सूर्य ग्रहण 2024 (Surya Grahan 2024) की घटना के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करने हेतु एस्ट्रोसेज द्वारा यह विशेष लेख हमने केवल आपके लिए तैयार किया है, जिसके अंतर्गत आपको वर्ष 2024 में होने वाले सभी सूर्य ग्रहण के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त होगी। आपको यह भी ज्ञात होगा कि सूर्य ग्रहण में किस तिथि, किस दिन, किस दिनांक को कितने बजे से कितने बजे तक लगेगा। इसके साथ ही, आप यह भी जान पाएंगे कि वर्ष 2024 में कुल कितने सूर्य ग्रहण दिखाई देंगे, उनकी दृश्यता विश्व में कहां-कहां पर रहेगी, वे पूर्ण सूर्य ग्रहण होंगे अथवा आंशिक सूर्य ग्रहण होंगे, सूर्य ग्रहण का सूतक काल कब लगेगा तथा सूर्य ग्रहण का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या होगा। साथ ही ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी आपको यह जानने को मिलेगा कि सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव हो सकता है।
सूर्य ग्रहण से संबंधित अन्य मुख्य बातें भी आपको इस लेख में जानने को मिलेंगी जिसे एस्ट्रोसेज के जाने-माने ज्योतिषी डॉ मृगांक शर्मा ने तैयार किया है। यदि आप सूर्य ग्रहण 2024 (Surya Grahan 2024) के बारे में जानने को उत्सुक हैं और उससे संबंधित कोई भी जानकारी एक ही जगह पर एक ही समय में पूर्ण रूप से प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें।
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सूर्य ग्रहण आकाश मंडल में होने वाली एक विशेष घटना है जिसे खगोलीय घटना के रूप में जाना जाता है। यह आकाश मंडल में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति के कारण लगते हैं। जैसा कि हम सभी को यह विदित ही है कि सूर्य का चक्कर हमारी पृथ्वी लगातार लगाती रहती है और उसके साथ ही वह अपने अक्ष पर भी घूमती है तथा पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है। कई बार इनकी गतियों के कारण आकाश मंडल में कुछ विशेष परिस्थितियां जन्म लेने लगती हैं। सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी और चंद्रमा प्रकाशित होते हैं। कई बार ऐसी स्थिति जन्म लेती है कि जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीध में आ जाते हैं और उस परिस्थिति में सूर्य का प्रकाश सीधे पृथ्वी पर नहीं पड़ता है क्योंकि पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है और ऐसे में सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पड़ता है तथा चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर कुछ समय के लिए सूर्य के प्रकाश को बाधित कर देती है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से दिखाई देना बंद हो जाता है और दिन में अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा का संरेखण ही सूर्य ग्रहण का कारण होता है। इस सूर्य ग्रहण की स्थिति में पृथ्वी से देखने पर सूर्य काला प्रतीत होता है क्योंकि सूर्य पर चंद्रमा की छाया दिखाई देती है, यही अवस्था सूर्य ग्रहण कहलाती है।
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सूर्य ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है। इसको हिंदू धर्म में विशेष रूप से मान्यता प्रदान की गई है। वैसे तो यह खगोलीय घटना है लेकिन इसका ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व भी है तथा धार्मिक रूप से भी इसे महत्वपूर्ण घटना ही माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है इसलिए जब कभी भी सूर्य ग्रहण की घटना होती है, तब पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों पर इसका कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है। आपने अक्सर देखा होगा कि सूर्य ग्रहण की अवधि के दौरान पृथ्वी पर जो पशु पक्षी रहते हैं, वे कुछ समय के लिए विचित्र व्यवहार करने लगते हैं और कुछ हैरान हो जाते हैं। इस घटना के दौरान प्रकृति में कुछ अलग सा वातावरण प्रतीत होने लगता है। यदि सूर्य ग्रहण की बात करें तो यह घटना जब आकाश मंडल में होती है तो देखने में बहुत ही अद्भुत नजारा प्रस्तुत करती है और बहुत सुंदर दिखती है। यही वजह है कि दुनिया भर के लोग सूर्य ग्रहण को देखने और उसकी तस्वीरें खींचने की कोशिश करते हैं।
हालांकि हम आपको यही सलाह देंगे कि कभी भी सूर्य ग्रहण को अपनी नग्न आंखों से न देखें क्योंकि ऐसा करना आपकी आंखों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है और इससे आपकी आंखों की रोशनी तक जा सकती है। यदि आप सूर्य ग्रहण के नजारे को अपनी आंखों से देखना ही चाहते हैं तो सेफ्टी गियर और फिल्टर आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं और ऐसा करके आप सूर्य ग्रहण 2024 (Surya Grahan 2024) को न केवल देख सकते हैं बल्कि इसके चित्र भी खींच सकते हैं और इसका वीडियो भी बना सकते हैं।
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अब यदि सूर्य ग्रहण के धार्मिक महत्व की बात की जाए तो सूर्य ग्रहण की घटना को शुभ घटना के रूप में नहीं गिना जाता है क्योंकि यह वह समय होता है, जब जगत की आत्मा कहे जाने वाले सूर्य ग्रह के ऊपर राहु का प्रभाव बढ़ने लगता है और सूरज ग्रसित हो जाता है और दिन में भी रात जैसी स्थिति दिखाई देने लगती है। इसी कौतूहल के कारण पक्षी भी अपने घरों में वापस लौट जाते हैं। इस दौरान प्रकृति में अजीब सा सन्नाटा और अजीब सी शांति का एहसास होने लगता है तथा प्रकृति और उससे जुड़े विभिन्न प्रकार के नियम प्रभावित भी होने लगते हैं। धार्मिक रूप से सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है जो अपनी ऊर्जा से संपूर्ण जगत का पालन करते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य को व्यक्ति की आत्मा, पिता, इच्छा शक्ति, उपलब्धियां, आशाएं, राजा, राजनीति, शासन का कारक माना गया है। सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य पीड़ित अवस्था में आ जाते हैं और सूर्य ग्रहण जिस राशि और जिस नक्षत्र में लगता है तो उस राशि और नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों और उनसे संबंधित देशों के लिए विशेष रूप से उसका प्रभाव परिलक्षित होता है। हालांकि कभी भी यह नहीं मानना चाहिए कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सदैव नकारात्मक ही होगा बल्कि इस समय पर कुछ लोगों के लिए इसका प्रभाव शुभकारी भी हो सकता है। आप इस लेख में आगे जानेंगे कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव आपके लिए कैसा रहेगा।
जब भी प्रकृति में सूर्य ग्रहण की घटना होती है तो यह सदैव हमारे लिए नई उत्सुकता लेकर आती है क्योंकि मीडिया से लेकर हर जगह इसी की चर्चा होती है और हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि सूर्य ग्रहण की घटना जो अब होने वाली है, वह किस रूप में हमारे सामने आएगी। सूर्य ग्रहण कई प्रकार का हो सकता है तो आज इस लेख में हम आपको प्रत्येक सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं। इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आपको सूर्य ग्रहण से संबंधित सभी जानकारी पूरी तरह से मिल सके। चलिए अब जानते हैं कि कितने तरह के होते हैं सूर्य ग्रहण:
सूर्य ग्रहण कैसे लगता है, यह तो हम पहले ही जान चुके हैं। अब आइए जानते हैं की पूर्ण सूर्य ग्रहण क्या होता है, यह वह स्थिति होती है कि जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है और वह इतनी दूरी पर होता है कि सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पूरी तरह से पृथ्वी पर जाने से रोक लेता है और चंद्रमा की पूर्ण छाया पृथ्वी पर पड़ती है जिससे लगभग अंधेरा सा हो जाता है और इस दौरान सूर्य पूर्ण रूप से दिखाई देना बंद हो जाता है। इसी घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इसे खग्रास सूर्यग्रहण भी कहते हैं। इसका प्रभाव सबसे अधिक माना जाता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण के अतिरिक्त कभी-कभी ऐसी स्थिति पर होती है कि जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी इतनी होती है कि चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर जाने से पूर्ण रूप से नहीं रोक पाता है और इस वजह से चंद्रमा का कुछ ही साया पृथ्वी पर पड़ता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण रूप से काला या अदृश्य नहीं होता बल्कि उसका कुछ भाग दिखाई देता है। इस अवस्था को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यही खंड ग्रास सूर्यग्रहण भी कहलाता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण और आंशिक सूर्य ग्रहण के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का सूर्य ग्रहण भी देखने में आता है। जब सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हुए पृथ्वी और पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हुए चंद्रमा इस प्रकार की स्थिति में आते हैं कि पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा सूर्य के बीचो-बीच दिखाई देता है यानी कि पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया ऐसी पड़ती है कि वहां से देखने पर सूर्य बीच में से काला और बाकी सभी ओर से चमकदार दिखाई देता है। यह एक अंगूठी या कंगन की तरह नजर आता है। इस स्थिति को कंकणाकृति सूर्यग्रहण कहते हैं। उनके बीच की दूरी इसका मुख्य कारण बनती है। दूसरे शब्दों में इसी सूर्य ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है। इसकी खास बात यह है कि यह स्थिति बहुत कम समय के लिए ही होती है।
मुख्य रूप से उपरोक्त तीन प्रकार के सूर्य ग्रहण ही दिखाई देते हैं लेकिन कभी-कभी कुछ दुर्लभ भी होता है, जी हां! उपरोक्त तीनों प्रकार के सूर्य ग्रहण के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का सूर्य ग्रहण भी दुर्लभ स्थिति में दिखाई देता है, इसको हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यूं कहें कि लगभग सभी सूर्य ग्रहण में से मात्र पांच प्रतिशत अवस्था में हाइब्रिड सूर्य ग्रहण की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस प्रकार के सूर्य ग्रहण में शुरुआत में तो यह वलयाकार सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देता है फिर धीरे-धीरे पूर्ण सूर्य ग्रहण हो जाता है और उसके बाद फिर से धीरे-धीरे वलयाकार स्थिति दिखाई देने लगती है। यही हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहलाता है और बहुत कम दिखता है।
अभी तक हमने सूर्य ग्रहण के बारे में बहुत कुछ जान लिया है कि वास्तव में सूर्य ग्रहण क्या होता है, यह कैसे दिखता है और यह कितने प्रकार का होता है। अब हम बात करते हैं वर्ष 2024 में कुल कितने और कैसे सूर्य ग्रहण दिखाई देंगे। वे किस तिथि को, किस दिन को, कितने बजे से और कहां-कहां पर दृश्यमान होंगे। यदि हम सूर्य ग्रहण 2024 (Surya Grahan 2024) की बात करते हैं तो इस वर्ष कुल दो सूर्य ग्रहण दिखाई देने वाले हैं जिनमें से पहला ग्रहण खग्रास सूर्य ग्रहण यानी की पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और दूसरा सूर्य ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण या वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। आइए अब उनके बारे में विस्तार से जानते हैं:-
पहला सूर्य ग्रहण 2024 - खग्रास सूर्यग्रहण | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक |
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) |
सूर्य ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
चैत्र मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि |
सोमवार 8 अप्रैल 2024 |
रात्रि 21:12 बजे से |
रात्रि 26:22 तक (9 अप्रैल 2024 की सुबह 02:22 बजे तक) |
पश्चिमी यूरोप पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक मेक्सिको, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में, आयरलैंड (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट: यदि ग्रहण 2024 (Grahan 2024) की बात करें तो उपरोक्त तालिका में दिया गया सूर्य ग्रहण का समय भारतीय मानक समय है। यह वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण होगा जो की खग्रास यानी कि पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा लेकिन भारत में दृश्यमान न होने के कारण इसका भारत में कोई भी धार्मिक प्रभाव नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल प्रभावी माना जाएगा। इस प्रकार सभी लोग अपनी सभी गतिविधियां सुचारू रूप से जारी रख सकते हैं।
वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण सोमवार, 8 अप्रैल 2024 की रात 09 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगा और मंगलवार 9 अप्रैल 2024 की मध्यरात्रि 02 बजकर 22 मिनट तक लगेगा। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण यानी कि खग्रास सूर्य ग्रहण होगा। यह मीन राशि और रेवती नक्षत्र के अंतर्गत आकार लेगा। मीन देवगुरु बृहस्पति की राशि है जो कि सूर्य की मित्र राशि है। इस दिन सूर्य के साथ चंद्रमा, शुक्र और राहु एक साथ स्थित होंगे। चंद्रमा से द्वादश भाव में शनि और मंगल स्थित होंगे तथा बुध और बृहस्पति द्वितीय भाव में स्थित होंगे। विशेष रूप से रेवती नक्षत्र और मीन राशि में जन्म लेने वाले व्यक्तियों और इनसे संबंधित राष्ट्रों यानी कि देशों के लिए यह सूर्य ग्रहण सर्वाधिक प्रभावशाली रहने वाला है।
साल का पहला खग्रास सूर्य ग्रहण चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को सोमवार के दिन लगने वाले इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव से विश्व पटल पर बड़े-बड़े नेताओं को उनके व्यवहार के कारण गंभीर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ेगा। उनके काम करने के तौर तरीके बार-बार लोगों के द्वारा तोले जाएंगे और उन पर आरोप लगेंगे। कुछ गुस्से की प्रवृत्ति रखने वाले राजनेताओं के कारण देश के बीच अशांति का माहौल बन सकता है, जो अत्यधिक अभिमानी होंगे, वह किसी भी हद तक जाने को तैयार देखेंगे, जिससे विश्व पटल पर अशांति का माहौल बढ़ सकता है। किसी विशेष महिला राजनेता पर भी कुछ आरोप लग सकते हैं। वह दुर्भावना का शिकार हो सकती हैं। वर्तमान में सत्ता पर बैठे पदाधिकारियों को परिस्थितियों को संभालने में समस्या का सामना करना पड़ेगा। इस ग्रहण के प्रभाव से विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां, यूनानी दवाईयां, सोना, व्यावसायिक वस्तुएँ, हर्बल पदार्थ महंगे हो जाएंगे।
इसके अतिरिक्त उड़द, मूंग, तेल, घी, तिल, अफीम, आदि तथा काले रंग की वस्तुओं का स्टॉक रखने वालों को लाभ होगा। विद्वान लोग और सैनिकों को कष्ट हो सकते हैं। वित्तीय अपराधों की संख्या बढ़ेगी और बैंकों में धोखाधड़ी के कार्य बढ़ेंगे और आर्थिक अपराध चरम पर होंगे। इसके कारण वर्षा में भी कमी हो सकती है और कुछ स्थानों पर अन्न का भंडार नष्ट होकर अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे भूखे की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। इस सूर्य ग्रहण के कारण किसानों को समस्या हो सकती है तथा समुद्री उत्पादों के उत्पादन पर भी कमी का प्रभाव रहेगा।
यदि ज्योतिष के आधार पर इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव की बात की जाए तो मेष राशि के जातकों को आर्थिक मामलों में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। वृषभ राशि के जातकों को धन लाभ होगा और आपकी योजनाएं सफल होंगी। मिथुन राशि के जातकों को स्वास्थ्य समस्याओं और परेशानियों के विरुद्ध स्वयं को मजबूत बनाने का प्रयास करना होगा। कर्क राशि के जातक मानसिक तनाव महसूस करेंगे जबकि सिंह राशि के जातकों को विभिन्न प्रकार के लाभ होंगे, जिससे उन्हें सुख की प्राप्ति होगी। कन्या राशि के जातकों के वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ सकता है और व्यापार में उतार-चढ़ाव की स्थिति आ सकती है। तुला राशि के जातकों को शारीरिक समस्याएं परेशान कर सकती हैं। वृश्चिक राशि के जातक कार्य क्षेत्र में सावधानी से काम करें, किसी से कहा सुनी होने और अपमान होने की स्थिति बन सकती है। धनु राशि के जातकों के कार्यों में सफलता का योग बनेगा। मकर राशि के जातक विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त करके प्रसन्न होंगे और कुंभ राशि के जातकों को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मीन राशि के जातकों को मानसिक और शारीरिक समस्याओं के प्रति सचेत रहना चाहिए।
दूसरा सूर्य ग्रहण 2024 - कंकणाकृति सूर्यग्रहण | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक |
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) |
सूर्य ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या |
बुधवार 2 अक्टूबर, 2024 |
रात्रि 21:13 बजे से |
मध्यरात्रि उपरांत 27:17 बजे तक (3 अक्टूबर की प्रातः 03:17 बजे तक) |
दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भागों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक, चिली, पेरू, होनोलूलू, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स, बेका आइलैंड, फ्रेंच पॉलिनेशिया महासागर, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण भाग फिजी, न्यू चिली, ब्राजील, मेक्सिको, पेरू (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट: यदि ग्रहण 2024 (Grahan 2024) के अनुसार देखें तो उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समय के अनुसार है। यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दृश्यमान नहीं होगा और यही वजह है कि भारत में इस सूर्य ग्रहण का कोई भी धार्मिक प्रभाव अथवा सूतक काल प्रभावित नहीं माना जाएगा और सभी लोग अपने काम विधिवत् रूप से संपादित कर सकते हैं।
यह वर्ष 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा जो कि कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा। यह बुधवार 2 अक्टूबर की रात 09 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा और गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 की सुबह 03 बजकर 17 मिनट तक लगेगा। यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगेगा। इस दिन सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध और केतु स्थित होंगे। उन पर देवगुरु बृहस्पति और मंगल महाराज की पूर्ण दृष्टि होगी। सूर्य से द्वितीय भाव में शुक्र तथा षष्ठ भाव में वक्री शनि विराजमान रहेंगे। यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में जन्मे जातकों और देशों के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली साबित होने वाला है।
वर्ष 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण बुधवार 2 अक्टूबर 2024 को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा। इस ग्रहण के प्रभाव से फसलों को कष्ट हो सकता है। विशेष रूप से चावल की फसल खराब हो सकती है। हालांकि अच्छी बात यह है कि ग्रहण पर देवगुरु बृहस्पति की दृष्टि होने की वजह से कुछ अच्छे फल भी प्राप्त होंगे। विश्व में कुशलता आएगी और सुभिक्ष की स्थिति रहेगी। भले ही अति वर्षा से कृषि उपज की हानि हो, इसके बावजूद भी धान्यों के मूल्य में गिरावट आ सकती है। सोना, सुपारी, मजीद, ज्वार, बाजरा, लवंग, अफीम, कपास, चना और लाल रंग के वस्त्रों के स्टॉक से लाभ होगा। सूत, घी, तेल, चना, चावल, पीतल, सोना, चावल, मूंग, आदि वस्तुओं में तेजी की स्थिति बनेगी। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण के प्रभाव से विशेष रूप से वे लोग, जो किसी लकड़ी या फर्नीचर का काम करते हैं यानी फर्नीचर के निर्माता या उसका व्यापार करने वाले, चिकित्सकों और शिल्पकारों के लिए इसकी स्थिति विशेष रूप से प्रभावशाली रहेगी। समाज में असामाजिक तत्वों विशेषकर तस्करों और चोरों का उपद्रव बढ़ सकता है। विभिन्न देशों की सरकारें, उनके शासन और उनके द्वारा जनता अनीतियों के कारण पीड़ित हो सकते हैं। महामारी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न देशों के मध्य सत्ता का संघर्ष और युद्ध की विभीषिका जैसी स्थितियों के कारण उच्च पदासीन शासकों को बहुत ही विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
यदि ज्योतिष के अनुसार, विभिन्न राशियों पर पड़ने वाले इस कंकणाकृति सूर्य ग्रहण के प्रभाव की बात की जाए तो मेष राशि के जातकों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जबकि वृषभ राशि के जातकों अपने स्वाभिमान से समझौता करने की स्थिति बन सकती है। मिथुन राशि के जातकों को सभी कार्यों में सफलता के योग बनेंगे और कर्क राशि के जातकों को विभिन्न प्रकार के लाभ मिलेंगे। सिंह राशि के जातक आर्थिक हानि उठा सकते हैं। कन्या राशि के जातकों को शारीरिक समस्याएं और चोट आदि की स्थिति बन सकती है। तुला राशि के जातकों को विभिन्न मामलों में हानि की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। वृश्चिक राशि के जातकों को धन लाभ होगा और आमदनी में बढ़ोतरी होगी। धनु राशि के जातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मकर राशि के जातक मानसिक चिंताओं से ग्रसित रहेंगे जबकि कुंभ राशि के जातकों को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। मीन राशि के जातकों को पारिवारिक जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और व्यवसाय में उतार-चढ़ाव आएंगे।
अभी तक हमने सूर्य ग्रहण 2024 के बारे में बहुत कुछ जान लिया है लेकिन अब एक और सबसे महत्वपूर्ण बात करते हैं, वह है सूर्य ग्रहण का सूतक काल। सूतक काल वह समय होता है कि जिस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के लिए सूतक काल सूर्य ग्रहण के स्पर्श के समय से लगभग चार प्रहर पूर्व शुरू हो जाता है यानी कि सूर्य ग्रहण के शुरू होने से लगभग बारह घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है और यह ग्रहण के मोक्ष काल यानी कि ग्रहण की समाप्ति के साथ ही समाप्त होता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि सूतक काल की अवधि से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उस कार्य में शुभता समाप्त हो जाती है। हालांकि जिन स्थानों पर सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देता है, वहां पर सूर्य ग्रहण का कोई भी सूतक काल मान्य नहीं होता है और वहां के निवासी अपने सभी कार्य पूर्व की भांति संपादित कर सकते हैं।
अब हम आपको कुछ ऐसी विशेष बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका सूर्य ग्रहण 2024 (Surya Grahan 2024) की अवधि में विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है और यदि आप इन सभी बातों पर ध्यान देते हैं और इनका पालन करते हैं तो आप सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभावों से खुद को बचा सकते हैं। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ ऐसे विशेष कार्य करने से आपको लाभ भी हो सकता है, तो आईए जानते हैं क्या हैं वे सभी विशेष बातें जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:
सूर्य ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से प्रभावित कर सकता है इसलिए हम आपको वे कुछ विशेष बातें बता रहे हैं जिनका ध्यान गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के सूतक काल के प्रारंभ होने से लेकर सूतक काल की समाप्ति तक यानी कि सूर्य ग्रहण के समाप्त होने तक विशेष रूप से रखना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण का गर्भवती महिलाओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है और उनके गर्भ में पल रही संतान पर भी इसका प्रभाव दृष्टिगोचर हो सकता है:
उपरोक्त ऐसे कार्य जो आपको ग्रहण के सूतक काल में नहीं करने चाहिए। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे कार्य भी हैं जो विशेष रूप से आपको सूर्य ग्रहण के सूतक काल में करने चाहिए। ऐसा करने से आपको विशेष शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे विशेष कार्य, जो आपको सूर्य ग्रहण 2024 (Surya Grahan 2024) के सूतक काल में करने चाहिए:
हम आशा करते हैं कि सूर्य ग्रहण 2024 (Surya Grahan 2024) के बारे में दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे और यह आपके बहुत काम की जानकारी साबित होगी।
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