एस्ट्रोसेज के चंद्र ग्रहण 2022 (Chandra Grahan 2022) विशेष में हम आपको 2022 चंद्र ग्रहण की तिथियां और समय की जानकारी प्रदान करेंगें। इसके अलावा इस विशेष आर्टिकल में हम जानेंगे चंद्र ग्रहण 2022 का आपके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है. साथ ही इस दौरान गर्भवती महिलाओं को क्या कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता पड़ती है।
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चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा पूर्ण संरेखण में हों। यदि यह संरेखण किसी भी तरह से सही नहीं है, तो या तो आंशिक चंद्र ग्रहण होता है या बिल्कुल भी ग्रहण नहीं होता है।
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हजारों सालों वर्षों पहले जब लोगों को चंद्र ग्रहण के बारे में जानकारी नहीं थी और वैज्ञानिकों ने चंद्र ग्रहण के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं की थी तब लोग चंद्र ग्रहण की इस घटना को अचंभित होकर देखते और इससे डरा करते थे। विशेष तौर पर पूर्ण चंद्रग्रहण से, जिस दौरान चंद्रमा खून के रंग का लाल या जिसे अंग्रेजी में ब्लड मून कहते हैं वैसा प्रतीत होने लगा था। क्योंकि तब लोगों को चंद्र ग्रहण के बारे में जानकारी नहीं थी ऐसे में इस अलौकिक घटना को वो देवताओं और अलौकिक शक्तियों का किया कराया मानते थे। हालांकि अब लोगों को इस घटना के बारे में पूरी तरह से जानकारी मिल गई है और लोग ग्रहण और चंद्र ग्रहण 2022 के प्रति जागरूक हो चुके हैं।
हालांकि आपको यदि अभी भी 2022 चंद्र ग्रहण के बारे में कोई आवश्यक जानकारी नहीं पता हो या चंद्र ग्रहण संबंधित आपके मन में कुछ सवाल हो तो इस आर्टिकल में हम आपके उन सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।
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जैसा कि हमने ऊपर भी बताया कि, चंद्रग्रहण केवल अमावस्या के दौरान ही लग सकता है। हालांकि ऐसा आवश्यक नहीं कि हर अमावस्या पर ग्रहण लगे। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रहण लगने के लिए बेहद आवश्यक है कि चंद्रमा, सूर्य, और पृथ्वी एक पूर्ण या फिर आंशिक संरेखण में मौजूद हो लेकिन क्योंकि पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा की तुलना में अलग तल में होती है इसलिए प्रत्येक अमावस्या पर ग्रहण नहीं लगता है।
चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) के दौरान पृथ्वी द्वारा डाली गई दो छाया चंद्रमा की सतह पर पड़ती है। पहली उम्ब्रा (पूर्ण और अंधेरा छाया) और दूसरी होती है पैनंब्रा (आंशिक बाहरी छाया)। चंद्रमा अलग-अलग चरणों में इन दोनों ही छाया से होकर गुजरता है। क्योंकि उपछाया छाया की छाया प्रमुख नहीं होती है इसलिए ग्रहण के प्रारंभिक यानी शुरुआती और अंतिम चरण ज्यादा विशेष या ध्यान देने योग्य नहीं माने गए हैं। ऐसे में जब चंद्रमा उम्ब्रा की छाया में होता है तब सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और ध्यान देने योग्य माना जाता है।
बात करें चंद्रमा की तो चंद्रमा का निर्माण लगभग आज से 4.5 अरब साल पहले हुआ था। यह तकरीबन हर वर्ष पृथ्वी से 4 सेंटीमीटर की दूरी पर (या 4 सेंटीमीटर की दर से) पृथ्वी से दूर हो रहा है। अभी चंद्रमा पृथ्वी से इतनी निश्चित दूरी पर है जहां से पृथ्वी की छाया चंद्रमा की सतह को पूरी तरह से ढक सकती है लेकिन आज से अरबों साल बाद ऐसा नहीं होगा क्योंकि तब तक चंद्रमा पृथ्वी से काफी दूर चला जाएगा।
सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022) की तुलना में देखा जाए तो चंद्रग्रहण (Chandra Grahan 2022) काफी कम होते हैं। जहां एक सौर वर्ष में सूर्य ग्रहण ज्यादा से ज्यादा चार बार हो सकते हैं वही चंद्रग्रहण अधिकतम तीन बार ही होते हैं या हो सकते हैं। हालांकि सूर्यग्रहण दुनिया भर में कम स्थानों से दिखाई देता है जबकि चंद्रग्रहण को दुनिया के आधे से अधिक लोगों द्वारा देखा जा सकता है।
चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022 In Hindi) कुल तीन प्रकार के होते हैं, पूर्ण चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण, और उपच्छाया चंद्रग्रहण। इन तीनों में से पूर्ण चंद्रग्रहण को सबसे ज्यादा विशेष माना जाता है क्योंकि इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है। आगे बढ़ते हैं और इन ग्रहण के बारे में अधिक जानते हैं।
चंद्र ग्रहण में सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है। इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरा छुप जाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीधे में होते हैं। इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरने वाली कुछ धूप मुड़ी हुई, बिखरी हुई, अपवर्तित या चंद्रमा की ओर पुनर्निर्देशित होती है। इसके चलते चंद्रमा पर एक नरम सी चमक आ जाती है। जिसके चलते जब पृथ्वी चंद्रमा की सतह से सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह बंद भी करती है इस दौरान भी चंद्रमा में चमक रहती है।
चलिए उदाहरण के तौर पर ऐसे समझ लीजिए: आप चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पर सूर्य की तरफ मुंह करके खड़े हैं ऐसी स्थिति में आपको क्या नजर आएगा? इस स्थिति में आपको एक काली डिस्क जैसी चीज नजर आएगी जो सूर्य के प्रकाश को रोक रही है। दरअसल यह काली डिस्क ही पृथ्वी है। चूंकि सूर्य इस काली डिस्क के पीछे चमक रहा होता है ऐसे में पृथ्वी के किनारों के चारों तरफ से एक चमकता हुआ है वलय बनाता है। चमकती हुई यह रोशनी चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पर पड़ती है। जब ग्रहण चरम तक पहुंचता है तो ग्रहण या चंद्रमा लाल रंग का प्रतीत होने लगता है।
पूर्ण चांद
चंद्रमा बहुत करीब या चंद्र नोड पर होना चाहिए ताकि सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से सीधी रेखा में हों।
आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा पूर्ण संरेखण में नहीं होते हैं। यहां तक कि पूर्ण चंद्रग्रहण भी समग्रता के दोनों ओर आंशिक प्रतीत होता है। आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा कटा हुआ सा प्रतीत होता है।
पूर्ण चांद
सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी का पूर्ण संरेखण।
यह तीनों में से सबसे कम नाटकीय चंद्रग्रहण है। एक पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया के अस्पष्ट बाहरी हिस्से को पार करता है जिसे पेनम्ब्रा कहा जाता है। यह चंद्र ग्रहण आसानी से नजर नहीं आता है। इसे उपच्छाया चंद्रग्रहण भी कहते हैं।
पूर्ण चांद
चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य को लगभग संरेखित किया जाना चाहिए (आंशिक चंद्र ग्रहण के जितना करीब नहीं)
2022 में दो चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) होंगे। अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गई सूची देखें-
चंद्र ग्रहण का प्रकार | दृश्यता | तिथि और समय |
चंद्र ग्रहण (पूर्ण चंद्रग्रहण) | दक्षिण/पश्चिम यूरोप, दक्षिण/पश्चिम एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका का अधिकांश भाग, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका | 15 मई, 2022-16, 2022 |
चंद्र ग्रहण (पूर्ण चंद्रग्रहण) | उत्तर/पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक, अंटार्कटिका | 8 नवंबर 2022 |
अधिक जानकारी: उपर्युक्त दोनों ही चंद्र ग्रहणों में से कोई भी भारत से दिखाई नहीं देगा। ऐसे में इन ग्रहण के दौरान सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
जब तक चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) की इस खगोलीय घटना का कोई वैज्ञानिक सिद्धांत नहीं था तब दुनिया भर के लोग इस घटना की व्याख्या करने के लिए अलग-अलग पौराणिक मान्यताओं में विश्वास करते थे। ऐसे में हिंदू धर्म ग्रंथ वेद व्यास के अनुसार कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण तब होता है जब राक्षसों के देवता राहु चंद्रमा और सूर्य को अपने मुंह से पकड़ लेते हैं। क्योंकि राहु एक राक्षस देव है इसलिए इस खगोलीय घटना को नकारात्मकता भरा और बुरी ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है।
जानकर और सुनकर बेहद ही आश्चर्यजनक लगता है लेकिन इनमें से कई कहानियां आज के समय में अंधविश्वास के रूप में बदल चुकी है और लोग उन पर आज भी आंखें मूंद कर विश्वास करते हैं।
ग्रहण (Eclipse 2022) के दौरान बहुत से लोग सूतक काल की अवधि का पालन करते हैं। सूतक काल ग्रहण से पहले शुरू होने वाली एक अशुभ अवधि को माना जाता है और इस दौरान कोई भी इस शुभ काम नहीं किया जाता है। ऐसे में इस दौरान कई ऐसे नियम और काम बताए गए हैं जो इस दौरान करना निषेध होता है। बात करें सूतक काल की तो यह ग्रहण से कुछ समय पहले प्रारंभ हो जाता है और ग्रहण के साथ ही समाप्त होता है। बहुत से लोग सूतक काल के दौरान भोजन भी ग्रहण नहीं करते हैं और अपना यह उपवास ग्रहण समाप्ति पर स्नान करने के बाद ही करते हैं। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे काम होते हैं जिन्हें ग्रहण का सूतक काल के दौरान करने से बचना चाहिए। क्या है वह काम आइए जानते हैं:
वैदिक पुराणों के अनुसार चंद्रमा को शक्ति, ऊर्जा, भावनाओं और सपनों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। ऐसे में जिन व्यक्तियों के जीवन में या जिनकी कुंडली में चंद्रमा से संबंधित समस्याएं होती हैं या चंद्रमा अशुभ स्थिति में मौजूद होता है उन्हें विशेष तौर पर चंद्रग्रहण के दौरान सतर्क रहना चाहिए क्योंकि उनके लिए यह समय ज्यादा मुश्किलों भरा साबित हो सकता है।
चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022 In Hindi) को एक बेहद ही जादुई और खूबसूरत घटना माना जाता है। ऐसे में स्वाभाविक है कोई भी इसे देखने से चूकना नहीं चाहता। इसके अलावा चंद्रग्रहण उन कुछ घटनाओं में से एक होता है जिससे आकाश में बेहद ही सहजता और आराम के साथ देखा जा सकता है। इसके लिए आपको केवल आसमान की तरफ देखना है और इस खूबसूरत नजारे का आनंद लेना है। इसके लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि यदि आप इस खूबसूरत खगोलीय घटना को बारीकी से देखना चाहते हैं और उसकी खूबसूरती का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो इसके लिए आप दूरबीन छोटे टेलीस्कोप का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आप सर्दियों में होने वाले ग्रहण का नजारा लेते हैं जैसा कि इस साल नवंबर में दूसरा ग्रहण लगने वाला है तो इसके लिए आप खुले वातावरण में आरामदायक कंबल और हॉट चॉकलेट के साथ इस खूबसूरत नजारे का आनंद ले सकते हैं।
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अब तक चंद्रग्रहण (Chandra Grahan 2022) की सबसे लंबी दर्ज अवधि 106 मिनट की बताई जाती है। ऐसा उस स्थिति में मुमकिन है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया के केंद्र से होकर गुजरता है या चंद्रमा बहुत करीब पर होता है। Apogee या पराकाष्ठा अपनी कक्षा में पृथ्वी से सबसे दूर का बिंदु है। जब चंद्रमा अपभू (apogee या पराकाष्ठा ) के निकट होता है तो वह धीरे-धीरे चलता है और उसे पृथ्वी की छाया से गुजरने में अधिक समय लगता है। अब तक का सबसे लंबे समय तक दर्ज किया गया पूर्ण चंद्रग्रहण 16 जुलाई 2000 को घटित हुआ था जो ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर में दिखाई दिया था। यह चंद्रग्रहण 106 मिनट और 25 सेकंड लंबा था। शोध और अध्ययनों के मुताबिक इतना लंबा या लंबा अगला पूर्ण चंद्रग्रहण अगस्त 4753 में देखा जाएगा, जो 106 मिनट और 35 सेकंड तक चलेगा।
अधिकांश समय पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग या तो बेहद ही खूबसूरत सुर्ख लाल हो जाता है या फिर नारंगी रंग में बदल जाता है। चंद्रमा का यह रंग परिवर्तन सूर्य के प्रकाश की वजह से होता है। जो पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरता है और चंद्रमा की ओर झुक जाता है। स्पेक्ट्रम में अन्य रंग वायुमंडल द्वारा बिखरे और अवरुद्ध होते हैं, लेकिन लाल रंग आसानी से इसे पार कर जाता है। इस परिघटना को रेले प्रकीर्णन (Rayleigh scattering) कहते हैं। इस घटना से ही आकाश नीला दिखाई देता है और सूर्योदय और सूर्यास्त रंगीन प्रतीत होते हैं।
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