शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023) पर लिखे ऐस्ट्रोसेज के इस विशेष आर्टिकल में हम आपको वर्ष 2023 में पड़ने वाली सभी तिथियों की शुभ घड़ी और समय के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं। इसके साथ ही आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हम उन बातों से भी परिचित कराएंगे जिन्हें शुभ मुहूर्त की गणना करते समय बेहद ही अहम और महत्वपूर्ण माना गया है।
शुभ मुहूर्त 2024 पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: शुभ मुहूर्त 2024
इसके अलावा यदि आप यह जानना चाहते हैं कि शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023)के दौरान क्या कुछ काम करना ज़्यादा फलदाई साबित होता है और मुहूर्त कितने प्रकार के होते हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं क्योंकि इन सभी बातों की जानकारी भी आपको यहां प्रदान की जा रही है।
Click here to read in English - Shubh Muhurat 2023
विशेष तौर पर सनातन धर्म में शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023) का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि यदि मुहूर्त देखकर कोई काम शुरू या संपन्न किया जाए तो इससे व्यक्ति को अच्छे परिणाम मिलते हैं, वो काम ज्यादा फलित होता है और हमें जीवन में सफलता मिलती है। यही वजह है कि आज भी इस मॉडर्न होते जा रहे युग में बहुत से लोग मुहूर्त की गणना विद्वान ज्योतिषियों और पंडितों से करवा कर ही कोई कदम आगे बढ़ाते हैं।
सवाल उठता है कि आखिर यह शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023) होता क्या है? तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बात करें तो शुभ मुहूर्त दिन की उस शुभ घड़ी को कहा जाता है जब सौरमंडल में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति जातक या कोई भी शुभ काम करने के लिए शुभ फलदाई होती है। इन्हीं सब वजहों के चलते लोग नए, अच्छे, शुभ और मांगलिक कार्य को करने के लिए ग्रहों और नक्षत्रों की चाल और स्थिति की गणना कराने के बाद मुहूर्त निकलवा कर ही कोई फैसला लेते हैं।
तो बिना देरी किए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि आने वाले वर्ष 2023 में विवाह, नामकरण संकार, विद्यारंभ, मुंडन, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन, उपनयन, कर्णवेध, और विवाह जैसे शुभ और मांगलिक संस्कारों को पूरा करने के लिए शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023) कौन-कौन से होने वाले हैं।
साल 2023 के सभी शुभ विवाह मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2023 के सभी शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2023 के सभी शुभ कर्णवेध मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2023 के सभी शुभ उपनयन मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2023 के सभी शुभ विद्यारम्भ मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2023 के सभी शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2023 के सभी शुभ मुंडन मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2023 के सभी शुभ नामकरण मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बात करें विशेष तौर पर सनातन धर्म की तो इसमें मुहूर्त का बेहद महत्व बताया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कोई भी शुभ या मांगलिक काम करने के लिए शुभ घड़ी की गणना को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? तो दरअसल इसके पीछे की वजह यह मानी जाती है कि यदि मुहूर्त देखकर कोई शुभ कार्य किया जाए या कोई भी काम संपन्न किया जाए तो उसमें व्यक्ति को ज्यादा सफलता और समृद्धि हासिल होती है। सरल शब्दों में समझाएं तो जब भी हम कोई काम ग्रहों और नक्षत्रों के अनुरूप शुभ मुहूर्त और शुभ घड़ी में करते हैं तो इसे बेहद ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।
इसके अलावा यहां यह भी जानना आवश्यक है कि शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023) में मांगलिक काम करने की परंपरा और वैदिक काल से चली आ रही है और तमाम तथ्य और प्रमाण मिलते हैं, जो यह साबित करते हैं कि मुहूर्त देखकर जब भी कोई काम किया जाता है तो इससे व्यक्ति को अपार सफलता तो मिलती ही है साथ ही वह काम बिना बाधा और परेशानी के सम्पन्न भी हो जाता है।
आज के मॉडर्न युग के अनुरूप देखें तो आपको मुहूर्त के महत्व के बारे में और अच्छे से समझ आएगा। दरअसल आज के मॉडर्न जमाने में बहुत से लोग मुहूर्त आदि में विश्वास नहीं रखते हैं और यही वजह है कि हमारे काम बनते बनते बिगड़ने लगते हैं या फिर रुक जाते हैं या उन्हें किसी प्रकार की कोई बाधा आ जाती है। इसके पीछे एक बड़ी वजह यही मानी जाती है कि क्योंकि वह काम मुहूर्त देखकर नहीं शुरु किया जाता है इसकी वजह से व्यक्ति को अपने काम में असफलता झेलनी पड़ती है।
शुभ मुहूर्त के चयन के विषय में और इसके महत्व के बारे में शास्त्रों में भी कई जगह उल्लेख मिलता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हम मुहूर्त का चुनाव कैसे करें या कोई मुहूर्त शुभ है या अशुभ हम इसका पता कैसे लगाएं? तो आइए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि एक शुभ मुहूर्त कैसे बनता है और इसकी गणना कैसे की जाती है?
ज्योतिष के अनुसार बात करें तो किसी भी मुहूर्त के शुभ या अशुभ होने की जानकारी कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर निर्धारित होती है। जैसे कि, “तिथि, वार, योग, नक्षत्र, करण, नव ग्रहों की स्थिति, मलमास, अधिक मास, शुक्र और गुरु अस्त, शुभ योग, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, और राहु काल, आदि।” यानी कि हम जब भी मुहूर्त की गणना करते हैं तो हमें इन महत्वपूर्ण बिंदुओं का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
जानकारी के लिए बता दें कि जैसे शुभ मुहूर्त होता है जिसे कोई भी शुभ काम को करने के लिए उपयुक्त माना जाता है वैसे ही अशुभ मुहूर्त भी होता है। जहां शुभ मुहूर्त में मांगलिक कार्य करने की विशेष सलाह दी जाती है, वहीं अशुभ मुहूर्त से हर हाल में बचने की सलाह दी जाती है इसीलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले जितना आवश्यक शुभ मुहूर्त के बारे में जानना होता है उतना ही अशुभ मुहूर्त के बारे में भी जाना होता है ताकि अशुभ मुहूर्त में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य न किया जाए क्योंकि अशुभ मुहूर्त में किया गया शुभ और मांगलिक कार्य भी शुभ परिणाम देने में असफल रहता है।
अशुभ मुहूर्त के बारे में कहा जाता है कि यदि इस मुहूर्त में कोई भी काम किया भी जाए तो इससे व्यक्ति को मनमाफिक परिणाम नहीं मिलते हैं, काम में परेशानियां आने लगती हैं, बेवजह की रुकावटें झेलनी पड़ती है, साथ ही इन सभी नाकामियों से व्यक्ति के जीवन में निराशा भी आने लगती है।
हिन्दू धर्म में मुहूर्त को एक समय मापन की इकाई माना गया है। यदि पंचांग के अनुसार देखें तो एक दिन में 24 घंटा होता है, जिसमें कुल 30 मुहूर्त निकलते हैं। हर एक मुहूर्त लगभग 48 मिनट का होता है। सीधे शब्दों में कहें तो एक मुहूर्त दो घड़ी के या करीब-करीब 48 मिनट के बराबर होता है।
शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023)के बारे में इतनी जानकारी जान लेने के बाद अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि मुहूर्त कुल कितने प्रकार के होते हैं और उनके गुण क्या-क्या होते हैं।
हिंदू धर्म में कुल 30 मुहूर्त बताए गए हैं। इनमें से कुछ मुहूर्त शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ मुहूर्त भी होते हैं। दिन का पहला मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से प्रारंभ हो जाता है। पहले मुहूर्त का नाम रूद्र मुहूर्त है और इसे एक अशुभ मुहूर्त की श्रेणी में रखा जाता है। इसके बाद दूसरा मुहूर्त पहले मुहूर्त के 48 मिनट बाद शुरू हो जाता है और ऐसे करते-करते दिन में अन्य मुहूर्त बनते रहते हैं।
इन सभी मुहूर्त बीच में 48-48 मिनट का फासला होता है। इसके अलावा इनमें से कुछ मुहूर्त किन्ही विशेष दिनों पर शुभ माने गए हैं और कुछ दिनों पर उन मुहूर्तों को अशुभ माना जाता है।
नीचे सूची के माध्यम से हम आपको इन सभी मुहूर्तों का नाम और साथ ही इनके शुभ या अशुभ होने की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि शुभ और अशुभ के अलावा इनमें से कुछ मुहूर्त अति शुभ मुहूर्त की श्रेणी में भी आते हैं। यानी उनका महत्व शुभ मुहूर्त से भी एक पायदान बढ़कर माना गया है।
मुहूर्त का नाम | मुहूर्त का गुण |
रूद्र | अशुभ |
अहि | अशुभ |
मित्र | शुभ |
पितृ | अशुभ |
वसु | शुभ |
वाराह | शुभ |
विश्वेदेवा | शुभ |
विधि | शुभ (सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर) |
सप्तमुखी | शुभ |
पुरुहूत | अशुभ |
वाहिनी | अशुभ |
नक्तनकरा | अशुभ |
वरुण | शुभ |
अर्यमा | शुभ (रविवार के दिन को छोड़कर) |
भग | अशुभ |
गिरीश | अशुभ |
अजपाद | अशुभ |
अहिर-बुधन्य | शुभ |
पुष्य | शुभ |
अश्विनी | शुभ |
यम | अशुभ |
अग्नि | शुभ |
विधातृ | शुभ |
कण्ड | शुभ |
अदिति | शुभ |
जीव/अमृत | अति शुभ |
विष्णु | शुभ |
द्युमद्गद्युति | शुभ |
ब्रह्म | अति शुभ |
समुद्रम | शुभ |
जैसा कि हमने आपको शुरुआत में ही बताया कि जब हम मुहूर्त की गणना करते हैं तो इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पड़ती है। जैसे तिथि, वार या फिर दिन, नक्षत्र, योग और करण। अब यह पांच महत्वपूर्ण कारण या बिंदु क्या हैं इन्हें विस्तार से समझने के लिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
जब भी हम शुभ मुहूर्त की गणना करने जाते हैं तो इसमें सबसे महत्वपूर्ण और सबसे पहली बात होती है तिथि की। इसकी गणना करने के लिए तिथि का ज्ञान होना बेहद जरूरी होता है। ज्योतिष के अनुसार कुल 30 तिथियों का महत्व बताया गया है। यानी एक माह में कुल 30 तिथियां होती हैं जिन्हें दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है। पहली 15 तिथियों शुक्ल पक्ष में आती हैं और बाद की 15 तिथियां कृष्ण पक्ष में आती हैं।
सूर्योदय से सूर्यास्त तक ये तिथियाँ व्याप्त रहती हैं। इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है कि 1 दिन में दो तिथियाँ आ जाती है इन दोनों में से जो तिथि सूर्योदय के समय नहीं होती है उन्हें “क्षय तिथि” कहते हैं और जो तिथि दो सूर्योदय तक रहती है उसे "वृद्धि तिथि" कहते हैं।
जैसा कि हमने बताया कि 15 तिथियों कृष्ण पक्ष में आती हैं और 15 तिथियों शुक्ल पक्ष में आती हैं ऐसे में आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं इन दोनों ही पक्षों में विभाजित तिथियों के नाम:
शुक्ल पक्ष की तिथियां - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा
कृष्ण पक्ष की तिथियाँ - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या
शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023)की गणना करने के लिए दूसरा महत्वपूर्ण बिन्दु होता है दिन या जिसे वार भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार 1 सप्ताह में 7 दिन होते हैं इन्हें वार भी कहते हैं। जैसे सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार या बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, और रविवार। इन सभी दिनों का अलग-अलग महत्व, प्रकृति और विशेषता बताई गई है।
सप्ताह के इन सभी 7 दिनों का अलग-अलग और विशेष महत्व बताया गया है। किसी विशेष दिन पर कोई काम करना वर्जित होता है तो कोई दिन शुभ और मांगलिक कार्य के लिए बेहद ही उपयुक्त और शुभ बताए जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर समझाएं तो मंगलवार का दिन धार्मिक कार्य करने के लिए वर्जित माना जाता है। वहीं सप्ताह में रविवार और गुरुवार का दिन धार्मिक कार्यों को करने के लिए बेहद उपयुक्त बताया गया है। इसके अलावा यदि कोई भी शुभ मांगलिक कार्य करना हो तो किसके लिए भी गुरुवार का दिन बाद ही सर्वश्रेष्ठ भी माना जाता है।
मुहूर्त की गणना करने के लिए अगला महत्वपूर्ण बिंदु नक्षत्र होता है। वैदिक ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र होते हैं इनमें से कुछ नक्षत्र किसी विशेष कार्यों के लिए शुभ और उपयुक्त माने जाते हैं तो वहीं कुछ नक्षत्रों को किन्हीं विशेष काम को करते समय बचने की सलाह दी जाती है।
अब जान लेते हैं 27 नक्षत्रों के नाम और साथ ही इन के स्वामी ग्रह के बारे में जानकारी:
नक्षत्रों के नाम - अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती।
नक्षत्रों के स्वामी ग्रह
केतु ग्रह को अश्विनी, मघा, मूल नक्षत्र का स्वामी माना गया है।
शुक्र ग्रह को भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा का स्वामी माना गया है।
सूर्य ग्रह को कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा का स्वामी माना गया है।
चन्द्र ग्रह को रोहिणी, हस्त, श्रवण का स्वामी माना गया है।
मंगल ग्रह को मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा का स्वामी माना गया है।
राहु ग्रह को आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा का स्वामी माना गया है।
बृहस्पति ग्रह को पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद का स्वामी माना गया है।
शनि ग्रह को पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद का स्वामी माना गया है।
बुध ग्रह को आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती का स्वामी माना गया है।
शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023) की गणना के लिए अगला और मुख्य बिंदु होता है योग। ज्योतिष के अनुसार कुल 27 योग बताए गए हैं। यह योग सूर्य और चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर होते हैं। इन योगों को भी अलग-अलग महत्व और अलग-अलग विशेषता के आधार पर विभाजित किया गया है। यानि कि किसी कामों को करने के लिए किसी योग का महत्व होता है तो वहीं कुछ कामों के लिए इनमें से कुछ योगों को वर्जित माना गया है।
योग की प्रकृति के अनुसार इन्हें शुभ और अशुभ की श्रेणी में भी विभाजित किया जाता है। बात करें 27 योगों में से 9 योगों की तो 9 योगों को बेहद ही अशुभ माना गया है और बाकी के सभी योग शुभ होते हैं। मुहूर्त की ही तरह अशुभ योगों में भी शुभ काम करना वर्जित होता है।
अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं सभी 27 योगों के नाम और इनमें से कौन से योग शुभ योग की श्रेणी में आते हैं और कुछ योगों को अशुभ योगों की श्रेणी में रखा जाता है। इसकी जानकारी हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं:
योग के नाम - प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव, हर्षण, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र , विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिघ, वैधृति
शुभ योग - प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव, हर्षण, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र, ये सभी योग शुभ योगों की श्रेणी में आते हैं।
अशुभ योग - विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिघ, वैधृति ये योग अशुभ योग कहलाते हैं।
शुभ घड़ी की गणना के लिए अगला महत्वपूर्ण बिंदु होता है करण का। जब भी हम शुभ समय की गणना करते हैं तो उसके लिए करण का ज्ञान होना बेहद जरूरी माना गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक तिथि में दो कारण होते हैं। यानी कि एक तिथि को दो भागों में विभाजित किया जाता है और इन दोनों हिस्सों को करण कहा जाता है। तिथि का पहला भाग एक करण होता है और दूसरा दूसरा कारण होता है। ऐसे में पंचांग के अनुसार कुल 11 कारण होते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं में विभाजन की तरह करण को भी अलग-अलग प्रकृति के आधार पर करणों को भी विभाजित किया जाता है। 11 में से चार करण स्थिर प्राकृतिक के होते हैं वहीं अन्य सात करण चर प्रकृति के बताए गए हैं। आइए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं इन करण के नाम और स्थित करण और चर करण के बारे में सभी जानकारी।
करण के नाम - किस्तुघ्न, शकुनि, नाग, चतुष्पाद, बव, बालव, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, विष्टि/भद्रा
करण की प्रकृति -
स्थिर करण - किस्तुघ्न, शकुनि, नाग, चतुष्पाद
चर करण - बव, बालव, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, विष्टि/भद्रा
इस बात का भी रखें ख्याल: जब भी हम कोई नया काम शुरू करने जा रहे होते हैं या मांगलिक कार्य कर रहे होते हैं तो विष्टि/भद्रा करण को अशुभ प्रकृति का माना गया है। ऐसे में इन दोनों करणों के दौरान शुभ कार्य को करना वर्जित माना जाता है।
शुभ मुहूर्त 2023 (Shubh Muhurat 2023) के महत्व, इनके निर्माण से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें, इनके प्रकार और गुण जानने के बाद अब जान लेते हैं कि शुभ समय के दौरान क्या कुछ कार्य करना हमें शुभ फल प्रदान कर सकता है। शुभ घड़ी में काम करने की परंपरा सनातन धर्म में सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि शुभ समय के दौरान यदि कोई भी कार्य शुरू किया जाए तो इससे व्यक्ति को सफलता मिलती है, काम सुचारू रूप से पूरा होता है, और जीवन भर उस शुभ कार्य कार्य का शुभ फल व्यक्ति को प्राप्त होता रहता है।
अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि शुभ समय में क्या कुछ काम व्यक्ति को करना चाहिए।
जानकारी के लिए बता दें कि, यदि ऊपर बताई गई सारी चीजों को यदि आप शुभ समय में करते हैं, तो इससे आपको भविष्य में अच्छे फल तो मिलते ही हैं साथ ही आपने जिस भी सोच के साथ इस काम को किया होता है वो भी पूरी होती है और आपके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।