सिख त्योहार 2023

लेखक: पुनीत पांडे | Updated Tue, 13 Sept 2022 01:44 PM IST

एस्ट्रोसेज के इस सिख त्योहार 2023 (SIkh Holidays 2023) लेख में आपको वर्ष 2023 में सिख धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख सिख त्योहार 2023 (SIkh Holidays 2023) के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। जिसमें गुरु नानक देव जी के द्वारा दी गई शिक्षाएं भी शामिल हैं। आइए जानते हैं सिख धर्म के प्रमुख त्योहारों के बारे में।


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आप जानते हैं कि सिख धर्म के अनुयायियों को सिख या पंजाबी कहा जाता है। यह पांचवां सबसे बड़ा धर्म है, जिसके दुनिया भर में लगभग 25 मिलियन से ज़्यादा अनुयायी हैं। इस धर्म की स्थापना गुरु नानक देव जी ने पंद्रहवीं शताब्दी में की थी। सिख शब्द संस्कृत भाषा के शब्द "शिष्य" से लिया गया है, जिसका अर्थ है सीखने वाला, साधक या शिष्य। सिख धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है, मतलब कि इस धर्म में सिर्फ़ एक ईश्वर की पूजा की जाती है। इस धर्म की विशेषता की बात करें तो इसमें पुरुषों और महिलाओं की समानता पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है।

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सिख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब है। जिसमें सामूहिक रूप से छह सिख गुरुओं गुरु नानक देव, गुरु अंगद सिंह, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जन देव, और गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाएं शामिल हैं। इसका नाम दसवें गुरु "गुरु गोबिंद सिंह" जी ने दिया था। इसे "आदि ग्रंथ" के रूप में भी माना जाता है, और लोग इसे अपने धर्म के ग्यारहवें और अंतिम जीवित गुरु मानते हैं।

इस ग्रंथ में सिख गुरुओं द्वारा कही बातें लिखी हुई हैं, जिसे गुरबानी या धुरबानी भी कहा जाता है। गुरबानी ईश्वर के स्वभाव और जीने के तरीके का वर्णन करती है, जो कि मूल रूप से पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी में लिखी हुई है लेकिन इसमें फारसी, संस्कृत, खड़ीबोली, पुरानी पंजाबी और ब्रज जैसी अन्य भाषाएं भी शामिल हैं। गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारों के प्रार्थना कक्ष में एक तख़्त पर रखा जाता है और उस तख़्त को मंजी (गुरु ग्रंथ साहिब का बिस्तर) के नीचे रखा जाता है, जिसे मंजी साहिब कहते हैं। सिख लोग अपने शाश्वत दिव्य गुरु 'गुरु ग्रंथ साहिब' के प्रति सम्मान बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रथाओं को अपनाते हैं। आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सिख त्योहार 2023 (Sikh Holidays 2023) के बारे में।

Read here in English: Sikh Holidays 2023

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सिख त्योहार 2023: वर्ष 2023 में पड़ने वाले सिख त्योहारों की सूची

तिथि और दिन त्योहार
05 जनवरी, गुरुवार गुरु गोबिंद सिंह जी जयंती
13 जनवरी, शुक्रवार माघी लोहड़ी
3 फरवरी, शुक्रवार गुरु हर राय जयंती
19 मार्च, रविवार गुरु हर राय गुरयाई
22 मार्च, बुधवार गुरु अमरदास गुरयाई
23 मार्च, गुरुवार शहीद भगत सिंह शहादत दिवस
25 मार्च, शनिवार गुरु अंगद देव ज्योति जोत
26 मार्च, रविवार गुरु हरगोबिंद सिंह ज्योति जोत
5 अप्रैल, बुधवार गुरु हरकिशन सिंह ज्योति जोत, गुरु तेग बहादुर गुरयाई
11 अप्रैल, मंगलवार गुरु तेग बहादुर जयंती
12 अप्रैल, बुधवार गुरु अर्जुन देव जयंती
14 अप्रैल, शुक्रवार बैसाखी या सिख नव वर्ष
21 अप्रैल, शुक्रवार गुरु अंगद देव जयंती
4 मई, गुरुवार गुरु अमर दास जयंती
13 मई, शनिवार गुरु हरगोबिंद सिंह गुरयाई
23 मई, मंगलवार गुरु अर्जुन देव ज्योति जोत
5 जून, सोमवार गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती
11 जुलाई, मंगलवार गुरु हरकिशन सिंह जयंती
16 सितंबर, शनिवार गुरु ग्रंथ साहिब जयंती
17 सितंबर, रविवार गुरु अर्जुन देव गुरयाई
18 सितंबर, सोमवार गुरु रामदास ज्योति जोत
27 सितंबर, बुधवार गुरु रामदास गुरयाई
29 सितंबर, शुक्रवार गुरु अमर दास ज्योति जोत
3 अक्टूबर, मंगलवार गुरु अंगद देव गुरयाई
9 अक्टूबर, सोमवार गुरु नानक देव ज्योति जोत
30 अक्टूबर, सोमवार गुरु राम दास जयंती
6 नवंबर, सोमवार गुरु हरकिशन सिंह गुरयाई, गुरु हर राय ज्योति जोत
15 नवंबर, बुधवार गुरु ग्रंथ साहिब गुरयाई
18 नवंबर, शनिवार गुरु गोबिंद सिंह ज्योति जोत
24 नवंबर, शुक्रवार गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस
27 नवंबर, सोमवार गुरु नानक देव जयंती
15 दिसंबर, शुक्रवार गुरु गोबिंद सिंह गुरयाई
17 दिसंबर, रविवार गुरु तेग बहादुर ज्योति जोत

नोट: सिख त्योहार 2023 (SIkh Holidays 2023) से संबंधित ऊपर लिखी हुई तिथियों में बदलाव हो सकता है। यदि किसी तिथि में बदलाव होता है तो हम आपको अपडेट रखेंगे।

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गुरु नानक देव जी के 9 महत्वपूर्ण उपदेश

1. ईश्वर एक है (इक ओंकार)

गुरु नानक जी के अनुसार, ईश्वर एक है। उन्होंने कहा था कि "मैं हिंदू या मुस्लिम नहीं हूं, बल्कि भगवान का अनुयायी हूं"। उन्होंने इस बात पर स्पष्ट रूप से जोर दिया है कि केवल एक ही है जो सभी को देता है और हमें उसे कभी नहीं भूलना चाहिए।

2. निःस्वार्थ सेवा

नानक जी का मानना था कि मानवता का पवित्र कर्तव्य दूसरों की निःस्वार्थ सेवा करना है। चूंकि हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां हर व्यक्ति बदले में कुछ भी लिए बिना कोई काम करना नहीं चाहता है। इसलिए गुरु नानक देव जी ने कहा था कि सेवा का अत्यधिक महत्व है। आध्यात्मिक संतुष्टि और मानसिक शांति दूसरों के लिए निस्वार्थ कार्य करने से ही मिल सकती है। उनका यह भी मानना था कि यदि आप जरूरतमंदों की मदद करेंगे तो संकट के समय भगवान आपकी मदद करेंगे।

3. 5 बुराइयों से दूर रहें।

गुरु नानक देव जी ने कहा था कि पांच बुराइयां अहंकार, क्रोध, लोभ, मोह, और वासना हमारी आध्यात्मिक प्रगति में बाधक होती हैं। इन चीजों के हावी होने से, हम माया में फंस जाएंगे और भगवान साधना करने में असमर्थ होंगे।

4. चुनौतियों से दूर भागने की बजाय डटकर सामना करें।

गुरु नानक देव जी के अनुसार, हम न तो शांति की तलाश में भागते रह सकते हैं और न ही अपने सवालों के जवाब ढूंढ सकते हैं और वो ऐसा चाहते भी नहीं थे कि हम ऐसा करें। गुरुजी चाहते थे कि हमें अपने जीवन को इस तरह से जीना चाहिए कि हम अपने सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करें। आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, हमारा जीवन चुनौतियों से भरा है। हालांकि, भागना एक आसान विकल्प है, लेकिन आदर्श नहीं है, इसलिए हमें उन कठिनाइयों का डटकर सामना करना चाहिए और अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।

5. ज़ुल्म के आगे न झुकें

गुरु नानक देव जी ने कहा था कि हम अपने दैनिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना करते है, इसलिए हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी मुसीबत का सामना करने की एकमात्र कुंजी साहस ही है। उन्होंने अपने एक छंद में कहा है कि "भगवान चील से लड़ने के लिए गौरैया का मार्गदर्शन करते हैं" मतलब कि वे हमेशा उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने में विश्वास करते थे।

6. सभी मनुष्य एक समान हैं।

गुरु नानक जी ने उपदेश दिया था कि हम मनुष्य जाति, पंथ, रंग या धार्मिक रूप से अलग-अलग नहीं हैं। सर्वशक्तिमान ईश्वर की दृष्टि में सभी मनुष्य एक समान हैं। यही बात उनके शब्दों और कर्मों में भी झलकती है। उन्होंने ही लंगर प्रथा की शुरुआत की थी। आज भी दुनिया भर के गुरुद्वारों में सभी प्रकार के लोगों का एक साथ बैठने और गुरु का लंगर खाने के लिए स्वागत किया जाता है।

7. सादगी और विनम्रता

गुरु नानक देव जी के कई अनुयायी थे। फिर भी, उन्होंने खुद को हमेशा भगवान के अनुयायी के रूप में ही प्रस्तुत किया। उनकी सादगी और विनम्रता लोगों को बेहद पसंद आती थी। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण चीज़ है, जो हमारे दिमाग में हमेशा होनी चाहिए कि सफलता की चकाचौंध में बह जाना बहुत आसान है, लेकिन ज़मीन से जुड़े रहना बहुत मायने रखता है क्योंकि सादगी ख़ूबसूरत होती है।

8. अंधविश्वास से लड़ें

गुरु जी के इस उपदेश को उनकी ही एक घटना के माध्यम से बेहतर समझा जा सकता है। जब गुरु नानक देव जी की उम्र नौ साल थी, तब उनके पिता ने जनेऊ समारोह का आयोजन किया था। यह एक पवित्र प्रक्रिया थी, जिसमें उन्हें पुजारी द्वारा चढ़ाए जाने वाले पवित्र हिंदू धागे को स्वीकार करना और धारण करना था। तो जब उन्हें जनेऊ स्वीकारने के लिए कहा गया उन्होंने इसे पहनने से इनकार कर दिया और इसके महत्व पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। उसे इनकार करने के पीछे उनका कारण यह था कि जनेऊ समाज में फूट पैदा करने का एक तरीका है। चूंकि इसे पहनने वाले लोगों को उच्च वर्ग के रूप में देखा जाता था और इसे न पहनने वाले समुदाय के वर्ग को निम्न वर्ग के रूप में देखा जाता था। उन्होंने पुजारी से यह भी पूछा था कि महिलाओं को यह पहनने के लिए क्यों नहीं दिया जाता है। उस वक़्त उनके किसी भी प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं था। उनकी यह घटना दर्शाती है कि किसी भी चीज़ पर आँख मूँदकर अनुसरण करने के बजाय, उसके पीछे की विचारधाराओं तथा तर्कों पर सवाल उठाना चाहिए। गुरु नानक देव जी ने हमेशा हर कर्मकांड के पीछे एक तर्क खोजा और अंधविश्वास का विरोध किया।

9. महिलाओं और पुरुषों के लिए समानता

गुरु नानक देव जी हमेशा मानते थे कि स्त्री और पुरुष समान हैं। इसलिए उन्होंने कहा, "हम एक महिला के गर्भ से पैदा हुए हैं, एक महिला से सगाई की और एक महिला से शादी की। साथ ही हम स्त्रियों से मित्रता करते हैं और स्त्रियों के कारण ही हमारा वंश चलता है। एक औरत ही है, जो हमें दुनिया से बांधे रखती है। तो हम उसके बारे में उल्टी-सीधी बात क्यों करें। स्त्री का जन्म भी स्त्री से ही होता है, उसके बिना कुछ भी संभव नहीं है, सिवाय ईश्वर के। इसलिए वे लोगों को हमेशा महिलाओं का सम्मान करने और समानता बनाए रखने के लिए प्रेरित करते थे।

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भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण सिख त्यौहार और अवकाश: 2023

लोहड़ी

लोहड़ी उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय सिख त्योहार है। मान्यता है कि यह पर्व सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है। इसे लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है। लोहड़ी वाले दिन श्रद्धालुजन पारंपरिक कपड़े पहनकर एक अलाव जलाते हैं और लोक गीतों पर नाच-गाना कर त्योहार से संबंधित भोज्य पदार्थों का सेवन करते हैं। लोहड़ी की रात को शीतकालीन संक्रांति भी कहा जाता है, जिसे साल की सबसे लंबी रात माना जाता है। सिख त्योहार 2023 (Sikh Holidays 2023) के अनुसार वर्ष 2023 में लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी।

बैसाखी

वैसाखी पर्व को बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है। सिख त्योहार 2023 (Sikh Holidays 2023) के अनुसार वर्ष 2023 में बैसाखी 14 अप्रैल, 2023 को मनाई जाएगी। यह पर्व मूल रूप से एक फसल उत्सव था, जो पंजाब क्षेत्र में मनाया जाता था। लेकिन बाद में जब 1699 में सिख समुदाय "खालसा" की नींव रखी गई, इसे पंजाबियों द्वारा स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हर साल इस दिन को सिख नव वर्ष या पंजाबी नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।

प्रकाश उत्सव दशमेह पटशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी

नाम से पता चलता है कि यह त्योहार सिख धर्म के दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को दसवें दिव्य प्रकाश या दिव्य ज्ञान के जन्मोत्सव के रूप में भी जाना जाता है।

बंदी छोड़ दिवस

बंदी छोड़ दिवस या स्वतंत्रता का उत्सव, हर वर्ष दिवाली के दिन मनाया जाता है। इसे सिख दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। 1619 में दिवाली के दिन ही छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने 52 हिंदू राजाओं को मुगल सम्राट जहांगीर की कैद से आज़ाद कराया था। इस दिन को सिखों द्वारा व्यापक रूप से रोशनी, मोमबत्तियों और आतिशबाजी के साथ मनाया जाता है।

गुरु नानक गुरपुरब/गुरु पर्व

गुरु नानक गुरु पर्व को गुरु नानक जयंती के नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक देव जी सिख समुदाय के संस्थापक थे। इसलिए यह पर्व सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। करिक के पंद्रहवें चंद्र दिवस यानी कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। सिख त्योहार 2023 (Sikh Holidays 2023) के अनुसार वर्ष 2023 में गुरु नानक गुरु पर्व 23 नवंबर को मनाया जाएगा।

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इसी आशा के साथ कि, आपको सिख त्योहार 2023 (SIkh Holidays 2023) का यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
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