वक्री बुध 2022 कैलेंडर : महीना-तिथि और समय

वक्री बुध 2022 कैलेंडर आपकी यह जानने में मदद करता है कि वर्ष 2022 के दौरान बुध ग्रह वक्री अवस्था में कब आएगा और कब वक्री अवस्था से मार्गी अवस्था में आएगा। इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि बुध के वक्री होने और मार्गी होने का दिन और तिथि तथा जिस समय बुध ग्रह वक्री होंगे, उस समय वह किस राशि में स्थित होंगे और जब वह वक्री अवस्था से मार्गी अवस्था में होंगे, तब वह किस राशि में होंगे यह समस्त जानकारी आपको एस्ट्रोसेज द्वारा प्रस्तुत बुध वक्री 2022 कैलेंडर में प्रदान की जा रही है। हम आशा करते हैं कि यह आपके लिए फायदेमंद होगी और आप वक्री बुध की स्थिति को जानकर अपने जीवन की घटनाओं को भली प्रकार समझ पाएंगे। बुध ग्रह को ज्योतिष में काफी महत्व दिया जाता है और यह ग्रह जगत में राजकुमार की पदवी से नवाजे गए हैं। बुध ग्रह का प्रभाव जातक के जीवन में कफ, वात और पित्त तीनों ही प्रकृति को निर्धारित करने में माना जाता है। यह सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह हैं।

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बुध वक्री 2022 कैलेंडर : बुध वक्री 2022 तिथि और समय

ग्रह वक्री गति आरंभ वक्री गति समाप्त (मार्गी प्रारम्भ) इस राशि से इस राशि में
बुध शुक्रवार 14 जनवरी 2022 शुक्रवार 4 फरवरी 2022 मकर मकर
बुध मंगलवार 10 मई 2022 शुक्रवार 3 जून 2022 वृषभ वृषभ
बुध शनिवार 10 सितंबर 2022 रविवार 2 अक्टूबर 2022 कन्या कन्या

वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को बुद्धि का देवता माना जाता है। वह चंद्र देव के पुत्र हैं। बुध ग्रह का हरा रंग माना जाता है और यह मनुष्य के जीवन में त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ तीनों पर प्रभाव डालते हैं। बुध ग्रह को संदेशवाहक माना जाता है और यही बात है कि सभी संचार के माध्यमों और यातायात के साधनों का कारक बुध ग्रह माना जाता है। ग्रीक कथाओं के अनुसार बुध ग्रह को पंखों वाला दूत माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि के स्वामी होते हैं। यह मीन राशि में नीच अवस्था में तथा कन्या राशि में उच्च अवस्था में स्थित माने जाते हैं। शुक्र और शनि उनके मित्र हैं। यह आमतौर पर सूर्य ग्रह के निकट होने के कारण कुंडली के किसी भाव में सूर्य से एक भाव आगे या पीछे तक की स्थिति में पाए जाते हैं और अक्सर अस्त अवस्था में रहते हैं।

बुध ग्रह वाणी के कारक होते हैं। यह संचार माध्यमों, ट्रैवलिंग, ट्रांसपोर्ट, बैंकिंग, व्यापार, वाणिज्य, कॉमर्स, आदि क्षेत्रों के कारक ग्रह होते हैं। यह व्यक्ति के अंतर्गत तर्क क्षमता को बढ़ावा देते हैं और व्यक्ति को हास्य विनोद प्रधान बनाते हैं। अगर अच्छी स्थिति में हों तो व्यक्ति को अपनी आयु से कम अर्थात युवा दिखाते हैं। ऐसा व्यक्ति हाजिर जवाब होता है और अपनी वाकपटुता के बल पर अनेक क्षेत्रों में कामयाबी हासिल करता है।

बुध ग्रह तर्कसंगत विचारों के प्रणेता हैं। यह व्यक्ति की बुद्धि पर आधिपत्य रखते हैं और व्यक्ति किस दिशा में आगे बढ़ेगा, यह उसकी बुद्धि उसे बताती है और उसी के अनुसार व्यक्ति संवाद स्थापित करता है। यह सभी कुछ बुध ग्रह के अंतर्गत आता है इसलिए यदि कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते हैं तो उसका कोई भी बाल भी बांका नहीं कर सकता क्यूंकि वह अपनी समझदारी, अपनी बुद्धि और अपनी बोलचाल की शैली के आधार पर अपने सभी काम बनवाने में सफल हो जाता है। ऐसा व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन करता है और उसे स्कॉलरशिप तक मिल सकती है। बुध ग्रह से प्रभावित व्यक्ति जिज्ञासु हो तो जीवन में गहराइयों तक जाकर अपनी जिज्ञासाओं की शांति कर सकता है।

यदि कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो यह नकारात्मक परिणाम देने में भी सक्षम हो सकता है और व्यक्ति को मतिभ्रम, मिर्गी के दौरे आना या त्वचा संबंधित समस्याएं, बोलने में समस्याएं और अपनी बात रख पाने में भी समस्या महसूस हो सकती है। ऐसे व्यक्ति को व्यापार में नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे व्यक्ति के अपनी बहन, बुआ और मौसी जैसे संबंध बिगड़ सकते हैं और उनसे संबंधों में कड़वाहट आ सकती है। बुध के प्रभाव से कोई जातक मीडियाकर्मी, पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा, वकील, लेखक, विक्रेता, व्यापारी, गणितज्ञ अथवा व्यवसायिक व्यक्ति बन सकता है। ऐसे सभी कार्य जिनमें बोलने और बुद्धि का इस्तेमाल हो, बुध ग्रह के अंतर्गत आते हैं।

कुंडली में बुध ग्रह की अनुकूल स्थिति जातक के भाई बहनों से और विशेषकर बहनों से अच्छे संबंध बनाती है। ऐसे व्यक्ति चालाक भी होते हैं और अपना काम निकालने में माहिर होते हैं। इनकी बुद्धि कुशाग्र होती है और उनकी स्मरण शक्ति भी तीव्र होती है। यह जो कुछ एक बार देखते सुनते या पढ़ते हैं, उसे शीघ्र ही दिमाग में बिठा लेते हैं। इस कारण ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा में भी अच्छी सफलता अच्छे अंकों के साथ मिलती है। यह तर्क वितर्क करने में माहिर होते हैं।

जब बुध ग्रह इतना महत्वपूर्ण है और हमारे जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों में बुध ग्रह का प्रमुख योगदान है तो बुध ग्रह वक्री जब अवस्था में होंगे तो किस प्रकार के परिणाम प्रदान कर सकते हैं, यह जानना बेहद आवश्यक है क्योंकि उसी के अनुसार हम अपने जीवन में बुध ग्रह के द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रभावों को समझ सकते हैं। बुध ग्रह का कुंडली में बली होना अथवा कमजोर होना, बुध ग्रह का नीच राशि में होना अथवा उच्च अवस्था में होना या फिर अस्त होना अथवा वक्री होना, ये सभी बुध ग्रह की अवस्थाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह हमारे जीवन को किसी ना किसी रूप में प्रभावित अवश्य करती हैं। तो आइए आज इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि बुध के वक्री होने पर हमारे जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है और वक्री बुध जातक के जीवन में किस प्रकार के परिणाम प्रदान करने में सक्षम है।

बृहत् कुंडली : जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय

बुध वक्री 2022 कैलेंडर: बुध के वक्री होने का मतलब?

प्रत्येक ग्रह अपनी अंडाकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करता है। इसी प्रकार बुध ग्रह भी सूर्य की परिक्रमा लगाते हैं। यह सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह होते हैं इसलिए चंद्रमा के बाद सबसे तीव्र गति से चलने वाले भी माने जाते हैं। बुध ग्रह के 3 साल पृथ्वी के 1 साल के लगभग बराबर होते हैं। बुध ग्रह के बारे में तो हम काफी जान चुके हैं। अब यह जानना आवश्यक है कि वक्री बुध अवस्था क्या होती है और कब बुध वक्री अवस्था में माने जाते हैं।

हम ज्योतिष का अध्ययन करते हुए पृथ्वी के सापेक्ष गुणों का अध्ययन करते हैं तो जब कोई ग्रह अपनी अंडाकार कक्षा में गति करते हुए सूर्य और पृथ्वी के साथ एक निकटतम बिंदु पर पहुंचता है तो पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वह उल्टा चल रहा है और इस प्रकार उल्टी दिखने वाली गति को ही वक्री गति कहा जाता है। जब बुध ग्रह अपनी कक्षा में सूर्य और पृथ्वी के सापेक्ष निकटतम बिंदु पर आ जाता है तो पृथ्वी से देखने पर ऐसा लगता है कि वह अपनी कक्षा से उल्टी दिशा में गति कर रहा है और यही बुध वक्री होने की अवस्था मानी जाती है। जबकि वास्तविकता यह है कि कोई भी ग्रह कभी उल्टी चाल से नहीं चलता अपितु केवल ऐसा भ्रम होता है।

जैसा कि ऊपर बताया गया है बुध ग्रह सौरमंडल के ग्रहों में तेज गति से घूमने वाला ग्रह है अर्थात यह सूर्य का चक्कर बहुत तेजी से लगाता है क्योंकि यह सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है इसलिए ऐसी स्थिति लगभग साल में तीन से चार बार बन जाती है कि जब पृथ्वी से यह बुध ग्रह वक्री अवस्था में नजर आता है। ज्योतिष में माना जाता है कि यह सभी ग्रह मानव जीवन पर विभिन्न प्रकार के शुभ और अशुभ प्रभाव प्रदान करते हैं तो जब बुध वक्री अवस्था में होता है तो इसकी स्थिति और भी अलग हो जाती है और यह जीवन में किस प्रकार के फल प्रदान करता है, यह हम इस लेख में आगे पढ़ेंगे। इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि यदि बुध वक्री अवस्था में आकर आपको कुछ दुष्प्रभाव प्रदान कर रहे हैं तो आपको उन दुष्प्रभावों को कम करने के लिए कौन से उपाय करने चाहिए।

बुध ग्रह वास्तव में एक शुभ ग्रह है लेकिन यह संगति के आधार पर फल देता है अर्थात अशुभ ग्रह की संगति में अशुभ फल और और शुभ ग्रह के साथ होने पर शुभ फल प्रदान करने में सक्षम होता है इसलिए बुध का प्रभाव कैसा पड़ रहा है, यह जानना बहुत आवश्यक है। जहां एक अच्छा बुध व्यक्ति को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाते हुए कुशल व्यापारी बना सकता है तो वहीं अशुभ बुध व्यक्ति को व्यापार में बड़ी असफलता भी प्रदान कर सकता है।

वक्री बुध 2022 कैलेंडर आपकी यह जानने में मदद करता है कि वर्ष 2022 में बुध ग्रह कब और किस तिथि और किस दिन वक्री अवस्था में आएंगे और कब तक ऐसी वक्री अवस्था में रहेंगे। जिस दौरान वे वक्री अवस्था में आएँगे, उस दौरान और जब ये वक्री अवस्था से मार्गी अवस्था में आएँगे, उस दौरान वे किस राशि में होंगे ताकि उनकी स्थिति को जानकर व्यक्ति यह समझ सके कि उनका हमारे जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव होगा। क्या वह हमें शुभ प्रभाव देंगे अथवा अशुभ, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम आपको सब जानकारी प्रदान कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि कुंडली के विभिन्न भावों में वक्री बुध के क्या प्रभाव हो सकते हैं:

बुध वक्री 2022: कुंडली के सभी बारह भावों पर इसका असर

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को अच्छी सफलता का कारक माना जाता है और यह ईश्वर के संदेशवाहक भी माने जाते हैं। यह हमारे जीवन में अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इनकी वक्री अवस्था बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वक्री अवस्था में ऐसा भी संभव होता है कि महत्वपूर्ण जानकारी का अभाव हो या फिर किसी गलत कम्युनिकेशन के कारण भी व्यक्ति के जीवन में समस्या आ सकती है और जीवन के अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वक्री बुध का प्रभाव किस प्रकार से दृष्टिगोचर हो सकता है, यह जानना बेहद आवश्यक हो जाता है।

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हमारे सामान्य जीवन में एक आम धारणा है कि जब भी कोई ग्रह वक्री अवस्था में होता है तो वह सदैव अशुभ परिणाम ही प्रदान करता है और जीवन में कष्ट प्रदान करता है जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है। सभी ग्रह वक्री अवस्था में अशुभ अथवा शुभ नहीं होते अपितु अपनी स्थिति के अनुसार ही परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसा ही कुछ वक्री बुध के साथ भी है। वह कुंडली में यदि शुभ अवस्था में हैं, शुभ भावों के स्वामी होकर शुभ ग्रहों के साथ शुभ संबंध में हैं तो आपको वक्री अवस्था में शुभ परिणामों की वृद्धि देखने को मिल सकती है जबकि अशुभ ग्रहों के साथ स्थित होकर अशुभ भाव के स्वामी हैं और अशुभ भाव में विराजमान हैं तो वक्री अवस्था में उनके अशुभ परिणाम अधिक मात्रा में दिखाई दे सकते हैं।

वैदिक ज्योतिष की बात करें तो उसमें बुध ग्रह को एक ऐसे ग्रह की संज्ञा दी गई है जो वैसे तो शुभ ग्रह माना जाता है लेकिन अपनी परिस्थितिवश शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के परिणाम देने में सक्षम है। कोई भी ग्रह जब वक्री अवस्था में होता है तो चेष्टा बल से युक्त हो जाता है और ऐसी स्थिति में उसके फल देने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है। वह मजबूत हो जाता है और यही वक्री बुध के साथ भी होता है। जब बुध ग्रह वक्री अवस्था में होता है तो काफी मजबूत हो जाता है और उसका प्रभाव भी काफी बढ़ जाता है।

यदि बुध ग्रह शुभ अवस्था में वक्री हुआ है तो जातक को बोलने की क्षमता, सोचने और समझने की क्षमता तथा व्यक्ति के बौद्धिक और तार्किक स्तर में वृद्धि होती है। कठिन से कठिन चुनौतियों को चुटकियों में हल कर डालते हैं और लोगों के लिए मुश्किल काम उनके लिए बेहद आसान हो जाते हैं। उनका दिमाग बहुत तेज चलता है। उनकी शक्ति विकसित हो जाती है। ऐसे में वह अपनी तेज बुद्धि और दिमाग के कारण किसी भी समस्या से घबराते नहीं हैं बल्कि चुटकियों में हल निकालते हैं और इससे उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

आइए अब जानते हैं कि कुंडली के विभिन्न भावों में वक्री बुध 2022 किस प्रकार के प्रभाव डाल सकता है:

कुंडली का लग्न भाव अर्थात प्रथम भाव जातक के व्यक्तित्व का आईना होता है। यह जातक का स्वभाव और उसकी सोचने समझने की प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। इससे ना केवल जातक की कद काठी का पता चलता है बल्कि उसका शारीरिक स्वास्थ्य और समाज में वह किस रूप में दिखाई देता है, यह भी पता चलता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति के प्रथम भाव अर्थात कुंडली के लग्न भाव में बुध वक्री हो जाए तो व्यक्ति आवेग से भर जाता है। वह जल्दबाजी में निर्णय लेने लगता है जो कि कई बार गलत हो जाते हैं। वह किसी वस्तु स्थिति को प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार हो जाता है और शीघ्र ही निर्णय लेने में सक्षम हो जाता है। उसके मन में विचारों का आवागमन बहुत तीव्र गति से होता है और उसकी बुद्धि बहुत तीव्र हो जाती है जिसका प्रयोग करके जीवन की समस्याओं का तुरंत समाधान निकाल सकता है। जब वक्री बुध ग्रह 2022 में आपके प्रथम भाव में हो, तब आपको किसी भी तरह का वादा करना नहीं चाहिए क्योंकि इस दौरान आप जो वादा करेंगे, उसके पूरा होने में समस्या हो सकती है। इस दौरान कोई भी कागज दस्तखत करने से पूर्व से अच्छी तरह से जांच परख लें और जल्दबाजी में आकर कोई भी निर्णय न लें। आपकी स्मरण शक्ति में कमी आ सकती है और आप किसी भी निर्णय को लेने के बाद उसके बारे में बार-बार विचार कर सकते हैं इसलिए आपको किसी विश्वासपात्र की सलाह माननी चाहिए।

किसी जातक की कुंडली में दूसरा भाव धन भाव माना जाता है और इसी को वाणी का भाव भी कहा जाता है। वाणी की कृपा सरस्वती माता के आशीर्वाद से प्राप्त होती है और कुंडली में बुध ग्रह वाणी का कारक माना जाता है। यदि किसी जातक के दूसरे भाव में वक्री बुध 2022 में स्थित हो जाए तो व्यक्ति की आमदनी और उसकी बचत में तालमेल बिगड़ सकता है। वह ज्यादा धन बचाने का प्रयास करने के चक्कर में कंजूसी भी दिखा सकता है और अशुभ स्थिति होने पर वह बचत को भी खर्च कर डालने से नहीं हिचकेगा। ऐसा व्यक्ति वाद विवाद और बोलने के कामों से बहुत अच्छा धन अर्जित कर सकता और किसी से भी अपना काम निकालने में माहिर हो जाता है। वह परिवार में अपनी चलाने की कोशिश करता है लेकिन भोजन करने में जल्दबाजी के कारण अपच जैसी समस्या हो सकती है। इस भाव में बुध स्थित होने पर जातक को संपत्ति की खरीद में विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए और जल्दबाजी में अगर कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। ऐसे जातक को वाद विवाद में अच्छी सफलता मिलती है और कोर्ट कचहरी के मामलों में भी विजय प्राप्त होती है।

जातक की कुंडली का तीसरा भाव उसके साहस, पराक्रम, संचार, बुद्धिमत्ता और लेखन का प्रतिनिधित्व करने वाला भाव है। इससे व्यक्ति के भाई बहनों के बारे में भी पता चलता है। उसके पड़ोसियों की भी जानकारी मिलती है। काल पुरुष की कुंडली में तीसरे भाव का स्वामी बुध ग्रह ही होता है। यदि किसी जातक के तीसरे भाव में बुध ग्रह वक्री हो जाए तो उसे कुछ प्रतिकूल परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। उसकी सामाजिक छवि प्रभावित हो सकती है और उसे मित्र बनाने में समस्या आ सकती है। भाई बहनों से उसके संबंध बनते बिगड़ते रह सकते हैं। वक्री बुध की स्थिति में उसके अपने निजी संबंध बिगड़ सकते हैं इसलिए उसे कुछ भी बोलते और करते समय बहुत ध्यान रखना चाहिए क्योंकि मुंह से निकला हुआ एक गलत शब्द उनके रिश्तों को बिगाड़ सकता है। यदि वह कहीं काम करता है तो उसे ईमेल करते समय या मैसेज भेजते समय भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि गलती से कोई मैसेज जाने से उसको नुकसान उठाना पड़ सकता है। वक्री बुध 2022 तीसरे भाव में होने पर जातक को किसी के भी झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि बेवजह बोलने के कारण वह झगड़ा उसी व्यक्ति पर आ सकता है। वक्री बुध तीसरे भाव में जातक को अति उत्साही बना सकता है।

कुंडली का चौथा भाव सुख भाव माना जाता है और इसी से जीवन में खुशी होती है तथा यही भाव जाता की माता के बारे भी बताता है तथा मातृभूमि से व्यक्ति के कैसे संबंध हैं और विरासत कैसी मिलेगी, यह भी इसी भाव से पता चलता है। यदि चौथे भाव में वक्री बुध 2022 में है तो जातक को अपनी माता से अच्छा सुख मिल सकता है। उसकी माता अत्यंत बुद्धिमान और ज्ञान से परिपूर्ण होती हैं और जातक को माँ की अच्छी सलाह मिलती है। वक्री बुध के चतुर्थ भाव में होने से जातक को उत्तम संपत्ति का लाभ मिलता है और उसका जीवन स्तर भी बढ़िया हो जाता है। वह अपनी सुख-सुविधाओं के बारे में विचार करते हुए उन पर अच्छा खर्च भी करता है और अपने रिश्ते को मजबूत बनाने की कोशिश करता है। वह थोड़ा दिखावा पसंद भी हो जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने रहने के लिए ऐसा मकान बनाता है जिसमें काफी हरियाली हो। हालांकि कई बार पारिवारिक खुशियों के चलते वह नौकरी में दूर जाने के अच्छे अवसरों को पीछे छोड़ सकता है और परिवार को ज्यादा महत्व देता है।

कुंडली का पांचवां भाव बुद्धि, विवेक और विद्या का भाव भी माना जाता है। यह हमारी कलात्मक क्षमता, मानसिक भावना और रचनात्मकता का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति न्यायप्रिय है अथवा जीवन में किस ओर उसका रुझान रहेगा, यह सब कुछ भी पंचम भाव से पता चलता है तथा संतान और प्रेम संबंध भी पंचम भाव के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में वक्री बुध पंचम भाव में होने के कारण जातक के अंदर चंचलता पाई जाती है। वह कुछ हद तक बचकाना हरकतें भी कर सकता है लेकिन हृदय से अच्छा होता है और किसी का बुरा नहीं सोचता है। प्यार के मामले में ऐसा बुध बहुत अच्छा तो होता है और जातक अपनी प्यारी मीठी बातों से अपने प्रियतम को जीत ही लेता है लेकिन वह एक ही बात को बार-बार बार-बार कहता है जिसकी वजह से सामने वाले को परेशानी हो जाती है। वक्री बुध 2022 पंचम भाव में जातक को पढ़ाई के प्रति लालायित कर सकता है और ऐसा व्यक्ति अत्यंत जिज्ञासु हो जाता है और कुछ नया सीखने को सदैव तत्पर रहता है। शुभ वक्री बुध की वजह से ही जातक को संतान का सुख मिलता है।

कुंडली का छठा भाव बीमारियों, शत्रुओं और विरोधियों का भाव होता है। इसी भाव से व्यक्ति को जीवन में कर्ज लेने का भी पता चलता है। यह भाव जीवन में आने वाली चुनौतियां और संघर्ष को बताता है तथा प्रतियोगिताओं और राजनीति से संबंधित चुनावों का भी भाव होता है। इसी से वकालत पर भी परिचय प्राप्त किया जाता है। यदि कुंडली के छठे भाव में वक्री बुध 2022 में हो तो यह जातक के जीवन में कुछ समस्याएं दे सकता है। ऐसा व्यक्ति तर्क के साथ कुतर्क भी करने वाला होता है और कई बार बेवजह ही अर्थात अपने ही वाणी के कारण अपने शत्रु उत्पन्न कर लेता है। हालांकि वकालत के दृष्टिकोण से यह वक्री बुध अत्यंत शुभ फलदायक होता है लेकिन आम जीवन में यह समस्याएं प्रदान करता है। जातक को ऐसी हालात में बहुत सोच समझकर किसी से भी बातचीत करनी चाहिए क्योंकि उसकी बातें सही जगह पर सही बातें ना होकर गलत होने के कारण किसी से भी झगड़ा हो सकता है। यह आपके दैनिक जीवन की समस्याओं को भी बढ़ा सकता है।

कुंडली का सप्तम भाव बड़ी बड़ी साझेदारियों और व्यापार का भाव है। यह आपकी लोकप्रियता और सामाजिक छवि को भी बताता है। यदि इस भाव में वक्री बुध का प्रभाव हो तो आपको एक अच्छा जीवन साथी मिलता है, जो अपनी बुद्धिमानी से आपको भी अपने सहयोग से आगे बढ़ाने की क्षमता से युक्त होता है। यदि आपके निजी जीवन में किसी प्रकार की समस्या चल रही है तो उसे दूर करने में यह वक्री बुध आपकी मदद कर सकता है। वक्री बुध 2022 सप्तम भाव में उपस्थित होकर आपके व्यापार की वृद्धि को बढ़ा सकता है तथा विदेशों से भी व्यापार करने में आपकी मदद कर सकता है। यह सामाजिक रूप से आप की छवि को मजबूत बनाता है और आप एक अच्छे व्यक्ति के रूप में समाज में जाने जाते हैं।

कुंडली का अष्टम भाव रंध्र भाव भी कहलाता है। यह अचानक और अप्रत्याशित रूप से होने वाली घटनाओं और व्यवधानों का भाव है। इस भाव से शोध कार्य, गुप्तचर और आध्यात्मिक उन्नति का भी पता चलता है। यदि अष्टम भाव में वक्री बुध 2022 में स्थित हो तो जातक को साधना में सिद्धि मिलने की संभावना रहती है और वह अपनी साधना में गहराइयों तक पहुंच सकता है। उसकी मानसिक क्षमता का विकास होता है। वह अपने अच्छे और बुरे को भली प्रकार समझने में सक्षम हो जाता है। हालांकि यदि वह व्यक्ति भौतिक सुखों की ज्यादा चाह रखता है तो इस समय में उसे उनमें कमी महसूस हो सकती है। जातक यदि लोन या कर्ज को चुकाना चाहता है तो उसके लिए यह समय उत्तम होता है, उसे सफलता मिल सकती है। ऐसे जातक को व्यापार में उत्तम सफलता प्राप्त होती है लेकिन जीवन साथी थोड़ा बातूनी हो जाता है।

कुंडली का नवम भाव आपका भाग्य स्थान है। इससे आपकी आध्यात्मिक उन्नति और लंबी यात्राओं के बारे में भी पता चलता है। कोई व्यक्ति कितना धार्मिक है, यह नवम भाव से ही पता चलता है। यदि नवम भाव में बुध स्थित हो जाए तो जातक एकदम विरोधी स्वभाव का हो सकता है। धर्म के स्थान पर तर्क को अधिक महत्व देने लगता है और बात बात में तर्क करने लगता है। हालांकि यही वक्री बुध जातक को विद्वान भी बना सकता है और समाज में उसकी पद प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। वक्री बुध 2022 नवम भाव में हो तो जातक के पिता से संबंध शुभ हो जाते हैं और दोनों के बीच में प्रेम बढ़ता है तथा जातक को धर्म - कर्म और शुभ कर्मों में ज्यादा रुचि रहती है और उसी से उसका मान सम्मान बढ़ता है। वह इस दौरान तीर्थ यात्राएं भी करता है तथा गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करता है। इस भाव में वक्री बुध जातक की बहुत सारी लंबी यात्राएं करवाता है।

कुंडली का दशम भाव सबसे सशक्त भाव भी माना जाता है। यह सबसे मजबूत केंद्र भाव है और उसके व्यवसाय पर प्रकाश डालता है। वक्री बुध 2022 में दशम भाव में होने पर जातक को अपने कार्य क्षेत्र में समस्याओं में कमी आती है और यदि किसी बात को लेकर वह अपने कार्य क्षेत्र में परेशानी महसूस कर रहा था तो बुध के वक्री होने पर उसकी समस्याओं में कमी आ जाएगी और उसे सफलता मिलेगी। उसकी कार्यकुशलता और व्यवहार कुशलता मजबूत बनेगी तथा हाजिर जवाबी और वाकपटुता के कारण वह अच्छी स्थिति में आ जाएगा और करियर में समस्याएं दूर होंगी। जो लोग काम के दबाव में हैं और अथवा नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें वक्री बुध एक अच्छी नौकरी के साथ काम के दबाव से भी मुक्ति दिला सकता है। इस दौरान जातक के अपने वरिष्ठ अधिकारियों से भी अच्छे संबंध रहते हैं जो उन्हें नौकरी में अच्छा सहयोग प्रदान करते हैं। जातक के पिता के लिए भी यह समय उन्नति कारक रहता है।

कुंडली का ग्यारहवां भाव प्राप्ति और महत्वाकांक्षाओं का भाव है। इसको लाभ भाव और आय भाव भी कहा जाता है। इस भाव से मित्रों के बारे में भी विचार किया जाता है और जातक का सामाजिक दायरा कैसा होगा, इस बारे में भी ग्यारहवां भाव बताता है। यदि वक्री बुध 2022 में ग्यारहवें भाव में आ जाए तो उसकी वजह से जातक के सामाजिक दायरे में उतार-चढ़ाव आ सकता है। उसकी सोशल मीडिया पर कुछ गलत पोस्ट हो सकती हैं जिसकी वजह से समाज में उसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उसके दोस्तों से भी उसकी गलतफहमी उत्पन्न हो सकती है जिससे उनके बीच झगड़े की नौबत भी आ सकती है। यह समय आमदनी में उतार-चढ़ाव को भी दर्शाता है। हालांकि यदि यही वक्री बुध शुभ अवस्था में है तो अपने इस भाव में गोचर के समय में जातक की आमदनी में वृद्धि दिखाता है और जातक समाज में अपनी छवि के लिए बहुत ज्यादा सजग हो जाता है।

कुंडली का द्वादश भाव व्यय भाव कहलाता है।यह विदेश, अस्पताल और जेल जैसी समस्याओं को भी दर्शाता है। यह आंखों और अनिद्रा तथा किसी भी प्रकार का व्यसन को भी दर्शाता है। यदि द्वादश भाव में वक्री बुध 2022 अपनी अशुभ स्थिति में है तो जातक को अनिद्रा की समस्या, आंखों के रोग और अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है। गलत कार्यों की वजह से वह जेल भी जा सकता है। इसके विपरीत यदि बुध शुभ अवस्था में वक्री हो रहा है और द्वादश भाव में स्थित हो तो जातक आध्यात्मिक गतिविधियों में काफी आगे बढ़ाता है। जातक के खर्चों में कमी आती है। उसके विदेश जाने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। भौतिक सुखों से वह थोड़ा दूर होता है और अध्यात्म की ओर बढ़ता है। हालांकि वह काफी दिमाग चलाता है जिसकी वजह से नींद कम आती है और रात को देर तक जागता है। द्वादश भाव में बुध वक्री होने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं होने का खतरा रहता है।

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वक्री बुध 2022: दुष्प्रभाव से बचने के उपाय

इस प्रकार वक्री बुध जातक के जीवन में विभिन्न प्रकार के शुभ और अशुभ प्रभाव अपनी स्थिति के अनुसार प्रदान करते हैं। यदि आपको उन के अशुभ प्रभाव प्राप्त हो रहे हैं तो ऊपर दिए गए उपायों को करने से आपको लाभ मिल सकता है तथा यदि वह आपके लिए शुभ परिणाम दायक हैं तो आपको बुध ग्रह की कृपा को और बढ़ाने के लिए बुध ग्रह के रत्न को धारण करना चाहिए।

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हम आशा करते हैं कि वक्री बुध के बारे में हमारा ये विस्तृत लेख आपके लिए हर मायने में सहायक साबित हो। नये वर्ष की शुभकामना के साथ एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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