जनेऊ मुहूर्त 2021 - Janeu Muhurat 2021

जनेऊ संस्कार 2021 | उपनयन संस्कार 2021 | यज्ञोपवीत संस्कार 2021 के हमारे इस लेख में, आप वर्ष 2021 में पड़ने वाले सभी उपनयन संस्कार के लिए शुभ तारीखों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


जनेऊ संस्कार हिन्दू धर्म के प्रमुख संस्कारों में से एक है। इसे उपनयन संस्कार या यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यही वजह है कि इनकी सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानने के लिए जनेऊ मुहूर्त या उपनयन मुहूर्त देखा जाता है जिससे की सही समय और शुभ वेला में यज्ञोपवीत संस्कार द्वारा बालक को ग्रहों और नक्षत्रो के साथ साथ सभी देवी देवताओं और परिजनों का आशीर्वाद मिल सके और बालक का समुचित विकास हो सके। तो चलिए नीचे दी गई तालिका में अपनी सुविधानुसार, अपने बच्चे के लिए उपनयन संस्कार के लिए सही मुहूर्त का चयन करें।

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उपनयन मुहूर्त 2021 की सूची

अप्रैल उपनयन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
22 अप्रैल, 2021 गुरुवार 05:49 से 06:55 तक
29 अप्रैल, 2021 गुरुवार 05:42 से 11:48 तक
मई उपनयन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
13 मई, 2021 गुरुवार 05:32 से 14:29 तक
16 मई, 2021 रविवार 10:01 से 14:17 तक
17 मई, 2021 सोमवार 05:29 से 11:35तक
21 मई, 2021 शुक्रवार 11:11 से 15:22 तक
23 मई, 2021 रविवार 06:43 से 06:48 तक
30 मई, 2021 रविवार 05:24 से 15:03 तक
जून उपनयन मुहूर्त 2021
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
13 जून, 2021 रविवार 05:23 से 14:44 तक
20 जून, 2021 रविवार 10:31 से 16:22 तक

अन्य सभी मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए क्लिक करें- शुभ मुहूर्त 2021 (लिंक)

जनेऊ संस्कार 2021

जनेऊ संस्कार को हिन्दू धर्म के सभी 16 संस्कारों में से एक, बेहद प्रमुख दसवां संस्कार माना जाता है। जनेऊ सफेद रंग के तीन सूत्र से बनकर तैयार किये गए, पवित्र धागे को कहा जाता है, जिसे व्यक्ति अपने बाएँ कंधे से दायें बाजू की ओर पहनता है। सनातन धर्म में इसे उपनयन संस्कार कहा जाता है, जिसमें उपनयन का तात्पर्य सीधा ईश्वर यानि भगवान के निकट जाना बताया गया है। वहीं संस्कृत में इस संस्कार को यज्ञोपवीत संस्कार कहते हैं, जो यज्ञ और उपवीत शब्दों के मिश्रण से बनता है। इसका मुख्य अर्थ होता है कि, किसी व्यक्ति को यज्ञ-हवन करने का अधिकार प्राप्त होना। क्योंकि बिना जनेऊ संस्कार के पूजा पाठ करना, विद्या प्राप्त करना और व्यापार आदि की शुरुआत करना, बिलकुल निरर्थक माना गया है।

शास्त्रों अनुसार माना गया हैं कि, पूरे रीति-रिवाज के अनुसार जनेऊ संस्कार संपन्न करके किसी भी बच्चे के पूर्व जन्मों के सभी दोषों को नष्ट कर, उसे दोष मुक्त किया जा सकता है। जिसके बाद ही वो बच्चा असल मायनों में, अपने धर्म में प्रवेश करता है। इसलिए ही कहा जाता हैं कि इस संस्कार से ही, किसी भी मनुष्य का दूसरा जन्म होता है। पौराणिक काल में जनेऊ संस्कार के उपरांत ही शिशु को शिक्षा दी जाती थी। ऐसे में बच्चे की आयु के साथ-साथ उसकी बुद्धि बढ़ाने के लिए भी, जनेऊ संस्कार को अति आवश्यक माना गया है।

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उपनयन संस्कार में क्या किया जाता है?

जनेऊ धारण करने का मंत्र

शास्त्रों में जनेऊ धारणा करना बालक के लिए, शिक्षा प्राप्त करने के ही समान होता है। यही कारण है कि इसे धारण करते समय, इसके विशेष मंत्र का जप करना अनिवार्य होता है। जनेऊ धारण करने के लिए उचित मंत्र निम्नलिखित हैं:-

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्रं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।

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जनेऊ संस्कार मुहूर्त 2021 की गणना

किसी भी कार्य से उत्तम परिणामों की प्राप्ति हेतु, हिन्दू धर्म में उसके लिए एक निर्धारित समय का उल्लेख किया गया है। ठीक उसी प्रकार उपनयन संस्कार से भी उत्तम और अत्यधिक शुभ फलों की प्राप्ति के लिए, उसे शुभ दिन, शुभ वार, शुभ तिथि ओर शुभ योग में ही किया जाना चाहिए। इस शुभ समय को ही जनेऊ संस्कार का शुभ मुहूर्त कहते हैं।

वैसे तो जनेऊ संस्कार के लिए ये शुभ मुहूर्त किसी विद्वान विशेषज्ञ की मदद से ही, बच्चे की जन्म कुंडली का आंकलन करवाकर निकाला जाता है। परंतु इसके लिए शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि, शुभ वार और शुभ लग्न होना बेहद ज़रूरी होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि उपनयन संस्कार की गणना के दौरान, किन-किन विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है।

नक्षत्र मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, हस्त, चित्रा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, अश्विनी, मूल, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाषाढ़, पूर्वाफाल्गुनी, पुष्य, अश्लेषा
वार रविवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार
तिथि द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी, द्वादशी
लग्न लग्न से नौवें, पांचवें, पहले, चौथे, सातवें, दसवें स्थान में शुभ ग्रह के रहने पर उपनयन संस्कार करना शुभ होता है।

जानें मुहूर्त 2021 का महत्व और उससे मिलने वाले लाभ

शास्त्रों अनुसार जनेऊ संस्कार 2021, बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा आरंभ कराने के लिए किये जाने वाला संस्कार है। ये संस्कार गुरुकुल काल से लेकर आज के योग में भी, विशेष महत्व रखता है। जिस प्रकार मनुष्य के मानसिक विकास के लिए शिक्षा का होना बेहद आवश्यक होता है, ठीक उसी प्रकार जनेऊ संस्कार का भी अपना एक विशेष धार्मिक, वैज्ञानिक और ज्योतिष महत्व होता है। तो चलिए अब जानते हैं, इन सभी महत्व के बारे में विस्तार से:-

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उपनयन संस्कार 2021 की विधि

उपनयन संस्कार 2021 के दौरान ज़रूर बरतें ये सावधानियाँ

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हम आशा करते हैं कि जनेऊ संस्कार 2021 से जुड़ा, आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। साथ ही हमे उम्मीद है कि इसमें निहित जानकारी, आपके लिए उपयोगी साबित होंगी। हमारी वेबसाइट से जुड़े रहने के लिए आपका साधूवाद!

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