सिख त्योहार 2024 के माध्यम से हम आपको आने वाले सिख धर्म के प्रमुख त्योहारों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। एस्ट्रोसेज द्वारा यह विशेष लेख सिख धर्म को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है जिसकी मदद से आप 2024 में आने वाले त्योहारों को लेकर पहले ही सारी तैयारी कर लें। तो आइये बिना देर किये शुरुआत करते हैं सिख त्योहार 2024 लेख की और सबसे पहले नज़र डालते हैं 2024 में पड़ने वाले सिख त्योहारों की सूची पर।
Read in English: Sikh Holidays 2024
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2025 के सिख त्योहार को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: सिख त्योहार 2025
तिथि और दिन |
त्योहार |
13 जनवरी, शनिवार |
माघी लोहड़ी |
17 जनवरी, बुधवार |
गुरु गोबिंद सिंह जी जयंती |
22 फरवरी, गुरुवार |
गुरु हर राय जयंती |
24 फरवरी, शनिवार |
गुरु रविदास जयंती |
23 मार्च, शनिवार |
शहीद भगत सिंह शहादत दिवस |
07 अप्रैल, रविवार |
गुरु हर राय गुरयाई |
09 अप्रैल, मंगलवार |
गुरु अमरदास गुरयाई |
13 अप्रैल, शनिवार |
गुरु हरगोबिंद सिंह ज्योति जोत |
13 अप्रैल, शनिवार |
बैसाखी या सिख नव वर्ष |
18 अप्रैल, गुरुवार |
गुरु अंगद देव ज्योति जोत |
22 अप्रैल, सोमवार |
गुरु हरकिशन सिंह ज्योति जोत, गुरु तेग बहादुर गुरयाई |
29 अप्रैल, सोमवार |
गुरु तेग बहादुर जयंती |
30 अप्रैल, मंगलवार |
गुरु अर्जुन देव जयंती |
14 अप्रैल, शुक्रवार |
बैसाखी या सिख नव वर्ष |
22 मई, बुधवार |
गुरु अमर दास जयंती |
31 मई, शुक्रवार |
गुरु हरगोबिंद सिंह गुरयाई |
16 जून, रविवार |
गुरु अर्जुन देव ज्योति जोत |
22 जून, शनिवार |
गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती |
29 जून, शनिवार |
गुरु हरकिशन सिंह जयंती |
04 सितंबर, बुधवार |
गुरु ग्रंथ साहिब जयंती |
05 सितंबर, गुरुवार |
गुरु अर्जुन देव गुरयाई |
06 सितंबर, शुक्रवार |
गुरु रामदास ज्योति जोत |
16 सितंबर, सोमवार |
गुरु रामदास गुरयाई |
18 सितंबर, बुधवार |
गुरु अमर दास ज्योति जोत |
22 सितंबर, रविवार |
गुरु अंगद देव गुरयाई |
27 सितंबर, शुक्रवार |
गुरु नानक देव ज्योति जोत |
19 अक्टूबर, शनिवार |
गुरु राम दास जयंती |
25 अक्टूबर, शुक्रवार |
गुरु हरकिशन सिंह गुरयाई, गुरु हर राय ज्योति जोत |
03 नवंबर, रविवार |
गुरु ग्रंथ साहिब गुरयाई |
06 नवंबर, बुधवार |
गुरु गोबिंद सिंह ज्योति जोत |
15 नवंबर, शुक्रवार |
गुरु नानक देव जयंती |
04 दिसंबर, बुधवार |
गुरु गोबिंद सिंह गुरयाई |
06 दिसंबर, शुक्रवार |
गुरु तेग बहादुर ज्योति जोत |
नोट:सिख त्योहार 2024 से संबंधित ऊपर लिखी हुई तिथियों में बदलाव हो सकता है। यदि किसी तिथि में बदलाव होता है तो हम आपको अपडेट रखेंगे।
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भारत में सिख धर्म प्रमुख धर्मों में से एक पांचवां सबसे बड़ा धर्म है, जिसके दुनिया भर में लगभग 27 मिलियन से ज़्यादा अनुयायी हैं। पंजाबी भाषा में 'सिख' शब्द का अर्थ 'शिष्य' होता है। इस धर्म की नींव गुरु नानक देव जी की बुराइयां, भेदभाव, जातिवाद आदि को देखकर की थी। सिख धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है, जिसकी उत्पत्ति 15 वीं शताब्दी के अंत में भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पंजाब क्षेत्र में हुई थी। बता दें एकेश्वरवादी धर्म का अर्थ है एक ईश्वर में विश्वास करना और उनकी ही पूजा करना। इस धर्म को ‘सिखमत’ और ‘सिखी’ भी कहा जाता है। सिख धर्म के लोग मानते हैं कि भगवान के सामने सभी लोग एक समान होते हैं। सिख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब है। इसे केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि सिख धर्म का आख़िरी और जीवित गुरु भी माना जाता है। दरअसल दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने वर्ष 1708 में अपनी मृत्यु से पहले घोषणा कर दी थी कि उनके बाद कोई व्यक्ति गुरु नहीं होगा और गुरु ग्रंथ साहिब अंतिम गुरु होंगे। इसे आदि ग्रंथ के रूप में भी माना जाता है। यह सूक्तियों, दोहों, शब्दों और लेखों का एक संग्रह है।
सिख धर्म के गुरुओं की बात करें तो सिख धर्म के दस प्रमुख गुरु हैं, जिन्होंने इस धर्म को और भी ज्यादा मजबूत बनाया। यह दस गुरु हैं- गुरु नानक देव जी (1469-1539), गुरु अंगद (1539-1552), गुरु अमरदास (1552-1574), गुरु रामदास (1574-1581), गुरु अर्जुन (1581-1606), गुरु हरगोविन्द (1606-1645), गुरु हरराय (1645-1661), गुरु हरकिशन (1661-1664), गुरु तेग बहादुर (1664-1675), गुरु गोविन्द सिंह (1675-1708)।
सिख धर्म के लिए लोहड़ी का उत्सव खास मायने रखता है। मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के आसपास की जगहों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी वाले दिन शाम को आग जलाकर लोग उस आग की परिक्रमा करते हैं। घर परिवार के सभी लोग आग के चारों ओर नाचते गाते झूमते हैं और आग में मूंगफली रेवड़ी ,खील ,मक्के के दाने आदि की आहुति देते हैं। इसके बाद प्रसाद के रूप में गज्जक ,रेवड़ी, मक्के आदि सबको वितरीत किया जाता है। पंजाब में लोहड़ी का त्योहार नव नवेली वधु या बच्चों के लिए ख़ास महत्व रखता है क्योंकि उनके लिए यह त्योहार बहुत विशेष होता है।
बैसाखी के त्योहार को वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसे वैसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है। हर साल बैसाखी का त्योहार 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। साल 2024 में यह त्योहार 13 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस त्योहार को पंजाब और हरियाणा में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बैसाखी के कई अलग-अलग नाम हैं। इसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु कहते हैं। बैसाखी के दिन सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं।
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कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री गुरु नानक जी का जन्मदिन भी मनाया जाता है और इस दिन को सिख समुदाय गुरु नानक जयंती के रूप में मनाते हैं। यह सिखों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार होता है। गुरु नानक देव ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी और जात-पात का विरोध किया। इसके साथ ही वे रूढ़िवादिता और अंधविश्वास के विरोध में थे। उन्होंने अपने समय में लंगर की शुरुआत की। ताकि छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब सब एक साथ बैठकर भोजन कर सकें। ये सिख धर्म के पहले गुरु थे और इन्होंने ही ‘इक ओंकार’ का संदेश दिया, जिसका अर्थ है ‘ईश्वर एक है’।
गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु थे, जिनका जन्म पटना के साहिब बिहार में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और यह सिख धर्म के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में एक मानी जाती है। गुरु गोबिंद सिंह ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए बिता दिया। इनकी शिक्षाएं आज भी लोगों का मार्गदर्शन करती है।
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