अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) का यह विशेष लेख हमारे पाठकों को वर्ष 2024 में अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा ताकि आप अपने शिशु का अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त में कर सकें। जैसे कि हम जानते हैं कि सनातन धर्म में वर्णित 16 संस्कार को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और उन्हीं में से एक है अन्नप्राशन संस्कार। साथ ही, इस लेख में हम आपको अन्नप्राशन संस्कार के अर्थ, महत्व, नियम और सावधानियों आदि से भी अवगत कराएंगे। तो आइये बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की और जानते हैं अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 की तिथि और मुहूर्त के बारे में।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
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2025 के अन्नप्राशन मुहूर्त को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: अन्नप्राशन मुहूर्त 2025
तिथि |
मुहूर्त |
03 जनवरी 2024, बुधवार |
सुबह 07:45 से 10:17 तक |
सुबह 11:45 से शाम 16:41 तक |
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शाम 18:55 से रात 21:16 तक |
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12 जनवरी 2024, शुक्रवार |
शाम 18:20 से रात 22:57 तक |
15 जनवरी 2024,सोमवार |
सुबह 07:46 से 09:30 तक |
17 जनवरी 2024, बुधवार |
सुबह 07:46 से दोपहर 12:15 तक |
दोपहर 13:50 से रात 20:21 तक |
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25 जनवरी 2024,बृहस्पतिवार |
दोपहर 13:19 से शाम 19:49 तक |
31 जनवरी 2024, बुधवार |
सुबह 07:41 से 08:27 तक |
सुबह 09:55 से दोपहर 12:55 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
02 फरवरी 2024, शुक्रवार |
सुबह 07:40 से 09:47 तक |
सुबह 11:12 से शाम 16:57 तक |
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08 फरवरी 2024, बृहस्पतिवार |
सुबह 07:56 से दोपहर 12:24 तक |
12 फरवरी 2024, सोमवार |
शाम 16:18 से शाम 18:38 तक |
14 फरवरी 2024, बुधवार |
सुबह 07:32 से 10:25 तक |
19 फरवरी 2024,सोमवार |
सुबह 07:28 से 08:40 तक |
21 फरवरी 2024, बुधवार |
दोपहर 13:28 से शाम 18:03 तक |
रात 20:20 से 22:37 तक |
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22 फरवरी 2024, गुरुवार |
सुबह 07:25 से 09:53 तक |
सुबह 11:28 से दोपहर 15:39 तक |
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26 फरवरी 2024, सोमवार |
सुबह 07:21 से दोपहर 13:08 तक |
दोपहर 15:23 से रात 22:17 तक |
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29 फरवरी 2024, गुरुवार |
सुबह 07:18 से 08:01 तक |
सुबह 09:26 से दोपहर 15:11 तक |
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शाम 17:31 से रात 22:05 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
08 मार्च 2024,शुक्रवार |
सुबह 07:29 से दोपहर 12:25 तक |
दोपहर 14:40 से 21:34 तक |
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11 मार्च 2024,सोमवार |
दोपहर 12:13 से शाम 16:48 तक |
शाम 19:06 से रात 23:32 तक |
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27 मार्च 2024, बुधवार |
सुबह 07:40 से दोपहर 13:25 तक |
दोपहर 15:45 से 22:38 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
12 अप्रैल 2024, शुक्रवार |
दोपहर 14:42 से शाम 19:16 तक |
रात 21:36 से 23:54 तक |
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15 अप्रैल 2024, सोमवार |
सुबह 06:26 से दोपहर 12:10 तक |
26 अप्रैल 2024, शुक्रवार |
सुबह 07:17 से दोपहर 13:47 तक |
शाम 16:05 से रात 20:40 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
03 मई 2024, शुक्रवार |
सुबह 06:49 से 11:00 तक |
06 मई 2024, सोमवार |
सुबह 06:38 से दोपहर 13:08 तक |
09 मई 2024, गुरुवार |
दोपहर 12:56 से शाम 17:30 तक |
शाम 19:49 से रात 22:08 तक |
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10 मई 2024, शुक्रवार |
सुबह 06:22 से 08:17 तक |
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सुबह 10:32 से शाम 17:26 तक |
शाम 19:45 से रात 22:04 तक |
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20 मई 2024, सोमवार |
रात 21:25 से 23:29 तक |
23 मई 2024, गुरुवार |
दोपहर 14:19 से रात 21:13 तक |
27 मई 2024, सोमवार |
शाम 18:39 से रात 23:01 तक |
30 मई 2024, गुरुवार |
सुबह 06:59 से 09:13 तक |
सुबह 11:34 से दोपहर 13:51 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
10 जून 2024, सोमवार |
शाम 17:44 से रात 20:02 तक |
19 जून 2024, बुधवार |
रात 21:31 से 23:13 तक |
20 जून 2024, गुरुवार |
सुबह 05:55 से 10:11 तक |
24 जून 2024, सोमवार |
सुबह 07:35 से दोपहर 14:29 तक |
26 जून 2024,बुधवार |
सुबह 09:48 से शाम 16:41 तक |
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शाम 18:59 से रात 22:45 तक |
28 जून 2024, शुक्रवार |
सुबह 11:57 से शाम 18:51 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
03 जुलाई 2024, बुधवार |
सुबह 07:40 से दोपहर 13:54 तक |
शाम 16:13 से रात 22:18 तक |
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12 जुलाई 2024, शुक्रवार |
दोपहर 15:38 से रात 21:43 तक |
15 जुलाई 2024, सोमवार |
रात 21:31 से 22:58 तक |
22 जुलाई 2024, सोमवार |
दोपहर 14:58 से रात 21:03 तक |
25 जुलाई 2024, गुरुवार |
शाम 19:09 से रात 22:19 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
02 अगस्त 2024, शुक्रवार |
सुबह 11:56 से दोपहर 14:15 तक |
07 अगस्त 2024, बुधवार |
रात 21:28 से 22:36 तक |
09 अगस्त 2024, शुक्रवार |
सुबह 06:55 से 11:28 तक |
दोपहर 13:48 से शाम 19:52 तक |
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रात 21:20 से 22:45 तक |
12 अगस्त 2024, सोमवार |
सुबह 06:43 से 09:00 तक |
14 अगस्त 2024, बुधवार |
सुबह 11:09 से दोपहर 13:28 तक |
19 अगस्त 2024, सोमवार |
दोपहर 15:27 से शाम 19:13 तक |
23 अगस्त 2024, शुक्रवार |
दोपहर 12:53 से 15:11 तक |
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शाम 17:15 से रात 23:25 तक |
28 अगस्त 2024, बुधवार |
सुबह 06:28 से दोपहर 12:33 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
04 सितंबर 2024, बुधवार |
दोपहर 12:05 से शाम 18:10 तक |
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शाम 19:38 से रात 22:38 तक |
05 सितंबर 2024, गुरुवार |
सुबह 07:26 से 09:42 तक |
दोपहर 12:02 से शाम 18:06 तक |
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शाम 19:34 से रात 22:34 तक |
06 सितंबर 2024, शुक्रवार |
सुबह 07:22 से 09:38 तक |
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सुबह 11:58 से शाम 16:20 तक |
16 सितंबर 2024, सोमवार |
सुबह 06:42 से 11:18 तक |
दोपहर 13:37 से 15:41 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
04 अक्टूबर 2024, शुक्रवार |
सुबह 06:47 से 10:08 तक |
दोपहर 12:26 से शाम 17:40 तक |
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शाम 19:05 से रात 22:35 तक |
07 अक्टूबर 2024, सोमवार |
दोपहर 14:18 से शाम 18:53 तक |
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रात 20:28 से 22:24 तक |
17 अक्टूबर 2024, गुरुवार |
सुबह 07:18 से 11:35 तक |
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दोपहर 13:39 से शाम 18:14 तक |
21 अक्टूबर 2024, सोमवार |
शाम 09:01 से दोपहर 15:05 तक |
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शाम 16:33 से दोपहर 23:43 तक |
23 अक्टूबर 2024, बुधवार |
दोपहर 14:58 से शाम 16:25 तक |
शाम 17:50 से रात 23:35 तक |
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30 अक्टूबर 2024, बुधवार |
सुबह 08:25 से दोपहर 14:30 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
04 नवंबर 2024, सोमवार |
सुबह 07:07 से 10:24 तक |
08 नवंबर 2024, शुक्रवार |
सुबह 07:50 से दोपहर 13:55 तक |
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दोपहर 15:22 से रात 20:18 तक |
11 नवंबर 2024, सोमवार |
सुबह 09:57 से दोपहर 12:** तक |
13 नवंबर 2024, बुधवार |
दोपहर 13:35 से शाम 16:27 तक |
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शाम 18:03 से रात 22:13 तक |
14 नवंबर 2024, गुरुवार |
सुबह 07:26 से 11:49 तक |
20 नवंबर 2024, बुधवार |
सुबह 11:25 से शाम 16:00 तक |
25 नवंबर 2024, सोमवार |
सुबह 07:23 से दोपहर 12:48 तक |
28 नवंबर 2024, गुरुवार |
सुबह 08:50 से दोपहर 14:04 तक |
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दोपहर 15:28 से रात 21:14 तक |
29 नवंबर 2024, शुक्रवार |
सुबह 08:46 से 10:50 तक |
तिथि |
मुहूर्त |
05 दिसंबर 2024, गुरुवार |
दोपहर 13:36 से शाम 18:32 तक |
रात 20:46 से 23:07 तक |
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06 दिसंबर 2024, शुक्रवार |
सुबह 07:32 से दोपहर 12:05 तक |
25 दिसंबर 2024, बुधवार |
सुबह 07:43 से 10:50 तक |
यहां हमने आपको साल 2024 में आने वाली अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) की तिथियों के बारे में जानकारी प्रदान की। अब आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं अन्नप्राशन संस्कार के महत्व पर, लेकिन उससे पहले जानेंगे कि क्या होता है अन्नप्राशन संस्कार।
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हर माता-पिता के लिए अपनी संतान के साथ बिताया गया हर पल बेहद ख़ास होता है चाहे वह बच्चे का पहले कदम हो या बच्चे के मुंह से निकला पहला शब्द हों। यह हम सभी जानते हैं कि जब शिशु जन्म लेता है, तो उसे शुरुआती 6 महीने सिर्फ माँ का दूध ही दिया जाता है क्योंकि मां के दूध को बच्चे के लिए पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। लेकिन शिशु को 6 महीने के बाद जब पहली बार ठोस आहार यानी कि ठोस भोजन खिलाया जाता है, तो इसे ही अन्नप्राशन संस्कार के नाम से जाना जाता है।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) के धार्मिक महत्व को जानने से पूर्व हम जानेंगे इसका अर्थ, तो आपको बता दें कि अन्नप्राशन शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से मिलकर हुई है अन्न अर्थात अनाज और प्राशन यानी प्रक्रिया। अन्नप्राशन एक संस्कृत शब्द है जिसका सामान्य तौर पर अर्थ है “अनाज के सेवन का आरंभ करना। सरल शब्दों में कहें तो, अन्नप्राशन संस्कार को संपन्न करने के बाद से शिशु को माँ के दूध के अलावा अन्न, चावल और अन्य खाद्य पदार्थ भी दिए जाते हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो, हम में से अधिकांश लोग जानते होंगे कि हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार संपन्न किये जाते हैं। सनातन धर्म में किये जाने वाले प्रत्येक संस्कार का अपना विशेष महत्व होता है और इन्हीं 16 संस्कारों में से 7वां संस्कार अन्नप्राशन को माना गया है। जब शिशु जन्म लेता है, तो शिशु दूध पर ही निर्भर रहता है। ऐसे में, बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित होने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है। इसी क्रम में, अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) के तहत शुभ तिथि, मुहूर्त आदि को ध्यान में रखते हुए पूरे विधि-विधान से शिशु को पहली बार अन्न खिलाया जाता है इसलिए इस संस्कार को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
धर्म शास्त्रों में अन्नप्राशन के विषय में कहा गया है कि अन्नाशनान्यातृगर्भे मलाशालि शद्धयति जिसका अर्थ है कि शिशु जब माता के गर्भ में होता है तब वह अस्वच्छ भोजन ग्रहण कर लेता है और इस वजह से शिशु में मलिन भोजन का दोष आ जाता है। अन्नप्राशन संस्कार से उस मलिन दोष का नाश हो जाता है।
लेकिन, सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य को शुभ मुहूर्त में और तिथि पर करने का रिवाज़ है क्योंकि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से व्यक्ति को कई गुना फलों की प्राप्ति है इसलिए अन्नप्राशन संस्कार को सदैव शुभ मुहूर्त पर करना चाहिए। अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) के अनुसार, माता-पिता को सुनिश्चित करना चाहिए कि शिशु का अन्नप्राशन पूरे रीति-रिवाज़ों के साथ-साथ शुभ तिथि और मुहूर्त पर हो।
ऊपर हमने आपको 16 संस्कारों के बारे में बताया था जिसके नाम इस प्रकार हैं: गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार,. सीमन्तोन्नयन संस्कार, जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, चूड़ाकर्म संस्कार, विद्यारम्भ संस्कार, कर्णवेध संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, वेदारम्भ संस्कार, केशान्त संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार, अंत्येष्टि संस्कार।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि माता के गर्भ में रहते हुए शिशु मलिन तत्व का सेवन कर लेता है और इसके परिणामस्वरूप दूषित भोजन के निदान में अन्नप्राशन संस्कार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विज्ञान के साथ-साथ वैदिक ज्योतिष में भी अन्नप्राशन संस्कार को एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, 84 लाख योनियों से गुजरने के बाद एक आत्मा को मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है इसलिए मनुष्य योनी से जुड़े हर कर्म को या संस्कार को धार्मिक अनुष्ठानों के साथ किया जाता है। खानपान से संबंधित सभी प्रकार के दोषों का निवारण करने के लिए इस संस्कार को 6 महीने से 1 वर्ष की कम उम्र में किया जा सकता है। हालांकि, अन्नप्राशन संस्कार को अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) के अनुसार ही करना चाहिए।
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अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) की मानें तो, अन्नप्राशन संस्कार कब करें, किन बातों का ध्यान रखें आदि का धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णन किया गया है। हालांकि, आपको बता दें कि अन्नप्राशन संस्कार को उस समय करना चाहिए जब शिशु की आयु 5 से 12 माह हो। बालकों का अन्नप्राशन संस्कार सम महीनों में किया जाता है जब वह 6, 8, 10 या 12 महीने का हो। इसके विपरीत, कन्याओं का अन्नप्राशन विषम महीनों जैसे 5, 7, 9 या 11वें महीने में किया जा सकता है।
हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त देखना पसंद करते हैं। इसी तरह, नए साल में अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) के तहत सबसे शुभ मुहूर्त का निर्धारण करने के लिए शिशु का नक्षत्र भी देखा जाता है। इस प्रकार, शिशु का जन्म नक्षत्र, बालक और कन्याओं का सम-विषम महीने को ध्यान में रखते हुए ही अन्नप्राशन मुहूर्त की गणना की जाती है।
अन्नप्राशन संस्कार को संपन्न करने के लिए सबसे पहले पंडित जी द्वारा माता-पिता को शुभ मुहूर्त बताया जाता है और उस विशेष दिन ही इस संस्कार को किया जाता है। शिशु को नए कपड़े पहनाए जाते हैं और आप चाहे तो बच्चे को पारंपरिक कपड़े भी पहना सकते हैं।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) के अनुसार, इस संस्कार का आरंभ पूजा या हवन से होता है और इस अनुष्ठान में शिशु के अच्छे र स्वास्थ्य की कामना की जाती है। पूजा के बाद शिशु को प्रसाद या ठोस आहार का पहला ग्रास खिलाया जाता है और इस समारोह में शामिल होने के लिए दोस्तों एवं परिवारजनों को आमंत्रित किया जाता है क्योंकि माता-पिता समेत परिवार के लिए यह एक ख़ुशी का उत्सव होता है।
रीति रिवाज़ों की बात करें तो, अन्नप्राशन संस्कार में एक मज़ेदार खेल भी खेला जाता है जो कि इस संस्कार का ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस खेल में केले के पत्ते या एक थाली में 5 वस्तुएं रखी जाती हैं और इन वस्तुओं में से किसी भी एक वस्तु को उठाना यह निर्धारित करता है कि भविष्य में बच्चे की रुचि किस क्षेत्र में ज्यादा होगी। यह 5 चीज़ें जीवन के 5 क्षेत्रों का प्रतीक मानी गई है जो इस प्रकार हैं:
किताब: सीखने का प्रतीक
आभूषण: धन का प्रतीक
कलम: ज्ञान का प्रतीक
चिकनी मिट्टी: संपत्ति का प्रतीक
खीर या खाद्य पदार्थ: भोजन के प्रति लगाव का प्रतीक
नोट: अन्नप्राशन संस्कार में उपयोग की गई इन पांच चीज़ों में धर्म और संस्कृति के आधार अंतर देखने को मिल सकता है।
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वर्ष 2024 में यदि आप अपनी संतान का अन्नप्राशन संस्कार करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो अन्नप्राशन संस्कार के मुहूर्त का चयन करते समय कुछ बातों का विशेष रूप से ख्याल रखा जाता है ताकि शिशु को ग्रहों-नक्षत्रों एवं भगवान का आशीर्वाद मिल सके।
कन्याओं का सम महीने और बालकों का विषम महीने में अन्नप्राशन संस्कार समारोह संपन्न होता है।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2024 (Annaprashan Muhurat 2024) के अनुसार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ माना गया है।
अन्नप्राशन संस्कार संपन्न करने के लिए 27 नक्षत्रों में से श्रावण, धनिष्ठा,चित्रा, स्वाति, अनुराधा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, अश्विनी और रोहिणी आदि नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ साबित होते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार के दौरान माता-पिता द्वारा अपने शिशु को ऐसे कपड़े पहनाने चाहिए जिसमें शिशु आरामदेह स्थिति में हो।
अन्नप्राशन संस्कार के लिए जो भोजन बनाया जाता है उसमें स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
माता-पिता को सुनिश्चित करें कि प्रत्येक व्यक्ति के हाथ स्वच्छ हो जो इस संस्कार के दौरान शिशु को भोजन का सेवन कराएंगे, अन्यथा शिशु को इन्फेक्शन होने का खतरा बना रह सकता है।
अन्नप्राशन संस्कार के समय बच्चे को मीठी चीज़ें या मिठाई खिलाने से बचें वरना शिशु का पेट ख़राब हो सकता है।
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