लक्ष्मी मंत्र: महालक्ष्मी मंत्र जाप से पाएँ जीवन में सुख-समृद्धि
लक्ष्मी मंत्र का नियमित पाठ करना जीवन से आर्थिक अभावों को दूर कर देता है। यदि आप धन से जुड़ी समस्याओं से निरंतर जूझ रहे हैं तो मॉं लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप करना आपकी कई समस्याओं को दूर कर सकता है। दैनिक जीवन में आज धन ही सर्वोपरि है। धन की कमी को लेकर यह पंक्ति बहुत सार्थक है कि ‘यस्य समीपे टका नास्ति स हटाके टकटकायते।’ अर्थात जिस इंसान के पास मुद्रा या धन नहीं है वो बस वस्तुओं को देख सकता है। नीतिशास्त्र में तो यहां तक कहा गया है कि जिस व्यक्ति के पास धन है वही, कुलीन है, शास्त्रों का ज्ञाता है गुणवान है और अच्छा वक्ता है। बात स्पष्ट है कि धन की पर्याप्त मात्रा हर एक के लिए आवश्यक है लेकिन हर किसी के पास धन आसानी से आ जाए यह ज़रूरी नहीं है। इसीलिए धन प्राप्ति के लिए मॉं लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना अति शुभ माना गया है।
मॉं लक्ष्मी का अवतरण
मॉं लक्ष्मी को धन-वैभव और समृद्धि की देवी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी मॉं का अवतरण समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। समुद्र मंथन की कथा के अनुसार चौदह रत्नों में से आठवें रत्न के रुप में मॉं लक्ष्मी अवतरित हुई थीं। इसके बाद माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को वरण किया था। देवताओं और दानवों द्वारा किये गये समुद्र मंथन में मन्दराचल पर्वत को मथनी और वासुकी नाग को इसकी डोरी बनाया गया था। राजा बलि ने दैत्यों तथा इंद्र ने देवताओं की अगुवाई की थी।
लगभग 1000 ईसा पूर्व में अथर्ववेद की प्रतिलिपियों में लक्ष्मी के बारे में लिखा गया है कि, जन्म के समय सौ लक्ष्मियों का जन्म भी नश्वर शरीर के साथ होता है इनमें कुछ शुभ तो कुछ अशुभ मानी गयी हैं। हालांकि कालांतर में मॉं लक्ष्मी को भाग्य और धन की देवी के रुप में संदर्भित किया गया, जिन्हें विष्णु की पत्नी के रुप में जाना जाता है।
मॉं लक्ष्मी का स्वरुप
मॉं लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। उनका एक मुख है और चार हाथ हैं, जोकि एक लक्ष्य और दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता, व्यवस्था शक्ति, दूरदर्शिता के प्रतीक हैं। उनके दो हाथों में कमल के फूल हैं जो सौंदर्य और प्रामाणिकता के प्रतीक माने गये हैं। उनका एक हाथ दान मुद्रा में है जबकि एक हाथ से वो आशीर्वाद दे रही हैं। उनका वाहन उलूक है जो रात्रि के अंधेरे में भी देखने की क्षमता रखता है और वह निर्भिकता का भी प्रतीक है। मॉं लक्ष्मी को जल का अभिषेक करने वाले दो गजराजों को परिश्रम और मनोयोग माना जाता है।
- मॉं लक्ष्मी का बीज मंत्र
माँ लक्ष्मी मंत्र का लाभ
- इस मंत्र को परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- इस मंत्र के जाप से आप में आत्मबल का भी विकास होता है।
- आपके जीवन की आर्थिक परेशानियां इस मंत्र के जाप से दूर हो जाती हैं।
- माता का यह बीज मंत्र आपके दुखों को हर लेता है।
- इस मंत्र के जरिये हम माता से कृपा बरसाने की कामना करते हैं और उन्हें नमन करते हैं।
मॉं लक्ष्मी मंत्र का अर्थ
इस मंत्र में ह्रीं मायाबीज है जिसमें ह् शिव, र प्रकृति, नाद विश्वमाता और बिंदु दुखहरण का प्रतीक है। अर्थात इस मंत्र के जाप से हम यह कामना करते हैं कि शिवयुक्त जननी आद्य शक्ति हमारे समस्त दुखों को हरें। वहीं श्रीं लक्ष्मी बीज है जिसमें श महालक्ष्मी के लिए, र धन और संपत्ति के लिए, ई महामाय, तो नाद जगत माता की पुकार के लिए प्रयुक्त हुआ है वहीं बिंदु को दुखों को हरने वाला माना जाता है। अर्थात श्रीं का अर्थ हुआ ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी मेरे दुखों को हरण करें और जीवन में समृद्धि लाएं। अंत में लक्ष्मीभयो नम: का अर्थ है कि हम मॉं लक्ष्मी को पुकारते हुए उन्हें नमन करते हैं। इस बीज मंत्र का पूरा अर्थ है कि हे परमपिता परमात्मा, हे महामाया, हे माता लक्ष्मी मेरे दुखों को हरें और मेरे जीवन को समृद्धि दें।
- लक्ष्मी गायत्री मंत्र
-
“ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥”
लक्ष्मी गायत्री मंत्र का लाभ
इस मंत्र के जाप से इंसान को जीवन में सुख-समृद्धि तो मिलती ही है साथ ही पद, यश और भौतिक सुविधाओं का आनंद उठाने का भी मौका मिलता है। इस मंत्र का निरंतर जाप आप में सकारात्मकता भी भरता है और आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करने में कोई भी परेशानी नहीं आती।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र का अर्थ
इस मंत्र में ॐ का अर्थ है ईश्वर अथवा परमात्मा रुप माता महालक्ष्मी जो सृष्टि के पालन कर्ता विष्णु भगवान की पत्नी हैं हम उनका ध्यान करते हैं। मॉं लक्ष्मी हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें। हम माता का ध्यान करते हुए प्रार्थना करते हैं कि वो हम पर अपनी कृपा बरसाती रहें।
- महालक्ष्मी मंत्र
-
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नम:॥”
महालक्ष्मी मंत्र का लाभ
मंत्र का उद्देश्य होता है उस मंत्र से संबंधित देवी या देवता को प्रसन्न करना जिससे देवी-देवता की कृपा आप पर बनी रहे। ऊपर दिये गये मंत्र का जाप भी मॉं लक्ष्मी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिये किया जाता है। खासकर इस मंत्र को ऋण मुक्ति के लिए बहुत कारगर माना गया है। मान्यता है कि कमलगट्टे की माला से हर दिन इस मंत्र के जाप करने से सारे ऋण उतर जाते हैं और मॉं की कृपा हमेशा आप पर बनी रहती है।
महालक्ष्मी मंत्र का अर्थ
इस मंत्र के जरिये मॉं लक्ष्मी से हम यह कामना करते हैं कि वह हमारे दरिद्रय और दुखों को दूर करे और हम पर अपनी कृपा बनाए रखें।
दीपावली के मौके पर मॉं लक्ष्मी के इस मंत्र का करें जाप
दीपावली के पावन अवसर पर माता लक्ष्मी की पूजा करना अति शुभ माना गया है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग इस दिन श्रद्धा पूर्वक माता की पूजा करते हैं और उनसे धन वैभव की कामना करते हैं। माता की पूजा के समय यदि आप नीचे दिये गये मंत्र का भी पाठ करते हैं तो आपको मॉं लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इस मंत्र को ज्येष्ठा लक्ष्मी का मंत्र कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ इस मंत्र का सवा लाख बार जप करता है तो यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। इसके बाद व्यक्ति के जीवन में धन की कमी कभी नहीं होती और वो सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर पाता है।
शुक्रवार को इन मंत्रों से करें मॉं लक्ष्मी की पूजा
शुक्रवार के दिन मॉं लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन मॉं की साधना करने से यश और वैभव की प्राप्ति होती है। शुक्रवार को नीचे दिये गये दो मंत्रों का जाप करना चाहिए।
विष्णुपत्नी च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।”
- शुक्रवार के दिन शाम को ऊपर दिये गये मंत्र का जाप करने से पहले स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद लाल वस्त्र पहनकर या लाल रंग के आसन पर बैठना चाहिए।
- इसके बाद लाल फूल और अक्षत लेकर मंत्र का जाप करना चाहिए।
- इसके उपरांत फूल-अक्षत के साथ लाल वस्त्र, लाल चंदन, गुलाब के फूलों की माला माता को अर्पित करने के बाद कमलगट्टे की माला लेकर नीचे दिये गये मंत्र का श्रद्धा पूर्वक जाप करना चाहिए।
- पूजा और मंत्र जाप की समाप्ति के बाद घी की पांच बत्तियों वाले दीपक से मॉं की आरती उतारें और जीवन में सुख-शांति और वैभव की कामना करें।
- इसके साथ ही माता को दूध से बनी मिठाईयों का भोग भी लगाएँ।
राशि अनुसार मॉं लक्ष्मी के मंत्र
| क्र.सं | राशि | लक्ष्मी मंत्र |
| 1 | मेष | ॐ ऐं क्लीं सौं: |
| 2 | वृषभ | ॐ ऐं क्लीं श्रीं |
| 3 | मिथुन | ॐ क्लीं ऐं सौं: |
| 4 | कर्क | ॐ ऐं क्लीं श्रीं |
| 5 | सिंह | ॐ ह्रीं श्रीं सौं: |
| 6 | कन्या | ॐ श्रीं ऐं सौं: |
| 7 | तुला | ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं |
| 8 | वृश्चिक | ॐ ऐं क्लीं सौं: |
| 9 | धनु | ॐ ह्रीं क्लीं सौं: |
| 10 | मकर | ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं सौं: |
| 11 | कुंभ | ॐ ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं |
| 12 | मीन | ॐ ह्रीं क्लीं सौं: |
मंत्रों को जपने की विधि
- जब भी आप अपनी राशि के अनुसार मंत्रों का जाप करें तो उस दौरान शुद्ध घी का दीया लगातार जलना चाहिए।
- इस मंत्र का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला के साथ करें।
- मंत्र उच्चारण करते समय 11 माला का जाप अवश्य करें।
- अगर आप मंत्र का जाप कुश (एक तरह की घास) के आसन पर बैठकर करेंगे तो आपको शुभ फलों की प्राप्ति प्राप्त होगी।
- मंत्र का जाप पूरा करने के बाद माला को पूजा स्थान पर ही रख दें।
आशा है ज्योतिषीय दृष्टि से लिखा गया यह लेख आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होगा। एस्ट्रोसेज वेबसाइट से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद!
Astrological services for accurate answers and better feature
Astrological remedies to get rid of your problems
AstroSage on MobileAll Mobile Apps
AstroSage TVSubscribe
- Horoscope 2026
- राशिफल 2026
- Calendar 2026
- Holidays 2026
- Shubh Muhurat 2026
- Saturn Transit 2026
- Ketu Transit 2026
- Jupiter Transit In Cancer
- Education Horoscope 2026
- Rahu Transit 2026
- ராசி பலன் 2026
- राशि भविष्य 2026
- રાશિફળ 2026
- রাশিফল 2026 (Rashifol 2026)
- ರಾಶಿಭವಿಷ್ಯ 2026
- రాశిఫలాలు 2026
- രാശിഫലം 2026
- Astrology 2026






