बजकर 35 मिनट से रात 10 बजकर 20 मिनट तक |
मघा |
पूर्णिमा, प्रतिपदा |
25 फरवरी, रविवार |
मध्यरात्रि 01 बजकर 24 मिनट से 26 फरवरी की सुबह 06 बजकर 50 मिनट तक |
उत्तराफाल्गुनी |
द्वितीया |
26 फरवरी, सोमवार |
सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट तक |
उत्तराफाल्गुनी |
द्वितीया |
29 फरवरी, गुरुवार |
सुबह 10 बजकर 22 मिनट से 01 मार्च की सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक |
स्वाती |
पंचमी |
तिथि और दिन |
मुहूर्त का समय |
नक्षत्र |
तिथि |
1 मार्च, शुक्रवार |
06 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक |
स्वाती |
षष्ठी |
2 मार्च, शनिवार |
रात 08 बजकर 24 मिनट से 03 मार्च की सुबह 06 बजकर 44 मिनट तक |
अनुराधा |
सप्तमी |
3 मार्च, रविवार |
सुबह 06 बजकर 44 मिनट से दोपहर 05 बजकर 44 मिनट तक |
अनुराधा |
सप्तमी, अष्टमी |
4 मार्च, सोमवार |
रात 10 बजकर 16 मिनट से 05 मार्च की सुबह 06 बजकर 42 मिनट तक |
मूल |
नवमी |
5 मार्च, मंगलवार |
सुबह 06 बजकर 42 मिनट से दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक |
मूल |
नवमी, दशमी |
6 मार्च, बुधवार |
दोपहर 02 बजकर 52 मिनट से 07 मार्च की सुबह 06 बजकर 40 मिनट तक |
उत्तराषाढ़ा |
एकादशी, द्वादशी |
7 मार्च, गुरुवार |
सुबह 06 बजकर 40 मिनट से सुबह 08 बजकर 24 मिनट तक |
उत्तराषाढ़ा |
द्वादशी |
10 मार्च, रविवार |
दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 11 मार्च की सुबह 06 बजकर 35 मिनट तक |
उत्तराभाद्रपद |
प्रतिपदा |
11 मार्च, सोमवार |
सुबह 06 बजकर 35 मिनट से 12 मार्च की सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक |
उत्तराभाद्रपद, रेवती |
प्रतिपदा, द्वितीया |
12 मार्च, मंगलवार |
सुबह 06 बजकर 34 मिनट दोपहर 03 बजकर 8 मिनट तक |
रेवती |
तृतीया |
तिथि और दिन |
मुहूर्त का समय |
नक्षत्र |
तिथि |
18 अप्रैल, गुरुवार |
मध्यरात्रि 12 बजकर 44 मिनट से 19 अप्रैल की सुबह 05 बजकर 51 मिनट तक |
मघा |
एकादशी |
19 अप्रैल, शुक्रवार |
सुबह 05 बजकर 51 मिनट से सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक |
मघा |
एकादशी |
20 अप्रैल, शनिवार |
दोपहर 02 बजकर 04 मिनट से 21 अप्रैल की मध्य रात्रि 02 बजकर 48 मिनट तक |
उत्तराफाल्गुनी |
द्वादशी, त्रयोदशी |
21 अप्रैल, रविवार |
मध्य रात्रि 03 बजकर 45 मिनट से 22 अप्रैल की सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक |
हस्त |
चतुर्दशी |
22 अप्रैल, सोमवार |
सुबह 05 बजकर 48 मिनट से रात 08 बजे तक |
हस्त |
चतुर्दशी |
इस माह में विवाह करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
इस माह में विवाह करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
तिथि और दिन |
मुहूर्त का समय |
नक्षत्र |
तिथि |
9 जुलाई, मंगलवार |
दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक |
मघा |
चतुर्थी |
11 जुलाई, गुरुवार |
दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से 12 जुलाई की शाम 04 बजकर 09 मिनट तक |
उत्तराफाल्गुनी |
षष्ठी |
12 जुलाई, शुक्रवार |
सुबह 05 बजकर 15 मिनट से 13 जुलाई की सुबह 05 बजकर 32 मिनट तक |
हस्त |
सप्तमी |
13 जुलाई, शनिवार |
सुबह 05 बजकर 32 मिनट से दोपहर 03 बजकर 05 मिनट तक |
हस्त |
सप्तमी |
14 जुलाई, रविवार |
रात ** बजकर 06 मिनट से 15 जुलाई की सुबह 05 बजकर 33 मिनट तक |
स्वाती |
नवमी |
15 जुलाई, सोमवार |
सुबह 05 बजकर 33 मिनट से 16 जुलाई की मध्यरात्रि 12 बजकर 30 मिनट तक |
स्वाती |
नवमी, दशमी |
इस माह में विवाह करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
इस माह में विवाह करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
इस माह में विवाह करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें
तिथि और दिन |
मुहूर्त का समय |
नक्षत्र |
तिथि |
12 नवंबर, मंगलवार |
शाम 04 बजकर 04 मिनट से शाम 07 बजकर 10 मिनट तक |
उत्तराभाद्रपद |
द्वादशी |
13 नवंबर, बुधवार |
दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से रात 09 बजकर 48 मिनट तक |
रेवती |
त्रयोदशी |
16 नवंबर, शनिवार |
रात 11 बजकर 48 मिनट से 17 नवंबर की सुबह 06 बजकर 45 मिनट तक |
रोहिणी |
द्वितीया |
17 नवंबर, रविवार |
सुबह 06 बजकर 45 मिनट से 18 नवंबर की सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक |
रोहिणी, मृगशिरा |
द्वितीया, तृतीया |
18 नवंबर, सोमवार |
सुबह 06 बजकर 46 मिनट से सुबह 07 बजकर 56 मिनट तक |
मृगशिरा |
तृतीया |
22 नवंबर, शुक्रवार |
रात 11 बजकर 44 मिनट से 23 नवंबर की सुबह 06 बजकर 50 मिनट तक |
मघा |
अष्टमी |
23 नवंबर, शनिवार |
सुबह 06 बजकर 50 मिनट से रात 11 बजकर 42 मिनट तक |
मघा |
अष्टमी |
25 नवंबर, सोमवार |
मध्यरात्रि 01 बजकर 01 मिनट से 26 नवंबर की सुबह 06 बजकर 53 मिनट तक |
हस्त |
एकादशी |
26 नवंबर, मंगलवार |
सुबह 06 बजकर 53 मिनट से 27 नवंबर की सुबह 04 बजकर 35 मिनट तक |
हस्त |
एकादशी |
28 नवंबर, गुरुवार |
सुबह 07 बजकर 36 मिनट से 26 नवंबर की सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक |
स्वाती |
त्रयोदशी |
29 नवंबर शुक्रवार |
सुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 08 बजकर 39 मिनट तक |
स्वाती |
त्रयोदशी |
तिथि और दिन |
मुहूर्त का समय |
नक्षत्र |
तिथि |
4 दिसंबर, बुधवार |
शाम 05 बजकर 15 मिनट से 5 दिसंबर की मध्यरात्रि 01 बजकर 02 मिनट तक |
उत्तराषाढ़ा |
चतुर्थी |
5 दिसंबर, गुरुवार |
मध्यरात्रि 12 बजकर 49 मिनट से शाम 05 बजकर 26 मिनट तक |
उत्तराषाढ़ा |
पंचमी |
9 दिसंबर, सोमवार |
दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से 10 दिसंबर की मध्यरात्रि 01 बजकर 06 मिनट तक |
उत्तराभाद्रपद |
नवमी |
** दिसंबर, मंगलवार |
रात 10 बजकर 03 मिनट से 11 दिसंबर की सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक |
रेवती |
दशमी, एकादशी |
14 दिसंबर, शनिवार |
सुबह 07 बजकर 06 मिनट से शाम 04 बजकर 58 मिनट तक |
मृगशिरा |
पूर्णिमा |
15 दिसंबर, रविवार |
मध्यरात्रि 03 बजकर 42 मिनट से सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक |
मृगशिरा |
पूर्णिमा |
वर्ष 2024 के लिहाज़ से हमने आपको विवाह की शुभ घड़ी की सूची, तिथि और दिन के हिसाब से आपको प्रदान कर दी है। अब आप इनमें से अपने लिए उपयुक्त तिथि का चयन कर सकते हैं। हालांकि चूंकि विवाह जीवन का एक बहुत बड़ा फैसला होता है ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि लड़का और लड़की की कुंडली पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी को अवश्य दिखा ली जाए और उसके बाद ही विवाह का फैसला किया जाए।
वैदिक ज्योतिष में विवाह संस्कार को काफ़ी महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है इसलिए शुभ मुहूर्त के साथ-साथ शुभ तिथियां, नक्षत्र, योग और करण का भी ध्यान रखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों का जिक्र है लेकिन विवाह के लिए ** नक्षत्र को ही शुभ माना जाता है। चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि शादी के लिए कौन सी तिथियां, नक्षत्र, योग और करण शुभ माने जाते हैं।
शुभ करण: विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए सात ऐसे कारण बताए गए हैं जिन्हें शुभ माना गया है।
किन्स्तुघना करण
बव करण
बालव करण
कौलव करण
तैतिल करण
गर करण
वणिज करण
मुहूर्त: विवाह करने के लिए अभिजीत मुहूर्त और गोधूलि बेला का मुहूर्त को बेहद शुभ माना जाता है।
तिथि:
द्वितीया
तृतीया
पंचमी
सप्तमी
एकादशी
त्रयोदशी
आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जानिए अपनी राजयोग रिपोर्ट
नक्षत्र:
रोहिणी नक्षत्र
मृगशिरा नक्षत्र
मघा नक्षत्र
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
हस्त नक्षत्र
स्वाति नक्षत्र
अनुराधा नक्षत्र
मूल नक्षत्र
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
रेवती नक्षत्र
दिन:
सोमवार
बुधवार
गुरुवार
शुक्रवार
इन दिनों को विवाह के लिए काफी शुभ माना जाता है।
योग:
प्रीति योग
सौभाग्य योग
हर्षण योग
ज्योतिष के अनुसार विवाह करने के लिए लग्न अर्थात फेरे का समय निकाला जाता है। लग्न का समय विवाह की तिथि तय होने के बाद किया जाता है। वैदिक ज्योतिष में विवाह लग्न में कोई गलती नहीं होनी चाहिए अन्यथा इसका नकारात्मक परिणाम वर-वधू को भुगतना पड़ सकता है। कहा जाता है कि विवाह में तिथि को शरीर, चंद्रमा को मन, योग-नक्षत्रों आदि को शरीर के अंग और वहीं लग्न को आत्मा माना गया है इसलिए लग्न को ध्यान में रखकर ही विवाह जैसे शुभ कार्य किया जाता है। लग्न के बिना कोई भी शुभ कार्य करना व्यर्थ माना जाता है।
अष्टमेश यानी आठवें भाव के स्वामी विवाह लग्न में स्थित नहीं होना चाहिए।
विवाह लग्न से बारहवें भाव में शनि व दसवें भाव में मंगल स्थित नहीं होना चाहिए।
विवाह लग्न से तीसरे स्थान पर शुक्र व लग्न भाव में कोई पापी ग्रह राहु या केतु मौजूद नहीं होना चाहिए।
विवाह लग्न में कमज़ोर चंद्रमा स्थित नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही, चंद्रमा व शुक्र ग्रह का छठे और मंगल का आठवें भाव में मौजूद नहीं होना चाहिए।
विवाह लग्न से सातवें भाव में कोई भी ग्रह मौजूद नहीं होना चाहिए।
विवाह लग्न पाप कर्तरी दोष से युक्त नहीं होना चाहिए अर्थात विवाह लग्न के दूसरे और बारहवें भाव में कोई पापी ग्रह स्थित नहीं होना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह के शुभ योग के लिए नौ ग्रहों में बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का अनुकूल स्थिति में होना बेहद जरूरी होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब बृहस्पति, शुक्र व सूर्य ग्रह अस्त होते हैं तो इस दौरान विवाहित और अन्य मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। ऐसे में, इस दौरान कोई भी विवाह समारोह नहीं किया जाता है। जबकि विवाह के लिए रवि-गुरु की युति बेहद शुभ फलदायी मानी जाती है। इन ग्रहों की शुभता को शादी के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार भद्रा, चातुर्मास और होलाष्टक के दौरान विवाह करना वर्जित माना जाता है। चातुर्मास चार महीने तक चलता है, जो आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी तक समाप्त होता है। सनातन धर्म में इन चार महीने को जप-तप, ध्यान, पूजा-पाठ के लिए अच्छा बताया गया है। हालांकि, इन 4 महीनों के दौरान विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य को करने में रोक होती है। वहीं होलाष्टक के दौरान भी शादियां नहीं होती हैं। होलाष्टक आठ दिनों तक चलता है और इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। यह फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन पूर्णिमा पर समाप्त होती है।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।