ग्रहण 2017: सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण
2017 में चार सूर्य ग्रहण घटित होंगे। इनमें दो सूर्य ग्रहण व दो चंद्र ग्रहण हैं। 26 फरवरी और 21 अगस्त को होने वाला सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिकी और दक्षिण अफ्रीकी देशों में दिखाई देगा। ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देंगे। वहीं 11 फरवरी और 7 अगस्त को होने वाले चंद्र ग्रहण भारत, एशिया और यूरोप समेत उत्तरी अमेरिका के कई देशों में दृश्य होंगे। 2017 में होने वाले सूर्य ग्रहण क्रमश: आंशिक और पूर्ण सूर्य ग्रहण होंगे। हालांकि ये सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे इसलिए इनका धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा। भारत में दिखाई देने वाले दोनों चंद्र ग्रहण का सूतक माना जाएगा।
2017 में सूर्य ग्रहण कब है ?
2017 में दो सूर्य ग्रहण घटित होंगे। ये दोनों ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे इसलिए भारत में इन सूर्य ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। सूर्य ग्रहण का विवरण इस प्रकार है।
सूर्य ग्रहण 2017 | समय | ग्रहण का प्रकार | दृश्यता |
26 फरवरी 2017 | 17:39 से 23:04 बजे तक | आंशिक सूर्य ग्रहण | दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर (नोट-यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। ) |
21 अगस्त 2017 | 21:16 से 02:34 बजे तक | पूर्ण सूर्य ग्रहण |
दक्षिण अफ्रीका, उत्तरी पैसेफिक, अंटार्कटिका (नोट-यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई
देगा। )
|
2017 में चंद्र ग्रहण कब है ?
2017 में दो चंद्र ग्रहण होंगे। ये दोनों ग्रहण भारत समेत यूरोप, पूर्वी एशिया और उत्तरी अमेरिका समेत कई क्षेत्रों में दिखाई देंगे। चंद्र ग्रहण का विवरण इस प्रकार है।
चंद्र ग्रहण 2017 | समय | ग्रहण का प्रकार | दृश्यता |
11 फरवरी 2017 | 04:04:14 से 08:23:25 बजे तक | उपच्छाया चंद्र ग्रहण | भारत समेत यूरोप, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी एशिया |
7 अगस्त 2017 | 22:44 से 01: 59 बजे तक | आंशिक चंद्र ग्रहण | भारत समेत यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अमेरिका आदि क्षेत्रों में। |
ग्रहण क्या है ?
खगोल शास्त्र के अनुसार जब एक खगोलीय पिंड पर दूसरे खगोलीय पिंड की छाया पड़ती है, तब ग्रहण होता है। हर साल हमें सूर्य व चंद्र ग्रहण दिखाई देते हैं, जो पूर्ण व आंशिक समेत कुछ प्रकार के होते हैं।
सूर्य ग्रहण क्या है ?
जब चंद्रमा सूर्य एवं पृथ्वी के मध्य में आता है, तब यह पृथ्वी पर आने वाले सूर्य के प्रकाश को रोकता है और सूर्य में अपनी छाया बनाता है। इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण क्या है ?
जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच आ जाती है तब यह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
ग्रहण के प्रकार
सूर्य और चंद्र ग्रहण के निम्न प्रकार होते हैं।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक ले तब पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है।
- आंशिक सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है।
- वलयाकार सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह न ढकते हुए केवल उसके केन्द्रीय भाग को ही ढकता है तब उस अवस्था को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
- पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है, तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है।
- आंशिक चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक रूप से ढकती है, तो उस स्थिति में आंशिक चंद्र ग्रहण होता है।
- उपच्छाया चंद्र ग्रहण: जब चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी अपूर्ण प्रतीत होती है। तब इस अवस्था को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
ग्रहण में क्या करें क्या ना करें?
हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। दरअसल ग्रहण के दौरान सूतक या सूतक काल एक ऐसा समय होता है, जब कुछ कार्य करने की मनाही होती है। क्योंकि सूतक के इस समय को अशुभ माना जाता है। सामान्यत: सूर्य व चंद्र ग्रहण लगने से कुछ समय पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण के समाप्त होने पर स्नान के बाद सूतक काल समाप्त होता है।
हिंदू वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूतक काल के दौरान निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए। हालांकि वृद्ध, बच्चों और रोगियों पर ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होता है।
ग्रहण में ये काम करें:
- ध्यान, भजन, ईश्वर की आराधना और व्यायाम।
- सूर्य व चंद्र से संबंधित मंत्रों का उच्चारण।
- ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव।
- ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएं और पूजा करें।
- सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन करें।
- सूतक काल के पहले तैयार भोजन को बर्बाद नहीं करें, बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर भोजन को शुद्ध करें।
ग्रहण में ये काम नहीं करें..
- किसी नए कार्य की शुरुआत करने से बचें।
- सूतक के दौरान भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है।
- मल-मूत्र और शौच नहीं करें।
- देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि नहीं करें।
ग्रहण में गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान:
ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने और ग्रहण देखने से बचना चाहिए। ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटने और छीलने जैसे कार्यों से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय चाकू और सुई का उपयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों को क्षति पहुंच सकती है।
ग्रहण में करें मंत्र जप
"ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ”
“ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ”
ग्रहण की पौराणिक कथा
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत को दानवों ने छीन लिया। इस दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके दानवों से अमृत ले लिया और उसे देवताओं में बांटने लगे, लेकिन भगवान विष्णु की इस चाल को राहु नामक असुर समझ गया और वह देव रूप धारण कर देवताओं के बीच बैठ गया। जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय सूर्य और चंद्रमा ने कहा कि, यह राहु दैत्य है। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को काट दिया। अमृत के प्रभाव से उसकी मृत्यु नहीं हुई लेकिन उसका सिर व धड़ राहु और केतु छायाग्रह के नाम से सौर मंडल में स्थापित हो गए। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बैर भाव की वजह से सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण करते हैं।
हिंदू धर्म में ग्रहण को मानव समुदाय के लिए हानिकारक माना गया है। जिस नक्षत्र और राशि में ग्रहण लगता है उससे जुड़े लोगों पर ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। हालांकि ग्रहण के दौरान मंत्र जाप व कुछ जरूरी सावधानी अपनाकर इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
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