एस्ट्रोसेज के इस शुभ मुहूर्त 2022 (Shubh Muhurat 2022) विशेष आर्टिकल में हम आपको वर्ष 2022 में पड़ने वाली सभी शुभ मुहूर्त की तिथियों और समय की जानकारी प्रदान करने के साथ साथ उन बातों से भी अवगत कराएँगे जिन्हें शुभ मुहूर्त की गणना के समय बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही यहाँ जानिए कि, शुभ मुहूर्त के दौरान क्या कुछ काम करना शुभ फलदायी साबित होता है और शुभ मुहूर्त कुल कितने प्रकार के होते हैं। ऐसी और इनके अलावा और भी महत्वपूर्ण जानकारी जानने के लिए ये लेख पूरा अवश्य पढ़ें।
हिंदी में पढ़ने के यहाँ क्लिक करें: शुभ मुहूर्त 2023
किसी भी शुभ या मांगलिक काम को करने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना कितना महत्वपूर्ण और अहम होता है यह हमें आपको बताने की आवश्यकता नही है। विशेषतौर पर हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ काम लोग शुभ मुहूर्त में ही करना अच्छा मानते हैं। कहा जाता है कि, यदि कोई भी शुभ, नया या मांगलिक काम शुभ मुहूर्त में किया जाए तो यह फलित होता है। यही वजह है कि शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat 2022) की गणना और शुभ मुहूर्त में नया काम शुरू करने की परंपरा हमारे यहाँ सदियों से चली आ रही है।
जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट
यदि हम ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बात करें तो, शुभ मुहूर्त उस ख़ास समय को कहा जाता है जिस दौरान सौरमंडल में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति किसी जातक या उस कार्य को करने के लिए शुभफलदायी होती है। यही वजह है कि लोग कहते हैं कि यदि किसी भी नये, अच्छे, शुभ या मांगलिक काम को हम ग्रह नक्षत्रों की शुभ स्थिति की गणना करने के बाद शुभ समय निकालकर करें तो उस काम में हमें सफलता निश्चित ही मिलती है और वह काम बिना किसी बाधा के और समस्या के पूरा हो जाता है।
तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि वर्ष 2022 में विवाह, नामकरण, विद्यारंभ, मुंडन, गृहप्रवेश, अन्नप्राशन, उपनयन, कर्णवेध और विवाह आदि जैसे संस्कारों को करने के लिए शुभ मुहूर्त 2022 कौन-कौन से हैं
Click here to read in English - Shubh Muhurat 2022
साल 2022 के सभी शुभ विवाह मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2022 के सभी शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2022 के सभी शुभ कर्णवेध मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2022 के सभी शुभ उपनयन मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2022 के सभी शुभ विद्यारम्भ मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2022 के सभी शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2022 के सभी शुभ मुंडन मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
साल 2022 के सभी शुभ नामकरण मुहूर्त की जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
अपनी कुंडली में मौजूद शुभ योग की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी खरीदें बृहत् कुंडली
शुभ मुहूर्त 2022 का चयन करना या फिर इसमें कोई काम करना आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? दरअसल इसके पीछे की वजह यह मानी जाती है कि, हम अपने जीवन में कोई भी काम सफलता के उद्देश्य से ही करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, हमें किसी भी काम में सफलता और समृद्धि तभी हासिल होती है जब हम उस काम को ग्रहों और नक्षत्रों के अनुरूप, शुभ मुहूर्त और शुभ घड़ी में करें। इसलिए ही शुभ मुहूर्त का महत्व बताया गया है।
शुभ मुहूर्त देखने की यह परंपरा आज से नहीं बल्कि वैदिक काल से ही चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी कार्य को शुभ मुहूर्त में किया जाए तो उसमें व्यक्ति को अपार सफलता मिलने की संभावना रहती है और साथ ही वह कार्य बिना किसी बाधा और परेशानी के संपन्न भी हो जाता है।
सरल शब्दों में समझाएं तो, सभी ग्रह और नक्षत्र जब शुभ परिणाम देने वाले होते हैं, तो ऐसे समय को किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत करने के लिए शुभ माना जाता है और इसे ही “शुभ मुहूर्त” कहा जाता है। हालाँकि आजकल की मॉडर्न जनरेशन कई बार इन शुभ मुहूर्तों में विश्वास नहीं करती है जिसके फलस्वरूप आपने भी देखा होगा कि, कई बार हमारे बनते-बनते काम बिगड़ने लगते हैं या फिर लाख कोशिशों के बाद भी हमें सफलता नही मिलती है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी मानी जाती है कि काम बिना शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखें शुरू किया गया है।
शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat 2022) के चयन के विषय में या इसके महत्व के विषय में हमें शास्त्रों में भी कई जगह पढ़ने को मिलता है। अब सवाल उठता है कि, आखिर शुभ मुहूर्त के चुनाव से पहले एक आम व्यक्ति के लिए यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि कोई भी समय शुभ है या अशुभ, तो इसका पता कैसे लगाया जाये? तो आईये जानते है कि कैसे कोई भी एक समय शुभ मुहूर्त बनता है-
शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat 2022 In Hindi) के महत्व के बारे में तो हमने बात कर ली, अब दूसरा बड़ा और अहम सवाल यह खड़ा होता है कि, आखिर शुभ मुहूर्त बनता कैसे है? दरअसल इस बात का जवाब जानने के लिए हमें ज्योतिष की मदद लेनी पड़ेगी। ज्योतिष शास्त्र में हर विषय के बारे में विस्तार रूप से जानकारी दी गई है यदि हम बात करें शुभ मुहूर्त की तो उसे निकालने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया जाता है जैसे कि “तिथि, वार, योग, नक्षत्र, करण, नव ग्रहों की स्थिति, मलमास, अधिक मास, शुक्र और गुरु अस्त, शुभ योग, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, और राहु काल, आदि”।
जानकारी के लिए बता दें कि, उपरोक्त दिए गए महत्वपूर्ण बिन्दुओं के अनुसार ही शुभ मुहूर्त की गणना या चयन किया जाता है। इसके अलावा यहाँ जानने वाली बात यह भी है कि, शुभ मुहूर्त की ही तरह अशुभ मुहूर्त भी होते हैं। शास्त्रों के अनुसार अशुभ योग के दौरान बनने वाले मुहूर्त में यदि कोई कार्य किया जाए तो व्यक्ति को उसमें सफलता नहीं मिलती है, साथ ही ऐसे काम बनते-बनते बिगड़ने लगते हैं, व्यक्ति को निराशा होने लगती है इत्यादि।
हिन्दू धर्म में मुहूर्त को एक समय मापन की इकाई माना गया है। यदि पंचांग के अनुसार देखें तो एक दिन में 24 घंटा होता है, जिसमें कुल 30 मुहूर्त निकलते हैं। हर एक मुहूर्त लगभग 48 मिनट का होता है। सीधे शब्दों में कहें तो एक मुहूर्त दो घड़ी के या करीब-करीब 48 मिनट के बराबर होता है।
अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं मुहूर्त के प्रकार। शुभ और अशुभ मुहूर्तों की जानकारी और कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें :
आपके जीवन में शनि का है साया? शनि रिपोर्ट से जानें व्यक्तिगत और सटीक जवाब
बात करें मुहूर्त कि तो, हिन्दू धर्म में कुल 30 मुहूर्त बताये गए हैं। पहला मुहूर्त सुबह 6 बजे से प्रारंभ होता है। इसे रूद्र मुहूर्त कहते हैं और यह एक अशुभ मुहूर्त की श्रेणी में आता है। इसके बाद दूसरा मुहूर्त पहले मुहूर्त के 48 मिनट बाद शुरू होता है। इस मुहूर्त का नाम आहि मुहूर्त है और यह भी एक अशुभ मुहूर्त की श्रेणी में आता है। इन दो मुहूर्तों के अलावा अन्य सभी मुहूर्त की जानकारी हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं।
जानकारी: यहाँ हम आपको सभी मुहूर्त की जानकारी के साथ साथ उनके गुणों के बारे में भी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। साथ ही यह भी जान लीजिये कि, इन सभी का समय भी 48-48 मिनट का ही होता है।
मुहूर्त का नाम | मुहूर्त का गुण |
रूद्र | अशुभ |
अहि | अशुभ |
मित्र | शुभ |
पितृ | अशुभ |
वसु | शुभ |
वाराह | शुभ |
विश्वेदेवा | शुभ |
विधि | शुभ (सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर) |
सतमुखी | शुभ |
पुरुहूत | अशुभ |
वाहिनी | अशुभ |
नक्तनकरा | अशुभ |
वरुण | शुभ |
अर्यमा | शुभ (रविवार के दिन को छोड़कर) |
भग | अशुभ |
गिरीश | अशुभ |
अजपाद | अशुभ |
अहिर-बुध्न्य | शुभ |
पुष्य | शुभ |
अश्विनी | शुभ |
यम | अशुभ |
अग्नि | शुभ |
विधातृ | शुभ |
कण्ड | शुभ |
अदिति | शुभ |
जीव/अमृत | अति शुभ |
विष्णु | शुभ |
द्युमद्गद्युति | शुभ |
ब्रह्म | अति शुभ |
समुद्रम | शुभ |
तिथि, वार, नक्षत्र, योग व करण ये पांच ऐसे मुख्य और महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो 2022 शुभ मुहूर्त की गणना के लिए बेहद ही अहम माने जाते हैं। तो अब इन पांच महत्वपूर्ण बिन्दुओं को समझने के लिए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं:
सबसे पहले बात करते हैं तिथि की। किसी भी शुभ मुहूर्त की गणना में सबसे पहले तिथि की जानकारी होना और उसके बारे में ज्ञान होना बेहद आवश्यक होता है। ज्योतिष के अनुसार एक माह में कुल 30 तिथियाँ होती हैं। इनमें से पंद्रह तिथि शुक्ल पक्ष में आती है और बाकी पंद्रह तिथियाँ कृष्ण पक्ष में आती है। वैदिक पंचांग में तिथियों को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।
ये तिथियाँ एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक व्याप्त रहती है। कभी-कभी दो तिथियां एक ही दिन में आ जाती हैं। इनमें से जो तिथि सूर्योदय नहीं देख पाती उसे “क्षय तिथि” कहते हैं, और जो तिथि दो सूर्योदय तक व्याप्त रहती है, उसे “वृद्धि तिथि” कहते हैं।
आइये अब जानते हैं कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की सभी तिथियों के नाम:
कृष्ण पक्ष की तिथियाँ - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या
शुक्ल पक्ष की तिथियां - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा
अब बात करते हैं दूसरी महत्वपूर्ण बिंदु की जिसे वार या फिर दिन कहते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक सप्ताह में कुल सात वार या फिर दिन होते हैं। इनके क्रमशः नाम जान लेते हैं, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। कहा जाता है इन सभी वारों की अलग प्रकृति और विशेषता होती है।
ऐसे में शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat 2022) की गणना करते समय वार या दिन का विशेष महत्व बताया जाता है। किसी दिन शुभ या विशेष धार्मिक कार्य करना वर्जित माना जाता है, जैसे मंगलवार के दिन तो वहीं रविवार और गुरुवार का दिन कई मायनों में अच्छा माना गया है। ठीक उसी तरह सप्ताह में गुरुवार का दिन किसी भी शुभ और मांगलिक काम के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
अगला महत्वपूर्ण बिंदु होता है नक्षत्र। ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र बताये गए हैं। आइये जान लेते हैं इन सभी 27 नक्षत्रों का नाम और साथ ही जानते हैं इनके स्वामी के नाम।
नक्षत्रों के नाम - अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती।
नक्षत्रों के स्वामी ग्रह
केतु - अश्विनी, मघा, मूल
शुक्र - भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा।
सूर्य - कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा।
चन्द्र - रोहिणी, हस्त, श्रवण।
मंगल - मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा।
राहु - आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा।
बृहस्पति - पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद।
शनि - पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद।
बुध - आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती।
शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat 2022) की गणना के लिए अगला और चौथा मुख्य बिंदु योग होता है। ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर कुल 27 योग बताए गए हैं। अलग अलग मुहूर्त के दौरान इन योगों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। इन सभी 27 योगों में से 9 योग बेहद अशुभ, तो वहीं इन 9 के अलावा बाकि सभी को शुभ भी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ योगों में कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है। आईये आपको बताते हैं सभी 27 योगों और उनके स्वभाव के विषय में-
योग के नाम - प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव, हर्षण, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र , विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिघ, वैधृति
योग के गुण -
शुभ योग - प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव, हर्षण, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र
अशुभ योग - विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिघ, वैधृति
शुभ मुहूर्त की गणना के पांच महत्वपूर्ण बिन्दुओं में से आखिरी है करण। शुभ मुहूर्त की जानकारी के लिए करण का ज्ञान होना अति आवश्यक माना गया है। जानकारी के लिए बता दें कि एक तिथि में दो करण होते हैं, इसका सरल शब्दों में यह भी अर्थ हुआ कि, तिथि का आधा भाग करण कहलाता है।
तिथि के पूर्वार्ध में एक करण होता है और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे में पंचांग के अनुसार, कुल मिलाकर 11 करण होते हैं, जिनमें से चार करण की स्थिर प्रकृति के होते है, तो शेष 7 करण चर प्रकृति के होते हैं। आईये जानते हैं सभी 11 करण और उनकी प्रकृति के बारे में:
करण के नाम - किस्तुघ्न, शकुनि, नाग, चतुष्पाद, बव, बालव, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, विष्टि/भद्रा
करण की प्रकृति -
स्थिर करण - किस्तुघ्न, शकुनि, नाग, चतुष्पाद
चर करण - बव, बालव, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, विष्टि/भद्रा
किसी भी नए या मांगलिक कार्य की शुरुआत के लिए सभी करणों में से विष्टि और भद्रा करण की अशुभ प्रकृति के कारण इस दौरान किसी भी काम को करना वर्जित माना जाता है।
कौन सा करियर चमकाएगा किस्मत? अभी आर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट और जानें जवाब
हिन्दू धर्म में कोई भी नया काम, शुभ काम, धार्मिक काम, मांगलिक काम करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह लोग आज भी इसलिए करते हैं ताकि शुभ मुहूर्त में काम करने से उन्हें काम में सफलता मिले, काम अच्छे ढंग से पूरा हो और जीवन सुखपूर्वक बीते। अब सवाल उठता है कि, आखिर शुभ मुहूर्त में क्या कुछ काम करने चाहिए? तो आइये इसके बारे में भी जान लेते हैं:
जानकारी के लिए बता दें कि, यदि ऊपर बताई गई सारी चीजों को यदि आप 2022 शुभ मुहूर्त में करते हैं, तो इससे आपको भविष्य में अच्छे फल तो मिलते ही हैं साथ ही आपने जिस भी सोच के साथ इस काम को किया होता है वो भी पूरी होती है और आपके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
आशा है कि इस लेख में शुभ मुहूर्त 2022 के बारे में दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!