अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023)

लेखक: पुनीत पांडे | Updated Fri, 28 Oct 2022 11:10 AM IST

एस्ट्रोसेज के इस अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) आर्टिकल की मदद से आप साल 2023 में बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार करने के लिए शुभ दिन, तिथि एवं मुहूर्त का चयन कर सकते हैं। यह आर्टिकल पूर्ण रूप से वैदिक ज्योतिष पर आधारित है और हमारे विद्वान ज्योतिषियों द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की चाल एवं स्थिति का गहन अध्ययन कर तैयार किया गया है। आइए आगे बढ़ने से पहले वर्ष 2023 में अन्नप्राशन समारोह के लिए शुभ मुहूर्त तिथियों और समय पर नज़र डालते हैं।


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अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023):

अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: जनवरी
तिथि दिन मुहूर्त का समय
04 जनवरी 2023 बुधवार 08.00 -10:00, 12.00 - 16:00
12 जनवरी 2023 गुरुवार 16:15-18:00
23 जनवरी 2023 सोमवार 08.00 -08:40, 10.30 -17:00
26 जनवरी 2023 गुरुवार 08.00-11:30
27 जनवरी 2023 शुक्रवार 10:20-11:30, 13:30-21:50
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: फरवरी
तिथि दिन मुहूर्त का समय
03 फरवरी 2023 शुक्रवार 07:50-09:40, 11:30-16:30
10 फरवरी 2023 शुक्रवार 09:30-14:00, 17.00 -23:00
22 फरवरी 2023 बुधवार 07:30-09:40, 11:30-17:30
24 फरवरी 2023 शुक्रवार 07:30-11:00, 13:30-20:00
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अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: मार्च
तिथि दिन मुहूर्त का समय
9 मार्च 2023 गुरुवार 07:30-12:20, 15.10 -21:00
10 मार्च 2023 शुक्रवार 07:35-10:15
23 मार्च 2023 गुरुवार 07.00 -07:40, 09:50 -17.50
24 मार्च 2023 शुक्रवार 07.00 -09:15, 12.00 -15.00
27 मार्च 2023 सोमवार 18:25-20:10
31 मार्च 2023 शुक्रवार 09:15-15:20, 18.00 -22:00
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: अप्रैल
तिथि दिन मुहूर्त का समय
06 अप्रैल 2023 गुरुवार 07:15-10:30
07 अप्रैल 2023 शुक्रवार 15:15-21:40
10 अप्रैल 2023 सोमवार 10:25-14:40
24 अप्रैल 2023 सोमवार 11:50-20:40
26 अप्रैल 2023 बुधवार 13:50-20:43
27 अप्रैल 2023 गुरुवार 07:45-13:40
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: मई
तिथि दिन मुहूर्त का समय
03 मई 2023 बुधवार 07.00 -08:40, 11:15 -17:50
12 मई 2023 शुक्रवार 06:25-08:10
17 मई 2023 बुधवार 06:15-14:30, 17:10-22:50
22 मई 2023 सोमवार 07:45-09:25
24 मई 2023 बुधवार 07:30-11.40, 14:30-21:00
29 मई 2023 सोमवार 14.00 -16:10, 18:50-22:40
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अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: जून
तिथि दिन मुहूर्त का समय
01 जून 2023 गुरुवार 16:15-18:20, 21.00 -22:30
08 जून 2023 गुरुवार 08:50-15:30 ,8.00-20:00
19 जून 2023 सोमवार 21:40-23:10
21 जून 2023 बुधवार 06.00 -10:00, 12:30-17:00
28 जून 2023 बुधवार 09:50-16:30 ,9.00 -22:30
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: जुलाई
तिथि दिन मुहूर्त का समय
05 जुलाई 2023 बुधवार 07.00 -13:40, 16:15-22:00
07 जुलाई 2023 शुक्रवार 09:15-15.40, 18:30-22:00
14 जुलाई 2023 शुक्रवार 20.00 -21:30
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: अगस्त
तिथि दिन मुहूर्त का समय
21 अगस्त 2023 सोमवार 06:30-10:40, 13:15-20:15
23 अगस्त 2023 बुधवार 06:30-10:30
28 अगस्त 2023 शुक्रवार 20:15-23:00
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: सितंबर
तिथि दिन मुहूर्त का समय
01 सितंबर 2023 शुक्रवार 16:50-21:00
04 सितंबर 2023 सोमवार 09:55-12:00
06 सितंबर 2023 बुधवार 12:25-16:00
18 सितंबर 2023 सोमवार 06:45-11:00
21 सितंबर 2023 गुरुवार 15:30-17:00
25 सितंबर 2023 सोमवार 07.00-08:00
27 सितंबर 2023 बुधवार 08.00 -10:00, 13.00 -18:00
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: अक्टूबर
तिथि दिन मुहूर्त का समय
16 अक्टूबर 2023 सोमवार 07:15-09:00, 12.00 -16:30
23 अक्टूबर 2023 सोमवार 19:40-21:10
26 अक्टूबर 2023 गुरुवार 13:25-17:00, 19:30-23:10
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: नवंबर
तिथि दिन मुहूर्त का समय
10 नवंबर 2023 शुक्रवा 15:30-20:00
22 नवंबर 2023 बुधवार 19:30-23:20
24 नवंबर 2023 शुक्रवार 21:45-23:30
27 नवंबर 2023 सोमवार 14:25-15:25
29 नवंबर 2023 बुधवार 09.00-14:00
अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: दिसंबर
तिथि दिन मुहूर्त का समय
01 दिसंबर 2023 शुक्रवार 17.00 -23:00
07 दिसंबर 2023 गुरुवार 08.00 -12:00, 14.00 -18:00
15 दिसंबर 2023 शुक्रवार 11:55-17:40, 20:30-22:20
18 दिसंबर 2023 सोमवार 15:55-19:50
21 दिसंबर 2023 गुरुवार 11:15-14:00, 15:50-22:00
22 दिसंबर 2023 शुक्रवार 08.00 -09:15
28 दिसंबर 2023 गुरुवार 08.00 -12:00, 13:45-21:35
29 दिसंबर 2023 शुक्रवार 09.00 -13:20, 15:15-21:20

आपके लिए आपके बच्चे की पहली मुस्कान, पहला कदम, या पहला शब्द बेहद ही खास क्षण होता है। जब आपका शिशु पहली बार कुछ करता है तो वह आपके लिए एक यादगार पल बन जाता है। मुंडन संस्कार या नामकरण संस्कार की तरह ही अन्नप्राशन संस्कार भी आपके बच्चे के जीवन में बहुत महत्व रखता है। ऐसे में एस्ट्रोसेज अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) आर्टिकल में हम आपको वर्ष 2023 में अन्नप्राशन संस्कार करने के लिए शुभ समय और तारीखें प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अन्नप्राशन संस्कार क्यों किया जाता है, इसकी सही विधि क्या है और इस दौरान आपको क्या कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि आप अपने बच्चे के लिए यह दिन और भी ज्यादा ख़ास और यादगार बना सकें।

अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: अर्थ और महत्व

अन्नप्राशन संस्कृत के शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है अनाज का सेवन करने की शुरुआत करना। इस दिन शिशु के माता-पिता पूरे विधि-विधान के साथ बच्चे को अन्न खिलाते हैं। अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) के अनुसार, अन्नप्राशन वह संस्कार है जब शिशु को पारंपरिक विधियों के साथ पहली बार अनाज खिलाया जाता है। इससे पहले तक शिशु केवल अपनी माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। यह संस्कार बेहद महत्वपूर्ण होता है और बच्चे को खीर (चावल की खीर) खिलाकर मनाया जाता है। इसलिए इस समारोह का अंग्रेजी नाम फर्स्ट राइस-ईटिंग सेरेमनी है।

आमतौर पर जब बच्चा 6-7 महीने का हो जाता है और उसकी पाचनशक्ति प्रबल होने लगती है तब यह संस्कार किया जाता है। सनातन प्रथा में अन्न को ही जीवन का प्राण बताया गया है। यही वजह है कि हिन्दू धर्म में इस संस्कार को बेहद महत्व दिया गया है। इस संस्कार के दौरान शिशु को ऐसा अन्न दिया जाना चाहिए जो पचने में आसान हो और पौष्टिक भी हो। अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) को भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। चावल दीक्षा या अन्नप्राशन संस्कार को पश्चिम बंगाल में मुखे भात, हिमाचल प्रदेश में भाठ खुलई और केरल में चोरूनू के नाम से जाना जाता है।

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अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 का ज्योतिषीय मूल्य

जीवन का मूल घटक भोजन है। पोषण के बिना हम कुछ भी नहीं हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित होने के लिए हमें भोजन की आवश्यकता होती है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि शुद्ध आहार खाने से शरीर और आंतरिक मन की शुद्धि होती है। अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) के अनुसार अन्नप्राशन समारोह के दौरान भोजन की देवी, माँ अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है और माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। छठे या सातवें महीने के दौरान बच्चे के दांत बढ़ने लगते हैं। यह एक संकेत है कि पाचन तंत्र अच्छी तरह से काम कर रहा है। इसके बाद यदि बच्चे को दूध के अलावा भोजन दिया जाता है तो उसके शरीर और बुद्धि का पूर्ण विकास होता है।

सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य का आयोजन के लिए अनुकूल समय यानी कि शुभ मुहूर्त की गणना करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी प्रकार अन्नप्राशन संस्कार के लिए भी समय, तिथि, ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों का ज्ञान होना जरूरी है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य में सफलता ज़रूर मिलती है। मुहूर्त की गणना या तो अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) तिथि कैलकुलेटर का उपयोग करके या फिर उन वैदिक ज्योतिषियों से संपर्क करके की जाती है, जो वैदिक पंचांग पढ़ने में कुशल हों।

अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) के अनुसार अन्नप्राशन समारोह बच्चे के घर पर, किसी बैंक्वेट हॉल या साधारण रूप से किसी मंदिर में किया जा सकता है। साथ ही अपनी ज़रूरत और अपने शौक के अनुसार एक या दो दिन के लिए आयोजित किया जा सकता है। कुल मिलाकर यह माता-पिता की अपने बच्चे के जीवन में इस महत्वपूर्ण दिन को मनाने की इच्छा पर निर्भर करता है।

हिंदू धर्म में अन्नप्राशन संस्कार का बेहद महत्व बताया गया है क्योंकि यह बच्चे के विकास में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। इस अनुष्ठान का महत्व ऐसा है कि जब हम वैदिक युग की बात करते हैं तो भारत के अलावा दक्षिण एशिया और ईरान के कई अन्य हिस्से ऐसे भी थे, जहाँ अन्नप्राशन संस्कार किया जाता था। ज़्यादातर यह अनुष्ठान तब होता है जब बच्चा 5 महीने से 9 महीने की उम्र के बीच होता है। ध्यान रहे कि इससे कम उम्र या इससे अधिक उम्र के बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार नहीं किया जा सकता है।

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अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: उत्सव

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) के अनुसार अन्नप्राशन समारोह के लिए एक पुजारी वैदिक ज्योतिष के आधार पर एक निश्चित दिन और घंटे का चयन करता है। इस विशेष दिन के लिए अधिकांश परिवार मेहमानों को आमंत्रित करके आयोजन स्थल को सजाकर और दावत तैयार करके बड़ा समारोह आयोजित करते हैं। अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) पर इस अनुष्ठान को करने के लिए पुजारियों को बेहद ही सम्मान के साथ आमंत्रित किया जाता है, जो अन्नप्राशन मंत्रों का पाठ करते हुए इस संस्कार को अच्छी तरह से संपन्न कराते हैं।

अन्नप्राशन मुहूर्त 2023 (Annaprashan Muhurat 2023) के दौरान, शिशु को किसी एक की गोद में बैठाया जाता है- जैसे कि माता/पिता/मामा या दादा (स्थान से भिन्न होता है)। रीति-रिवाज की बात करें तो समारोह से पहले पूजा की जाती है। धूप और तेल के दीये जलाए जाते हैं क्योंकि इनसे वायु शुद्ध होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चा एक मजबूत और बुद्धिमान वयस्क के रूप में विकसित हो, कई देवताओं से प्रार्थना की जाती है। साथ ही संतान की प्रतिष्ठा, बुद्धिमता और लंबे और सुखी जीवन की प्रार्थना भी की जाती है। पहला भोजन देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है। उसके बाद घर के बुजुर्ग बच्चे को भोजन का पहला औपचारिक दंश देता है, जिसे प्रसाद के रूप में जाना जाता है।

अन्नप्राशन समारोह के दौरान परोसा जाने वाला भोजन

समारोह के दौरान खीर के अलावा, तली हुई सब्जी, दाल, करी और स्वाद से भरपूर चावल आदि बनाए जाते हैं। केरल में शिशु को केले के पत्ते पर चावल, दही, नमक, गुड़, केला और पायसम आदि दिया जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान

भले ही विभिन्न संस्कृतियों में इस समारोह को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। लेकिन सभी जगह इस समारोह को आयोजित करने के लिए समान नियमों और सावधानियों का पालन किया जाता है। इस आयोजन को यादगार और तनाव मुक्त बनाने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनका ध्यान जरूर रखना चाहिए।

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हम आशा करते हैं कि वर्ष 2023 आपके लिए शुभ और मंगलमय हो। एस्ट्रोसेज की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

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